Guruvar Vratज्योतिषों की मानें तो गुरु मजबूत रहने से अविवाहित जातक की शीघ्र शादी हो जाती है। इसके लिए ज्योतिष हमेशा अविवाहितों को गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। जानिए गुरुवार व्रत की पूजा विधि आरती और कितने गुरुवार का व्रत रखना होगा शुभ। Show नई दिल्ली, Guruvar Vrat: पंचांग के अनुसार, गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर व्यक्ति की कुंडली में गुरु मजबूत नहीं है और शादी में कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, तो गुरुवार का व्रत काफी लाभकारी साबित हो सकता है। इसके साथ ही ज्योतिषी अविवाहित जातकों को गुरुवार का व्रत रखने की सलाह देते हैं। माना जाता है कि गुरुवार का व्रत करने से व्यक्ति को सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है है । इसके साथ ही कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत हो जाता है। जानिए गुरुवार व्रत के बारे मे सबकुछ। कब से शुरू करें गुरुवार का व्रत?ज्योतिषियों के अनुसार, गुरुवार व्रत की शुरुआत पौष मास को छोड़कर किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार के दिन से करना शुभ माना जाता है। कितने गुरुवार व्रत रखना शुभभगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार का व्रत रखना चाहिए और 17वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए । मासिक धर्म की वजह से महिलाएं व्रत नहीं रख सकती है। इसके अलावा गुरुवार का व्रत 1,3,5,7 और 9 साल या फिर आजीवन भी रख सकते हैं। गुरुवार व्रत की पूजा विधि (Thursday Vrat Puja Vidhi)
बृहस्पति देव की आरती (Brihaspati Dev Aarti)जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगाओ, कदली फल मेवा ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता । सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े । प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी । पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो । विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे । जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ सब बोलो विष्णु भगवान की जय । बोलो बृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥ Pic Credit- instagram/_jadevine15_ डिस्क्लेमर ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'' Edited By: Shivani Singh Thursday Fast: गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार का व्रत रखने से विवाह से संबंधित परेशानियों का समाधान होता है. सुयोग्य वर और वधु की प्रप्ति होती है. साथ ही घर में समृद्धि आती है. आइए जानते हैं कब से शुरू करना चाहिए गुरुवार का व्रत? कितने गुरुवार तक रखें व्रत? क्या है इस व्रत के नियम... कब से शुरू करें गुरुवार व्रत ? (when to start thursday Vrat) गुरुवार व्रत की शुरुआत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से करना शुभ माना जाता है. पौष महीने को छोड़कर गुरुवार के व्रत साल में कभी भी शुरू कर सकते हैं. कितने गुरुवार तक रखें व्रत? ताज़ा वीडियो भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार तक ये व्रत रखना चाहिए. 17वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन किया जाता है. मासिक धर्म की वजह से महिलाएं पूजा नहीं कर पाती तो अगले गुरुवार इसका व्रत रखना चाहिए. गुरुवार का व्रत 1, 3, 5, 7, 9, 11 साल या आजीवन रख सकते हैं. गुरुवार व्रत की पूजा विधि (thursday Vrat puja vidhi)
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गुरुवार का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए?गुरुवार व्रत की शुरुआत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से करना शुभ माना जाता है. पौष महीने को छोड़कर गुरुवार के व्रत साल में कभी भी शुरू कर सकते हैं. कितने गुरुवार तक रखें व्रत? भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार तक ये व्रत रखना चाहिए.
गुरुवार का व्रत कब और कैसे करें?गुरुवार का व्रत करने की विधि
गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत करने का संकल्प करें। उसके बाद स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके बृहस्पति देव को पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके अलावा बृहस्पति देव को प्रसाद में पीले चने की दाल, मुनक्का, गुड़, हल्दी, पीला चावल और पीले पेड़े चढ़ाएं।
गुरुवार का व्रत कौन रखता है?गुरुवार या वीरवार का व्रत
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के लिए गुरुवार या वीरवार का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि शादी में जिन लड़कियों के रुकावट आ रही हो वो यदि इस व्रत को रखती है तो इससे उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा होने में मदद मिलती है साथ ही शादी में आ रही रुकावट भी दूर होती है।
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