भारत में शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या हैं? - bhaarat mein shiksha ke lie sanvaidhaanik praavadhaan kya hain?

भारत में शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या हैं? - bhaarat mein shiksha ke lie sanvaidhaanik praavadhaan kya hain?
शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान | राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व |  संविधान की सातवीं सूची

शिक्षा के संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

  • शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions for Education)
  • राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व
  •  संविधान की सातवीं सूची
    • (अ) संघ सूची
    • (ब) राज्य-सूची
    • (स) समवर्ती सूची

शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions for Education)

भारतीय संविधान में ऐसी विभिन्न महत्त्वपूर्ण धाराएँ एवं उपबन्ध हैं जो भारतीय शिक्षा की नीति का निर्धारण करती हैं। ये धाराएँ एवं उपबन्ध संविधान की निम्नलिखित तीन अनुसूचियों में बिखरे हुए हैं-

  1. संघ सूची (Union List)
  2. राज्य सूची (State List)
  3. समवर्ती सूची (Concurrent List)

संघ सूची में संघ अर्थात् केन्द्र के विषय हैं, राज्य सूची में राज्यों के विषय हैं और समवर्ती सूची में दिए गए विषयों पर संघ सरकार और राज्य सरकार दोनों को कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। यहाँ इन तीनों सूचियों के विभिन्न अनुच्छेदों और उपबन्धों में दिए गए शिक्षा सम्बन्धी. प्रावधानों का उल्लेख किया जा रहा है।

1. अनुच्छेद 28- “राज्य द्वारा पूर्णतः पोषित किसी संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जायेगी किन्तु प्राइवेट संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा दी जा सकेगी जिन्हें सरकार या राज्य ने मान्यता दे दी है या जिन संस्थाओं को सरकारी धन से सहायता मिलती है या जिन संस्थाओं का प्रबन्ध तो सरकार करती है परन्तु जो गैर-सरकारी धन से बनी हैं और चलती हैं और जिनके निर्माताओं और दाताओं ने साथ में यह शर्त लगा दी है कि उनमें धार्मिक शिक्षा दी जायेगी, किन्तु शर्त यह होगी कि उक्त संस्था में पढ़ने वाले किसी व्यक्ति को उक्त संस्था में दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा में भाग लेने के लिए अथवा धार्मिक उपासना में भाग लेने के लिए अथवा उक्त संस्था की इमारत में उपस्थित होने के लिए उस समय तक बाध्य नहीं किया जायेगा जब तक कि उक्त व्यक्ति ने, या यदि वह वयस्क न हो तो उसके संरक्षक ने, इसके एिल स्वीकृति न दे हो।”

2. अनुच्छेद 29 (1) “भारत के राज्य क्षेत्र अथवा उसके किसी भाग के निवासियों के किसी विभाग को अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति बनाये रखने का अधिकार होगा।” इस अधिकार पर संविधान के अनुच्छेद 343 के उपबन्धों का प्रभाव नहीं पड़ेगा जिससे समस्त संघ के लिए देवनागरी लिपि में हिन्दी भाषा को अधिकृत भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।

अनुच्छेद 29 (2)- “राज्य द्वारा घोषित या राज्य निधि से सहायता प्राप्त करने वाली किसी शिक्षा-संस्था में किसी नागरिक को धर्म, प्रजाति, जाति, भाषा या उनमें से किसी एक के आधार पर प्रवेश देने से नहीं रोका जायेगा।”

3. अनुच्छेद 30- “धर्म या भाषा पर आधारित सब अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना का अधिकार होगा।”

उक्त शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी विद्यालय के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यकं वर्ग के प्रशासन में है।

राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व

1. अनुच्छेद 41- “राज्य अपनी आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार यथाशक्ति काम पाने, शिक्षा पाने तथा बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और अंग-हानि तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में सार्वजनिक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का कार्य-साधक उपबन्ध करेगा।”

2. अनुच्छेद 45- “राज्य सब बालकों को चौदह वर्ष की अवस्था की समाप्ति तक निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा देने के लिए उपबन्ध करने का प्रयास करेगा।”

3. अनुच्छेद 46- “राज्य जनता के दुर्बलतर विभागों के, विशेषतया अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा तथा अर्थ-सम्बन्धी हितों की विशेष सावध पानी से उन्नति करेगा तथा सामाजिक अन्याय तथा सब प्रकार के शोषण से उनका संरक्षण करेगा।”

 संविधान की सातवीं सूची

(अ) संघ सूची

संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रथम सूची (संघ सूची) के निम्नलिखित उपबन्धों ने केन्द्रीय सरकार को कुछ शैक्षिक उत्तरदायित्व प्रदान किये हैं-

1. उपबन्ध 63- “इस संविधान के प्रारम्भ में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय नामों से ज्ञात संस्थाएँ तथा संसद से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व की घोषित कोई अन्य संस्थाएँ ।”

2. उपबन्ध 64- “भारत सरकार से पूर्णतः या अंशतः वित्त पोषित तथा संसद से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व की घोषित वैज्ञानिक या शिल्पिक शिक्षा संस्थाएँ ।”

3. उपबन्ध 65- “संघीय साधन तथा संस्थाएँ जो।”

(क) “वृत्तिक (Professional), व्यावसायिक या प्राविधिक प्रशिक्षण के लिए हैं।” इनमें पुलिस पदाधिकारियों के प्रशिक्षण से सम्बन्धित संस्थाएँ भी आती है।

(ख) “विशेष अध्ययनों या अनुसन्धान की उन्नति के लिए हैं।”

(ग) “अपराध क अनुसन्धान या पता चलाने में वैज्ञानिक या शिल्पिक सहायता के लिए है।”

4. उपबन्ध 66– “उच्चतर शिक्षा या अनुसन्धान की संस्थाओं में तथा वैज्ञानिक एवं शिल्पिक संस्थाओं में एकसूत्रता लाना और मानदण्डों (Standards) का निर्धारण करना ।”

(ब) राज्य-सूची

उपबन्ध 11- “शिक्षा विश्वविद्यालयों सहित संघ-सूची के उपलब्ध 63, 64, 65 तथा 66 और समवर्ती सूची के उपबन्ध 25 के अतिरिक्त एक राजकीय विषय है।”

(स) समवर्ती सूची

उपबन्ध 25- “श्रमिकों का व्यावसायिक तथा प्राविधिक प्रशिक्षण ।”

मूलतः भारतीय संविधान में शिक्षा को एक राज्यीय विषय माना गया है परन्तु 1976 में शिक्षा को समवर्ती सूची में स्थान प्रदान करने के लिए सफल प्रयास किया गया है। इस प्रावधान से केन्द्र सरकार भी शिक्षा पर कानून बनाने की अधिकारिणी हो गई है। अब केन्द्र एवं राज्य सरकारें दोनों शिक्षा के विषय में विधायन कर सकती हैं। यदि दोनों के द्वारा बनाये गये कानून में कोई विरोध है तो केन्द्र द्वारा बनाये गये कानून को लागू किया जायेगा। अतः शिक्षा को समवर्ती सूची में स्थान प्रदान करने से निम्न स्थिति हो गई है-

  1. राज्य सरकारें शिक्षा पर अपने कानून बना सकती हैं।
  2. केन्द्र सरकार भी शिक्षा पर कानून बनाने की अधिकारिणी है।
  3. यदि राज्य कानून तथा केन्द्रीय कानून में कोई विरोध है तो केन्द्रीय कानून लागू होगा।

उक्त स्थिति ने केन्द्र को शैक्षिक मामलों में अधिक दायित्व प्रदान कर दिया है। अब शिक्षा को अधिक धनराशि भी प्राप्त हो सकेगी। साथ ही दोनों की भागीदारी से शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल सकेगी।

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शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान क्या है?

भारतीय संविधान के भाग IV, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) के अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 39 (f) में राज्य द्वारा वित्तपोषित समान और सुलभ शिक्षा का प्रावधान है। वर्ष 1976 में संविधान के 42वें संशोधन द्वारा शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया।

संवैधानिक प्रावधान से आप क्या समझते हैं?

सरकार द्वारा ६ से १४ साल की उम्र के सभी बच्चों को, सरकार द्वारा क़ानून के ज़रिए निर्धारित रूप से निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाएगी। चौदह साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे को किसी फैक्टरी या खदान या किसी अन्य खतरनाक रोज़गार में नियोजित नहीं किया जाएगा।

समावेशी शिक्षा के लिए क्या क्या संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं?

समावेशी शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान (Legal Provisions of Inclusive Education) (i) शारीरिक रूप से बाधित प्रत्येक बालक जब तक वह 18 वर्ष तक हो उसके उपयुक्त वातावरण में निःशुल्क शिक्षा तथा शिक्षा संस्थान में प्रवेश को सुनिश्चित करेंगे। (ii) सामान्य स्कूलों में बाधित तथा सामान्य बालकों में समन्वय के प्रयास करेंगे।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम क्या है इसके मुख्य प्रावधानों का वर्णन करें?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम जिसमें संविधान के 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा 21 क जोड़कर शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया है। इसके द्वारा राज को यह कर्तव्य दिया गया कि वह 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।