Show पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। पैड़-पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं, उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप के शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर को एक यन्त्र द्वारा मापा जा सकता है। इस यन्त्र को पोटोमीटर कहते हैं। [1] सन्दर्भ[संपादित करें]
इसे पौधों में आवश्यक जल की हानी भी कहा जाता है। हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, आज के हमारे लेख वाष्पोत्सर्जन क्या हैं इसका महत्त्व (What is transpiration and importence) में। दोस्तों इस लेख में आप वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं?वाष्पोत्सर्जन कितने प्रकार के होते है? वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक तथा वाष्पोत्सर्जन का महत्व जान पायेंगे। तो आइये दोस्तों करते है, यह लेख शुरू वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं महत्त्व:-
वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं what is transpirationवाष्पोत्सर्जन क्या है :- वाष्पोत्सर्जन का अर्थ होता है वाष्प के रूप में उत्सर्जन अर्थात जब जल का वाष्प के रूप में उत्सर्जन होता है, उस स्थिति को वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहा जाता है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है, कि वाष्पोत्सर्जन वह क्रिया है, जिसमें पेड़ पौधों के बाहरी सतह से आवश्यकता से अधिक जल वाष्प के रूप में वायुमंडल में उड़ जाता है। वाष्पोत्सर्जन एक अस्थाई प्रक्रिया होती है, जो केवल दिन के समय में ही होती है। पत्तियों के रंधरों के द्वारा पौधों में उपस्थित आवश्यकता से अधिक जल वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वायुमंडल में पहुँच जाता है। इन रंध्र के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा ऑक्सीजन (O2) गैसों का भी आदान-प्रदान वायुमंडल में होता है। पौधों में जल की आपूर्ति जड़ के द्वारा होती है। जड़ मृदा से पानी को अवशोषित करती हैं और पत्तियों तक पहुँचाती हैं, किंतु अवशोषित किए हो गए जल का केवल 1 से 2 % भाग ही पौधों के द्वारा उपयोग में लाया जाता है। तथा जल का बाकी भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है। जल के अवशोषण में जाइलम (Xylem) ऊतक मदद करता है यह जड़ों से पत्तियों तक जल पहुंचाने में उपयोगी होता है। एक वृक्ष (Tree) अपने जीवन काल में लगभग अपने भार का 100 गुना से भी अधिक जल को वाष्पित कर देता है। वाष्पोत्सर्जन कितने प्रकार के होते है What are the types of transpirationवाष्पोत्सर्जन मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है जिसे निम्न प्रकार से समझ सकते हैं:-
यह वाष्पोत्सर्जन पौधों में उपस्थित पत्तियों के द्वारा होता है, इसलिए इस वाष्प उत्सर्जन को पत्रीय वाष्पोत्सर्जन के नाम से जाना जाता है। पौधों में पत्रीय वाष्प उत्सर्जन सबसे अधिक होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें लगभग 80 से 90 % जल पत्तियों में उपस्थित रंध्र के द्वारा निष्कासित कर दिया जाता है।
यह वाष्पोत्सर्जन पेड़ पौधों की त्वचा अर्थात छाल के द्वारा होता है, इसलिए इस वाष्पोत्सर्जन को उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। इस वाष्पोत्सर्जन में लगभग 3 से 10% तक ही जल की हानि होती है।
जब पेड़ पौधों के कष्ठीय तनो और फलों में वातरंध्र उपस्थित होते है, तो उनसे जल हानि होती है। जिसे वातरंध्रीय वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। इस वाष्पोत्सर्जन में जल की हानि बहुत ही कम मात्रा में हो पाती है।
बिंदुश्राव भी वाष्पोत्सर्जन का एक प्रकार होता है। जो केवल रात्रि में ही होता है। बिंदुश्राव मैं पत्तियों के किनारे से जल बूंद-बूंद करके निकलता रहता है, जिसमें कुछ कार्बनिक और अकार्बनिक लवण भी मौजूद होते हैं। वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक factors affecting transpiration
वाष्पोत्सर्जन का महत्व Importance of transpirationवाष्प उत्सर्जन पौधों में बहुत महत्वपूर्ण क्रिया होती है, जो पौधों की विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करता है। वाष्पोत्सर्जन के द्वारा खनिज लवण जड़ द्वारा अवशोषित करके फ्लोएम उत्तक के द्वारा पेड़ पौधों के विभिन्न भागों तक पहुंचते हैं। जिससे पेड़ पौधों की पत्तियों फलो आदि का विकास होता है। वाष्पोत्सर्जन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पेड़ पौधों का तापमान नियंत्रित बना रहता है। वाष्पोत्सर्जन जल अवशोषण और रसारोहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वाष्प उत्सर्जन की प्रक्रिया के द्वारा ही वायुमंडल नम रहता है तथा यह जल चक्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वाष्प उत्सर्जन की दर को मापने के लिए पोटोमीटर (Potometer) नामक यंत्र का उपयोग किया जाता है। दोस्तों इस लेख में आपने वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं इसके महत्त्व (What is transpiration and importence) के बारे में पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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