गिल्लू को मुक्त करके लेखिका की मान्यता कैसे प्रदर्शित होती है? - gilloo ko mukt karake lekhika kee maanyata kaise pradarshit hotee hai?

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Important Questions for Class 9 Hindi – B Sanchayan Gillu Chapter 1. myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 09 Hindi – B. There chapter wise Practice Questions with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These test papers with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 09 Hindi – B syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE for class 09.

CBSE Class 9 Hindi Ch – 1 

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  1. ‘पितर पक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है।’ अपने विचार लिखिए।

  2. अस्वस्थ लेखिका को ध्यान गिल्लू किस तरह रखता? इस कार्य से गिल्लू की कौन सी विशेषता का पता चलता हैं?

  3. गिल्लू की किन चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसको समय समीप है?

  4. ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर बताइए कि कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?

  5. लेखिका महादेवी वर्मा गिल्लू को अत्यधिक स्नेह करने के बावजूद लिफाफे में बंद क्यों कर देती थी?

  6. गिल्लू को मुक्त कराने की आवश्यकता क्यों समझी गयी और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किए।

  7. “घायलों की सहायता के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है”-गिल्लू के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि किसी घायल के प्रति आपके व्यवहार में क्या विशेषता होगी।

  8. गिल्लू लेखिका से बहुत प्रेम करता था। स्पष्ट कीजिए।

Ch-1 गिल्लू


Answer

  1. हिन्दू धर्म की मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार क्वार के महीने में श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों व पितरों को भोजन खिलाने के प्रथा है। इस प्रथा के तहत ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है। परन्तु पहले कौओं को भोजन कराया जाता है, कौए के भोजन खाने से पितरों की आत्मा तृप्त मानी जाती है। इसलिए पितरों को कुछ पाने के लिए काक बनकर आना पड़ता है।
  2. लेखिका को एक मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा था। लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी काम में भी मन नहीं लगता था। यहाँ तक कि उसने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना भी कम कर दिया था। वह हमेशा लेखिका का इंतजार करता रहता और किसी के भी आने की आहट सुनकर लेखिका के अस्पताल से लौट आने की उसकी उम्मीदें बढ़ जातीं। लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था। लेखिका को उसकी उपस्थिति एक परिचारिका की उपस्थिति महसूस होती। इन्हीं कारणों से लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका शब्द का प्रयोग किया है।
  3. सामान्यतः गिलहरी का जीवनकाल दो वर्ष का माना जाता है। जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया और वह बाहर भी घूमने नहीं गया। वह अपने झूले से नीचे उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आकर उसकी उँगली पकड़कर चिपक गया। इन सभी चेष्टाओं से लेखिका को लगा कि उसका (गिल्लू का) अंत समीप है और सुबह की पहली किरण के साथ ही वह हमेशा के लिए सो गया।
  4. कौए को समादरित और अनादरित प्राणी इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है, तो कभी इसका निरादर किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में लोग कौए को आदर सहित बुलाते हैं। पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए हमारे पूर्वजों को कौआ बनकर ही प्रकट होना पड़ता है-ऐसी मान्यता है। यह अतिथि के आने का भी संदेश देता है। इन बातों के कारण यह समादरित है लेकिन यही कौआ जब अपनी कर्कश आवाज में काँव-काँव करता है एवं गंदगी ख़ाता है, तो यह अनादरित हो जाता है।
  5. गिल्लू का महादेवी वर्मा से बहुत लगाव था वह लेखिका को ध्यान आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की शरारते तब तक किया करता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। इसलिए कभी-कभी लेखिका गिल्लू की शरारतों से परेशान हो उसे एक लम्बे लिफाफे में इस तरह रख देतीं कि सिर के अतिरिक्त उसका शेष शरीर लिफाफे के अंदर रहे। गिल्लू इसी स्थिति में मेज पर दीवार के सहारे घंटो खड़ा रहकर लेखिका के कार्यो को देखता। काजू या बिस्कुट देने पर उसी स्थिति में लिफाफे के बाहर वाले पंजो से पकड़कर उन्हे कुतर-कुतर कर खाता।
  6. जब गिल्लू के जीवन का पहला बंसत आया तब बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक की आवाज़ करके मानो कुछ कहने लगीं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकता रहता। तब लेखिका को लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है। इसलिए कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। ऐसे लगा कि गिल्लू ने इससे बाहर जाकर जैसे मुक्ति की सांस ली। लेखिका के हृदय में जीवों के प्रति दया का भाव था वह उनकी इच्छाओं का सम्मान करती थी। वह पशु-पक्षियों को किसी बंधन या कैद में नहीं रखना चाहती थी। जब उन्हें महसूस हुआ कि गिल्लू बाहर जाना चाहता है तो उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए स्वयं रास्ता दे दिया।
    • गिल्लू के घायल होने पर लेखिका द्वारा सेविका
    • धैर्य से सेवा करने पर सुखद परिणाम

    व्याख्यात्मक हल:
    लेखिका को गिल्लू निश्चेष्ट अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया। उन्होंने रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध भी पिलाने की कोशिश की, उन्होंने बड़े धैर्य के साथ के साथ रात-दिन उसकी सेवा की। उनकी इसी धैर्य पूर्ण सेवा के कारण गिल्लू एकदम स्वस्थ हो गया।

  7. गिल्लू वास्तव में एक अत्यधिक संवेदनशील प्राणी था और उसे महादेवी से गहरा लगाव था। पाठ के अंतर्गत इसके कई प्रमाण विद्यमान हैं।
    1. जब भी लेखिका अपना कमरा खोलकर अंदर घुसती थीं, तो गिल्लू उनके शरीर पर ऊपर से नीचे झूलने लगता था, लेकिन यदि कोई अन्य व्यक्ति अंदर आता तो वह ऐसा नहीं करता था।
    2. गर्मियों के दिनों में वह लेखिका के पास रहने के लालच में उनके पास रखी सुराही के साथ चिपका रहता था।
    3. गिल्लू ने लेखिका के अस्वस्थ रहने के दौरान एक परिचारिका की तरह उपचार में अपनी ओर से यथासंभव भूमिका निभाई।
    4. लेखिका की अस्वस्थ स्थिति में अस्पताल में रहने के दौरान गिल्लू ने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना कम कर दिया।
    5. अपने अंतिम समय में गिल्लू ने लेखिका की उंगली पकड़ ली।

Class 9 Hindi – B Chapter Wise Practice Questions


गिल्लू को मुक्त करके लेखिका की मान्यता कैसे प्रदर्शित होती है? - gilloo ko mukt karake lekhika kee maanyata kaise pradarshit hotee hai?


गिल्लू को मुक्त करके लेखिका की मानवीयता कैसे प्रदर्शित होती है?

लेखिका बहुत ही अच्छी थी। वह समस्त जीवों से प्रेम करती थी। गिल्लू के साथ महादेवी वर्मा का संबंध मां और बच्चे जैसा था। गिल्लू महादेवी वर्मा के बिना खाना भी नहीं खाता था।

लेखिका ने गिल्लू को कैसे मुक्त किया?

गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकते देखकर मुझे लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है। मैंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू ने बाहर जाने पर सचमुच ही मुक्ति की साँस ली। इतने छोटे जीव को घर में पले कुत्ते, बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या ही थी ।

गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझो गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?

गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया? उत्तर:- गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि वह उसका पहला बसंत था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके कुछ-कुछ कहने लगीं। उस समय गिल्लू जाली के पास आकर बैठ जाता था और उन्हें निहारता रहता था।

गिल्लू की समझदारी कैसे प्रकट होती है?

उत्तर: लेखिका के बीमार हो जाने पर गिल्लू उनके सिरहाने रखे तकिए पर बैठ जाता और उनके सिर और बालों को एक समझदार व्यक्ति के समान बड़े धीरे-धीरे सहलाता रहता था। उसका यह कार्य लेखिका के प्रति उसके गहरे अपनेपन और लगाव का प्रमाण था।