भावात्मक अधिगम के आकलन के विभिन्न उपकरण क्या हैं? - bhaavaatmak adhigam ke aakalan ke vibhinn upakaran kya hain?

प्रत्येक उपकरण Single विशेष प्रकार के प्रयोजन तथा ऑकड़ों के लिए उपयुक्त होता है। कभी-कभी किसी समस्या के समाधान के लिए ऑकड़े Singleत्र करने में भी अनेक उपकरणों का उपयोग करना पड़ता है। अनुसंधानकर्ता के लिए आवश्यक है कि उसे उपकरणों का व्यापक ज्ञान हो। किस उपकरण से किस प्रकार के ऑकड़े प्राप्त होंगें, उनकी क्या विशेषताए And सीमाए हैं इन All बातों को जानना अनुसंधानकर्ता के लिए आवश्यक है।

अवलोकन

अवलोकन अंग्रेजी के ऑबजरवेशन (Observation) का हिन्दी Resellerान्तर है। शाब्दिक दृष्टि से इसका Means है-निरीक्षण, विचार। यह “आब्जर्व” Word से बना है जिसका Means ध्यान देना, परीक्षा करना, अनुष्ठान करना आदि। इसका सीधा Means है ऑखों से देखना। पी.वी.यंग के According- अवलोकन नेत्रों के द्वारा Reseller गया विचारपूर्वक अध्ययन है, जिसका प्रयोग सामूहिक व्यवहार तथा जटिल सामाजिक संस्थानों के साथ-साथ सम्पूर्णता का निर्माण करने वाली पृथक-पृथक इकाईयों का सूक्ष्म निरीक्षर करने की Single पद्धति के Reseller में Reseller जा सकता है।

अवलोकन पद्धति की विशेषताए

  1. प्रत्यक्ष पद्धति- सामाजिक अनुसंधान की दो पद्धितियॉ हैं- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। अवलोकन सामाजिक अनुसंधान की प्रत्यक्ष पद्धति है, जिसमें अनुसंधानकत्र्ता सीधे अध्ययन वस्तु को देखता है और निष्कर्ष निकालता है।
  2. प्राथमिक सामग्री – सामाजिक अनुसंधान में जो सामग्री संग्रहित की जाती है, उसे दो भागों में विभाजित Reseller जा सकता है-प्राथमिक और द्वितीयक। अवलोकन के द्वारा प्रत्यक्षत: सीधे सम्पर्क और सामाजिक तथ्यों का संग्रहण Reseller जाता है।
  3. वैज्ञानिक पद्धति- सामाजिक अनुसंधान अन्य पद्धतियों की तूलना में अवलोकन पद्धति अधिक वैज्ञानिक है, क्योंकि इस पद्धति के द्वारा अपनी ऑखों से देखकर सामग्री का संग्रहण Reseller जाता है। इसलिए उसमें विश्वसनीयता और वैज्ञानिकता रहती है।
  4. Human इन्द्रियों का पूर्ण उपयोग– अन्य पद्धतियों की तूलना में इनमें Human इन्द्रियों का पूर्ण Reseller से प्रयोग Reseller जाता है। इससे सामाजिक घटनाओं को ऑखों से देखकर जॉच-पड़ताल की जा सकती है।
  5. विचारपूर्वक And सूक्ष्म अध्ययन- अवलोकन Single प्रकार से उद्देश्यपर्ण होता है। कोई भी अवलोकन क्यों न हो, उसका निश्चित उद्देश्य होता है।
  6. विश्वसनीयता- अवलोकन पद्धति अधिक विश्वसनीय भी होती है, क्योंकि इसमें किसी समस्या या घटना का उसके स्वाभाविक Reseller से अध्ययन Reseller जाता है। इसलिए इसके द्वारा प्राप्त निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय होते हैं।
  7. सामूहिक व्यवहार का अध्ययन- अवलोकन प्रणाली का प्रयोग सामूहिक व्यवहार के अध्ययन के लिए Reseller जाता है।
  8. पारस्परिक And कार्यकाकरण सम्बन्धों का ज्ञान- इसकी अन्तिम विशेषता यह है कि इसके द्वारा कार्य-कारण सम्बन्धों या पास्परिक सम्बन्धों का पता लगाया जाता है।

अवलोकन पद्धति के प्रकार

  1. अनियन्त्रित अवलोकन
  2. नियन्त्रित अवलोकन
  3. सहभागी अवलोकन
  4. असहभागिक अवलोकन
  5. अर्द्धसहभागी अवलोकन.
  6. सामूहिक अवलोकन

साक्षात्कार अनुसूची

अनुसूची अंग्रेजी के शिड्यूल (Schedule) का हिन्दी Resellerान्तर है। जिसका Means होता है सूची (A list), नामावली (A tabulated statement) आदि। अनुसूची की विद्वानों ने जो परिभाषाएँ दी हैं, वे इस प्रकार हैं- बोगार्डस के According- अनुसूची उन तथ्यों को प्राप्त करने के लिये Single औपचारिक पद्धति का प्रतिनिधित्व करती है, जो वैषयिक स्वReseller में है और स्पष्ट Reseller से दिखाई देने योग्य है। गुडे और हाट के According- अनुसूची साधारण प्रश्नों के Single समूह का नाम है, जो Single अनुसंधानकत्र्ता द्वारा Second व्यक्ति से आमने-सामने से सम्बन्धों द्वारा पूछे जाते हैं और भरे जाते हैं। एम.एच.गोपाल के According- अनुसूची उन विभिन्न मदों की Single विस्तृत वर्गीकृत नियोजित तथा क्रमबद्ध सूची होती है, जिसके विषय में सूचनाएँ Singleत्रित करने की Need पड़ती है।

इस प्रकार अनुसूची सामाजिक अनुसंधान की वह पद्धति है जिसमें प्रश्न संग्रहित रहते हैं और अनुसंधानकर्ता द्वारा सूचनादाताओं से इन प्रश्नों के प्राप्त उत्तर भरे जाते हैं। इन परिभाषाओं से अनुसूची की अग्र विशेषताएँ स्पष्ट हाती है।

  1. अनुसूची का प्रयोग सामाजिक अनुसंधान की Single पद्धति के Reseller में Reseller जाता है।
  2. इसमें प्रश्न संकलित होते हैं।
  3. ये प्रश्न अनुसंधान समस्या से सम्बन्धित होते हैं।
  4. अनुसंधानकत्र्ता इन प्रश्नों का उत्तर सूचनादाताओं से प्राप्त करता है।

श्रेष्ठ अनुसूची की विशेषताएँ

अनुसूची समंकों के संकलन के लिये प्रयुक्त की जाती है। Single अनुसूची के द्वारा उत्तम सामग्री तभी प्राप्त की जा सकती हैं, जब वह उत्तम होगी। अब मौलिक प्रश्न यह है कि श्रेष्ठ अनुसूची किसे कहा जायेगा? संक्षेप में हम यहाँ Single उत्तम अनुसूची की विशेषताओं का वर्णन करेंगे। यंग ने उत्तम अनुसूची की निम्न दो विशेषताएँ बताई है।

  1. सही सन्देशवाहन- अनुसूची सन्देशवाहन का Single साधन है। यह इस प्रकार प्रश्नों से युक्त हों कि सूचनादाता इसे समझ सके। इसकी भाषा सरल और स्पष्ट हो, तभी सूचनादाता ठीक-ठीक समझ सकेंगे।
  2. सही उत्तर- इसका तात्पर्य यह है कि प्रश्नों द्वारा जिस प्रकार की सूचनाएँ अपेक्षित हों, उसी प्रकार के उत्तर प्राप्त हों। इसके द्वारा सूचनादाता सही और उपयोगी उत्तर प्रदान करते हैं।

चिन्हांकन सूची

जब अनुसूची को इस प्रकार तैयार करते हैं कि उनमें किसी समस्या से सम्बन्धित अनेक तथ्य, स्थिति अथवा चर दिये होते है। तथा यह जाँच करनी होती है कि इनमें से कौन-कौन से तथ्य अथवा अन्य अंग उपस्थित हैं तो चिन्हांकन सूची का प्रयोग करते हैं इनकी उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति हॉ/नहीं से दिखा सकते हैं अथवा उसके समक्ष सही का चिन्ह (✔) बना देते हैं यह सुगम उपकरण किसी वस्तु अथवा उपस्थिति के विभिन्न अंगों की ओर ध्यान आकर्षित करता है जिससे कोई छूट न जाय। व्यवहार के निरीक्षण के लिए भी इसका उपयोग Reseller जाता है। Single विशेष प्रकार की चिन्हांकन सूची पैमाने के Reseller में भी प्रयोग में आती है जिसमें अंक दिये जाते हैं इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके आधार पर तथ्यों को अंकित करते हैं, कोई मूल्यांकन अथवा निर्णय नहीं देते। सर्वेक्षण, व्यक्ति History, व्यवहार तथा शिक्षा सम्बन्धी परिस्थितियों के अंकन के लिए इसका प्रयोग सफलता से होता है। निम्नलिखित क्षेत्रों में चिन्हांकन सूची का प्रयोग Reseller गया है- विद्यालय भवन, विद्यालय सम्पत्ति, भवन योजना, उपकरणों की पूर्ति, अधीक्षक के प्रतिवेदन का विश्लेषण, माध्यमिक विद्यालयों का संगठन And मूल्यांकन, राज्य में शिक्षा की सुविधा, कक्षा की शैक्षिक क्रियाएं, पर्यवेक्षण तथा सफल शिक्षा के गुण।

निर्धारण मापनी

निर्धारण-मापनी मूल्यांकन के क्षेत्र में व्यवहार में आने वाले उपकरणों में सबसे अधिक प्रचलित है। यह अनेक Resellerों में पायी जाती है। गुड तथा स्केट्स के According यह उपकरण मूल्यांकन की जानी वाली वस्तु के विभिन्न अंगों की ओर ध्यान आकर्षित करती है, किन्तु इसमें उतने प्रश्न अथवा खण्ड नहीं होते जितने चेक-लिस्ट अथवा स्कोर-कार्ड में होते हैं। वान डैलेन के According निर्धारण मापनी किसी चर की श्रेणी, उसकी गहनता अथवा महत्व तथा बारम्बारिता को निश्चित करती है। जॉन डब्ल्यू बेस्ट के According निर्धारण मापनी किसी व्यक्ति के गुणों अथवा वस्तु के सीमित पक्षों का गुणात्मक description प्रस्तुत करती है। ए.एस. बार तथा अन्य के According किसी परिस्थिति, वस्तु अथवा व्यक्ति के सम्बन्ध में मत अथवा निर्णय देने की विधि को निर्धारण मापनी कहते हैं। सामान्यत: मत को किसी मूल्य मापक के आधार पर व्यक्त करते हैं। निर्धारण मापनी के उपयोग द्वारा इन निर्णयों का परिमाण निश्चित करते हैं। वास्तव में मापनी विधि Single Sevenत्य पर किसी वस्तु को क्रम देने की उपयुक्त पद्धति है। मापनी विधियों के द्वारा गुणात्मक तथ्यों को परिमाणात्मक क्रम में परिवर्तित करते हैं।

निर्धारण मापनी सम्बन्धी अवधारणाए

निर्धारण मापनी दो मूल अवधारणाओं पर आधारित है:

  1. Sevenत्य की स्थिति और
  2. उस Sevenत्य की प्रतिनिधित्व

First की जॉच अन्तिम वितरण के अध्ययन से तथा तत्पश्चात की जॉच परीक्षण की वैधता से होती है।

मापनी विधियों का वर्गीकरण

  1. सामाजिक अन्तर मापनी
  2. प्रत्यय भिन्नता मापनी
  3. क्यू विधि
  4. आत्म निर्धारण विधि
  5. आन्तरिक संगति मापनी
  6. गुप्त संCreation मापनी
  7. स्थिति मापनी
  8.  निर्धारण मापनी

निर्धारण मापनी के प्रकार

निर्धारण मापनी का वर्गीकरण अनेक प्रकार से Reseller जाता है। यहाँ पर गिलफोर्ड का वर्गीकरण जो अधिकांश व्यक्तियों द्वारा स्वीकृत है दिया जा रहा है-

  1. सांख्यिक मापनी
  2. ग्राफ मापनी
  3. स्तर मापनी
  4. स्ंचित बिन्दु मापनी
  5. बध्य विकल्प मापनी

एनेकडोटल रेकॉर्ड

रिकॉर्ड किए हुए अवलोकन एनेकडोटल रिकॉर्ड कहलाते हैं। ई. वार्टर्स के According एनेकडोटल रिकॉर्ड किसी विशेष घटना का अवलोकन होता है जो प्रतिदर्श के व्यवहार की व्याख्या करता है। यह व्यवहार धनात्मक या ऋणात्मक किसी भी प्रकार का हो सकता है लेकिन यह व्यवहार प्रतिदर्श का व्यवहार होना चाहिए न कि अवलोकनकर्ता का व्यवहार। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि एनेक्डोटल रिकॉर्ड किसी विशिष्ट परिस्थिति में लिखित अवलोकन होते हैं।

एनेकडोटल रेकॉर्ड  विशेषताए

  1. एनेकडोटल रेकॉर्ड वस्तुनिष्ठ, तथ्यात्मक होते हैं।
  2. ये सतत् तथा संचयी होते हैं।
  3. इनकी प्रकृति descriptionात्मक होती है।
  4. एनेकडोटल रेकॉर्ड में जो देखा या सुना अवलोकन होता है वही लिखित होता है इसमें कोई अनुमान या पूर्वानुमान नहीं होते हैं।
  5. एनेकडोटल रिकॉर्ड में अवलोकनकर्ता किसी विशिष्ट व्यवहार का ही अवलोकन करता है और रेकॉर्ड करता है।
  6. इनमें अमूर्त कथनों या विचारों के स्थान पर मूर्त विचारों का उपयोग Reseller जाता है।
  7. एनेकडोटल रेकॉर्ड को लिखते समय अत्याधिक संवेगात्मक संबंधों को दर्शाने वाले Wordों जैसे धृणा, ईमानदारी, बेईमानी, प्यार जैसे Wordों का उपयोग नहीं Reseller जाता है।
  8. एनकडोटल रेकॉर्ड में उन Wordों का उपयोग उचित नहीं माना जाता है जिनमें अवलोकनकर्ता का मत या निर्णय झलकता हो।

एनेकडोटल रेकॉर्ड के प्रकार

  1. एनेकडोटल रेकार्ड में व्यवहार की संक्षिप्त व्याख्या तथा वस्तुनिष्ठता होती है।
  2. एनेकडोटल रेकॉर्ड में व्याख्या तथा टिप्पणी होती है।
  3. एनेकडोटल रेकॉर्ड के Third प्रकार में व्यवहार की व्याख्या, टिप्पणी के साथ व्याख्या होती है।
  4. एनेकडोटल रेकॉर्ड के Fourth प्रकार में व्यवहार की व्याख्या, टिप्पणी, स्पष्टीकरण के साथ ही भविष्य के लिए सुझााव होते हैं।

मानकीकृत तथा अध्यापक निर्मित उपकरण

प्रमापीकृत परीक्षण तथा अध्यापक निर्मित परीक्षण- प्रमापीकरण के आधार पर उपकरण को मुख्यत: दो वर्गो में विभाजित Reseller जाता है। ऐसे परीक्षण जिन्हें मनोवैज्ञानिकों, शिक्षा शास्त्रियों प्रकाशन गृहों, मनोवैज्ञानिक ब्यूरों या अनुसन्धान संस्थओं द्वारा अनेक अन्वेषकों की सहायता से बहुत बड़े समूह पर प्रशासित Reseller जाता है तब इनकी वैधत, विश्वसनीयता And मानकों को ज्ञात Reseller जाता हैं प्रमापीकृत उपकरण कहलाते हैं।

Single प्रमापीकृत उपकरण वह है, जिसकी विधि, यन्त्र और फलांकन विधि First से ही इस प्रकार निश्चित हो कि उसे विभिन्न स्थानों पर, विभिन्न समय में उसी क्षमता के साथा प्रशासित Reseller जा सके। क्रोनबेक के Wordों में “A standardized test is one in which the procedure] apparatus and scoring have been fixed so that precisely the same test can be given at different times and places.”

कुछ लोग केवल ऐसे उपकरणों को प्रमापीकृत उपकरण कहते हैं जिनके लिए मानकों की तालिका दी हुई हो। बहुत से ऐसे परीक्षण भी हो सकते हैं जिनकी विधि First से निश्चित न हो पर उनके मानक उपलब्ध हों दूसरी ओर प्रमापीकृत विधि के होते हुए भी मानक न दिये हों। यहाँ हम यह बताना चाहते हैं कि केवल मानकों को Singleत्रित करना मात्र लाभप्रद नहीं होता, जब तक कि परीक्षण की विधि और फलांकन प्राप्त करने की प्रक्रि का विस्तृत वर्णन न दिया गया हो। इस सम्बन्ध में एनास्तासी ने लिखा है कि “Standardization implies uniformity of procedure in administering and scoring the test.”

अध्यापक निर्मित उपकरण वे हैं जिन्हें अध्यापक स्थानीय प्रयोग के लिए ज्ञानापार्जन, व्यक्ति रूचि अभिवृत्तियों आदि के मापने हेतु समय समय पर बनाते हैं ये उपकरण Single कक्षा में, Single स्कूल या कई स्कूलों में Single साथ भी प्रयोग किये जा सकते हैं। इनके बनाने में अनेक अध्यापकों सामूहिक सहयोग सम्भव है और यदि किन्हीं परिस्थितियों में इनका मुद्रण या प्रकाशन होता है तो यह प्रमापीकृत नहीं हो पाता। इनका उपयोग प्राय: स्कूल के बाहर नहीं हो सकता। अध्यापक निर्मित परीक्षण में, निबन्धात्मक, वस्तुनिष्ठ And निदानात्मक परीक्षणें को सम्मिलित Reseller जा सकता है। इनका प्रयोग स्थानीय उद्देश्यों की पृर्ति के लिए Reseller जाता है अत: इनका उपयोग सीमित होता है।

भावात्मक अधिगम का आकलन क्या है?

भावात्मक अधिगम (Affective learning) यह जीव की भावनाओं से संबंधित अधिगम है। यदि किसी बालक को चित्र, रंग, संकेत, आकृति, लुभावनी वस्तु, संवेग शब्द आदि को आधार मानकर सिखाया जाता है तो यह भावनात्मक अधिगम कहलाता है। जैसे ट्रैफिक के सिग्नल को देख कर गाड़ी को रोकना सीखना, जीवविज्ञान में चित्रों के माध्यम से सिखाना आदि।

आकलन के विभिन्न तरीके कौन कौन से हैं?

आकलन करने के चार मूलभूत तरीके हैं- Page 10 आकलन व्यक्तिगत आकलन- एक बच्चे को केंद्र में रखते हुए किया गया आकलन जब वह कोई गतिविधि / कार्य करता है और उसे पूर्ण करता है । उपयुक्त पाया गया है। स्व–आकलन–बच्चे द्वारा स्वयं के सीखने तथा ज्ञान, कौशल, प्रक्रियाओं, रुचि, व्यवहार आदि में प्रगति के स्व – आकलन से संबंधित है।

आकलन से आप क्या समझते हैं आकलन के विभिन्न तरीकों की व्याख्या करें?

आकलन का अर्थ इसमें छात्रों का बिना अंक तथा ग्रेडिंग के मूल्यांकन किया जाता है। आकलन को सीखने की प्रकिर्या का एक हिस्सा भी कहा जा सकता है। इससे अभिप्राय सीखने- सिखाने की प्रकिर्या में सुधार करने से है। अगर शिक्षा या सीखने-सिखाने को जीवन भर जारी रखना है तो ये सुधार आवश्यक हैं

अधिगम के रूप में आकलन से क्या तात्पर्य है?

अधिगम के लिए आकलन, इसे शिक्षार्थी के ज्ञान, समझ, कौशल और मूल्यों को विकसित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने में मदद करता है जिसे वे अपने व्यवहार में प्रतिबिंबित करने में सक्षम होते हैं। यह छात्रों की क्षमताओं, आवश्यकताओं और त्रुटियों को ध्यान में रखता है।