डिलीवरी के बाद क्या क्या ध्यान रखना चाहिए? - dileevaree ke baad kya kya dhyaan rakhana chaahie?

आज हर किसी का जीवन बहुत व्यस्त हो गया है। लोग जीवन के कामों के पीछे भाग दौड़ में लगे हुए हैं। आमतौर पर इस भागदौड़ के बीच पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है क्योंकि इन्हे ऑफिस और घर दोनों के कामों को संभालना होता है। ऐसे में अगर कोई महिला प्रेगनेंट है तो उसे बहुत ही सावधान होने की जरुरत होती है। प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए उसके जीवन के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक होती है। हर महिला अपने जीवन में कम से कम एक बार मां बनने का सुख पाना चाहती है।  

प्रेगनेंट होने के बाद महिला के जीवन में सावधानी बरतने की जरुरत ज्यादा पड़ती है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान एक छोटी सी भी गलती मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में एक प्रेगनेंट महिला के लिए जरूरी है की वह कुछ खास बातों का ध्यान रखे ताकि वह स्वस्थ रहे और उसका शिशु तंदुरुस्त पैदा हो सके। 

कई बार एक छोटी सी लापरवाही की वजह से नार्मल डिलीवरी में कितनी परेशानियां आ जाती हैं और ऐसी स्थित में बस ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय बचता है। ऑपरेशन करने के बाद महिला और शिशु दोनों को काफी दिक्कतें का सामना करना पड़ता है। इसलिए हर एक महिला चाहती है की उसके शिशु की नार्मल डिलीवरी हो।   

  • नार्मल डिलीवरी क्या है ?
  • डिलीवरी से संबंधित सही जानकारी लें
  • परिवार वालों के साथ रहें
  • सही डॉक्टर का चुनाव करें
  • एक अनुभवी दाई रखें
  • तनाव से दूर रहें
  • निगेटिव बातों से दूर रहें
  • खुद को हाइड्रेट रखें 
  • वजन का ध्यान रखें
  • उठते और बैठते समय ध्यान रखें
  • व्यायाम और योग करें
  • डॉक्टर के संपर्क में रहें 
  • किसी भी बात को मन में न रखें 
  • खान पान का ध्यान रखें
  • इन चीजों से बचें 
  • अच्छी नींद लें 
  • शरीर के निचले हिस्से की मालिश करें
  • पेरेनियल मालिश करें
  • नार्मल डिलीवरी के फायदे

नार्मल डिलीवरी क्या है ?

नार्मल डिलीवरी एक प्रक्रिया है जिसमें शिशु का जन्म प्राकृतिक तरीके से महिला के वजाइना से होता है। इसमें किसी तरह की कोई चीरफाड़ की जरूरत नहीं पड़ती है। प्रेगनेंसी के दौरान किसी तरह की परेशानी न होने पर महिला को नार्मल डिलीवरी होती है। नार्मल डिलीवरी कितने समय में पूरा होगा यह महिला के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अगर महिला पहली बार शिशु को जन्म दे रही है तो उसे सात से आठ घंटे का समय लग सकता है और अगर महिला दूसरी बार शिशु को जन्म दे रही है तो समय और कम लगता है।   

नार्मल डिलीवरी करने और ऑपरेशन से बचने के लिए आपको अपने लाइफ स्टाइल और खान पान पर खासकर ध्यान देने के जरूरत होती है। नीचे हम कुछ टिप्स दे रहे हैं जिनकी मदद से आप नार्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ा सकती हैं और ऑपरेशन की संभावना को खत्म कर सकती है।

डिलीवरी से संबंधित सही जानकारी लें

गलत इन्फॉर्मेशन होने की वजह से आपके मन में डर पैदा हो सकता है लेकिन सही इन्फॉर्मेशन हर डर को दूर कर देती है। इसलिए प्रेगनेंसी से संबंधित सही जानकारी लें। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से मिलकर बात कर सकती हैं। यह आपको डिलीवरी के समय मददगार साबित होगा। 

परिवार वालों के साथ रहें

प्रेगनेंसी के समय आपको अपने परिवार वालों के साथ रहना चाहिए। क्योंकि यह आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। इसलिए कोशिश करें की प्रेगनेंसी के समय आपके साथ आपके अपने लोग हों।

सही डॉक्टर का चुनाव करें

सही डॉक्टर का चुनाव करना बहुत जरूरी है। कई बार डॉक्टर अपने फायदे के लिए नार्मल डिलीवरी की स्थिति में भी ऑपरेशन करने का सुझाव देने और डराने लगते हैं जिससे आपको और शिशु को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे डॉक्टर का चुनाव करें जो आपके शरीर की स्थिति को देखकर आपको सही सलाह दे और कोशिश करे की आपको नार्मल डिलीवरी हो।

एक अनुभवी दाई रखें

प्रेगनेंसी के दौरान एक अनुभवी दाई रखने के कई फायदे हैं। दाई को प्रेगनेंसी और नार्मल डिलीवरी से संबंधित सभी जानकारियां होती हैं। ये आपकी आधी परेशानियों को खत्म कर देती हैं। इन्हे नार्मल डिलीवरी के लिए क्या क्या करना चाहिए आदि सभी चीजें पता होती हैं जो आपके नार्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ा सकती हैं। साथ ही इन्हे जन्म के बाद शिशु की कैसे देख रेख करनी है इसका भी अनुभव होता है। प्रेगनेंसी के समय अपने पास एक अनुभवी दाई रखने की कोशिश करें।      

तनाव से दूर रहें

तनाव कई बीमारियों का कारण है। प्रेगनेंसी के दौरान आपको तनाव से बिलकुल दूर रहना चाहिए। यह आप और आपके शिशु दोनों की सेहत के लिए जरूरी है। तनाव से दूर रहने के लिए आप मेडिटेशन कर सकती हैं, अपने पसंद का म्यूजिक सुन सकती और किताबें पढ़ सकती है। 

निगेटिव बातों से दूर रहें

प्रेगनेंसी के समय आपको नेगेटिव यानी की नकारात्मक बातों से दूर रहना चाहिए। क्योंकि यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। प्रेगनेंसी से संबंधित सुनी सुनाई कहानियों या बातों पर यकीन न करें। आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की हर एक महिला का अनुभव अलग अलग होता है। दूसरी महिला के बुरे अनुभव की वजह से आप अपने अंदर डर या नेगिटिव सोच पैदा न करें। 

खुद को हाइड्रेट रखें 

हमेशा अपने आप को हाइड्रेट रखें। प्रेगनेंसी के समय ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और एक दो ग्लास ज्यूस भी पी सकती है। ऐसा करने से नार्मल डिलीवरी में आसानी होती है। साथ ही ज्यादा मात्रा में पानी पीने से पेट में गैस या कब्ज की समस्या नहीं होती है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बहुत आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

वजन का ध्यान रखें

प्रेगनेंसी के समय वजन बढ़ना सामान्य बात है। लेकिन जरूरत से ज्यादा वजन बढ़ना भी सही नहीं है। इसलिए अपने वजन को सामान्य रखने की कोशिश करें। मोटापा का आप और आपके शिशु पर बुरा असर पड़ सकता है। 

उठते और बैठते समय ध्यान रखें

प्रेगनेंसी के दौरान आपका उठना, बैठना और सोना, ये तीनों चीजें आपके पेट में पल रहे शिशु पर असर डाल सकती हैं। इसलिए अपने शरीर की पोजीशन का हमेशा ध्यान रखें। सही तरीके उठे, बैठे और सोएं ताकि शिशु पर किसी तरह का कोई प्रभाव न पड़े।

व्यायाम और योग करें

प्रेगनेंसी के दौरान व्यायाम और योग करने से आपको किसी तरह का कोई तनाव नहीं होता है और आपका शरीर भी बिलकुल चुस्त और दुरुस्त रहता है। डॉक्टर से सलाह लेने के बाद रोज सुबह में हल्का फूलका व्यायाम और दिन में कभी भी थोड़े समय के लिए योग करने की कोशिश करें। 

डॉक्टर के संपर्क में रहें 

प्रेगनेंसी के दौरान पूरे नौ महीने तक अपने डॉक्टर से संपर्क में रहें और नियमित रूप से अपना चेकअप करवाते रहें। ऐसा करने से आपको कॉन्फिडेंस आता है साथ ही प्रेगनेंसी से जुड़े आपके सभी शक भी दूर हो जाते हैं। 

किसी भी बात को मन में न रखें 

डिलीवरी या नार्मल डिलीवरी से संबंधित किसी भी बात को अपने मन में न रखें बल्कि अपने डॉक्टर से बात करें और उनसे संबंधित सही जनाकरी लें। बातों को मन में दबाने से गुस्सा आता है जिसकी वजह से आपको तनाव हो सकता है। 

खान पान का ध्यान रखें

सही खान पान आपकी नार्मल डिलीवरी में बहुत मदद करते हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के समय आपको खान पान पर खास ध्यान देना चाहिए। कोशिश करें की आपको कैल्शियम या आयरन की कमी न हो। 

अपने डाइट में हरी सब्जियां, ज्यूस, अंडा, फल आदि शामिल करें। ये आपके पेट में पल रहे शिशु की सेहतमंद रखने में सहायता करते हैं। अगर किसी तरह की कोई परेशानी है तो खान पान से संबंधित चीजों के बारे में आप अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं।

इन चीजों से बचें 

कच्चे अंडे, सिगरेट, शराब, कैफीन, मछली, कच्चा पपीता, कच्ची अंकुरित चीजें, पनीर, कच्चा मांस, घर पर बनी आइसक्रीम, जंक फूड्स, फास्ट फूड्स, ज्यादा तेल और मसालेदार चीजें अदि से परहेज करें। ये आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। 

अच्छी नींद लें 

अच्छी और जरुरत मुताबिक नींद सोना आपके नार्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाता है साथ ही आपको फिट रखता है। पर्याप्त मात्रा में नींद सोना और आराम करना आप और आपके शिशु के लिए सेहतमंद होता है। रात को समय से सोने और सुबह समय से उठने की कोशिश करें। रात में देर तक टीवी देखने से बचें और सात से आठ घंटा सोने की कोशिश करें। (और पढ़े: प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए? (How to sleep in pregnancy?) )

शरीर के निचले हिस्से की मालिश करें

प्रेगनेंसी के सातवे महीने के बाद आप अपने शरीर के निचले हिस्से की मालिश करना शुरू कर सकती हैं। ऐसा करने से नार्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ती है साथ ही डिलीवरी के समय दर्द भी कम होता है। 

पेरेनियल मालिश करें

यह मालिश करने से नार्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ती है साथ ही डिलीवरी के समय होने वाली तकलीफें भी कम हो जाती हैं। प्रेगनेंसी के 34वे सप्ताह में इस मालिश को शुरू किया जा सकता है। इस मालिश को करने के लिए बादाम का तेल इस्तेमाल किया जाता है। आपको यह मालिश दिन में पांच से सात मिनट तक करनी है। 

नार्मल डिलीवरी के फायदे

नार्मल डिलीवरी होने पर आपको या आपके शिशु दोनों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता है बल्कि यह दोनों के सेहत अच्छा है। डिलीवरी के बाद आपको ठीक होने में बहुत कम समय लगता है और आप अपने शिशु को तुरंत दूध पीलाना शुरू कर सकती हैं। नार्मल डिलीवरी में आपको किसी तरह का कोई कट, टांके या रक्स्राव नहीं होता है। इसलिए डिलीवरी के बाद आपको किसी तरह का कोई दर्द या तकलीफ नहीं होती है और नाही इंफेक्शन होने का कोई खतरा होता है। 

नार्मल डिलीवरी होने पर शिशु अपने आपके पास ही रहता है जबकि ऑपरेशन करने की स्थिति में शिशु को कुछ समय के लिए आपसे दूर रखा जाता है। शिशु आपके पास होने से उसे तुरंत मां का दूध मिलता है जिसकी वजह से पोलियो या दूसरी समस्या होने का खतरा खत्म हो जाता है। कुल मिलाकर नार्मल डिलीवरी आप और आपके शिशु दोनों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है और आप दोनों चुस्त और दुरुस्त होते हैं। 

आगे पढ़े:

  • प्रेगनेंसी के नौवें महीने में नॉर्मल डिलीवरी के लिए इन बातों का रखें ख्याल
  • प्रेगनेंसी में 25 सावधानियां बरतें

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

डिलीवरी के बाद क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

डिलीवरी के बाद पहले सप्‍ताह में बिस्‍तर पर ही आराम करें, दूसरे सप्‍ताह में शिशु के काम करना शुरू करें। अगर तीन सप्‍ताह के बाद आप ठीक महसूस कर रही हैं ताे घर से बाहर निकल सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि नौ महीने की प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद शरीर को कम से कम 40 दिनों का आराम जरूर देना चाहिए

डिलीवरी के बाद अपना ध्यान कैसे रखें?

हल्का गर्म पानी दर्द में राहत देने और सूजन को कम करने में मदद करता है। अपनी श्रोणि मांसपेशियों के व्यायाम करना याद रखें। शिशु के जन्म के बाद जितना जल्द हो सके, इन्हें शुरु करें और इन्हें करना जारी रखें। व्यायाम से इस क्षेत्र में रक्त का प्रवाह बढ़ेगा और यह जल्दी ठीक होगा।

डिलीवरी के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

डिलीवरी के बाद क्‍या नहीं खाना चाहिए आप इस समय कब्‍ज और खांसी करने वाली चीजें न खाएं। ऐसा कोई काम न करें जिससे आंखों पर प्रेशर पड़ता हो। अगर आपको सिजेरियन डिलीवरी के बाद कब्‍ज है या आपको अक्‍सर कब्‍ज रहती है, तो पपीता और दूध लें। खट्टी चीजें न खाएं और हेल्‍दी चीजों को भी सीमित मात्रा में ही खाएं।

डिलीवरी के बाद कितना आराम जरूरी है?

सीज़ेरियन डिलीवरी: यदि आपकी सीज़ेरियन डिलीवरी हुई है तो आपको कम से कम एक महीने से पहले एक लंबी यात्रा का चयन नहीं करना चाहिए। पहले महीने में ऑपरेशन की सिलाई कच्ची होती है और कई बार आपको नियमित ड्रेसिंग की आवश्यकता भी होती है। टाँके तो निकल जाते हैं, लेकिन डॉक्टर कम से कम 30 दिन बिस्तर पर आराम करने की सलाह देते हैं।

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