एक दिन जब गुल्ली डंडा खेलने के बाद लेखक बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई? - ek din jab gullee danda khelane ke baad lekhak bade bhaee saahab ke saamane pahuncha to unakee kya pratikriya huee?

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Question

एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

Solution

एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचे तो उनकी प्रतिक्रिया बहुत भयानक थी। वह बहुत क्रोधित थे। उन्होंने छोटे भाई को बहुत डाँटा। उन्होंने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। गुल्ली-डंडा खेल की उन्होंने बहुत बुराई की। उनके अनुसार यह खेल भविष्य के लिए लाभकारी नहीं है। अतः इसे खेलकर उन्हें कुछ हासिल नहीं होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि अव्वल आने पर उसे घंमड हो गया है। उनके अनुसार घमंड तो रावण तक का भी नहीं रहा। अभिमान का एक-न-एक दिन अंत होता है। अतः छोटे भाई को चाहिए कि घमंड छोड़कर पढ़ाई की ओर ध्यान दे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

एक दिन जब गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुंचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचे तो उनकी प्रतिक्रिया बहुत भयानक थी। वह बहुत क्रोधित थे। उन्होंने छोटे भाई को बहुत डाँटा। उन्होंने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा।

बड़े भाई साहब छोटे भाई साहब से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?

बड़े भाई छोटे भाई से हर समय एक ही सवाल पूछते थे-कहाँ थे? उसके बाद वे उसे उपदेश देने लगते थेप्रश्न 3.

बड़े भाई साहब छोटे भाई से प्रश्न करके क्या उपदेश देते थे?

Answer: बड़े भाई साहब छोटे भाई के होशियार होने के बाद भी चाहते थे कि वह हरदम पढ़ता रहे और अच्छे अंकों से पास होता रहे। इसलिए वे उसे हमेशा सलाह देते कि ज़्यादा समय खेलकूद में न बिताए, अपना ध्यान पढ़ाई में लगाए। वे कहते थे कि अंग्रेजी विषय को पढ़ने के लिए दिनरात मेहनत करनी पड़ती है।

बड़े भाई साहब की डाँट सुनकर लेखक के मन में क्या विचार आता?

बड़े भाई की डाँट सुनकर लेखक का मन करता कि पढ़ाई छोड़ दी जाए परंतु घंटे-दो-घंटे मन खराब करने के बाद खुब जी लगाकर पढ़ने का भी इरादा बन जाता। यही कारण था कि थोड़ा पढ़कर भी लेखक अव्वल आ जाता। लेकिन इस सफलता का श्रेय निश्चित रूप से बड़े भाई को ही जाता है। क्योंकि वे लेखक पर अंकुश रखते थे।