वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है? - vaashpotsarjan kise kahate hain isaka kya mahatv hai?

वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है? - vaashpotsarjan kise kahate hain isaka kya mahatv hai?

पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। पैड़-पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं, उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप के शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर को एक यन्त्र द्वारा मापा जा सकता है। इस यन्त्र को पोटोमीटर कहते हैं। [1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. त्रिपाठी, नरेन्द्र नाथ (मार्च २००४). सरल जीवन विज्ञान, भाग-२. कोलकाता: शेखर प्रकाशन. पृ॰ ८६-८७.

इसे पौधों में आवश्यक जल की हानी भी कहा जाता है।

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, आज के हमारे लेख वाष्पोत्सर्जन क्या हैं इसका महत्त्व (What is transpiration and importence) में। दोस्तों इस लेख में आप वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं?वाष्पोत्सर्जन कितने प्रकार के होते है?

वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक तथा वाष्पोत्सर्जन का महत्व जान पायेंगे। तो आइये दोस्तों करते है, यह लेख शुरू वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं महत्त्व:-

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वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है? - vaashpotsarjan kise kahate hain isaka kya mahatv hai?

वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं what is transpiration

वाष्पोत्सर्जन क्या है :- वाष्पोत्सर्जन का अर्थ होता है वाष्प के रूप में उत्सर्जन अर्थात जब जल का वाष्प के रूप में उत्सर्जन होता है, उस स्थिति को वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहा जाता है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है,

कि वाष्पोत्सर्जन वह क्रिया है, जिसमें पेड़ पौधों के बाहरी सतह से आवश्यकता से अधिक जल वाष्प के रूप में वायुमंडल में उड़ जाता है।

वाष्पोत्सर्जन एक अस्थाई प्रक्रिया होती है, जो केवल दिन के समय में ही होती है। पत्तियों के रंधरों के द्वारा पौधों में उपस्थित आवश्यकता से अधिक जल वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वायुमंडल में पहुँच जाता है।

इन रंध्र के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा ऑक्सीजन (O2) गैसों का भी आदान-प्रदान वायुमंडल में होता है। पौधों में जल की आपूर्ति जड़ के द्वारा होती है। जड़ मृदा से पानी को अवशोषित करती हैं

और पत्तियों तक पहुँचाती हैं, किंतु अवशोषित किए हो गए जल का केवल 1 से 2 % भाग ही पौधों के द्वारा उपयोग में लाया जाता है।

तथा जल का बाकी भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है। जल के अवशोषण में जाइलम (Xylem) ऊतक मदद करता है

यह जड़ों से पत्तियों तक जल पहुंचाने में उपयोगी होता है। एक वृक्ष (Tree) अपने जीवन काल में लगभग अपने भार का 100 गुना से भी अधिक जल को वाष्पित कर देता है।

वाष्पोत्सर्जन कितने प्रकार के होते है What are the types of transpiration

वाष्पोत्सर्जन मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है जिसे निम्न प्रकार से समझ सकते हैं:-

  • पत्रीय वाष्पोत्सर्जन 

यह वाष्पोत्सर्जन पौधों में उपस्थित पत्तियों के द्वारा होता है, इसलिए इस वाष्प उत्सर्जन को पत्रीय वाष्पोत्सर्जन के नाम से जाना जाता है।

पौधों में पत्रीय वाष्प उत्सर्जन सबसे अधिक होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें लगभग 80 से 90 % जल पत्तियों में उपस्थित रंध्र के द्वारा निष्कासित कर दिया जाता है।

  • उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन

यह वाष्पोत्सर्जन पेड़ पौधों की त्वचा अर्थात छाल के द्वारा होता है, इसलिए इस वाष्पोत्सर्जन को उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। इस वाष्पोत्सर्जन में लगभग 3 से 10% तक ही जल की हानि होती है।

  • वातरंध्रीय वाष्पोत्सर्जन

जब पेड़ पौधों के कष्ठीय तनो और फलों में वातरंध्र उपस्थित होते है, तो उनसे जल हानि होती है। जिसे वातरंध्रीय वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। इस वाष्पोत्सर्जन में जल की हानि बहुत ही कम मात्रा में हो पाती है।

  • बिंदुश्राव

बिंदुश्राव भी वाष्पोत्सर्जन का एक प्रकार होता है। जो केवल रात्रि में ही होता है। बिंदुश्राव मैं पत्तियों के किनारे से जल बूंद-बूंद करके निकलता रहता है, जिसमें कुछ कार्बनिक और अकार्बनिक लवण भी मौजूद होते हैं। 

वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक factors affecting transpiration

  1. प्रकाश की तीव्रता (Light intensity) - प्रकाश की तीव्रता वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करती है। तीव्र प्रकाश में वाष्पोत्सर्जन की गति तीव्र (High) हो जाती है, जबकि मंद प्रकाश में वाष्पोत्सर्जन की गति मंद (Low) पड़ जाती है।
  2. तापक्रम (Temperature) - तापक्रम भी वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाला कारक है। अगर वायुमंडल का तापमान बढ़ जाता है, तो उस स्थिति में वाष्पोत्सर्जन की गति तीव्र हो जाती है। किंतु तापमान कम होने पर वाष्पोत्सर्जन की गति मंद पड़ जाती है।
  3. आद्रता (Humidity) - वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने में आद्रता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब मौसम आद्र होता है तब मौसम में नमी अधिक उपस्थित होती है और तापमान कम होता है इस कारण वाष्पोत्सर्जन की गति मंद पड़ जाती है।
  4. वायु (Air) - जब वायु की गति तीव्र होती है, अर्थात वायु तीव्र गति से चलती है उस स्थिति में वाष्प उत्सर्जन की गति भी तीव्र हो जाती है।  

वाष्पोत्सर्जन का महत्व Importance of transpiration

वाष्प उत्सर्जन पौधों में बहुत महत्वपूर्ण क्रिया होती है, जो पौधों की विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करता है।

वाष्पोत्सर्जन के द्वारा खनिज लवण जड़ द्वारा अवशोषित करके फ्लोएम उत्तक के द्वारा पेड़ पौधों के विभिन्न भागों तक पहुंचते हैं। जिससे पेड़ पौधों की पत्तियों फलो आदि का विकास होता है।

वाष्पोत्सर्जन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पेड़ पौधों का तापमान नियंत्रित बना रहता है। 

वाष्पोत्सर्जन जल अवशोषण और रसारोहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वाष्प उत्सर्जन की प्रक्रिया के द्वारा ही वायुमंडल नम रहता है तथा यह जल चक्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वाष्प उत्सर्जन की दर को मापने के लिए पोटोमीटर (Potometer) नामक यंत्र का उपयोग किया जाता है।

दोस्तों इस लेख में आपने वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं इसके महत्त्व (What is transpiration and importence) के बारे में पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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