महिला उत्पीड़न की धारा क्या है? - mahila utpeedan kee dhaara kya hai?

हर महिला को जरूर पता होना चाहिए कि कानून के हिसाब से कौन- कौन से अधिकार उनके लिए होते हैं। 

आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। घर हो या बाहर महिलाएं बखूबी अपने काम को सही से करती हैं लेकिन कुछ वजहों के चलते उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

घरेलू हिंसा, लिंग भेद और महिला उत्पीड़न आदि सभी परेशानियों को उन्हें झेलना पड़ता है लेकिन अगर महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी होगी तो वह किसी भी प्रताड़ना को सहने से पहले उसके खिलाफ अपनी आवाज उठा सकती हैं।

इस लेख में हम आपको भारतीय कानून में शामिल कुछ अधिकारों के बारे में बताएंगे। 

1)घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

आपको बता दें कि अगर आप किसी की पत्नी है और आपका पति आप पर घरेलू हिंसा करता है तो आपके पास उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने का हक है।

भारतीय संविधान की धारा 498 के अनुसार पत्नी, महिला जो लिव-इन पार्टनर के साथ रहती है या किसी के भी घर में रहने वाली महिला जिसे घरेलू हिंसा झेलनी पड़ रही है उसे यह कानूनी रूप से अधिकार मिलता है कि वह इस हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज उठाए और केस फाइल करे। ऐसा करने से आरोपी (जो हिंसा कर रहा है) को भारी जुर्माना भरना पड़ता है या उसे 3 साल की कारावास भी होती है। 

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2) महिला को नहीं कर सकते इस समय गिरफ्तार

 

महिला उत्पीड़न की धारा क्या है? - mahila utpeedan kee dhaara kya hai?

आपको बता दें कि भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार यदि किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त यानी शाम 6 बजे के बाद या सूर्योदय यानि सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार किया जाता है तो वह भी कानून के खिलाफ है।

धारा 160 के अनुसार अगर किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो उसके लिए एक महिला कांस्टेबल या उस महिला के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी होना जरूरी है।

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3)अगर कार्यस्थल पर हो रहा है उत्पीड़न 

आपको बता दें कि अगर किसी महिला का उसके ऑफिस में या किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न किया जाता है तो उत्पीड़न करने वाले आरोपी के खिलाफ महिला शिकायत दर्ज कर सकती है।

यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिलाओं को कार्यस्थल पर होने वाली शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न से सुरक्षा मिलती है। 

4)दहेज लेने पर मिलेगा दंड

आपको बता दें कि अगर विवाह के समय या उसके बाद लड़के के परिवार वाले या वह लड़का खुद ही दहेज की मांग करता है तो लड़की के परिवार वालों को मजबूरी में दहेज देने की जरूरत नहीं है।(संपत्ति में मुस्लिम महिला का क्या अधिकार होता है? जानिए)

आप इसके खिलाफ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अनुसार शिकायत दर्ज कर सकती हैं। इससे परिवार वालों को जेल होने के साथ-साथ भारी जुर्माना भी चुकाना पड़ता है। 

5)महिला की पहचान की रक्षा

आपको बता दें कि ऐसी महिलाएं जिनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है उनकी पहचान की रक्षा करने के लिए अधिकार भारतीय दंड संहिता की धारा- 228 (ए) बनाई गई है।

इसके तहत महिला सिर्फ अकेले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने ही अपना बयान दर्ज करा सकती है। इसके अलावा अगर कोई महिला पुलिस अधिकारी है तो यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला उनके सामने भी अपना बयान दे सकती है।

इन सभी अधिकारों के अलावा भी कई सारे अधिकार हैं। लेकिन इन सभी अधिकारों के बारे में हर महिला को अवश्य पता होने चाहिए।

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image credit- freepik

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- विनय झैलावत

पिछले दशकों में स्त्रियों का उत्पीड़न रोकने और उन्हें उनके हक दिलाने के बारे में बड़ी संख्या में कानून पारित हुए हैं। अगर इतने कानूनों का सचमुच पालन होता तो भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव और अत्याचार अब तक खत्म हो जाना था। लेकिन पुरुषप्रधान मानसिकता के चलते यह संभव नहीं हो सका है। आज हालात ये हैं कि किसी भी कानून का पूरी तरह से पालन होने के स्थान पर ढेर सारे कानूनों का थोड़ा-सा पालन हो रहा है, लेकिन भारत में महिलाओं की रक्षा हेतु कानूनों की कमी नहीं है। भारतीय संविधान के कई प्रावधान विशेषकर महिलाओं के लिए बनाए गए हैं। इस बात की जानकारी महिलाओं को अवश्य होना चाहिए।

संविधान के अनुच्छेद 14 में कानूनी समानता, अनुच्छेद 15 (3) में जाति, धर्म, लिंग एवं जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव न करना, अनुच्छेद 16 (1) में लोक सेवाओं में बिना भेदभाव के अवसर की समानता, अनुच्छेद 19 (1) में समान रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 21 में स्त्री एवं पुरुष दोनों को प्राण एवं दैहिक स्वाधीनता से वंचित न करना, अनुच्छेद 23-24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार समान रूप से प्राप्त, अनुच्छेद 25-28 में धार्मिक स्वतंत्रता दोनों को समान रूप से प्रदत्त, अनुच्छेद 29-30 में शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार, अनुच्छेद 32 में संवैधानिक उपचारों का अधिकार, अनुच्छेद 39 (घ) में पुरुषों एवं स्त्रियों दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार, अनुच्छेद 40 में पंचायती राज्य संस्थाओं में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से आरक्षण की व्यवस्था, अनुच्छेद 41 में बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में सहायता पाने का अधिकार, अनुच्छेद 42 में महिलाओं हेतु प्रसूति सहायता प्राप्ति की व्यवस्था, अनुच्छेद 47 में पोषाहार, जीवन स्तर एवं लोक स्वास्थ्य में सुधार करना सरकार का दायित्व है, अनुच्छेद 51 (क) (ड) में भारत के सभी लोग ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों, अनुच्छेद 33 (क) में प्रस्तावित 84वें संविधान संशोधन के जरिए लोकसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था, अनुच्छेद 332 (क) में प्रस्तावित 84वें संविधान संशोधन के जरिए राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।


गर्भावस्था में ही मादा भ्रूण को नष्ट करने के उद्देश्य से लिंग परीक्षण को रोकने हेतु प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 निर्मित कर क्रियान्वित किया गया। इसका उल्लंघन करने वालों को 10-15 हजार रुपए का जुर्माना तथा 3-5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। दहेज जैसे सामाजिक अभिशाप से महिला को बचाने के उद्देश्य से 1961 में 'दहेज निषेध अधिनियम' बनाकर क्रियान्वित किया गया। वर्ष 1986 में इसे भी संशोधित कर समयानुकूल बनाया गया।


विभिन्न संस्थाओं में कार्यरत महिलाओं के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रसूति अवकाश की विशेष व्यवस्था, संविधान के अनुच्छेद 42 के अनुकूल करने के लिए 1961 में प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम पारित किया गया। इसके तहत पूर्व में 90 दिनों का प्रसूति अवकाश मिलता था। अब 135 दिनों का अवकाश मिलने लगा है।

महिलाओं को कौन कौन से अधिकार दिए गए हैं?

आइए जानते हैं कि ये अधिकार कौन-कौन से हैं..
1-समान मेहनताना का अधिकार ... .
2-गरिमा और शालीनता का अधिकार ... .
3-दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा ... .
4-घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार ... .
5-पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार ... .
6-मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार ... .
7-रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार ... .
8-वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार.

पत्नी के क्या अधिकार है?

पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं?.
स्त्रीधन का अधिकार ... .
पति के घर में रहने का अधिकार ... .
जीवनस्तर के रख-रखाव का अधिकार ... .
पति से रिश्ते का अधिकार ... .
गरिमा के साथ जीने का अधिकार ... .
सरनेम यथावत रखने का अधिकार ... .
शादी कंज्युमेट न होने पर उसे निरस्त करने का अधिकार ... .
पति की रिहायशी संपत्ति में अधिकार.

भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार क्या है?

गिरफ्तारी का अधिकार भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-46 के अनुसार, किसी भी महिला को सुबह 6 बजे से पहले और शाम 6 बजे के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, भले ही पुलिस के पास गिरफ्तारी वारंट हो। इतना ही नहीं, एक महिला को पूछताछ के लिए थाने जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

भारत में उत्पीड़न की सजा क्या है?

सज़ा : पहली बार अपराध साबित होने पर कम से कम एक से तीन वर्ष की सजा व जुर्माना बार - बार अपराध करने पर कम से कम तीन से सात साल की सजा व जुर्माना । सज़ा : तीन वर्ष तक की सज़ा। बार-बार अपराध करने पर सज़ा की अवधि पांच वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है व जुर्माना ।