भारत में सीमांत जोत का आकार क्या है? - bhaarat mein seemaant jot ka aakaar kya hai?

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार कृषि जनगणना में भारत में जोत को पांच श्रेणियों (operational holdings) में बांटा गया हैा ये निम्नलिखित हैं :

1. सीमांत: 1.00 हेक्टेयर से कम
2. लघु: 1.00 – 2.00 हेक्टेयर
3. अर्ध-मध्यम: 2.00 – 4.00 हेक्टेयर
4. मध्यम 4.00 – 10.00 हेक्टेयर
5. बड़ी 10.00 हेक्टेयर और उससे अधिक

कृषि जनगणना के अनुसार भारत में औसत जोत का आकार 1.08 हेक्टेयर है। केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रलय द्वारा 5 फरवरी, 2019 को लोकसभा में दिए गए उत्तर के अनुसार भारत में सर्वाधिक लैंड होल्डिंग नगालैंड में है। औसत भूधारण नगालैंड में 5.06 हेक्टेयर, अरुणाचल प्रदेश में 3.35 हेक्टयर, हरियाणा में 2.2 हेक्टेयर, पंजाब में 3.62 हेक्टेयर एवं राजस्थान में 2.73 हेक्टेयर है।

खेती-किसानी के मोर्चे से एक बुरी खबर आयी है. नयी कृषि जनगणना के आंकड़ों का संकेत है देश में कृषि जोतों का औसत आकार लगातार कम हो रहा है.(आंकड़ों के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)

साल 2010-11 में कृषि जोतों का आकार 1.15 हेक्टेयर(राष्ट्रीय औसत) था जो पांच साल बाद 2015-16 में घटकर 1.08 हेक्टेयर हो गया है. कृषि-जोतों के आकार में कमी लागत और व्यावहारिकता के तकाजे से चिन्ता का सबब है.

सीमांत जोतों का औसत आकार साल 2011-12 के 0.39 हेक्टेयर से घटकर 0.38 हेक्टेयर हो गया है जबकि इस अवधि में छोटी जोतों के आकार 1.42 हेक्टेयर से घटर 1.41 हेक्टेयर पर पहुंचा है. जहां तक बड़ी जोतों का सवाल है, इनका औसत आकार उपर्युक्त पांच साल की अवधि में 17.38 हेक्टेयर से घर 17.10 हेक्टेयर हो गया है.

देश में जोतों के उप-विभाजन और विखंडन के कारण कुल जोतों की संख्या साल 2010-11 के 138.3 मिलियन से बढ़कर 145.7 मिलियन हो गई है. यह कुल 5.33 प्रतिशत की बढ़वार है.

पांच साल की अवधि (2010-11 से 2015-16) में सीमांत आकार के जोतों में सबसे ज्यादा(7.6 प्रतिशत) बढ़ोत्तरी हुई है. छोटे आकार के कृषि-जोतों की तादाद में 4.0 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. अर्द्ध-मध्यम दर्जे, मध्यम दर्जे तथा बड़े आकार के कृषि जोतों संख्या में इजाफा नकारात्मक(क्रमश: -09 प्रतिशत, -6.6 प्रतिशत तथा -14 प्रतिशत) रहा है. इसका एक मतलब यह हुआ कि पांच साल की अवधि में अन्य श्रेणी के जोतों की संख्या में वृद्धि तेज रही है.

नयी कृषि जनगणना से यह भी पता चलता है कि खेती-बाड़ी के दायरे में आने वाले जोतों के आकार में कमी आयी है. साल 2010-11 में खेती-बाड़ी का रकबा 159.59 मिलियन हेक्टेयर था जो साल 2015-16 में घटकर 157.14 मिलियन हेक्टेयर रह गया. पांच सालों की अवधि में यह 1.53 प्रतिशत की कमी है. गौरतलब है कि खेती-बाड़ी के रकबे के अंतर्गत जोती जा रही जमीन और अनजोती जमीन दोनों ही शामिल है बशर्ते कि संदर्भ अवधि में कभी ना कभी अनजोती जमीन का खेती-बाड़ी के हक में इस्तेमाल हुआ हो.

साल 2010-11 से 2015-16 के बीच कुल जोतों में सीमांत जोतों की हिस्सेदारी 67.10 प्रतिशत से बढ़कर 68.52 प्रतिशत हो गई जबकि छोटी जोतों में (2010-11 में 17.91 प्रतिशत; 2015-16 में 17.69 प्रतिशत); अर्द्ध-मध्यम जोतों (2010-11 में 10.04 प्रतिशत, 2015-16 में 9.45 प्रतिशत), मध्यम जोतों (2010-11 में 4.25 प्रतिशत; 2015-16 में 3.76 प्रतिशत) और बड़ी जोतों (2010-11 में 0.70 प्रतिशत; 0.57 प्रतिशत) 2015-16 में) की संख्या में उक्त अवधि में कमी आयी है.

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति तथा कृषि जोत

 उल्लेखनीय है कि साल 2015-16 में परिचालित जोतों का आकार समग्र आबादी के एतबार से 1.08 हेक्टेयर था लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के एतबार से परिचालन के दायरे में आने वाले कृषि-जोतों का आकार क्रमश: 0.78 हेक्टेयर औj 1.41 हेक्टेयर है.

अनुसूचित जनजाति के एतबार से देखें तो परिचालन के दायरे में शामिल जोतों का औसत आकार 2010-11 के 1.52 हेक्टेयर से घटकर 2015-16 में 1.41 हेक्टेयर हो गया है जबकि अनुसूचित जाति के संदर्भ में जोतों का आकार संदर्भ अवधि में 0.80 से घटकर 0.78 हेक्टेयर पर पहुंचा है.

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 16.6 प्रतिशत है जबकि परिचालन के दायरे में शामिल कुल कृषि-जोतों में इस समुदाय की हिस्सेदारी मात्र 11.91 प्रतिशत(साल 2015-16 में) है. देश की आबादी में अनुसूचित जनजाति की तादाद 8.6 प्रतिशत है जबकि परिचालन के दायरे में शामिल कुल कृषि-जोतों में इस समुदाय की हिस्सेदारी 8.72 प्रतिशत की है.

कृषि जोत और लैंगिक असमानता

राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो पुरुषों के अख्तियार वाले कृषि-जोतों का औसत आकार 1.10 हेक्टेयर है जबकि स्त्रियों के अख्तियार वाले कृषि-जोतों का औसत आकार 0.90 हेक्टेयर. सबसे ज्यादा अन्तर सीमांत श्रेणी के जोतों में दिखता है जहां पुरुषों के अख्तियार वाले जोतों का औसत आकार 0.38 हेक्टेयर है जबकि स्त्रियों के अख्तियार वाले जोतों का औसत आकार 0.35 हेक्टेयर का. जहां तक छोटी जोतों का सवाल है पुरुषों के एतबार से इसका औसत आकार 1.42 हेक्टेयर है जबकि स्त्रियों के लिहाज से 1.39 हेक्टेयर. मध्यम दर्जे के कृषि-जोतों के बीच पुरुषों के अख्तियार वाले कृषि-जोत का औसत आकार 5.72 हेक्टेयर है जबकि स्त्रियों के अख्तियार वाले औसत जोतों का आकार 5.66 हेक्टेयर. यही स्थिति बड़ी जोतों के मामले में भी दिखती है (पुरुष: 16.06 हेक्टेयर; महिला: 15.76 हेक्टेयर).

भारत में पुरुषों के अख्तियार वाले कृषि जोतों की कुल संख्या 125.25 मिलियन है जबकि स्त्रियों के अख्तियार वाले कृषि-जोतों की तादाद 20.22 मिलियन. परिचालन के दायरे में शामिल पुरुषों के अख्तियार वाले कृषि-जोतों का कुल आकार 137.43 मिलियम हेक्टेयर है जबकि स्त्रियों के अख्तियार वाले कृषि-जोतों का कुल आकार 18.19 मिलियन हेक्टेयर.

राज्यवार स्थिति

अगर पूर्वोत्तर तथा अन्य छोटे राज्यों को हटाकर देखें तो परिचालन के दायरे में आने वाले कृषि जोतों के औसत आकार में सबसे ज्यादा कमी पांच साल की अवधि में राजस्थान (0.34 हेक्टेयर) दिखती है. इसके बाद मध्यप्रदेश (0.21 हेक्टेयर), कर्नाटक (0.2 हेक्टेयर),पंजाब (0.15 हेक्टेयर), गुजरात (0.15 हेक्टेयर), तेलंगाना (0.12 हेक्टेयर), आंध्रप्रदेश (0.12 हेक्टेयर) तथा छत्तीसगढ़ (0.11 हेक्टेयर) का स्थान है.

कृषि जनगणना के तात्कालिक आंकड़ों से पता चलता है कि परिचालन के दायरे में शामिल कृषि-जोतों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि पांच साल की संदर्भ अवधि में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश (12.74 प्रतिशत) हुई. इसके बाद आंध्रप्रदेश (11.85 प्रतिशत),राजस्थान (11.12प्रतिशत ), केरल (11.02 प्रतिशत), मेघालय (10.90 प्रतिशत), कर्नाटक (10.78 प्रतिशत) और नगालैंड (10.50 प्रतिशत) का स्थान है.

कुल 36 राज्यों तथा संघशासित प्रदेशों में 14 राज्य यानि आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल की कुल कृषि जोतों में 91.03 प्रतिशत की हिस्सेदारी है और कृषि-जोत के कुल आकार का 88.08 फीसद हिस्सा इन्हीं राज्यों तक सीमित है.

यहां ध्यान देने योग्य है कि हर वह जमीन जो कृषि-उत्पादन के मद में उपयोग(पूर्णतया या अंशतया) में लायी जा रही है और यह उपयोग एक इकाई के रुप में किसी एकल व्यक्ति अथवा अन्यों के साथ मिलकर हो रहा है- चाहे उसका विधिक रुप, स्वामित्व, आकार तथा अवस्थिति कुछ भी हो- कृषि-गणना में परिचालन का दायरे में शामिल कृषि-जोत मानी गई है.

इस कथा के विस्तार के लिए देखें:

Agriculture Census 2015-16 (Phase-I): All India Report on Number and Area of Operational Holdings, Provisional Results, Agriculture Census Division, Ministry of Agriculture & Farmers' Welfare, please click here to access

Union Primary Census Abstract-2011, please click here to access

Goa sees sharpest dip in farm sizes, Sikkim follows -Kiran Pandey, Down to Earth, 23 November, 2018, please click here to access

Average size of farms falls to 1.08 ha in 2015-16, The Hindu Business Line, 1 October, 2018, please click here to access   

भारत में सीमांत जोत का आकार कितना है?

सीमांत (एक हेक्टेयर से कम जोत के साथ) 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार, भारत में अधिकांश भूमि जोत 86 प्रतिशत छोटी और सीमांत है। वे आकार में दो हेक्टेयर से कम हैं, और इन परिवारों की आय पहले से ही उपभोग व्यय पर खर्च से कम है।

सीमांत जोत का क्षेत्रफल कितना होता है?

सीमांत किसान वे होते हैं जिनकी अधिकतम जोत एक हेक्टेयर तक होती है। वहीं लघु श्रेणी के किसान वे होते हैं जिनकी जोत एक से दो हेक्टेयर तक होती है।

भारत में कृषि जोत का आकार क्या है?

कृषि जनगणना के अनुसार भारत में औसत जोत का आकार 1.08 हेक्टेयर है।

जोत का आकार कितना होता है?

कृषि जनगणना 2010-11 के अनुसार, सभी जोत का औसत आकार 1.15 हेक्टेयर है जो 2005-O6 के अंतिम कृषि जनगणना में 1.23 हेक्टेयर था। कुल भूमि जोत के बारे में 85% छोटे और सीमांत आकार समूह है जो अपने मशीनीकरण के लिए विशेष प्रयास की जरूरत में हैं।