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ग्राम पंचायत का गठन (धारा- 12-1)सर्व प्रथम यह जानना जरूरी है कि ग्राम पंचायत का गठन कैसे होता है। त्रिस्तरीय पंचायतव्यवस्था की पहली इकार्इ ग्राम पंचायत में एक प्रधान व कुछ सदस्य होते हैं। ग्राम पंचायत केसदस्यों की संख्या पंचायत क्षेत्र की आबादी के अनुसार निम्न प्रकार से होगी -
प्रधान तथा 2 तिहार्इ सदस्यों के चुनाव होने पर ही पंचायत का गठन घोषित किया जायेगा। ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव1. प्रधान का चुनाव (धारा- 11- ख - 1)ग्राम सभा सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा प्रधान का चुनाव किया जायेगा। यदिपंचायत के सामान्य चुनाव में प्रधान का चुनाव नहीं हो पाता है तथा पंचायत के लिए दो तिहार्इसे कम सदस्य ही चनु े जाते है उस दशा में सरकार एक प्रशासनिक समिति बनायेगी। जिसकीसदस्य संख्या सरकार तय करेगी। सरकार एक प्रशासक भी नियुक्त कर सकती है। प्रशासनिकसमिति व प्रशासक का कार्यकाल 6 माह से अधिक नहीं होगा। इस अवधि में ग्राम पंचायत,उसकी समितियों तथा प्रधान के सभी अधिकार इसमें निहित होंगे। इन छ: माह में नियत प्रक्रियाद्वारा पंचायत का गठन किया जायेगा। 2. उपप्रधान का चुनाव (धारा- 11 - ग - 1)उप प्रधान का चुनाव ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से ही किया जाऐगा। यदि उपप्रधान का चुनाव न हो पाये तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप प्रधान मनोनीत कर सकताहै। पंचायतों का कार्यकालग्राम पंचायत की पहली बैठक के दिन से 5 साल तक ग्राम पंचायत का कार्यकाल होता है। यदिपंचायत को उसके कार्यकाल पूर्ण होने के 6 माह पूर्व भंग किया जाता है तो ग्राम पंचायत में पुन:चुनाव करवाकर पंचायत का गठन किया जाता है। इस नवनिर्वाचित पंचायत का कार्यकाल 5 वर्षके बचे हुए समय के लिए होगा अर्थात बचे हुए छ: माह के लिए ही होगा। पंचायतों की बैठकपंचायतीराज को स्थानीय स्वशासन की इकार्इ के रूप में स्थापित करने की दिशा में पंचायतों मेंग्राम सभा व ग्राम पंचायतों की बैठकों का आयोजन विशेष महत्व रखता है। 73वें संविधानसंशोधन के द्वारा जो नर्इ पंचायत व्यवस्था लागू हुर्इ ह,ै उसमें ग्राम पंचायतों व ग्राम सभा कीबैठकों का आयोजन वैधानिक रूप से आवश्यक माना गया है। यही नहीं इन बैठकों में प्रधान वउप-प्रधान सहित अन्य पंचायत सदस्यों की भागेदारी अत्यन्त आवश्यक है। इसके साथ हीग्रामीण विकास से जुड़े विभिन्न रेखीय विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा भी बैठक में भागीदारी कीजायेगी। महिला, दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों की भागीदारी के बिना बैठकों का कोर्इ महत्व नहींहै। अत: पंचायतों की बैठकों का नियमित समय पर आयोजन व उन बैठकों में समस्त प्रतिनिधियोंकी भागीदारी विकेन्द्रीकरण की दिशा में किये गये प्रयासों को साकार करने का एक महत्वपूर्णमाध्यम है। अक्सर यह देखा गया है कि ग्राम सभा या ग्राम पंचायतों की बैठकों में प्रतिनिधियों वग्राम सभा सदस्यों की समुचित भागीदारी न होने से बैठकों में दो-चार प्रभावशाली लोगों द्वारा हीनिर्णय लेकर ग्राम विकास के कार्य किये जाते हैं। अत: अगर ग्रामस्वराज या स्थानीय स्वशासनको मजबूत बनाना है तो पंचायत प्रतिनिधियों व ग्राम सभा के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी काअहसास होना जरूरी है। साथ ही इन बैठकों को पूरी तैयारी के साथ आयोजित किया जानाचाहिए। 1. ग्राम पंचायत की बैठक के आयोजन से संबंधित कार्यवाहीग्राम पंचायत की बैठक प्रत्येक माह में एक बार जरूर होनी चाहिये। जिस गांव में पंचायत घरहोगा वहीं बैठक होगी। दो लगातार बैठकों के बीच दो माह से अधिक का अन्तर नहीं होनाचाहिये।
2. बैठक से पहले
ग्राम पंचायतों की कार्यवाहीगाम पंचायत की कार्यवाही के कुछ कायदे हैं जिनका ध्यान हर ग्राम प्रधान को रखना चाहिय।बैठक में सर्वप्रथम पिछली बैठक की कार्यवाही पढ़कर सुनार्इ जायेगी तथा सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से पारित होने पर प्रधान उस पर अपने हस्ताक्षर करेगी/करेगा। इसके पष्चात पिछलेमाह में किये गये विकास कार्यों को सबके सामने बैठक में रखा जायेगा व उससे सम्बन्धितहिसाब-किताब व व्यय को ग्राम पंचायत के सामने रखकर उस पर विचार किया जायेगा। अगरराज्य, जिला व ब्लाक स्तर से पंचायत को कोर्इ महत्वपूर्ण सूचना मिली है तो उसको पंचायत कीबैठक में पढ़कर सुनाया जायेगा। ग्राम पंचायत की बैठक में ग्राम पंचायत की समितियों कीकार्यवाही पर भी विचार होगा।इन कार्यों के पष्चात मतदाता सूची, परिवार रजिस्टर, जन्म मृत्यु रजिस्टर में किये गये व कियेजाने वाले नामांकन या बदलाव पर चर्चा की जायेगी।यदि कोर्इ पंचायत सदस्य प्रशासन या कृत्योंसे सम्बन्धित किसी विषय पर प्रस्ताव लाना चाहे या प्रश्न उठाना चाहे तो उसकी एक लिखितसूचना बैठक से 11 दिन पहले प्रधान या उपप्रधान को देनी होगी। प्रधान किसी भी प्रस्ताव कोस्वीकार करने के सम्बन्ध में निर्णय लेगा/लेगी। प्रस्ताव या प्रश्न नियम के अनुसार होने चाहियेव विवाद बढ़ाने वाले मनगढ़ंत या किसी जाति/ व्यक्ति के लिये अपमानजनक नहीं होने चाहिये।यदि कोर्इ भी प्रस्ताव या प्रश्न संविधान के नियमों के अनुरूप नहीं है तो प्रधान उन्हें पूछने केलिये मना कर सकती/सकता है। 1. बैठक के दौरान ध्यान देने वाली बातेंप्रधान ग्राम पंचायत का मुखिया होने के नाते बैठक का आयोजन करती/करता है।बैठक के दौरान अपने विचारों को ठीक प्रकार से रखना, चर्चा का सही रूप सेसंचालन करना, बैठक में उठाये मुद्दों पर सदस्यों को सन्तुष्ट करना जैसे अनेक बातेंहैं जिन्हें प्रधान को बैठक के दौरान ध्यान में रखनी है।
3. बैठक का समापनबैठक के समापन से पहले बैठक में लिये गये निर्णयों को एक बार सभी को पढकर सुनाना चाहिएव उसके क्रियान्वयन से सम्बन्धित जिम्मेदारी भी तय हो जानी चाहिए। जिम्मेदारी सुनिश्चित करतेसमय यह भी तय कर लेना चाहिए कि अमुक कार्य कब पूरा होगा। बैठक की कार्यवाही सुनाने केपश्चात उस पर प्रधान ग्राम पंचायत तथा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (पंचायत सचिव) केहस्ताक्षर करवाने चाहिए। बैठक समापन करते समय प्रधान/अध्यक्ष को बैठक में उपस्थित सभीप्रतिभागियों का धन्यवाद करना चाहिए। बैठक की कार्यवाही की एक प्रति सहायक विकासअधिकारी (पंचायत) /खण्ड विकास अधिकारी को भेजनी चाहिए। 4. ग्राम प्रधान के कार्य एंव अधिकार
ग्राम पंचायत सचिव के कार्य एवं अधिकारपंचायत सचिव का प्रथम कार्य पंचायत अधिनियम व उसके अन्र्तगत बने नियमों , विभागीयआदेशों का सावधानी से अघ्ययन करना व उनका पालन सुनिश्चित करवाना है।
प्रधान, उप-प्रधान पर आन्तरिक नियन्त्रण(अविश्वास प्रस्ताव)पंचायत राज अधिनियम की धारा- 14 व सहपठित नियम -33 ख के अन्तर्गत ग्राम पंचायत केप्रधान व उप-प्रधान को हटाये जाने की व्यवस्था की गयी है। अविश्वास प्रस्ताव से सम्बन्धितमुख्य बिन्दु हैं-
1. बाह्य नियंत्रणराज्य सरकार ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या ग्राम पंचायत सदस्यों को हटा सकती है ।यदि प्रधान, वित्तीय अनियमितता, पद का दुरूपयोग आदि कदाचार का दोषी पाया जाता है तोउसे सरकार पदच्युत कर सकती है। जांच के दौरान जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा तीन सदस्यों कीसमिति गठित की जाती है तथा प्रधान के दायित्वों का निर्वहन इसी समिति के सदस्यों द्वाराकिया जाता है। यदि ग्राम पंचायत सदस्य बिना कारण बताये लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थितरहता/ रहती है, या उसके द्वारा कार्य करने से इन्कार किया जाता है अथवा पद का दुरूपयोगकिया जाता है तो उसे भी राज्य सरकार पदच्युत कर सकती है। 2. पद रिक्त होने पर चुनावपंचायत भंग होने या किसी पद के रिक्त होने के छ: माह के अन्तर्गत ही पुन: चुनाव करायेजाऐंगे। किसी भी परिस्थिति में छ: माह से अधिक समय तक पंचायतें भंग नहीं रह सकती वपंचायत का कोर्इ पद रिक्त नहीं रह सकता है। ग्राम पंचायत के कार्य, एवं शक्तियॉंप्रत्येक स्तर पर पंचायतों के कार्यकलाप एवं दायित्वों की सूची तैयार की गर्इ है। इस सूची केअन्तर्गत पंचायतों की 29 जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गर्इ हैं। संविधान के 73 संशोधन द्वारा 29विषय पंचायतों के अधीन किये गये हैं, जिसके लिये पृथक से 73वें संविधान संशोधन में 243 जी11वीं अनुसूची जोड़ी गर्इ है। इस सूची में शामिल विषयों के अन्तर्गत आर्थिक विकास, सामाजिकन्याय और विकास योजनाओं को अमल में लाने का दायित्व पंचायतों का होगा। संविधान कीग्यारहवीं अनुसूचि के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों की कुछ जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गर्इ है। प्रत्येकग्राम पंचायत निम्नांकित कृत्यों का संपादन निष्ठापूर्वक करेगी।प्रत्येक स्तर पर पंचायतों के कार्यकलाप एवं दायित्वों की सूची तैयार की गर्इ है इस सूची केअन्तर्गत पंचायतों की 29 जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गर्इ हैं। जिसके द्वारा पंचायती राज संस्थाओंको विभागों एवं विषयों के दायित्व सांपै े गये हैं। ग्राम पंचायत के कार्य, एवं शक्तियॉं
1. ग्राम पंचायत के अन्य कार्य
2. राज्य सरकार द्वारा समनुदेशित कार्य
पंचायतों द्वारा अभ्यावेदन एवं सिफारिश
पंचायत सदस्यों की अन्य जिम्मेदारियांपंचायत में चुनकर आये प्रतिनिधियों की सबसे पहली जिम्मेदारी है कि गाँव में चुनाव के दौरानहुए आपसी मतभेद को भुलाकर सौहार्द का वातावरण बनाना।
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