ग्रामीण क्षेत्रों में किस व्यवस्था की अधिकता पाई जाती है - graameen kshetron mein kis vyavastha kee adhikata paee jaatee hai

ग्रामीण समाज की विशेषताएँ - Characteristics of Rural Society

ग्रामीण समुदाय की विशेषताएँ निम्नवत हैं -

1. ग्रामीण लोग जीवन यापन के लिए प्रकृति पर निर्भर होते हैं। इनके प्रमुख कार्य कृषि आधारित व्यवसाय, पशुपालन, शिकार, मछली मारना और भोजन की व्यवस्था करना आदि होते हैं। भूमि जंगल, मौसम आदि प्रकृति के अंग होते हैं और वे दशाएँ ग्रामीण जीवन को प्रभावित करती है।

2. प्रकृति पर निर्भरता के साथ-साथ इनका प्रकृति के प्रति घनिष्ठ संबंध भी रहता है। ये प्रकृति के निकट रहते हैं।

3. ग्रामीण समुदाय आकार में छोटा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कृषि और पशुपालन आधारित जीवन-यापन के लिए प्रति व्यक्ति भूमि की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि सभी का निर्वाह आसानी से हो सके।

4. आकार छोटा होने के कारण सभी लोग एक-दूसरे को निजी तौर पर जानते हैं। ग्रामीण समुदाय में प्राथमिक संबंधों की प्रधानता होती है और उनमें घनिष्ठ निकट और प्रत्यक्ष संबंध पाए जाते हैं। 

5. आकार छोटा होने और प्राथमिक संबंधों की प्रधानता के कारण उनमें हम' की भावना पाई जाती है अर्थात ग्रामीण समुदायों में सामुदायिक भावना का समावेश होता है। बाद भूकंप अकाल आदि प्राकृतिक आपदाओं व अन्य संकटकालीन अवसरों पर सभी लोग उसका सामना एकजुट होकर करते हैं।

6. विभिन्न विद्वानों द्वारा भारतीय ग्रामीण समुदायों को एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह आत्मनिर्भरता सामाजिक, सांस्कृतिक आर्थिक, राजनीतिक क्षेत्रों में देखी जा सकती है। जजमानी प्रथा, ग्राम पंचायत विशेषीकृत संस्कृति आदि ये विशेषताएँ हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है।

7. संख्या में भी ग्रामीण समुदाय अपेक्षाकृत बहुत कम होते हैं। कम जनसंख्या घनत्व होने के कारण ग्रामीण समुदाय विभिन्न समस्याओं बीमारी, मकानों का अभाव आदि) से बच जाते हैं।

8. ग्रामीण लोगों का जीवन सरल होता है। वे नगर के समान चमक-दमक, बनावटी जीवन से दूर रहते हैं और ना ही वे कृत्रिमता को पसंद करते हैं। इसके इतर ग्रामीणलोगों की आय भी उतनी अधिक नहीं होती है कि वे नगरीय जीवन शैली को अपना सकें।

9. भारतीय ग्रामीण लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है 70 से 75 प्रतिशत लोग अपना जीवन मापन कृषि कार्यों द्वारा ही करते हैं। इसके इतर ग्रामीण लोगों के अन्य प्रचलित व्यवसाय मिट्टी व धातु के बर्तन बनाना, बस बनाना, बटाई बनाना, गुड बनाना रस्सी बनाना आदि प्रचलित हैं।

10. ग्रामीण समुदायों में सामाजिक नियंत्रण के साधन अनौपचारिक प्रकृति के होते हैं। उनके व्यवहारों और विचारों को नियंत्रित और निर्देशित करने के लिए धर्म परंपराएं, रीति-रिवाज, रूढ़ियाँ आदि होते हैं। उनमें ईश्वर के प्रति भय, प्रेम, श्रद्धा आदि की भावना होती है जिसके कारण वे किसी अनैतिक कार्य को करने से डरते हैं।

11. भारतीय ग्रामीण समुदायों की एक प्रमुख विशेषता है संयुक्त परिवार की प्रधानता। यहाँ एकाकी परिवारों से इतर उन परिवारों की अधिकता होती है, जिनमें तीन अथवा उससे अधिक पीढ़ी के सदस्य रहते हैं, इनका भोजन, संपत्ति धार्मिक क्रियाएँ संयुक्त रूप से संपन्न होती है और परिवार का मुखिया प्रायः एक बुजुर्ग सदस्य होता है। सभी पारिवारिक सदस्यों द्वारा उसकी आज्ञा का पालन करना अनिवार्य होता है।

12. भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता जाति व्यवस्था रही है और यह व्यवस्था ग्रामीण समाजों में अपने कंठोर स्वरूप में पाई जाती है। इसका निर्धारण जन्म पर आधारित होता है और सभी के जातिगत व्यवसाय होते हैं। वैवाहिक संबंध जातिगत होते हैं प्रत्येक जाति की अपनी एक पंचायत होती है, जो जातिगत नियमों को दृढ़ता प्रदान करती है।

13. प्रत्येक जाति का विशिष्ट व्यवसाय होने के साथ-साथ उनके उस व्यवसाय से जुड़े कुछ कर्तव्य होते हैं और ग्रामीण समुदायों में इन कर्तव्यों से परिभाषित व्यवस्था को अजमानी प्रथा कहा जाता है। विभिन्न जातियाँ दूसरी जातियों को अपनी सेवाएं देती हैं और इसके बदले में उन्हें कुछ नकद भोजन, वस्त्र अथवा फसल का कुछ भाग प्रदान किया जाता है।

14. प्रत्येक गाँव की एक ग्राम पंचायत होती है, जिसमें प्रायः गांव का वृद्ध व्यक्ति मुखिया होता है। भारत में यह प्रथा प्राचीन समय से विद्यमान रही है। ग्रामीण समस्याओं का निवारण इसका प्रमुख उद्देश्य होता है। 

15. भारतीय गाँवों में सामाजिक व सांस्कृतिक समरूपता पाई जाती है। सभी लोग प्रायः एक ही भाषा, परंपरा, संस्कृति, जीवन शैली से संबंधित होते हैं।

16. ग्रामीण समुदाय की अधिकांश जनसंख्या अशिक्षित है। स्वतंत्रता के लगभग 65 वर्षों के बाद भी शिक्षा का प्रतिशत 74 से ऊपर नहीं उठ पाया है। उच्च और तकनीकी शिक्षा का अभाव पूर्ण रूप से देखा जा सकता है। हालांकि ग्रामीण समाजों में शिक्षा के स्तर में आंशिक सुधार अवश्य हुए हैं।

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"भारत गांवों में निवास करता है। " - महात्मा गांधी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कई वर्ष पूर्व किया गया यह अवलोकन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस समय था। ग्रामीण जन भारतीय समाज का केंद्र होने के साथ ही वास्तविक भारत के परिचायक भी हैं। भारतीय समाज के केंद्र, इन्हीं ग्रामवासियों के लिए सुचारू आधारभूत सामाजिक ढांचे की उपलब्धता सुनिश्चत करने वाली प्रभावकारी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है। देश के विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए सरकार ने सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने के कुछ महत्वपूर्ण तत्वों की पहचान की है जो ग्रामीण क्षेत्रों के जन-जीवन के स्तर को ऊपर उठाने में मददगार साबित होंगे। इससे पहले कि हम सरकार द्वारा ग्रामीण भागों में चलाई जा रही सेवाओं और सुविधाओं के बारे अधिक जानकारी पाएं, इस क्षेत्र के संगठन के बारे में पहले जानना अधिक जरूरी होगा।

ग्रामीण क्षेत्र क्या है या किस जगह को ग्रामीण क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है?

नवीनतम जनगणना (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के अनुसार वह स्थान ' ग्रामीण क्षेत्र ' की श्रेणी में आता है,

  • जिसकी आबादी 5,000 से कम हो
  • जिसका जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर से कम हो तथा
  • जिसके कामकाजी पुरुषों की संख्या का 25 प्रतिशत खेती-बाड़ी के काम में लगा हो।

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे काम

सरकार ने गांवों और ग्रामीण इलाकों के लोगों का जीवनस्तर को सुधारने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं प्रारंभ की हैं। ग्रामीण आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए सरकार ने एक समयबद्ध योजना भारत निर्माण (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) वर्ष 2005 से प्रारंभ की है। भारत निर्माण के अंतर्गत जल आपूर्ति, आवास, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क, विद्युतीकरण और सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए कार्य प्रस्तावित है।

राष्ट्रीय पोर्टल का यह हिस्सा ग्रामवासियों को संपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए समर्पित है। यहां न केवल विभिन्न सेवाओं, सुविधाओं और अवसरों की जानकारी दी गई है बल्कि उनका अधिकतम लाभ कैसे उठाया जाए इस बारे में भी जानकारी दी गई है। यहां ऑनलाइन उपलब्ध सेवाओं की एक सूची भी दी गई है। ऋण के लिए आवेदन, फसलों की रक्षा कैसे करें, स्वास्थ्य जांच के लिए नजदीकी अस्पताल की जानकारी, समीप के विद्यालय, ग्रामीण उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं, मूलभूत सुविधाएं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सड़क, पेयजल, विद्युतीकरण, व्यक्तिगत परिवारों और स्वसहायता समूहों को मिल रही सरकारी सहायता, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों के बारे में सभी छोटी-बड़ी जानकारियां यहां देखी जा सकती हैं। जानकारी को निम्न शीर्षकों के अंतर्गत विभाजित किया गया हैः -

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकतर लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या है?

भारतीय गांवों में खेती ही मुख्य व्यवसाय है। कीटनाशकों और उर्वरकों जैसे कृषि से संबंधित उत्पादों की हमेशा मांग बनी रहती है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था क्या होती है?

इन सभी परिघटनाओं के प्रभाव की झलक देश के किसानों में बढ़ती हुई दुर्दशा और असहायता के रूप में देखा जा सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में हम ग्रामीण भारत के साख और विपणन व्यवस्था, कृषि गतिविधियों के स्वरूप में विविधता तथा धारणीय विकास को बढ़ावा देने में जैविक कृषि की भूमिका आदि महत्वपूर्ण आयामों पर आलोचनात्मक चर्चा करेंगे ।

ग्रामीण व्यक्ति क्या है?

ग्रामीण जन भारतीय समाज का केंद्र होने के साथ ही वास्तविक भारत के परिचायक भी हैं। भारतीय समाज के केंद्र, इन्हीं ग्रामवासियों के लिए सुचारू आधारभूत सामाजिक ढांचे की उपलब्धता सुनिश्चत करने वाली प्रभावकारी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और उसकी प्रकृति क्या है?

भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक विशिष्ट पहलू, फसल उत्पादन में कृषि मजदूरों का उपस्थिति होना है। कृषि मजदूरों के सन्दर्भ में बेरोजगारी, अविकास तथा अतिरिक्त मजदूरी की समस्या देखने को मिलती है। भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि मजदूरों की दशा सबसे दयनीय है।

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