बिहार में सरकार कब बनी थी? - bihaar mein sarakaar kab banee thee?

नालंदा भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला है जिसका मुख्यालय बिहार शरीफ है।। नालंदा अपने प्राचीन इतिहास के लिये विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ विश्व के सबसे पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी मौज़ूद है, जहाँ सुदूर देशों से छात्र अध्ययन के लिये भारत आते थे। बुद्ध और महावीर कइ बार नालन्दा मे ठहरे थे। माना जाता है कि महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति पावापुरी मे की थी, जो नालन्दा मे स्थित है। बुद्ध के प्रमुख छात्रों मे से एक, शारिपुत्र, का जन्म नालन्दा मे हुआ था। नालंदा पूर्व में अस्थामा तक पश्चिम में तेल्हारा तक दछिन में गिरियक तक उतर में हरनौत तक फैला है. विश्‍व के प्राचीनतम विश्‍वविद्यालय के अवशेषों को अपने आंचल में समेटे नालन्‍दा बिहार का एक प्रमुख पर्यटन स्‍थल है। यहाँ पर्यटक विश्‍वविद्यालय के अवशेष, संग्रहालय, नव नालंदा महाविहार तथा ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल देख सकते हैं। इसके अलावा इसके आस-पास में भी घूमने के लिए बहुत से पर्यटक स्‍थल है। राजगीर, पावापुरी, गया तथा बोध-गया यहां के नजदीकी पर्यटन स्‍थल हैं। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। भगवान बुद्ध ने  यहाँ उपदेश दिया था। भगवान महावीर भी यहीं रहे थे। प्रसिद्ध बौद्ध सारिपुत्र का जन्म यहीं पर हुआ था। नालंदा में राजगीर में कई गर्म पानी के झरने है, इसका निर्माण कहा जाता है की राजा बिम्बिसार ने अपने सासन काल में किया था, राजगीर नालंदा का मुख सहारे है, ब्रह्मकुण्ड, सरस्वती कुण्ड और लंगटे कुण्ड यहाँ पर है, कई बिदेसी मन्दिर भी है यहाँ चीन का मन्दिर, जापान का मन्दिर आदि. नालंदा जिले में जामा मस्जिद भी है जॊ के बिहार शरीफ मे पुलपर है। यह बहुत ही पुराना और विशाल मस्जिद है।

विवरणविशेष विवरणमुख्यालयबिहारशरीफक्षेत्र2,367 वर्ग किमीजनसंख्यापुरुष: 12,36,467
महिला: 11,31,860
कुल: 23,68,327जनसंख्या घनत्व1006 प्रति वर्ग किमीलिंग अनुपात915अनुमंडलबिहारशरीफ, हिलसा, राजगीरप्रखंड-अंचलगिरियक, रहुई, नुरसराय, हरनौत, चंडी, इस्लामपुर, राजगीर, अस्थावां, सरमेरा, हिलसा, बिहारशरीफ, एकंगरसराय, बेन, नगरनौसा, करायपरसुराय, सिलाव, परवलपुर, कतरीसराय, बिन्द, थरथरीकृषिधान के खेतों, आलू, प्याजउद्योगहथकरघा बुनाईनदियाँफल्गु, मोहने

अनुमंडल, अंचल, हल्का और राजस्व गांवों का विवरण:

क्रमांक.अनुमंडलअंचलहल्काराजस्व ग्रामों की संख्या1बिहारशरीफ7514292हिलसा8221983राजगीर546457201191084

स्थानीय निकाय का विवरण:

स्थानीय निकायों की संख्या के बारे में विस्तृत खाता निम्नानुसार है:

क्रमांक.नगरनिकायसंख्या1.निकाय12.प्रखंड203.नगर पंचायत44.पंचायत249

प्रमुख आकर्षण

नालंदा प्राचीन काल का सबसे बड़ा अध्ययन केंद्र था तथा इसकी स्थापना पांचवी शताब्दी ईसवी में हुई थी। दुनिया के इस सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष बोधगया से 62 किलोमीटर दूर एवं पटना से 90 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं। माना जाता है कि बुद्ध कई बार यहां आए थे। यही वजह है कि पांचवी से बारहवीं शताब्दी में इसे बौद्ध शिक्षा के केंद्र के रूप में भी जाना जाता था। सातवी शताब्दी ईसवी में ह्वेनसांग भी यहां अध्ययन के लिए आया था तथा उसने यहां की अध्ययन प्रणाली, अभ्यास और मठवासी जीवन की पवित्रता का उत्कृष्टता से वर्णन किया। उसने प्राचीनकाल के इस विश्वविद्यालय के अनूठेपन का वर्णन किया था। दुनिया के इस पहले आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में दुनिया भर से आए 10,000 छात्र रहकर शिक्षा लेते थे, तथा 2,000 शिक्षक उन्हें दीक्षित करते थे। यहां आने वाले छात्रों में बौद्ध यतियों की संख्या ज्यादा थी। गुप्त राजवंश ने प्राचीन कुषाण वास्तुशैली से निर्मित इन मठों का संरक्षण किया। यह किसी आंगन के चारों ओर लगे कक्षों की पंक्तियों के समान दिखाई देते हैं। सम्राठ अशोक तथा हर्षवर्धन ने यहां सबसे ज्यादा मठों, विहार तथा मंदिरों का निर्माण करवाया था। हाल ही में विस्तृत खुदाई यहां संरचनाओं का पता लगाया गया है। यहां पर सन 1951 में एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शिक्षा केंद्र की स्थापना की गई थी। इसके नजदीक की बिहारशरीफ है, जहां मलिक इब्राहिम बाया की दरगाह पर हर वर्ष उर्स का आयोजन किया जाता है। छठ पूजा के लिए प्रसिद्ध सूर्य मंदिर भी यहां से दो किलोमीटर दूर बडागांव में स्थित है। यहां आने वाले नालंदा के महान खंडहरों के अलावा ‘नव नालंदा महाविहार संग्रहालय भी देख सकते हैं।

प्राचीन विश्‍वविद्यालय के अवशेषों का परिसर

14 हेक्‍टेयर क्षेत्र में इस विश्‍वविद्यालय के अवशेष मिले हैं। खुदाई में मिले सभी इमारतों का निर्माण लाल पत्‍थर से किया गया था। यह परिसर दक्षिण से उत्तर की ओर बना हुआ है। मठ या विहार इस परिसर के पूर्व दिशा में स्थित थे। जबकि मंदिर या चैत्‍य पश्‍िचम दिशा में। इस परिसर की सबसे मुख्‍य इमारत विहार-1 थी। वर्तमान समय में भी यहां दो मंजिला इमारत मौजूद है। यह इमारत परिसर के मुख्‍य आंगन के समीप बना हुई है। संभवत: यहां ही शिक्षक अपने छात्रों को संबोधित किया करते थे। इस विहार में एक छोटा सा प्रार्थनालय भी अभी सुरक्षित अवस्‍था में बचा हुआ है। इस प्रार्थनालय में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्‍थापित है। यह प्रतिमा भग्‍न अवस्‍था में है।

यहां स्थित मंदिर नं 3 इस परिसर का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर से समूचे क्षेत्र का विहंगम दृश्‍य देखा जा सकता है। यह मंदिर कई छोटे-बड़े स्‍तूपों से घिरा हुआ है। इन सभी स्‍तूपो में भगवान बुद्ध की मूर्तियां बनी हुई है। ये मूर्तियां विभिन्‍न मुद्राओं में बनी हुई है।

नालन्‍दा पुरातत्‍वीय संग्रहालय

विश्‍व‍विद्यालय परिसर के विपरीत दिशा में एक छोटा सा पुरातत्‍वीय संग्रहालय बना हुआ है। इस संग्रहालय में खुदाई से प्राप्‍त अवशेषों को रखा गया है। इसमें भगवान बुद्ध की विभिन्‍न प्रकार की मूर्तियों का अच्‍छा संग्रह है। साथ ही बुद्ध की टेराकोटा मूर्तियां और प्रथम शताब्‍दी का दो जार भी इस संग्रहालय में रखा हुआ है। इसके अलावा इस संग्रहालय में तांबे की प्‍लेट, पत्‍थर पर खुदा अभिलेख, सिक्‍के, बर्त्तन तथा 12वीं सदी के चावल के जले हुए दाने रखे हुए हैं।

खुलने का समय: सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक। शुक्रवार को बंद।

नव नालन्‍दा महाविहार

यह एक शिक्षा संस्‍थान है। इसमें पाली साहित्‍य तथा बौद्ध धर्म की पढ़ाई तथा अनुसंधान होता है। यह एक नया संस्‍थान है। इसमें दूसरे देशों के छात्र भी पढ़ाई के लिए यहां आ‍ते हैं।

ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल

यह एक नवर्निमित भवन है। यह भवन चीन के महान तीर्थयात्री ह्वेनसांग की याद में बनवाया गया है। इसमें ह्वेनसांग से संबंधित वस्‍तुओं तथा उनकी मूर्ति देखी जा सकता है।

निकटवर्ती स्‍थल

सिलाव

यह गांव नालन्‍दा और राजगीर के मध्‍य स्थित है। यहां बनने वाली प्रसिद्ध मिठाई खाजा का स्‍वाद लिया जा सकता है।

सूरजपुर बड़गांव

यहां भगवान सूर्य का प्रसिद्ध मंदिर तथा एक झील है। यहां वर्ष में दो बार मेले का आयोजन होता है। एक वैशाख (अप्रैल-मई) तथा दूसराकार्तिक (अक्‍टूबर- नवंबर) महीने में। इन दोनों महीनों में यहां प्रसिद्ध छठ त्‍योहार मनाया जाता है। दूर-दूर से लोग छठ उत्‍सव मनाने यहां आते हैं।

आवागमन

वायु मार्ग

यहां का नजदीकी हवाई अड्डा पटना का जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा है। जो यहां से 89 किलोमीटर दूर है। कलकत्ता, रांची,मुंबई, दिल्‍ली तथा लखनऊ से पटना के लिए सीधी हवाई सेवा है।

रेल मार्ग

नालन्‍दा में रेलवे स्‍टेशन है। लेकिन यहां का प्रमुख रेलवे स्‍टेश्‍ान राजगीर है। राजगीर जाने वाली सभी ट्रेने नालंदा होकर जाती है।

सड़क मार्ग

नालंदा सड़क मार्ग द्वारा राजगीर (12 किमी), बोध-गया (110 किमी), गया (95 किमी), पटना (90 किमी), पावापुरी (26 किमी) तथा बिहार शरीफ (13 किमी) से अच्‍छी तरह जुड़ा हें! यहाँ विश्व की प्राचीन पुस्तकें अभिलेक का संग्रह स्थित था जो की अक्रमण में नष्ट हो गया !

http://rajgir.co.in और “हमारा राजगीर” मोबाइल ऐप पर अधिक विवरण उपलब्ध हैं, Google Play Store से डाउनलोड किया जा सकता है

बिहार का पूरा नाम क्या था?

बिहार का पुराना नाम विहार और मगध के रूप में जाना जाता था लेकिन पटना का पुराना नाम कभी पाटलिग्राम, पाटलिपुत्र, पालिबोथरा, पालिनफ, और अजीमाबाद रहा है।

बिहार भारत का राज्य कब बना?

१८५७ के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। १९०५ में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। १९३६ में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया।

बिहार का पहला राजा कौन था?

इसके साथ ही राजनीतिक शक्‍ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ। बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है। बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनायी।

बिहार में कौन सी सरकार बनी है?

नीतीश कुमार (जन्म १ मार्च १९५१, बख्तियारपुर, बिहार, भारत) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और सम्प्रति बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले उन्होंने 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017 में सीएम के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर एनडीए से हाथ मिला लिया ।