प्रिय पाठक! स्वागत है आपका the eNotes के एक नए आर्टिकल में, इस आर्टिकल में हम पढेंगे कि छंद किसे कहते हैं? (Chand kise kahate hain) और साथ ही छंद के प्रकार और उदाहरण भी देखेंगे। इससे पहले हम तत्सम–तद्भव, और संज्ञा पढ़ चुके हैं। छंद को काव्य सौन्दर्य के अंतर्गत पढ़ा जाता है। तो आईये विस्तार से पढ़ते हैं कि, Chand kise kahate hain- Show
जब वर्णों की संख्या, क्रम, मात्र-गणना तथा यति-गति आदि नियमों को ध्यान में रखकर पद्य रचना की जाती है उसे छंद कहते हैं। या फिर जिस शब्द-योजना में वर्णों या मात्राओं और यति-गति का विशेष नियम हो, उसे छन्द कहते हैं छंद की परिभाषावर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लादित पैदा हो तो उसे छंद कहते हैं। छंद को पिंगल भी कहा जाता है, यह छंद-शास्त्र के प्रणेता ऋषि पिंगल के नाम पर पड़ा है। छंद का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। जिस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण होता है, उसी प्रकार पद्य का छंद शास्त्र है। छंद से संबन्धित पारिभाषिक शब्द (छंद के अंग)छंद के मुख्य 7 अंग निम्नलिखित हैं-
1. चरण / पद / पाद –प्रायः छन्द के 4 भाग होते हैं, जिन्हें विराम चिन्हों से अलग किया जाता है, इनमें से चतुर्थ भाग को चरण / पद / पाद कहतें हैं। हर पाद में वर्णों या मात्राओं की संख्या निश्चित होती है। चरण 2 प्रकार के होते हैं समचरण:- दूसरे और चौथे चरण को समचरण कहते हैं। 2. वर्ण और मात्रा –किसी भी वर्ण को उच्चारित करने में लगने वाला समय मात्रा कहलाता है। छंद शास्त्र में स्वरों को ही वर्ण माना जाता है, यह दो प्रकार की होती हैं-ह्रस्व और दीर्घ जिसमे ह्रस्व को लघु और दीर्घ को गुरु पढ़ा जाता है। लघु वर्ण- लघु वर्ण के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है। अ, इ, उ, ऋ आदि लघु वर्ण हैं,
इसका का चिह्न ‘।’ है। नोट:- 1. जिस ध्वनि में स्वर नहीं होते उसे वर्ण नहीं माना जाता है। 3. संख्या और क्रम-वर्णों की मात्रा गणना को संख्या तथा लघु-गुरु के क्रम को निर्धारित करने को क्रम कहते हैं। 4. गण-गण का शाब्दिक अर्थ समूह होता है, यह तीन वर्णों का समूह होता है। दुसरे शब्दों में इसे यह भी कह सकते हैं कि, लघु-गुरु के नियत कर्म से तीन वर्णों के समूह को गण कहते हैं। इनकी संख्या 8 होती है, जो निम्नलिखित हैं-यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, भगण, नगण तथा सगण। 5. गति-मधुरता लाने के लिए छंद में निश्चित वर्णों या मात्राओं तथा यति के प्रयोग से विशेष प्रकार की संगीतात्मक लय निकाला जाता है और इसी संगीतात्मक लय को गति कहते हैं। 6. यति / विराम-छंद पढ़ते समय एक नियमित समय पर जब सांस लेने के लिए रुका जाता है, इसी रुकने वाले स्थान को यति या विराम कहा जाता है। साधारणतः छोटे छंदों में विराम स्थान अंतिम में होते है, जबकि बड़े-बड़े छंदो में विराम स्थान बीच-बीच में ही होता है। 7. तुक-छन्द के प्रत्येक चरण के अन्त में अक्षर-मैत्री (स्वर-व्यंजन की समानता) को तुक कहते हैं। जिस छंद में तुक होता है, उसे तुकान्त तथा जिसमे छन्द में तुक नहीं होता है, उसे अतुकान्त कहते हैं। छंद के प्रकार और उदाहरणहिन्दी में छंद 3 प्रकार के होते है- वर्णिक छंद, मात्रिक छंद और मुक्तक छंद वर्णिक छंद-जिन छंदों में केवल वर्णों की संख्या और नियमों का पालन किया जाता है, उसे वर्णिक छंद कहते हैं। वर्णिक छंद के सभी चरणों में वर्णों की संख्या समान रहती है और लघु-गुरु का क्रम भी समान रहता है। मात्रिक छंद-मात्रिक शब्द-नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि यह मात्रा से सम्बन्धित है- अतः इसे कह सकते हैं कि जिन छंदों की रचना मात्राओं की गणना के आधार पर की जाती है उन्हें मात्रिक छंद कहते हैं। अर्थात मात्रा की गणना के आधार पर की गयी पद की रचना को मात्रिक छंद कहते हैं। मात्रिक छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या सामान रहती है। मात्रिक छंद भी 3 प्रकार के होते हैं। मुक्तक या रबड़ छंद-मुक्तक छंद को सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की देन माना जाता है, क्योकि भक्तिकाल तक इसका कोई अस्तित्व नहीं था। मुक्तक छंद नियमबद्ध नही होते हैं, इनमे कोई नियम नहीं होता है सिर्फ़ स्वछंद गति और भावपूर्ण यति ही मुक्तक छंद की पहचान हैं। लेख के बारे में- the eNotes किसी भी प्रकार की जानकारी रिसर्च के बाद ही उपलब्ध कराता है, इस बीच अगर कोई पॉइंट छुट गया हो, स्पेल्लिंग मिस्टेक हो, या फिर आप किसी अन्य प्रश्न का उत्तर ढूढ़ रहें है तो उसे कमेंट बॉक्स में अवश्य पूछें या फिर हमें [email protected] पर मेल करें। ऐसे ही हिन्दी व्याकरण पढते रहने के लिए हमे टेलीग्राम पर फॉलो करें। छंद से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए?अक्षर, अक्षरों की संख्या, मात्रा, गणना, यति, गति को क्रमबद्ध तरीके से लिखना chhand कहलाती हैं। जैसे – चौपाई, दोहा, शायरी इत्यादि। छंद शब्द 'चद' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है – खुश करना। छंद में पहले चार चरण हुआ करते हैं।
1 छंद से आप क्या समझते हैं?छंद की परिभाषा: Chhand Ki Paribhasha
छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है। इस प्रकार, छंद की परिभाषा होगी 'वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं'।
छंद किसे कहते हैं छंद के कितने भेद होते हैं?छन्द के मुख्य तीन भेद हैं (क) वर्णिक, (ख) मात्रिक और (ग) मुक्तक या रबड़। वर्णिक छंद: जिनमें वर्णों की संख्या, क्रम, गणविधान तथा लघु-गुरू के आधार पर रचना होती है। मात्रिक छंद: जिनमें मात्राओं की संख्या, लघु-गुरू, यति-गति, के आधार पर पद-रचना होती है। मुक्तक छन्द: इनमें न वर्णों की गिनती होती है, न मात्राओं की।
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