ईश article में प्राणियों में पोषण, Nutrition in animals class 7 science ch 2 को सरल भासा में वर्णन किया गया है। प्राणियों मे खाद्य अंतग्रहन की बिभिन्न बिधियाँ क्या है, starfish का पोषण कैसे होता है, घास खाने वाले जंतुयों मे पाचन कैसे होता है, गाय जुगाली क्यों करती है?, Amoeba अमीबा में पोषण कैसे होते हैं?, अमीबा मे पाचन कैसे होता है diagram के साथ समझाया गया है। Show
यह आर्टिकल को अन्त तक जरूर पढ़ें। बहुत तथ्य मिलंगे। प्राणियाँ अपने भोजन केलिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपसे पादपों के ऊपर निर्भर करते हैं। कई प्राणियाँ पादपों से अपना आहार लेते हैं या फिर अन्य प्राणियों को खाते हैं जो पादपों को खाते हैं। कुछ प्राणीया उभय पेड़ पौधे और अन्य प्राणियों के माँस खाते हैं। जैसे की मनुष्य, गिलहरी, piranha, भालू, chicken, fox आदि। ये प्राणियाँ omnivores यानि सर्वाहारी कहलाती है। अधिक जानकारी केलिए यह article “Herbivores, Carnivores and Omnivores” को पढ़ें। Table of Contents
प्राणियों मे खाद्य अंतग्रहन की बिभिन्न बिधियाँ क्या है | Different Ways of Taking Food in Animalsबिभिन्न प्राणियों मे भोजन ग्रहण करने की बिधि भिन्न होता है। भोजन को शरीर के अंदर ग्रहण करने की क्रिया अंतग्रहन यानि ingestion कहलाती है। चूसना, भोजन को निगलना, भोजन को चबना, छीलकर खाना, siphoning और sponging अंतग्रहन की बिभिन्न बिधियाँ है। चूसना (sucking) : मानव शिशु और बछड़ा माँ का दूध को स्तन से चूसते हैं। छीलना (Scraping) : चींटी अपने आहार को scrap करके खाती है। चबाना (Chewing) : मनुष्य, बंदर भोजन को चबाकर खाते हैं। पकड़ना तथा निगलना (capturing and swallowing) : साँप और मेंढक अपने शिकार को पहले लपक लेते हैं। फिर उन्हे निगल लेते हैं। साँप अपने दाँतों की जवडा से अचानक से अपनी शिकार को पकड़ लेता है। मेंढक अपनी लचकिला लंबी जीभ से छोटी छोटी कीड़ों को लपक लेता है। और फिर उसको निगल कर अपना भोजन बना लेता है। सोखलेना (Sponging) : मकड़ी और मक्खी sponging से अपना आहार का अंतग्रहन करते है। ये दोनों जीव पहले अपना आहार पर mouth से saliva यानि निकाल देते हैं। लार से घुले हुए आहार को फिर ये सोख लेते हैं। Siphoning : Butterfly यानि तितली फूलों का मधू अपना tube जैसा जीभ से चूस लेते हैं। तितलियों का खाद्य अंतग्रहन की बिधि siphoning है। यह प्रक्रिया sucking जैसा होता है। Ncert class 7 science chapter 2 की Activity 2.1 मे एक table दी गई है। चलिए जीवों का आहार का प्रकार और अंतग्रहन की बिधियों के बारें मे जानते हैं। क्रमिकजन्तु का नाम आहार आहार लेनेकी बिधि 1घोंघा घास चबाते हैं chew food 2चींटी कीड़े छीलकर खाना scraping 3 चील माँस पकड़ना और निगलना capturing and sallowing 4Hummingbirdफूलों का मधू चूसना sucking 5 Lice यानि जूँ रक्त चूसना sucking 6 मच्छर रक्त चूसना sucking7तितली फूलों का मधू siphoning 8मक्खी सढ़े हुए आहार सोखलेना spongingस्टारफिश का खाद्य ग्रहण और पाचनक्या आपको पाता है starfish कैसे अपना पोषण करता है? Starfish अपने आहार को कैसे ग्रहण करता है? चलिए जानते है। Starfish यानि तारा मछली का आकार Star जैसा ही होता है। इसका 5-7 भुजा होते हैं। यह एक मांसाहारी जन्तु है जो कैल्सीअम कार्बनैट से वनी कठोर कवच वाली प्राणी को अपना भोजन बना सकता है। जैसे की clams और mussels (शंबूक) आदि कठोर कवच वाले प्राणी। पहले तारा मछली अपना आहार (कठोर कवच वाला जन्तु) को भुजायों से पकड़ लेता है। धीरे धीरे जन्तु का कवच को खोल देता है। फिर माँस को खाने केलिए अपना आमाशय – stomach को अपने मुख से शरीर के वाहर निकाल लेता है। आहार का अंतग्रहन और आंशिक पाचन starfish का शरीर के वाहर शुरू हो जाता है। फिर ये अपना आमाशय को शरीर के अंदर खिच लेता है। वहाँ आहार का पाचन धीरे धीरे होता रहता है। तारा मछली का दाँत नहीं होता है। इसका मुख शरीर के नीचे और गुदा शरीर के ऊपरी भाग मे स्थित होता है। घास खाने वाले जंतुओं में पाचन | Digestion In Grass Eating Animalsघास और पत्ते खाने वाले जानवर जैसे की गाय, भैंस, बकरी घड़ी-घड़ी जुगाली करते रहते हैं। ये प्राणियाँ घास को जल्दी जल्दी चबाकर निगल देते हैं। भोजन ग्रासनली से होते हुए आमाशय का एक भाग मे स्टोर रहता है। यह भाग को रुमेन Rumen कहते हैं। Rumen मे भोजन का आंशिक पाचन होता है। ईश आंशिक पचित भोजन जुगाल यानि Cud कहलाती है। समय समय पर जन्तु यह cud को रुमेन से मुख मे वापस लाकर चवाता है। यह प्रक्रिया को Rumination रोमंथन (जुगाली करना) कहते है। जो जन्तु जुगाली करके आहार का पाचन करते हैं उनको Ruminants यानि रोमंथि कहते हैं। जुगाली करने वाले पशुयों के नाम गाय, भैंस, बकरी, भेड, हिरण, जिराफ आदि है। रोमंथि का अंग्रेजी शव्द ruminant है। जो की असल मे एक लैटिन शव्द “Ruminare” से लिया गया है। जिसका अर्थ “दोबारा चबाना” है। आप सोचते होंगे ruminants, जैसे की गाय जुगाली क्यूँ करती है? क्यूँ गाय एक बार मे घास को चबा नहीं पाती? क्यूँ की घास मे cellulose प्रचुर मात्रा मे होता है। और cellulose को पचाना सरल नहीं होता। गाय की मुख के आगे की तरफ ऊपरवाले दाँत नहीं होते। अपने जीभ के जरिए गाय घास को काटती और चीरती है। मुख के पीछे की ओर ऊपर तथा नीचे की दाँत होते हैं। जिससे गाय एक एक करके दायें बाएं घास चबाती है और जल्दी से आहार निगल जाती है। इसीलिए गाय को पुनः घास को चबाने केलिए rumen से भोजन को वापस लाना पड़ता है। इसीलिए आपने देखा होगा गाय ना खाने के समय भी जुगाली करती है। Rumen मे एक प्रकार की जीवाणु पाए जाते हैं, जो की cellulose पाचन करने केलिए सहायक होते हैं। मानव सेल्यूलोस का पाचन क्यूँ नहीं कर पाता? इसका उत्तर अती सरल है। क्यूँ की मानव ना ही जुगाली कर पाता है, ना ही उसका पाचन तंत्र ruminants की तरह बना होता है। मनुष्य पाचन तंत्र मे वेसे जीवाणु नहीं पाया जाता जो ruminants की पाचन तंत्र मे मोजूद होता है। Cellulose एक जटिल पदार्थ है, जिसको पचाना मनुष्य केलिए संभव नहीं है। गाय की पाचन तंत्र के मुख्यतः 5 भाग है।
बिना मुख और पाचन तंत्र वाला जीव | Organism without a mouth and a digestive systemअमीबा (Amoeba) एक अनोखा जीव है जिसका मुख और पाचन तंत्र नहीं होता। फिर भी यह अपने आहार हजम कर देता है। कैसे ? आगे पढे… अमीबा क्या है? अमीबा मे खाद्य ग्रहण और पाचनअमीबा कितने कोशिकीय जीव है? यह एक एककौशिक जीव (single-celled organism) है जो तालाब मे वास करता है। अमीबा का भोजन क्या है? अमीबा अति सूक्ष्म जीवों को अपना आहार बनाता है। यह निरंतर अपना आकार और स्थिति बदल शकता है। जैसे की हमने जाना अमीबा एक एककौशिक जीव है। चलिए अमीबा की कोशिका की गठन मे बारें मे जानते है। इशकी कोशिका मे एक कोशिका-झिल्ली (cell membrane), एक गोलाकार ठोस केन्द्रक (nucleus) होती है। अमीबा की कोशिका-द्रव्य (cytoplasm) मे बुलबुले के समान अनेक छोटी छोटी धानियाँ (vacuoles) होता है। निरंतर अपना आकार बदलने मे अमीबा समर्थ होता है। इशी कारण यह गति करने और भोजन पकड़ने हेतु उँगली समान प्रक्षेपण (finger like projection) निकाल शकता है। ईश उँगली समान प्रक्षेपण को पादाभ (कृतिम पाँव) pseudopodia कहते हैं। अमीबा अपने भोजन को किसकी सहायता से ग्रहण करता है? अमीबा भोजन ग्रहण करने केलिए अपने पादाभ अथवा pseudopodia का इस्तेमाल करता है। भोजन का आभास होते ही, अमीबा अपने कृतिम पाँव को खाद्य-कण के चारों तरफ बिकसित करके उसको निगल लेता है। खाद्य-कण अमीबा के बुलबुले समान कुछ धानियाँ (vacuole) मे फंस जाते हैं। उन धनियाँ को खाद्य-धानी (food vacuole) कहा जाता है। खाद्य-धानी मे कुछ पाचक रस स्रावित होता है। और यह पाचक रस भोजन को सरल पदार्थ मे परिबर्तन कर देते हैं। खाद्य-धानी मे पचा हुआ खाद्य धीरे धीरे अवशोषित (absorption) होता है। ईश अवशोषित पदार्थ अमीबा की विकाश, रखरखाव और बृद्धि केलिए इस्तेमाल होते हैं। अंत मे खाद्य-धानी से अपचित पदार्थ का निष्कासन (egestion) हो जाता है। मतलब अमीबा मे food vacuole यानि खाद्य-धानी द्वारा भोजन का digestion और absorption होता है। यह article से हमने प्राणियों मे पोषण कैसे होता है, प्राणियों मे भोजन के अंतग्रहन के बिभिन्न बिधियाँ, starfish मे पाचन कैसे होता है, घास खाने वाले जंतुयों मे पाचन – digestion in grass eating animals, गाय का पाचन तंत्र चित्र के साथ, गाय जुगाली क्यों करती है?, अमीबा में पोषण और अमीबा में पाचन आदि सीखा। आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल पढ़ने मे अच्छा लगा होगा। आर्टिकल को और भी बेहतर बनाने केलिए हमारा प्रयास जारी रहेगा। आप लोगों से स्वस्थ सुझाव और comments की आशा रखता हूँ। घास खाने वाले जानवर को क्या कहते हैं?Video Solution: घास खाने वाले जन्तु .............. कहलाते हैं। Answer : रूमिनैन्ट (रोमन्थी)।
घास और पत्ते खाने वाले जानवर को हम क्या कहते हैं?हमारे भोजन के मुख्य स्रोत पौधे तथा जंतु हैं । जो जंतु केवल पादप खाते हैं, उन्हें शाकाहारी कहते हैं। जो जंतु केवल जंतुओं को खाते हैं, उन्हें मांसाहारी कहते हैं । जो जंतु पादप तथा दूसरे प्राणी, दोनों को ही खाते हैं, उन्हें सर्वाहारी कहते हैं ।
घास खाने वाले जानवरों के पहले पेट का नाम क्या है?रूमेन (rumen) - यह पहला और सबसे बड़ा कक्ष होता है। खाई हुई वानस्पतिक सामग्री (थूक से भी मिले हुए घास, पत्ते, वग़ैराह) इसमें आती है और यहाँ मौजूद बैक्टीरिया उसपर किण्वन (फ़रमेन्टेशन) करते हैं। रेटिक्यूलम (reticulum) - रूमेन से किण्वित खाना रेटिक्यूलम जाता है जहाँ और भी बैक्टीरिया उसे परिवर्तित करते हैं।
घास खाने वाले जानवर का आमाशय कितने भागो में विभाजित होता है?Solution : आमाशय के तीन भाग हैं - (i) कार्डियक भाग (Cardiac part ), <br> (ii) पाइलेरिक भाग (pyloric part ) तथा <br> (iii) भाग (Fundic part )।
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