विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में ) भी कहा जाता है। [1]दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा , सिक्किम , मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है , उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है। प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है सदस्य बनने हेतु योग्यताविधानसभा का सदस्य बनने के लिए, व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है , वह 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो। वह मानसिक रूप से ठीक व दीवालिया न हो। उसको अपने ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा न होने का प्रमाण पत्र भी देना होता है। लोकसभा अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में उप अध्यक्ष सदन में कार्य के लिए उत्तरदायी होता है। अध्यक्ष एक न्यूट्रल जज के रूप में काम करता है और सारी बहसों और परामर्शों को संभालता है। प्रायः वह बलशाली राजनितिक पार्टी का सदस्य होता है। विधान सभा में भी राज्य सभा व विधान परिषद के सामान ही क़ानूनी ताकतें होती हैं केवल मनी बिल्स के क्षेत्र को छोड़कर जिसमें विधान सभा सर्वोच्च अधिकारी है। विधान सभा की विशेष शक्तियांसरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल विधान सभा में पारित किया जा सकता है। अगर यह बहुमत के साथ पारित हो जाता है तो उसके बाद मुख्यमंत्री और उसके मंत्रियों की परिषद् सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देते हैं। मनी बिल को केवल विधानसभा में लाया जा सकता है। द्विसदनीय प्रणालियों में विधान सभा से पास हो जाने के बाद इसे विधान परिषद् के पास भेजा जाता है जहाँ इसे अधिकतम 14 दिनों के लिए रखा जा सकता है। साधारण बिलों में विधान सभा का ही मत चलता है और यहाँ संयुक्त बैठक का भी कोई प्रावधान नहीं होता। इस तरह के मामलों में, विधान परिषद् विधानसभा को केवल 4 महीनों ( बिल लाने पर पहली बार 3 महीनों के लिया व दूसरी बार 1 महीनों के लिए ) स्थगित किया जा सकता है। विधान सभाओं की सूची
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
भारतीय विधानसभा की स्थापना कब हुई?प्रथम विधान सभा का गठन 8 मार्च, 1952 को हुआ था। तब से इसका गठन अठारह बार हो चुका है। वर्तमान अठारहवीं विधान सभा का गठन 11 मार्च, 2022 को हुआ।
विधान सभा का पहला चुनाव कब हुआ था?उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनाव 26 मार्च, 1952 को आयोजित किये गए थे। 347 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 2,604 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा।
विधान सभा का गठन कैसे हुआ?1934 में, एम एन रॉय ने पहली बार एक घटक विधानसभा का विचार प्रस्तावित किया। आधिकारिक मांग के रूप में कांग्रेस पार्टी ने 1935 में यह मांग उठाई थी। अगस्त 1940 में अंग्रेजों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। 1946 के कैबिनेट मिशन योजना के तहत, घटक विधानसभा के गठन के लिए चुनाव हुए थे।
भारत में कुल विधानसभा की संख्या कितनी है?विधानसभा. |