कसाब की आखिरी इच्छा क्या थी? - kasaab kee aakhiree ichchha kya thee?

नई दिल्ली। 166 लोगों की जान की कीमत क्या एक छोटी से माफी से चुकाई जा सकती है? ये सवाल आपके मन में तब उठेगा जब आप ये सुनेंगे कि जाते-जाते अजमल कसाब क्या कह गया। मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी आमिर अजमल कसाब ने अपनी मौत से पहले ऊपर वाले से माफी मांगी। फांसी से पहले कसाब ने अपने करतूतों के लिए अल्लाह से माफी मांगी और शर्मिदा हुआ। बुधवार सुबह सात बजकर 36 मिनट पर पुणे की यरवडा जेल में उसे फांसी दी गई। कसाब ने यरवडा जेल के जेलर से कहा कि अल्लाह कसम, अल्लाह कसम ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। अल्लाह माफ मुझे करें।

2008 में 26 नवंबर को मुंबई पर हुए हमले का आतंकी आमिर अजमल कसाब को गोपनीय तरीके से पुणे की यरवडा जेल में मौत के घाट उतार दिया गया। इससे पहले कसाब को आर्थर रोड जेल से यरवडा जेल लाया गया क्योंकि आर्थर रोड जेल में फासी देने की सुविधा नहीं है। यह सुविधा केवल पुणे की यरवडा जेल और नागपुर जेल में ही है।

फांसी देने से पहले कसाब से उनकी अंतिम इच्छा के बारे में जब पूछा गया तो उसने कहा कि उसकी कोई अंतिम इच्छा नहीं है। उसने लिखित में यह बात कही है कि उसकी कोई अंतिम इच्छा नहीं है। कसाब को उसे फांसी देने की बात कल रात उसके खाना खाने के बाद बताई गई थी। इसके तुरंत बाद ही उसको मुंबई की आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।

खुले घूम रहे हैं साजिश रचने वाले

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को भले ही उसके किए की सजा मिल गई हो, लेकिन इसकी साजिश रचने वाले अब भी पाकिस्तान में खुले घूम रहे हैं। हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाक सरकार हिम्मत नहीं जुटा पाई है। लश्कर कमांडर जकीउर्रहमान लखवी समेत जिन चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, उन्हें सारी सुख-सुविधाओं के साथ जेल में रखा गया है।

हमले के समय कराची स्थित वार रूम में उपस्थित आइएसआइ अधिकारी मेजर सलीम, मेजर इकबाल और हमजा के वजूद से ही पाकिस्तान इन्कार करता रहा है। यहां तक पाकिस्तान ने अभी तक वार रूम में मौजूद आरोपियों की आवाज के नमूने तक नहीं दिए हैं।

गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि पाकिस्तान में बैठे असली गुनहगारों को कसाब जैसी सजा दिलाना आसान नहीं है। जिन चार आरोपियों को पाकिस्तान में गिरफ्तार भी किया गया है, उनके खिलाफ निचली अदालत में सुनवाई तक पूरी नहीं हो पाई है। पाकिस्तान न्यायिक आयोग द्वारा भारत में जुटाए गए सुबूतों को स्वीकार करने से स्थानीय अदालत के इन्कार के बाद पूरी सुनवाई पर सवालिया निशान लग गया है। वैसे पाकिस्तान सरकार ने इसी माह सुनवाई पूरी करने का फैसला जरूर किया है। सुबूत जुटाने के लिए दूसरे न्यायिक आयोग के भेजने की प्रक्रिया अभी तक अधर में लटकी हुई है।

दूसरी ओर, राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] ने पिछले साल दिसंबर में हमले की साजिश रचने वाले हाफिज सईद समेत नौ आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। लेकिन आरोपियों के पाकिस्तान में होने की वजह से एनआइए कुछ नहीं कर पाई। ले-देकर जांच एजेंसी को आरोपियों के खिलाफ सुबूतों के साथ पाकिस्तान को लेटर रोगेटरी [एलआर] भेजकर संतोष करना पड़ा है। वैसे भारत सरकार पाकिस्तान पर हाफिज सईद से पूछताछ के लिए एनआइए को इजाजत देने के लिए नए सिरे से दबाव बना रही है, लेकिन अभी तक इसमें भी कोई सफलता नहीं मिल पाई है।

देश की आर्थिक राजधानी पर सबसे बड़ा आतंकी हमला शुरू हो गया. लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई के ताज होटल और कई जगहों पर हमला किया था. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे. हमले में शामिल 9 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था, सिर्फ अजमल आमिर कसाब वो आतंकी था जो जिंदा पकड़ा गया.

26 नवंबर, 2008 की रात करीब 8 बजे मुंबई की रफ्तार अचानक थम गई. देश की आर्थिक राजधानी पर सबसे बड़ा आतंकी हमला शुरू हो गया. लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई के ताज होटल और कई जगहों पर हमला किया था. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे. हमले में शामिल 9 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था, सिर्फ अजमल आमिर कसाब वो आतंकी था जो जिंदा पकड़ा गया. भारत के खिलाफ इतनी बड़ी साजिश को कैसे अंजाम दिया गया, ये कहानी खुद कसाब ने बताई थी. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट के दिपालपुर का रहने वाला अजमल कसाब चौथी क्लास तक पढ़ा था.

चौथी क्लास तक कसाब ने उर्दू में पढ़ाई की

कसाब ने अपनी मां का नाम नूर इलाही और पिता का नाम आमिर बताया था. उसके पिता दही बड़े बेचते थे. उसका बड़ा भाई अफजल और छोटे भाई का नाम मुनीर है. कसाब ने चौथी क्लास तक उर्दू में पढ़ाई की थी. साल 2000 में कसाब ने स्कूल छोड़ा तो गरीबी ने मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया. कुछ समय बाद वो लाहौर में रहने लगा. इस दौरान नौकरी की तलाश में फरीदकोट आना-जाना रहता था. आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा से जुड़ने के बारे में कसाब ने कहा था कि उसके पिता आमिर ने उसे एक दिन अपनी गरीबी का हवाला देते हुए जकी उर रहमान से मिलवाया था. उसे आगे ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया और उसे ये भरोसा दिलाया गया कि काम में भले ही खतरा है, लेकिन इससे उसके परिवार की इज्जत बढ़ेगी.

25 लड़कों के साथ कसाब को मिली थी आतंकी ट्रेनिंग

कसाब जब आतंकी ट्रेनिंग कैंप में था, उस समय पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के हत्याकांड की बात की जा रही थी. यानि उसकी ट्रेनिंग दिसंबर 2007 में शुरू हुई. मनसेरा के बेतल गांव में करीब 25 लड़कों के साथ कसाब को आतंकी ट्रेनिंग दी गई. 3 महीने बाद इस ऑपरेशन के इंचार्ज अबू इस्माइल को मुंबई हमले से करीब एक महीने पहले कसाब से मिलवाया गया. दोनों को कहा गया, ‘अब मौका आ गया है तुम्हारी आजमाइश का.’ उन्हें एक सीडी दिखाकर टारगेट की जानकारी दी गई. उन्हें बताया गया कि किस रास्ते से टारगेट की तरफ बढ़ना है. इस रास्ते में आजाद मैदान भी था. मुंबई सीएसटी पर मौजूद लोगों को मारने के लिए कहा गया.

पैसों के लिए किया था हमला

मुंबई में दहशत फैलाने वाले कसाब से जिहाद के बारे में पूछा गया तो उसने कहा, मुझे पता नहीं जिहाद क्या होता है. मगर वो (लश्कर) कहते थे कि इसका मतलब जन्नत से है. मैंने बस पैसों के लिए ये सब किया. कितना पैसा मिला, पूछने पर उसने कहा कि मेरे पिता को लाखों के हिसाब से दिया होगा, मुझे बताया नहीं. हालांकि कसाब के दिमाग में शक भी था कि हो सकता है कि उसके पिता को पैसे न मिले हों.

लश्कर के दस आतंकी अजीजाबाद के पास गांव कासम से समंदर के रास्ते आतंकी साजिश को अंजाम देने के मिशन पर निकले थे. आधा सफर एक बोट के जरिए पूरा किया, इसके बाद ये सब आतंकी दो-दो के ग्रुप में बंटकर डिंगियों के सहारे मुंबई के किनारे पर मच्छीमार कॉलोनी में उतरे. कसाब के साथ इस्माइल नाम का दूसरा आतंकी था. दोनों ने सीएसटी स्टेशन के लिए टैक्सी ली. हर आतंकी के पास आठ हैंड ग्रेनेड और एके-47 राइफल थी. फिर 26 नवंबर की रात करीब 8 बजे मुंबई में सबसे बड़े आतंक का सिलसिला शुरू हुआ. जो अगले तीन दिनों तक जारी रहा.

अल्लाह मुझे कभी माफ नहीं करेगा

कसाब ने बताया था कि मुंबई हमले वाले दिन उसने दो से ढाई मैगजीन खाली कर दी थी, उसने बताया कि ‘मुझे कहा गया था कि जब तक जिंदा रहो, लोगों को मारते रहो. मगर हम भी इंसान हैं यार. ये बोलते हुए कसाब फूट-फूटकर रोने लगा था. मुंबई में मासूम लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद कसाब को अपने किए का पछतावा था. उसने बताया था कि जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो करीब एक घंटे बाद वो फूट-फूटकर रोया था. उसने कहा कि मैंने बहुत गलत किया. एक और बयान में कसाब ने कहा था, कि ‘इस काम के लिए अल्लाह मुझे कभी माफ नहीं करेगा.’

क्या अजमल कसाब को फांसी दी गई थी?

अजमल कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवडा जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई.

कसाब हमले में कितने लोग मारे गए थे?

मुंबई में अलग-अलग जगहों पर किए गए इस आतंकी हमले में लगभग 64 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक लोग इसमें घायल हुए थे। इस हमले में सभी आतंकवादी मारे गए लेकिन मोहम्मद अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया। जिसे यरवदा जेल में 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी।

कसाब को कैसे पकड़ा गया था?

2008 में मुंबई हमले के दौरान अजमल आमिर कसाब को असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तुकाराम ने जिंदा पकड़ लिया था। कसाब ने अपने आपको छुड़ाने के लिए तुकाराम को गोली भी मार दी थी। खून से लथपथ तुकाराम ने कसाब को नहीं छोड़ा था। बाद में वे कसाब की मारी गई गोली से शहीद हो गए थे।

अजमल कसाब पर कितना खर्च हुआ?

अजमल कसाब को फाँसी देने का खर्च सिर्फ 50 रुपये...!