भारत रूस को क्या निर्यात करता है? - bhaarat roos ko kya niryaat karata hai?

भारत रूस को क्या निर्यात करता है? - bhaarat roos ko kya niryaat karata hai?

भारत से रूस में जरूरी सामानों का निर्यात किया जाएगा.

कैट के नेताओं ने कहा कि भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की सूची बहुत लंबी है और इसमें शामिल है. एफएमसीजी, प्रसंस्कृत और असंसाधित खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, फार्मा, वस्त्र, इनरवियर, सौंदर्य प्रसाधन, मशीन स्पेयर पार्ट्स, जूते, आदि.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : May 04, 2022, 20:27 IST

    नई दिल्‍ली. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में भारतीय व्‍यापारियों को कारोबार बढ़ाने का मौका मिल रहा है. कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के नेतृत्‍व में भारत के व्‍यापारी रूस में अपने सामान का निर्यात करेंगे. दिल्‍ली में आज हुई एक राष्‍ट्रीय बैठक में देश के सभी राज्यों के 50 से अधिक शीर्ष व्यापार नेताओं की सहमति से रूस को भारतीय उत्पादों का निर्यात करने और उसे बढ़ाने के लिए व्‍यापारियों की अगुआई करने का फैसला किया है.

    इस बारे में कैट की ओर से कहा गया कि यह अवसर यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न हुआ है. प्रतिबंधों के चलते रूस में पहली बार आवश्यक उत्पादों की कमी होने की संभावना है. ध्‍यान रहे कि इससे पहले रूसी सरकार द्वारा समर्थित कई रूसी कंपनियों ने भारतीय सामानों की खरीद फरोख्त के लिए कैट से सम्पर्क किया है.

    कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश के शीर्ष व्यापार नेताओं की बैठक में रूस में व्यापार के पर्याप्त अवसरों पर विस्तार से चर्चा हुई केवल एफएमसीजी और प्रसंस्कृत खाद्य श्रेणियों में आज तक मौजूद संपूर्ण व्यापार अवसर 10 बिलियन अमरीकी डालर से ज्‍यादा का है. अगर हम गारमेंट्स, फुटवियर, फार्मा और अन्य श्रेणियों को जोड़ते हैं तो यह अवसर बहुत बड़ा है.

    उन्होंने आगे कहा कि रूस के साथ अमेरिका का सारा व्यापार यानी 5.8 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया है और भारत इसे आसानी से अपने कब्जे में ले सकता है. पी एंड जी, नेस्ले, यूनिलीवर और कई अन्य बड़ी अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियां का व्यापार रूस में बंद हो गया हैं या वापस ले ली गई हैं या उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसी तरह यूरोप के अन्य देशो ने भी रूस के साथ व्यापार करना बंद कर दिया है, और इस कर के उन्होंने भारतीय व्यवसायों के लिए रूस मे एक बड़ा बाजार छोड़ दिया हैं। रूस के प्रमुख व्यक्तिगत व्यापारिक साझेदार संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, नीदरलैंड, जर्मनी, बेलारूस, तुर्की, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान थे.

    भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि भारत और रूस के बीच ये लेन देन रुपया-रूबल व्यापार तंत्र के तहत की जायेगी, जिसे रूसी सेंट्रल बैंक और आरबीआई के बीच बहुत सक्रिय रूप से स्थापित किया जा रहा है. दोनों देशों के बीच परेशानी मुक्त व्यापार प्रवाह के लिए रूसी सरकार द्वारा समर्थित रूसी बैंकों के तत्वावधान में भारत में एक खरीद/व्यापार गृह स्थापित करने का प्रावधान किया जा रहा है. यह खरीद घर भारत में निर्यातकों और रूस में आयातकों के लिए एकल खिड़की इकाई के रूप में काम करेगा.

    भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय निर्यातकों के लिए भुगतान नियम और शर्तें बहुत आकर्षक हैं और सख्त गुणवत्ता नियंत्रण उपायों की भी आवश्यकता है. रूस में व्यापारिक समूहों द्वारा सभी खरीद को रूस में सरकार समर्थित बैंकों द्वारा समर्थित किया जा रहा है. रूस में बड़े खुदरा समूह, जिनके पास हजारों सुपर और हाइपर मार्केट हैं, वे भारत से बड़ी संख्या में सामानों को खरीद अपने मार्केट्स में रखेंगे.

    दोनों व्यापार जगत के नेताओं ने कहा कि भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की सूची बहुत लंबी है और इसमें शामिल है. एफएमसीजी, प्रसंस्कृत और असंसाधित खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, फार्मा, वस्त्र, इनरवियर, सौंदर्य प्रसाधन, मशीन स्पेयर पार्ट्स, जूते, आदि.

    रूस में भारतीय आयुर्वेदिक उत्पादों की भारी मांग है. हमारे दोनों देशों ने वर्षों से एक सांस्कृतिक बंधन साझा किया है. रूसी नागरिक उच्च शिक्षित और गुणवत्ता के प्रति जागरूक हैं और उन्होंने हमेशा भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दी है. रूस में अब प्रतिबंधित देशों की कंपनियों के किसी भी उत्पाद को बेचने की अनुमति नहीं है. भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि सभी श्रेणियों में भारतीय ब्रांडों की गुणवत्ता चीनी ब्रांडों की तुलना में काफी ऊपर है और खाद्य उत्पादों में चीन का कोई स्थान नही है. भारत रूस के साथ सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करता है और व्यापार गतिविधियों में वरीयता प्राप्त करता है.

    रूस में भारत से आयात किए जा रहे सामानों की निकासी के लिए विशेष सीमा शुल्क क्षेत्र बनाए गए हैं. व्यापार प्रवाह को सक्षम करने और शिपिंग चुनौतियों को कम करने के लिए, रूसी सरकार भारत से कार्गो उठाने के लिए रूसी कार्गो एयरक्राफ्ट और सैन्य कार्गो एयरक्राफ्ट भेजने के विकल्प भी तैयार कर रही है. भारत सरकार सभी सीआईएस देशों सहित रूस के साथ व्यापार के लिए चाभर बंदरगाह मार्ग को फिर से सक्रिय करने पर भी विचार कर रही है. जैसे ही दोनों सरकारों द्वारा भुगतान तंत्र की स्थापना और घोषणा की जाती है, व्यापार प्रवाह शुरू हो जाएगा.

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    Tags: Import-Export, Russia, Ukraine

    FIRST PUBLISHED : May 04, 2022, 20:14 IST

    भारत रूस से क्या चीज आयात करता है?

    अप्रैल 2022 से रूस से भारत का तेल आयात कुल कच्चे तेल के आयात के 0.2 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है. 2022 की शुरुआत में जहां प्रतिदिन 25,000 बैरल कच्चे तेल का आयात होता था, वहीं मई-जून तक ये बढ़कर 6,00,000 बैरल प्रतिदिन हो गया. रूस से कच्चे तेल के आयात में बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि रूस ने दाम में छूट की पेशकश की.

    भारत सबसे ज्यादा क्या एक्सपोर्ट करता है?

    इंजीनियरिंग गुड्स सेक्टर ने भारत के निर्यात में पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 69.8 बिलियन डॉलर का योगदान दिया. इसके बाद 67.6 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ रिफाइंड पेट्रोलियम व क्रूड प्रोडक्ट का स्थान रहा.

    भारत को रूस से क्या लाभ है?

    औद्योगिक सहयोग और व्यापार इसके अलावा, रूस ने भारत को तेल, खनिज, फार्मास्यूटिकल्स, पेपर उद्योग और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में सुदूर पूर्व में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

    भारत रूस से कितना तेल आयात करता है?

    मई में भारतीय कंपनियों ने रूस से 2.5 करोड़ बैरल तेल की खरीदारी की थी। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोग करने वाला देश है और अपनी आवश्यकता का करीब 85 प्रतिशत तेल आयात करता है। यूक्रेन पर हमले की घोषणा के बाद से ही भारत तेल खरीदारी को लेकर लगातार रूस का बचाव कर रहा है।