छंद (Chhand) छप्द धातु से बना है। जिसका अर्थ होता है, खुश करना या अल्हादित करना। Show
छन्द को हम पिंगल के नाम से भी जानते हैं। क्यूंकि इसके प्रणेता (जन्मदाता) पिंगल नाम के ऋषि थे।
छन्द के निम्नलिखित 7 अंग होते है।१) चरण / पद / पादछन्द के प्रायः 4 चरण होते हैं, इनमें से प्रत्येक को चरण, पद या पाद कहतें हैं। २) वर्ण और मात्राएक स्वर वाली ध्वनि को वर्ण कहते हैं, चाहे वो हृस्व हो या दीर्घ । वर्ण : ये 2 प्रकार के होते हैं। मात्रा : ध्वनि के उच्चारण काल को मात्रा कहते हैं। प्रायः हृस्य के लिए एक मात्रा लघु (।) का प्रयोग किया जाता है। दीर्घ के लिए 2 मात्रा गुरु (ऽ) का प्रयोग किया जाता है। ३) संख्या और क्रमवर्णों और मात्राओं की गणना को संख्या तथा लघु – गुरु के स्थान निर्धारण को क्रम कहते हैं। ४) गणगणो की संख्या 8 होती है। इस सूत्र (यमाताराजभानसलगा) से 8 प्रकार के गण एवं उनपर लगने वाली मात्राओं को जान लेते हैं। गण – ‘उदाहरण’ – चिन्ह
५) गतिछन्द के पढ़ने के प्रवाह को गति कहते हैं। ६) यति या विरामछंदों को पढ़ते समय नियमानुसार रुकने की प्रक्रिया को यति/विराम कहते है। ७) तुकछन्द के लयबद्ध प्रवाह को तुक कहते है। तुक 2 प्रकार के होते है। १) तुकान्त छंद – जिस छन्द मे तुक मिल जाए उसे तुकान्त छन्द कहते हैं। छंद कितने प्रकार के होते है ?छन्द निम्न तीन प्रकार के होते है। (1) वर्णिक छंदवर्णों के गणना के आधार पर की जाने वाले छंदों की रचना को वर्णिक छन्द कहते हैं। ये मुख्यतः 2 रूप मे विभाजित हैं। मालिनी छंदयह ।ऽ वर्ण का होता है। इसके सातवें और आठवें वर्ण पर यति गिरता है। उदाहरण : ।। ।। ।। ऽऽ ऽ। ऽऽ ।ऽ ऽ भुजंग प्रयात छन्दयह 12 वर्ण का होता है। भुजंग प्रयात के पहले, चौथे, सातवें, दसवें वर्ण लघु तथा बाकी के बचे वर्ण गुरु होते हैं। कलातीत कल्याण कल्पांत कारी (2) मात्रिक छंद‘मात्रिक छन्द’ के सभी चरणों में मात्राओं की समानता का पालन होता है। किंतु लघु और गुरु के स्वरूप का बिल्कुल भी पालन नही किया जाता है। ये निम्न प्रकार के होते हैं। दोहा छंददोहा के 4 चरण होते है। इसके प्रथम और तृतीय चरण मे 13 – 13 मात्राएं तथा दूसरे और चौथे चरण मे 11 – 11 मात्राएं होते हैं। विषम : 13, 13 ऽऽ ।। ऽऽ
।ऽ ऽऽ ऽ।। ऽ। सोरठा छंदयह दोहे का उल्टा होता है। उदाहरण : मूक होई बाचाल, पंगु चढ़ई गिरिवर गहन बंदो गुरु पदभंज, कृपा सिंधु नर रूप हरि रोला छन्दयह सोरठा की जुड़वा बहन होती है। इसके प्रथम एवं तृतीय मे 11 – 11 मात्रा तथा द्वितीय एवं चौथे चरण मे 13 – 13 मात्राएं होते हैं। चरण के अंत मे गुरु (ऽ) होता है। विषम – 11, 11 उदाहरण : ।ऽ ।ऽ ऽ ऽ। ऽ। ।। ऽऽ ऽऽ चौपाई छन्दचौपाई के प्रत्येक चरण मे 16 – 16 मात्राएं होती है। उदाहरण : ।। ।। ऽ। ।ऽ। ।ऽऽ बरवै छंदइसके प्रथम एवं तृतीय चरण मे 12 – 12 मात्राएं और द्वितीय एवं चौथे चरण मे 7 – 7 मात्राएं होते हैं। एक ही पंक्ति मे 19 मात्रा होती है। उदाहरण : ऽ। ऽ। ।। ऽ।। ।ऽ ।ऽ। कुण्डलिया (दोहा + रोला) छन्दयह 6 चरण होता है। प्रथम के 2 चरण दोहे के और अंतिम 4 चरण रोला के होते हैं। नोट : कुण्डलिया जिन शब्दों से प्रारंभ होते है, उन्ही शब्दों से उनका अंत होता है। जैसे : साई बैर न कीजिए, गुरु पण्डित कवि यार हरिगीतिका छंदइसके प्रत्येक चरण मे 28 – 28 मात्राएं होती हैं। चरण के अंत मे गुरु अथवा 2 लघु वर्ण होते हैं। उदाहरण : कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए उल्लाला छंदयह अर्ध सममात्रिक छन्द है, यह 4 चरण का होता है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण मे 15 – 15 मात्राएं और द्वितीय एवं चौथे चरण मे 13 – 13 मात्राएं होती है। चारों चरण मे कुल 56 मात्राएं लगती है। उदाहरण :
छप्पय छन्दयह विषयमात्रिक संयुक्त छन्द है। इसमें 6 चरण होते है, प्रथम 4 चरण रोला और अंतिम 2 उल्लाला छन्द के होते हैं। उदाहरण : ।ऽ ।ऽ। ।ऽ। । ।।ऽ ।। ऽ ।। ऽ (3) मुक्त छंदमुक्त छन्द के प्रणेता “सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी” को माना जाता है। निराला जी की प्रथम रचना “जूही की कली” को प्रथम मुक्त छन्द रचना माना जाता है।
छंद के अंग कितने है?किसी भी छंद में गति, यति, मात्रा, वर्ण, तुक, लय (गेयता का ढंग), गण, पद और चरण ये 9 अंग होते हैं ।
छंद कितने प्रकार के होते हैं?छंद चार प्रकार के होते हैं—मात्रिक, वर्णिक, वर्णिक वृत्त एवं मुक्त।
छंद क्या है छंद के प्रकार?मात्रिक छन्द. चौपाई यह सममात्रिक छन्द है, इसमें चार चरण होते हैं। ... . रोला (काव्यछन्द) यह चार चरण वाला मात्रिक छन्द है। ... . हरिगीतिका यह चार चरण वाला सममात्रिक छन्द है। ... . दोहा यह अर्द्धसममात्रिक छन्द है। ... . सोरठा यह भी अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। ... . उल्लाला इसके प्रथम और तृतीय चरण में । ... . छप्पय यह छः चरण वाला विषम मात्रिक छन्द है। ... . छंद की परिभाषा क्या है?अक्षर, अक्षरों की संख्या, मात्रा, गणना, यति, गति को क्रमबद्ध तरीके से लिखना chhand कहलाती हैं। जैसे – चौपाई, दोहा, शायरी इत्यादि। छंद शब्द 'चद' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है – खुश करना।
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