भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा का क्या अर्थ है? - bhaarateey sanvidhaan ke anusaar shiksha ka kya arth hai?

भारतीय संविधान शिक्षा का स्तर-

भारतीय संविधान में शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा नागरिकों का जन्मसिद्ध अधिकार है। भारतीय संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी शिक्षण संस्थान में एडमिशन ले सकता है। शिक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान बनाए गए है। तो चलिए इस पोस्ट के माध्यम से हम शिक्षा संबंधी प्रावधान को जानने का प्रयास करते है।       

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भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा का क्या अर्थ है? - bhaarateey sanvidhaan ke anusaar shiksha ka kya arth hai?

भारतीय संविधान में शिक्षा संबंधी प्रावधान-

भारतीय गणराज्य के अनुसार भारतीय संविधान में तीन प्रमुख सूचियां है। भारतीय संविधान में हर एक क्षेत्र के लिए प्रावधान शामिल है। जिनमे से शिक्षा भी एक प्रमुख मुद्दा है। इसी को ध्यान में रखते हुए इसमें प्रमुख रूप शिक्षा संबंधी प्रावधान को समाहित किया गया है। अतः संविधान की प्रमुख सूचियां निम्न है -

संघ सूची (Union list)

राज्य / प्रांतीय सूची (State list)

समवर्ती सूची (Concurrent list)

भारतीय संविधान में शिक्षा संबंधी प्रावधान समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। इस सूची के अनुसार केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार दोनों ही शिक्षा स्तर पर निर्णय ले सकते है। स्थितियों और जरूरतों को देखते हुए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार दोनों ही शिक्षा स्थिति में बदलाव कर सकते हैं।

शिक्षा संबंधी प्रावधान निम्न है- 

1. शिक्षा का अधिकार-

आर्टिकल-21 (A)> के तहत राज्य में 6 वर्ष से 14 वर्ष के आयु के समस्त बच्चो के लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था अनिवार्य। जो राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। पूर्व में यह धारा - 45 थी। जिसमे सन् 2002 में परिवर्तन किया गया। धारा - 45 के अनुसार संविधान में बालकों के लिए निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार के विधिवत प्रस्तुत की जाएगी।

2. अल्पसंख्यक वर्ग की शिक्षा-

आर्टिकल-30 [संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार]

इसके अनुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक समुदायों को अधिकार प्राप्त कराता है। कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपने अनुसार शैक्षणिक संस्थान चला सकता है और सरकार द्वारा उसे अनुदान में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।

आर्टिकल-30 (A)> के अनुसार जितने भी अल्पसंख्यक समुदाय हैं उसके पास यह अधिकार है कि वह अपने अनुसार शिक्षण संंस्थान की स्थापना और उसका प्रशासन कर सके।

आर्टिकल-30 (B)> के तहत कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय जिसमे उसे किसी धर्म, जाति, भाषा एवम् संस्कृति हेतु व्यवधान का सामना नहीं करवाया जाएगा तथा सरकार के विधिवत उसे शैक्षणिक संस्थान हेतु अनुदान में भेदभाव नहीं रखा जाएगा।

3. भाषागत सुरक्षा-

आर्टिकल-29 [अल्पसंख्यक वर्गो के लिए संरक्षण]

आर्टिकल-29 (A)> इसके तहत हमारे भारतीय संविधान में यह अधिकार प्राप्त कराता है कि कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय या वर्ग अपनी या क्षेत्रीय भाषा , लिपि, और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है।

आर्टिकल-29 (B)> इसके अनुसार केवल भाषा, जाति, धर्म, और संस्कृति के आधार पर उसे किसी भी सरकारी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से नहीं रोका जाएगा।

भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा का क्या अर्थ है? - bhaarateey sanvidhaan ke anusaar shiksha ka kya arth hai?

4. कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा का प्रावधान-

आर्टिकल-15,17,45 [ST,SC,OBC हेतु शिक्षा]

इसके द्वारा कमजोर वर्ग को शैक्षणिक रूप से तथा सामाजिक रुप से शिक्षा के लिए सुरक्षा का प्रावधान उपलब्ध कराना है।

आर्टिकल-15> इस धारा के अनुसार राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए विशेष शिक्षा  उपलब्ध बनाने की अनुमति प्राप्त है। इस नियम के अनुसार राज्य द्वारा कमजोर वर्गों को विशेष रूप से शिक्षा एवं सामाजिक सम्मान दिए जाने का विशेष अधिकार प्राप्त है।

आर्टिकल-17> इस अनुच्छेद के द्वारा अस्पृश्यता का अंत / छुआछूत के उन्मूलन की घोषणा की गई है। तथा किसी भी रूप से उसके पालन पर निषेध है। अस्पृश्यता दंडनीय अपराध है। कोई भी समाज या व्यक्ति द्वारा इसे बढ़ावा देने पर कानूनी रूप से दंड का अधिकार प्राप्त है।

आर्टिकल-45> इस धारा के तहत हमारी संगीय सरकार के पास यह अधिकार प्राप्त है कि जो हमारी कमजोर वर्ग है। उसकी सामाजिक एवं शैक्षिक विकास की जिम्मेदारी राज्य के विधिवत है।

5. प्रारंभिक शिक्षा- 

आर्टिकल-45> के तहत राज्य द्वारा प्रारंभिक अवस्था में छोटे बच्चों की देखभाल और शिक्षा के उपबंध कराने का प्रयास किया जाएगा। प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य विधिवत ' आंगनबाड़ी ' का गठन किया गया है।

 6. अभिभावकों के कर्तव्य- 

सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन (सन् 1976) द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्तव्य को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया है। यह प्र्रावधान रूस के संविधान से लिया गया है।

आर्टिकल-45 (A)> इसके तहत अभिभावकों, संरक्षक का कर्तव्य होता है कि वह 6 वर्ष से 14 वर्ष के मध्य आयु वाले बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करेगा। यह धारा सन 2020 संशोधित करके जोड़ा गया है।

7.धर्मनिरपेक्ष की शिक्षा-

आर्टिकल-25 (A)> इसके तहत अंतःकरण और धर्म को अवाध रूप से मानने , आचरण करने और प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता है तथा इसके अनुसार प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने उसका पालन करने तथा उसके प्रति प्रचार प्रसार करने की स्वतंत्रता प्राप्त है।

आर्टिकल-28 (A)>इस धारा के अनुसार राज्य विधि द्वारा पूर्णत पोषित किसी शिक्षण संस्थान में कोई धार्मिक शिक्षण नहीं दिए जाने का प्रावधान है। अर्थात इसके अनुसार किसी भी विश्वविद्यालय या विद्यालय में पाठ्यक्रम के स्थान पर धर्म संबंधी पढ़ाई नहीं करवाई जाएगी।

आर्टिकल-28 (B)> इसके अनुसार यदि शिक्षण संस्था किसी ट्रस्ट द्वारा संचालित हो तो इसके प्रावधानों के अनुसार धार्मिक शिक्षा देने की बाध्यता हो और वह राज्य द्वारा संचालित की जाती है तो, ऐसी संस्था को आर्टिकल-28 (A) के प्रावधानों की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाएगा।

आर्टिकल-28 (C)> राज्य विधि से पूर्णता पोषित शिक्षण संस्थान अपने विद्यालयों को विश्वविद्यालयों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्म उपदेश में भाग लेने , सुनने हेतु बाध्य नहीं करेगा।

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8.धार्मिक कार्य में प्रबंध की स्वतंत्रता-

आर्टिकल-26> इसके अंतर्गत धार्मिक संस्थाओं की स्थापना करने,उनका रखरखाव करने, धर्म संबंधी अपने स्वयं के मामलों का निपटारा करने, जायदाद को प्राप्त करने और उनका प्रबंध करने, धार्मिक शिक्षा देने, अपनी भाषा, लिपि एवं संस्कृति को संरक्षण करने की स्वतंत्रता प्रदान की जाती है।

आर्टिकल-350 (A)> इसके अंतर्गत मातृ भाषा को प्राथमिकता, शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने का दायित्व राज्य या स्थानी प्रशासन का है। इसी के तहत भारत के प्रत्येक राज्य में अपनी भाषा को प्राथमिकता प्रदान करने के लिए मातृभाषा में शिक्षा अनिवार्य कर दिया गया है।

9. हिंदी भाषा का प्रचार-

आर्टिकल-351>  इसके अनुसार हिंदी भाषा को ऑफिशियल लैंग्वेज का महत्व दिया गया है। हिंदी भाषा को लिंक लैंग्वेज फॉर द कंट्री भी कहते हैं। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि हिंदी भाषा का प्रचार एवं प्रसार करें, उसे ऑफिशल भाषा माने, हिंदी भाषा में लोगों को अवगत कराएं, हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी भाषा का विकास एवं प्रोत्साहन जरूरी है। क्योंकि हिंदी भाषा को सरकार द्वारा प्रोत्साहित करने का प्रावधान है।

भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा का क्या अर्थ है? - bhaarateey sanvidhaan ke anusaar shiksha ka kya arth hai?

10. उच्च शिक्षा और अनुसंधान-

उच्च शिक्षा और शोध के जिन केंद्रों को सरकार स्वतंत्र रूप से अपने अधिन रख सकती है। वे संघ सूची में 63, 64, 65 एवं 66 उपबंध वर्णित है।

उपबंध 63 - के अनुसार भारतीय संविधान के प्रारंभ पर *काशी हिंदू विश्वविद्यालय*, *अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय* एवं  *दिल्ली विश्वविद्यालय* के नाम से जाने वाले संस्थान में किया गया है। यह राष्ट्रीय संस्थाएं हैं जिनमें कोई भी व्यक्ति प्रवेश ले सकता है।

उपबंध 64 - के तहत भारत सरकार द्वारा पूर्णत: पोषित वैज्ञानिक संस्थाएं या प्राविधिक शिक्षा की संस्थाएं और संसद द्वारा घोषित राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएं हैं।

उपबंध 65 - इस उपबंध के अनुसार संघ के अधिकरण और संस्थाएं निम्न है -

  • इसमें पहला है तृतीय व्यवसाई या तकनीकी प्रशिक्षण के लिए। जिसके अंतर्गत पुलिस अधिकारियों की प्रशिक्षण मुख्य रूप से संपन्न कराई जाती है।
  • इसमें दूसरा संस्थाए विशेष अध्ययन अनुसंधान की अभिवृद्धि के लिए है।
  • तीसरा अपराध के अन्वेषण या पता लगाने या तकनीकी सहायता के लिए है।

उपबंध 66 - इस उपबंध के माध्यम से उच्च शिक्षा विज्ञान की तकनीकी शिक्षा के स्तरों के निर्धारण और शिक्षा सुविधाओं में संबंध में की जाएगी।

11. महिला शिक्षा-

आर्टिकल-15 (A)>  इस आर्टिकल के अनुसार राज्य नागरिकों में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। इस आर्टिकल के माध्यम से आज समाज में पुरुष और स्त्री दोनों एक समान माने जाते हैं। स्त्री और पुरुष एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। अतः स्त्री और पुरुष को एक समान दर्जा दिया गया है। आर्टिकल-15 (C) के अनुसार स्त्रियों और बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था करने में अनुच्छेद-50 (A) के प्रावधान जोड़ी नहीं जाएगी।

12. केंद्र शासित प्रदेश में शिक्षा-

आर्टिकल-239>  इस धारा के तहत यदि संसद द्वारा अथवा कानून द्वारा कोई और प्रबंध किया गया हो तो प्रत्येक संघ क्षेत्र पर राष्ट्रपति का शासन सीमा तक जहां तक वह उचित समझे , एक शासन द्वारा जिससे वह नियुक्त करेगा ,  चलाया जाएगा। अतः स्पष्ट है कि संघ क्षेत्र में शिक्षा केंद्र के अधिकार क्षेत्र में।

13. विदेशी शिक्षा और सांस्कृतिक संबंध-

इस शिक्षा संबंधी प्रावधान के अनुसार अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, एसोसिएशन में हमारे देश से कोई भी विद्यार्थी / व्यक्ति भाग ले सकते हैं। इस प्रावधान के तहत किसी भी व्यक्ति को जाति, धर्म, भाषागत एवं संस्कृति के आधार पर नहीं रोका जाएगा। इसके तहत आप अंतरराष्ट्रीय लेवल में होने वाले कवि सम्मेलन जैसे प्रतियोगिताओं में शामिल हो सकते हैं।

14. दृश्य सामग्री-

आर्टिकल-49>  इस धारा के अनुसार प्रत्येक राज्य स्मारक या संसद द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित स्थान व वस्तुओं का संरक्षण किया जाएगा।

15. कृषि शिक्षा-

आर्टिकल-48>  इस आर्टिकल के अनुसार राज्य राज्य चाहे तथा यदि वह उत्तरदायित्व को स्वीकार करने में सक्षम हो तो वह आधुनिक व सामाजिक दृष्टि से कृषि व पशुपालन का संगठन करने नस्लों का संरक्षण वह सुधार करने हेतु कदम उठा सकता है। अर्थात राज्य सरकार द्वारा राज्य के हितों के लिए कृषि तथा पशु पालन से संबंधित निर्णय ले सकता है तथा राज्य में इसके हितों को ध्यान में रखते हुए कोई नई योजना लागू करवाने का अधिकार प्राप्त है ।

उपर्युक्त पोस्ट को पढ़कर आप यह जान गए होंगे कि भारतीय संविधान में शिक्षा संबंधी प्रावधान क्या है तथा इसका महत्व क्या है ? आशा करता हूं कि मेरे द्वारा शिक्षा संबंधी प्रावधान पर लिखा गया पोस्ट पसंद आया होगा। अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं।

संविधान के अनुसार शिक्षा क्या है?

अनुच्छेद 45 में संविधान लागू होने के 10 वर्ष के भीतर 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने का निर्देश शासन को दिया था। अनुच्छेद 46 शासन को निर्देश लेता है कि वह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों तथा पिछड़े वर्ग की शिक्षा हेतु विशेष व्यवस्था करे।

संविधान में बच्चों की शिक्षा के बारे में क्या बताया गया?

संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया जो यह प्रावधान करता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा। इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ ।

भारत में शिक्षा का अधिकार कब लागू हुआ?

भारत में शिक्षा का अधिकार' संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में उल्लिखित है। 2 दिसंबर, 2002 को संविधान में 86वाँ संशोधन किया गया था और इसके अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया।

भारत में शिक्षा का अधिकार क्या है?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम जिसमें संविधान के 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा 21 क जोड़कर शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया है। इसके द्वारा राज को यह कर्तव्य दिया गया कि वह 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।