भारतीय मानसूनी वर्षा की 6 विशेषताएं कौन सी है? - bhaarateey maanasoonee varsha kee 6 visheshataen kaun see hai?

(ii) भारत के विभिन्न स्थानों में वर्ष-प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में बहुत परिवर्तनशीलता पाई जाती है। ये 15% से 80% तक होती है।

(iii) मानसून में भारत के सभी भागों में एक समान वर्षा नहीं होती अलग-अलग क्षेत्रों में प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में अंतर पाया जाता है।

(iv) मानसून और ग्रीष्मकालीन मानसून की अवधि में भी अंतर पाया जाता है।

(v) लगातार भारी वर्षा के अंतराल के बाद बिना वर्षा वाला शुष्क अंतराल होता है।

(vi) भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की एक प्रमुख समस्या बाढ़ और सूखा है। एक और लगातार भारी वर्षा से बाढ़ आ जाती है, वही दूसरी ओर मानसून की विफलताओं के कारण कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ता है।

इसे सुनेंरोकेंबादलहीन आकाश, बढ़िया मौसम, आर्द्रता की कमी और हल्की उत्तरी हवाएं इस अवधि में भारत के मौसम की विशेषताएं होती हैं। उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण जो वर्षा होती है, वह परिमाण में तो न्यून, परंतु सर्दी की फसलों के लिए बहुत लाभकारी होती है। भारत में गिरने वाली अधिकांश वर्षा मानसून काल में ही गिरती है।

यदि वर्षा हो तो देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंअगर मॉनसून असफल रहता है तो देश के विकास और अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। सामान्य से ऊपर मॉनसून रहने पर कृषि उत्पादन और किसानों की आय दोनों में बढ़ोतरी होती है, जिससे ग्रामीण बाज़ारों में उत्पादों की मांग को बढ़ावा मिलता है। जिससे राष्ट्रीय आय में गिरावट के चलते सरकार का राजस्व तेजी से गिरावट आ सकती है।

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मानसून के आगमन की विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमानसून के आगमन की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं- जून के प्रारंभ में उत्तरी मैदानों में निम्न दाब की अवस्था तीव्र हो जाती है। यह दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक हवाओं को आकर्षित करता है। ये अपने साथ इस महाद्वीप में बहुत अधिक मात्रा में नमी लाती है। मानसून से संबंधित एक अन्य परिघटना है, ‘वर्षा में विराम’।

वर्षा के जल की क्या विशेषताएं?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा जल को संरक्षित करने से पूर्व फिल्टर करना आवश्यक है। इस संरक्षित जल का उपयोग न केवल पेयजल के रूप में किया जा सकता है वरन् भूमिगत जल भण्डार में वृद्धि भी की जा सकती है। जिससे निरन्तर घटते भूजल स्तर में व्यापक सुधार तो होगा ही साथ ही भूमिगत जल में घुले हुए हानिकारक रसायनों की सांद्रता में भी कमी आएगी।

बाढ़ का क्या प्रभाव पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंलोगों के घर तो क्षतिग्रस्त हुए ही हैं, आजीविका का भी नुकसान हुआ है। आम तौर पर बाढ़ का असर कृषि पर पड़ता है, लेकिन बाढ़ ने अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। बारिश से फसलें, मवेशी, वन्यजीव, आधारभूत ढांचे, कृषि एवं अर्थव्यवस्था-सभी प्रभावित हुए हैं।

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मानसून की उत्पत्ति कैसे होती है?

इसे सुनेंरोकेंउनके अनुसार मानसून पवनों की उत्पत्ति वायुदाब एवं पवन पेटियों के स्थानान्तरण के कारण होती है। विषुवत् रेखा के समीप व्यापारिक पवनों के मिलने से अभिसरण उत्पन्न होता हैए जिसे अन्तर उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र कहते हैं। यही दक्षिणी-पश्चिमी ग्रीष्मकालीन मानसून होता है जिसके साथ अनेक बार चक्रवात आदि तूफान आते हैं।

क्वार की उमस से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंदिन में आर्द्रता अधिक व तापमान उच्च होता है जबकि रातें ठण्डी, और सुहानी होती हैं। इसे सामान्यतः ‘क्वार की उमस’ के नाम से जाना जाता है। अक्टूबर के उत्तरार्द्ध में, विशेषकर उत्तरी भारत में तापमान तेजी से गिरने लगता है।

वर्षा के जल का संग्रहण क्या आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल रोकने और एकत्र करने की विधि है। इसका उपयोग भूजल भंडार को भरने के लिए भी किया जाता है। जरूरी है कि गांवों, कस्बों और नगरों में छोटे-बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए। ल्ल नगरों और महानगरों में घरों की नालियों के पानी गड्ढे बना कर एकत्र किया जा सकता है।

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इसे सुनेंरोकें(1) मानसूनी वर्षा — भारतीय वर्षा का लगभग 75% भाग दक्षिण-पश्चिम मॉनसून द्वारा प्राप्त होता है, अर्थात कुल वार्षिक वर्षा का 75% वर्षा ऋतु में प्रतिशत में 10% बसंत ऋतु में तथा 2% शरद ऋतु में प्राप्त होता है। (2) वर्षा की अनिश्चितता— भारतीय मानसूनी वर्षा कब प्रारंभ अनिश्चित है।

मानसूनी जलवायु की क्या विशेषताएं हैं?

इसे सुनेंरोकेंउष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाले तटवर्ती प्रदेशों में तापमान वर्ष भर अधिक रहता है। ग्रीष्मकाल में तापमान सर्वाधिक दर्ज किया जाता है, वहीं वर्षा ऋतु में मेघाच्छादन एवं बारिश के कारण तापमान में गिरावट आती है। गर्मियों में तापमान 30°-45°C तक पाया जाता है, वही गर्मियों का औसत तापमान 30°C होता है।

भारत में वर्षा कैसे होती है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर होती है। जिसमें 75 प्रतिशत दक्षिणी-पश्चमी मानसून (जून से सितंबर),13 प्रतिशत उत्तरी-पूर्वी मानसून (अक्टूबर से दिसंबर),10 प्रतिशत मानसून पूर्व स्थानीय चक्रवातों द्वारा (अप्रैल से मई) तथा 2 प्रतिशत पश्चिमी विक्षोभ (दिसंबर से फरवरी) के कारण होती है।

1. मानसूनी वर्षा–भारतीय वर्षा को लगभग 75% भाग दक्षिण-पश्चिमी मानसूनों द्वारा प्राप्त होता है, अर्थात् कुल वार्षिक वर्षा का 75% वर्षा ऋतु में, 13% शीत ऋतु में, 10% वसन्त ऋतु में तथा 2% ग्रीष्म ऋतु में प्राप्त होता है।

2. वर्षा की अनिश्चितता—भारतीय मानसूनी वर्षा का प्रारम्भ अनिश्चित है। मानसून कभी शीघ्र | आते हैं तो कभी देर से। कभी-कभी वर्षा ऋतु में सूखा पड़ जाता है तथा कभी अत्यधिक वर्षा से बाढ़े तक आ जाती हैं। किसी वर्ष वर्षा नियत समय से पूर्व ही आरम्भ हो जाती है एवं निश्चित समय से पूर्व ही समाप्त हो जाती है।

3. वितरण की असमानता-भारतीय वर्षा का वितरण बड़ा ही असमान है। कुछ भागों में वर्षा 490 सेमी या उससे अधिक हो जाती है, जबकि कुछ भाग ऐसे हैं जहाँ वर्षा का औसत 12 सेमी से भी कम रहता है।

4. मूसलाधार वर्षा–भारत में वर्षा अनवरत गति से नहीं होती, वरन् कुछ दिनों के अन्तराल से होती है। कभी-कभी वर्षा मूसलाधार रूप में होती है और एक ही दिन में 50 सेमी तक हो जाती है। यह मिट्टी का अपरदन करती है, जिससे मिट्टी के उत्पादक तत्त्व बह जाते हैं।

5. असमान वर्षा–कुछ भागों में वर्षा बड़ी तीव्र गति से होती है तथा कुछ भागों में केवल बौछारों के रूप में। एक ओर मॉसिनराम गाँव (चेरापूँजी) में 1,354 सेमी से भी अधिक वर्षा होती है, तो वहीं राजस्थान में केवल 10 सेमी से भी कम। कुछ स्थानों पर वर्षा की प्राप्ति असन्दिग्ध रहती है। वर्षा हो भी सकती है और नहीं भी। भारत के उत्तरी मैदान में तथा दक्षिणी भागों में ऐसी ही स्थिति पायी जाती है।

6. वर्षा की अल्पावधि-भारत में वर्षा के दिन बहुत ही कम होते हैं। उदाहरण के लिए–चेन्नई में | 50 दिन, मुम्बई में 75 दिन, कोलकाता में 118 दिन तथा अजमेर में केवल 30 दिन।

7. वर्षा की निश्चित अवधि–कुल वर्षा का लगभग 80% जून से सितम्बर तक प्राप्त हो जाता है, फलत: वर्ष का दो-तिहाई भाग सूखा ही रह जाता है, जिससे फसलों की सिंचाई करनी पड़ती है।

8. पर्वतीय वर्षा–भारत की लगभग 95% वर्षा पर्वतीय है, जबकि मात्र 5% वर्षा ही चक्रवातों द्वारा होती है।

9. वर्षा की निरन्तरता—भारत में प्रत्येक मास में किसी-न-किसी क्षेत्र में वर्षा होती रहती है। शीतकालीन चक्रवातों द्वारा जनवरी एवं फरवरी महीनों में उत्तरी भारत में वर्षा होती है। मार्च में चक्रवात असोम एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में सक्रिय रहते हैं। इनसे तब तक वर्षा होती है जब तक दक्षिण-पश्चिमी मानसून पुनः चलना न आरम्भ कर दें।

मानसूनी वर्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या है?

(i) दिन गर्म और राते ठंडी होती है। (ii) शीत ऋतु नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है। (iii) सहित ऋतू में तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है। (iv) भारत में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रभावित होती है इनके कारण कुछ मात्रा में वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है।

भारत में मानसूनी वर्षा की क्या विशेषताएं हैं?

Solution : भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषता निम्नलिखित है: (i) भारत में मानसून अनिश्चित होता है। (ii) भारत के विभिन्न स्थानों में वर्ष प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में बहुत परिवर्तनशीलता पाई जाती है। ये 15% से 80% तक होती है।

28 भारत में मानसूनी वर्षा की क्या विशेषताएं हैं ?`?

मानसूनी वर्षा – सामान्यतः भारत में मानसूनी वर्षा की अवधि 15 जून से 15 सितम्बर तक होती है । हमारे देश में अधिकांश वर्षा दक्षिण – पश्चिमी ग्रीष्मकालीन मानसूनी पवनों से होती है । इस समय देश में वर्षा का 75 से 90% भाग प्राप्त हो जाता है। इसे वर्षा ऋतु भी कहा जाता है ।

मानसूनी जलवायु की विशेषता क्या है?

उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाले तटवर्ती प्रदेशों में तापमान वर्ष भर अधिक रहता है। ग्रीष्मकाल में तापमान सर्वाधिक दर्ज किया जाता है, वहीं वर्षा ऋतु में मेघाच्छादन एवं बारिश के कारण तापमान में गिरावट आती है। गर्मियों में तापमान 30°-45°C तक पाया जाता है, वही गर्मियों का औसत तापमान 30°C होता है।