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फेफड़ों में इन्फेक्शन - Lung Infections in Hindiपरिचय: जब वायरस, बैक्टीरिया या कभी-कभी फंगी किसी व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंच कर विकसित होना शुरू कर देते हैं, तो फेफड़ों में इन्फेक्शन होने लगता है। फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियां होती हैं जिन्हें “एयर सैक” (Air sacs) कहा जाता है। फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण ये थैलियां मवाद या अन्य द्रव भर जाती हैं, जिसके कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। फेफड़ों में संक्रमण होने के लक्षणों में मुख्य रूप से छाती में दर्द होना और बार-बार खांसी होना आदि शामिल हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण होने वाली खांसी सामान्य खांसी से अलग प्रकार की होती है। फेफड़ों में इन्फेक्शन का परीक्षण डॉक्टर के द्वारा किया जाता है और परीक्षण के दौरान वे मरीज से उसकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए छाती का एक्स रे और सीटी स्कैन करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। सामान्य स्वच्छता बनाए रखने और नियमित रूप से हाथ धोने की आदत से फेफड़ों में संक्रमण होने से बचाव किया जा सकता है। कुछ टीके भी उपलब्ध हैं जो कुछ प्रकार के फेफड़ों के संक्रमण होने का खतरा कम कर देते हैं। लंग इन्फेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवाओं के साथ किया जाता है। लंग इन्फेक्शन में होने वाली खांसी व दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर दवाएं और कफ सिरप भी दी जाती हैं। बहुत अधिक बुरा इंफेक्शन होने पर ऑक्सीजन और इसी तरह के दूसरे लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाले ट्रीटमेंट भी रोगी को दिए जाते हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन होने से श्वसन तंत्र खराब होना, फेफड़ों संबंधी अन्य गंभीर समस्याएं पैदा होना और यहां तक की हार्ट फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज) फेफड़ों का इन्फेक्शन क्या होता है? - What is Lung Infections in Hindiलंग इन्फेक्शन क्या है? फेफड़ों में संक्रमण होने की स्थिति को लंग इन्फेक्शन कहा जाता है। यह संक्रमण फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियों में भी हो सकता है, जिस स्थिति को “निमोनिया” कहा जाता है। इसके अलावा संक्रमण फेफड़ों के बड़े श्वसनमार्गों में भी हो सकता है, जिसे “ब्रोंकाइटिस” कहा जाता है। (और पढ़ें - निमोनिया में क्या खाना चाहिए) फेफड़ों में इन्फेक्शन के प्रकार - Types of Lung Infections in Hindiलंग इन्फेक्शन के लक्षण - Lung Infections Symptoms in Hindiफेफड़ों (लंग) में इन्फेक्शन के कारण और जोखिम कारक - Lung Infections Causes & Risk Factors in Hindiफेफड़ों में इन्फेक्शन क्यों होता है? बैक्टीरिया और वायरस, फेफड़ों में इन्फेक्शन पैदा करने वाले मुख्य दो कारण हैं। मरीज के सांस लेने के दौरान ये रोगाणु फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियों में जमा हो जाते हैं। फेफड़ों में पहुंचने के बाद ये रोगाणु विकसित होने लग जाते हैं और इनकी संख्या भी बढ़ने लग जाती है। फेफड़ों का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। ये रोगाणु मरीज के खांसने, बोलने और छींकने पर हवा में फैल जाते हैं और उस हवा में सांस लेने के कारण स्वस्थ आदमी के फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। मरीज के द्वारा संक्रमित की गई किसी वस्तु को छूने से भी स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - सीने में संक्रमण का इलाज) फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा कब बढ़ता है? कुछ ऐसे कारक हैं, जो फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ाते हैं, जैसे:
(और पढ़ें - आईसीयू क्या है) फेफड़ों में इन्फेक्शन से बचाव - Prevention of Lung Infections in Hindiफेफड़ों के इन्फेक्शन से बचाव कैसे करें? कुछ उपाय अपना कर फेफड़ों में इन्फेक्शन होने से रोकथाम की जा सकती है:
लंग इन्फेक्शन का परीक्षण - Diagnosis of Lung Infections in Hindiलंग इन्फेक्शन का परीक्षण कैसे किया जाता है? स्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों की जांच करते हैं, आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं और आपका शारीरिक परीक्षण करते हैं। परीक्षण के दौरान डॉक्टर एक स्टीथोस्कोप (Stethoscope) नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी मदद से छाती से निकलने वाली आवाज को सुना जाता है। इस उपकरण की मदद से सांस के दौरान छाती से निकलने वाली किसी भी असाधारण आवाज की पहचान कर ली जाती है, जैसे घरघराहट।
(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है) फेफड़ों में इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है? ऐसे कई वायरस हैं, जिनके कारण होने वाले संक्रमण के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। जब तक स्थिति का पूरी तरह से पता नहीं लग पाता, तब तक डॉक्टर आपके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। फेफड़ों के संक्रमण का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल दवाओं का उपयोग किया जाता है, इलाज के लिए सही दवा का चयन संक्रमण के कारण के आधार पर किया जाता है। बैक्टीरिया के कारण होने वाला निमोनिया का इलाज ज्यादातर मामलों में एंटीबायोटिक दवाओं के साथ घर पर ही किया जाता है। ज्यादातर लोगों में एंटीबायोटिक का असर एक से तीन दिन के अंदर दिखाई देने लग जाता है। (और पढ़ें - शिशु में निमोनिया के लक्षण) डॉक्टर आपकी खांसी को शांत करने के लिए भी कुछ दवाएं लिख सकते हैं, ताकि आप ठीक से आराम कर सकें। हालांकि खांसी, फेफड़ों से बलगम निकालने में मदद करती है इसलिए डॉक्टर खांसी को पूरी तरह से बंद करने की दवा नहीं देते। (और पढ़ें - शिशु की खांसी का इलाज) यदि आपके लक्षण बहुत ही गंभीर हैं या आपको स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं हैं तो ऐसी स्थिति में आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। अस्पताल में डॉक्टर आपकी दिल की धड़कनों, सांसों और आपके शरीर के तापमान की जांच करते हैं। अस्पताल में ये उपचार किए जा सकते हैं:
फेफड़ों के इन्फेक्शन के लिए कुछ घरेलू उपचार -
(और पढ़ें - शहद और गर्म पानी के लाभ) फेफड़ों में संक्रमण की जटिलताएं - Lung Infections Risks & Complications in Hindiलंग इन्फेक्शन से क्या समस्याएं होती हैं? उचित इलाज करवाने पर फेफड़ों में इन्फेक्शन से ग्रस्त ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ लोगों में संक्रमण की स्थिति गंभीर होती है, जिससे कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन से होने वाली जटिलताएं अत्यधिक गंभीर हो सकती है, जिनके परिणामस्वरूप फेफड़े स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और यहां तक कि मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इसमें शामिल है: यदि आपको पहले से ही फेफड़ों से जुड़े रोग हैं, तो संक्रमण होने से उनकी स्थिति और बदतर हो जाती है। इन स्थितियों में कंजेस्टिव हार्ट फेलियर और वातस्फीति (सांस फूलने से संबंधित स्थिती) आदि शामिल हैं। (और पढ़ें - हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर) अन्य जटिलाएं जैसे:
(और पढ़ें - हृदय रोग के लक्षण) फेफड़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन होना कितना गंभीर है? - How Serious is a Bacterial Lung Infection in Hindi?निमोनिया जैसे फेफड़ों के संक्रमण आमतौर पर हल्के होते हैं, लेकिन जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है या उनकी बीमारी पुरानी होती है, तो ये समस्या गंभीर रूप ले सकती है, जैसे कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)। फेफड़े में संक्रमण के लिए सबसे अच्छी एंटीबायोटिक दवा कौन सी है? - What is the Best Antibiotic for Lung Infection in Hindi?निमोनिया के इलाज के लिए कई अलग-अलग प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर मरीज के संक्रमण, उम्र, वजन, एलर्जी और पहले ली गई एंटीबायोटिक के आधार पर दवा देंगे। संदर्भ
फेफड़ों में इन्फेक्शन की दवा - Medicines for Lung Infections in Hindiफेफड़ों में इन्फेक्शन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है। Showing 1 to 10 of 358 entries फेफड़ों में इन्फेक्शन की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Lung Infections in Hindiफेफड़ों में इन्फेक्शन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है। Showing 1 to 10 of 12 entries
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ फेफड़े में इंफेक्शन के क्या लक्षण है?फेफड़ों में संक्रमण न फैले इसके लिए जरूरी है कि आप इन लक्षणों को पहचानें.. खांसते हुए आए ऐसा कफ खांसते हुए लगातार गाढ़ा कफ आए तो ये लंग इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं. ... . सांस लेने में तकलीफ ... . सांस लेने में घरघराहट ... . बुखार और थकान महसूस होना ... . करें ये घरेलू उपाय. फेफड़े में इंफेक्शन होने से क्या होता है?फेफड़ों के संक्रमण के कारण सीने में तेज़ दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। आपको घरघराहट का अनुभव हो सकता है। जब आपको फेफड़ों में संक्रमण होता है, तो सूजन की वजह से आपका वायुमार्ग संकरा हो सकता है। इसलिए जब आप सांस छोड़ते हैं, तो इससे घरघराहट हो सकती है, एक तेज़ सीटी की आवाज़ की तरह।
छाती में इंफेक्शन होने पर क्या करें?अगर आप चेस्ट इंफेक्शन से पीड़ित हैं तो प्रोटीन का अधिक सेवन करना आइडियल है. छाती में संक्रमण आपके एनर्जी लेवल को काफी कम कर सकता है और आपको कम महसूस करा सकता है.
फेफड़ों में पानी भरने से कौन सी बीमारी होती है?छाती के अंदर फेफड़े के चारों ओर पानी के जमाव को मेडिकल भाषा में 'प्ल्यूरल इफ्यूजन' या 'हाइड्रोथोरेक्स' कहते हैं। जब पानी की जगह खून का जमाव होता है तो इसे 'हीमोथोरेक्स' कहते हैं। जब 'लिम्फ' नामक तरल पदार्थ का जमाव होता है तो इसे 'काइलोथोरेक्स' कहते हैं। फेफड़े के ऊपरी सतह से रिसते पानी को सोखने की क्षमता होती है।
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