कोलाइटिस को कैसे ठीक किया जा सकता है? - kolaitis ko kaise theek kiya ja sakata hai?

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) एक इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD/ आंतों में होने वाली सूजन) है, जो आपके पाचन तंत्र में दीर्घकालिक सूजन और अल्सर का कारण बनती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय की अंदरूनी परत को प्रभावित करती है। इसके लक्षण आमतौर पर अचानक दिखाई देने के बजाय धीरे-धीरे विकसित होते हैं।

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अल्सरेटिव कोलाइटिस कभी-कभार कम सक्रिय भी हो सकती है, लेकिन कुछ मामलों में यह हमारे जीवन के लिए खतरनाक साबित होती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस का फिलहाल कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन इसके लिए अपनाए जाने वाले कुछ उपायों से रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है तथा इससे लंबे समय तक छुटकारा पाया जा सकता है। 

आंतों की बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस सीरियस प्रॉब्लम है जिसका समय रहते इलाज जरूरी है वरना स्थिति गंभीर हो सकती है। तो अब इसके इलाज के लिए कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवा स्टेंटिस का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। इस दवा के सेवन से अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। इसका दवा कैलिफोर्निया की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है।

क्या है मौजूदा दावा?

शोधकर्ताओं के अनुसार, कॉलेस्ट्रॉल को घटाने वाली दवा अल्सरेटिव कोलाइटिस इस कदर असरदार है कि वो  मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की संभावनाओं को कम करके सर्जरी के खतरे को घटाती है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि यह दवा कैसे स्थिति को सुधारती है, लेकिन रिसर्चर्स का मानना है कि यह आंतों की सूजन का बढ़ना कम करती है।

क्या है अल्सरेटिव कोलाइटिस?

अल्सरेटिव कोलाइटिस आंतों से जुड़ी एक समस्या है, जिसमें बड़ी आंत में सूजन और जलन की परेशानी होती है।

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कोलन में छाले हो जाते हैं और उस हिस्से में सूजन की समस्या बनी रहती है।

समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचान कर लें तो दवाओँ की मदद से ठीक होने की पूरी-पूरी संभावना रहती है।

इग्नोर या देरी होने पर सर्जरी की नौबत आ सकती है।

अगर शौच के दौरान खून आना, पेट में दर्द व ऐंठन, वजन घटना, थकान और बुखार रहना जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

कैसे काम करती है यह दवा?

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अल्सरेटिव कोलाइटिस पेट से जुड़ी बहुत ही आम समस्या है।

जो तब होती है जब कोलोन और रेक्टम में सूजन और अल्सर हो जाते हैं।

स्टेंटिस दवा इसी सूजन को कम करने का काम करती है।

क्या कहना है रिसर्चर का?

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल एक्सपर्ट डॉ. परवेश खत्री के अनुसार, स्टेंटिस एक सुरक्षित दवा है।

उनके मुताबिक, अल्सरेटिव कोलाइटिस के मरीजों को स्टेंटिस के अलावा, दूसरी एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाएं दी गई। रिजल्ट, मरीजों को राहत मिली।

रिसर्चर्स का कहना है, रिसर्च के अगले पड़ाव में अगर स्टेंटिस दवा अल्सरेटिव कोलाइटिस के मरीजों पर सही तरीके से काम करती है तो इसे जल्द से जल्द इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।

कोलाइटिस को अल्सरेटिव कोलाइटिस भी कहा जाता है। यह पेट से जुडी एक सामान्य बीमारी है जिसकी स्थिति में मरीज की बड़ी आंत में सूजन हो जाती है। सूजन की वजह से मरीज को पेट में तेज दर्द, ऐंठन, डायरिया, बुखार, कमजोरी, वजन घटना, नींद न आना आदि जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को तुरंत इसका सही जांच और इलाज कराना चाहिए। अगर समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो यह गंभीर रूप ले सकता है और साथ दूसरी कई बीमारियों का कारण भी बन सकता है।   

कोलाइटिस के कारण

इसके सही कारण का अभी तक पता नहीं लगा जा सका है। पहले तनाव और खान पान को इसका मुख्य कारण माना जाता था। लेकिन डॉक्टर के अनुसार अभी इस बीमारी के बहुत से कारण हैं। इसमें इम्यून सिस्टम खराब होना, अनुवांशिकता यानी की अगर आपके परिवार में इस बीमारी से पहले कोई पीड़ित रह चुका है तो आपको यह समस्या होने का खतरा ज्यादा है, उम्र, आमतौर पर यह बीमारी 30 वर्ष से कम आयु के लोगों में होती है लेकिन यह भी सच है की यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है और आइसोट्रेटिनॉइन नामक दवा खाने से।  

कोलाइटिस के लक्षण 

जैसे दूसरी बीमारियों के लक्षणों को देखकर बीमारी का पता लगाया जाता है वैसे ही कोलाइटिस के कुछ खास लक्षण हैं जिनकी मदद से इस इस बात का पता लगाया जा सकता है की आप इस बीमारी से पीड़ित हैं। नीचे दिए हुए कारण निम्लिखित हैं: 

  • पेट में दर्द और ऐंठन।
  • भूख न लगना।
  • रेक्टम में दर्द। 
  • रेक्टम से ब्लीडिंग होना।
  • ब्लीडिंग की वजह से एनीमिया होना।
  • बार बार दस्त आना।
  • सौच करने में असमर्थता। 
  • बुखार होना।
  • कमजोरी होना। 
  • वजन काम होना।
  • शरीर में पानी की कमी होना।

इसके अलावा कुछ मरीजों को स्किन से संबंधित समस्या, आंखों में सूजन, किडनी स्टोन, लिवर में समस्या, जोड़ों में दर्द आदि भी महसूस हो सकता है। ऐसी स्थिति होने पर मरीज को तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

कोलाइटिस का इलाज 

कोलाइटिस का इलाज करने से पहले डॉक्टर मरीज के लक्षणों को देखते हैं जिसकी मदद से उन्हें यह समझ में आता है की मरीज को कोलाइटिस की समस्या किस कारण से हुई है। इसके बाद वे मरीज का शारीरिक जांच करते हैं जिसमें खून की जांच, मल का जांच, सिटी स्कैन, एक्स-रे आदि शामिल है। इसके अलावा डॉक्टर मरीज को कोलोनोस्कोपी और फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी का सुझाव भी दे सकते हैं। 

जांच करने के बाद डॉक्टर को कोलाइटिस के प्रकार और इसकी स्थिति का पता चलता है जिसके बेसिस पर वह इस बीमारी के बेस्ट इलाज का चुनाव करते हैं। कोलाइटिस का इलाज करने के लिए बहुत सारे उपाय मौजूद हैं लेकिन दवाओं और सर्जरी को सबसे बेहतर माना जाता है। इलाज के जरिए आंत की सूजन को कम किया जाता है जिसकी वजह से मरीज को काफी परेशानियों का सामान करना पड़ता है। 

दवाओं द्वारा कोलाइटिस का इलाज

अगर बीमारी अपनी शुरूआती स्टेज में है तो डॉक्टर मरीज को कुछ दवाएं खाने के लिए बोल सकते हैं जिसकी मदद से सूजन कम हो जाती है। सूजन कम होने की वजह से लक्षण भी धीरे धीरे खत्म हो जाते है और फिर मरीज कोलाइटिस की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। डॉक्टर जो दवाएं लिखते हैं उसमें सल्फासालजीन, बालसालाजिड, मेसालमाइन और ओलस्लाजाइन शामिल हैं। स्थिति को देखते हुए डॉक्टर कभी कभी एंटीबायोटिक दवाएं भी दे सकते हैं।    

सर्जरी द्वारा कोलाइटिस का इलाज 

जब कोलाइटिस की समस्या गंभीर हो जाती है तब सर्जरी की मदद से इसका इलाज किया जाता है। सर्जरी की मदद से कोलाइटिस की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इस सर्जरी को पूरा होने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। सर्जरी के दौरान मरीज को कम से कम दर्द और रक्तस्राव होता है। सर्जरी के बाद मरीज को एक दिन तक हॉस्पिटल में रूकना पड़ता है और फिर वह अपने घर जाने के लिए फिट हो जाते हैं। 

अगर आप कोलाइटिस की समस्या से पीड़ित हैं तुरंत अपने आस पास के डॉक्टर से मिलकर इसका जांच और बेहतर इलाज कराएं। 

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

क्या कोलाइटिस ठीक हो सकती है?

अल्सरेटिव कोलाइटिस आंतों से जुड़ी एक समस्या है, जिसमें बड़ी आंत में सूजन और जलन की परेशानी होती है। कोलन में छाले हो जाते हैं और उस हिस्से में सूजन की समस्या बनी रहती है। समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचान कर लें तो दवाओँ की मदद से ठीक होने की पूरी-पूरी संभावना रहती है।

कोलाइटिस ठीक होने में कितने दिन लगते हैं?

आमतौर पर हल्के कोलाइटिस के मामलों में, बच्चों को ठीक होने में लगभग 3 से 4 दिन लग सकते हैं और वयस्कों के लिए लगभग एक सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि, गंभीर कोलाइटिस से पीड़ित रोगियों को इस स्थिति से उबरने में 3 से 4 सप्ताह का समय भी लग सकता है।

कोलाइटिस बीमारी में क्या परहेज करना चाहिए?

कोलाइटिस के मरीजों को फाइबर से भरपूर चीजों को खाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए वीट ब्रेड, पास्ता और अनाज की बजाय आप आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप ब्राउन राइस और क्युनोवा भी खाने से बचें।

कोलाइटिस की अंग्रेजी दवा क्या है?

मैस्लो 800mg टैबलेट एक एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है जिसे अल्सरेटिव कोलाइटिस नामक बाउल डीजीज का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह बाउल में इन्‍फ्लेमेशन को कम करके डायरिया (दस्त), ब्लीडिंग और पेट दर्द जैसे लक्षणों को कम करने में मदद करता है.