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आज आप को हिन्दी वर्ण माला के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे.लेकिन उसके पहले आपको व्याकरण के बारे में जानकारी होना जरूरी है अगर आपके पास व्याकरण के बारे में जानकारी नहीं होगी। तो आप हिन्दी वर्णमाला(Hindi Varnamala) के बारे समझ नहीं पाएंगे।
हिन्दी वर्णमाला चार्ट Hindi Varnmala Chart व्याकरण
व्याकरण वह शास्त्र है, जिसके द्वारा हम किसी भाषा के नियमों और व्यवस्थाओं का ज्ञान प्राप्त करते हैं। उदाहरण-अभिव्यक्ति एक ऐसा समर्थन साधन है. जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचा सकता है. जैसे- हिंदी, संस्कृत ,अंग्रेजी, बांग्ला, गुजराती, पंजाबी, उर्दू, मलयालम, चीनी आदि मनुष्य मौखिक एवं लिखित भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकता है और करता है किंतु इससे भाषा को निश्चित करने के लिए नियम बद्ध योजना की आवश्यकता होती है और उस नियम बद्ध योजना को हम व्याकरण कहते हैं भाषा का क्षेत्रीय रूप बोली कहलाता है अर्थात देश के विभिन्न भाषाओं वाले बोली कहलाती है और किसी भी क्षेत्रीय बोली का लिखित रूप में स्थिर साहित्य वहां की भाषा कहलाती है लिखित भाषा में अक्षरों या वर्णों का प्रत्येक लिखित भाषा में प्रत्येक ध्वनि के लिए कोई ना कोई चिन्ह निश्चित होता है जिसे हम वर्ण कहते हैं अक्षरों या वर्णों के चिन्हों को लिखने की विधि लिपि कहलाती है प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है देवनागरी एक वैज्ञानिक लिपि है इस में बोली जाने वाली अधिकतर ध्वनियों को लिखा जा सकता है संस्कृत, मराठी ,नेपाली आदि भाषाएं भी देवनागरी लिपि में ही लिखी जाती है अंग्रेजी भाषा रोमन लिपि में उर्दू, फारसी लिपि में तथा पंजाबी गुरमुखी लिपि में लिखी जाती है इसे भी पढ़े- 50 फलों के नाम हिन्दी और इंग्लिश में लिपि का महत्वयदि लिपि ना होती तो ज्ञान विज्ञान को सुरक्षित रख पाना संभव नहीं था बड़े-बड़े पुस्तकालय मनुष्य द्वारा उपलब्ध ज्ञान विज्ञान के भंडार हैं समाज का संपूर्ण लिखित और मुद्रित ज्ञान पुस्तकों के रूप में वहां सुरक्षित है व्याकरण के प्रमुख भाग
What Is Varnamala In Hindi- हिन्दी वर्णमालामौखिक भाषा की मूल ध्वनियों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को वर्ण कहते हैं रचना की दृष्टि से वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है वर्ण के टुकड़े नहीं हो सकते वह छोटी से छोटी ध्वनि या मुख से निकली आवाज जिस के टुकड़े ना किये जा सकें, वर्ण कहलाती हैं वर्ण को अक्षर भी कहते हैं उदाहरण- अ,ए,ग,म,प आदि वर्ण है जिनके खंड नहीं किए जा सकते हां इन के योग से शब्द बनते हैं जैसे- मदन= म + अ+ द+ अ+ न+अ आम= आ+ म+अ सुरेश= स+ उ+र+ ए+ श+ अ वर्णमाला- भाषा के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं. वर्णमाला में 48 वर्ण होते हैं जिनका प्रयोग देवनागरी लिपि में किया जाता है, इन वर्णो के अतिरिक्त छ,श्र, और ज्ञ का भी वर्णमाला के अंतर्गत प्रयोग किया जाता है यह तीनों संयुक्त धनिया है जो दो दो वर्णों के सहयोग से बनी है वर्णों के भेद- उच्चारण और प्रयोग के आधार पर वर्णों के दो भेद किए गए हैं
स्वर किसे कहते हैं? What is vowels in Hindi?जिन वर्णों के बोलते समय बिना किसी रूकावट के मुख से हवा निकलती है वह स्वर कहलाते हैं. स्वरों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से बिना किसी दूसरे अक्षर की सहायता की किया जाता है हिंदी में स्वरों की संख्या 11 है उदाहरण- अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,और। Hindi Vowels- हिंदी स्वर स्वरों की मात्राएं
स्वर के भेद– स्वर के निम्नलिखित तीन भेद हैं
इसे भी पढ़े- विलयन के प्रकार तथा विलेयता किसे कहते हैं? अयोगवाह- 11 स्वर और 33 व्यंजनों के अतिरिक्त हिंदी वर्णमाला में 2 वर्ड और भी हैं यह हैं- १. अनुस्वार २. विसर्ग। यह दोनों स्वरों के बाद लिखे जाते हैं इसलिए इन्हें अयोगवाह कहते हैं। अनुनासिक- जब को ईश्वर नाथ से बोला जाता है तो उसके ऊपर चंद्रबिंदु लगाया जाता है नाक से बोले जाने के कारण इन स्वरों को अनुनासिक कहते हैं उदाहरणार्थ- हंसी, अंधेरा ,अंगूर आदि। अनुस्वार – जिस स्वर के उच्चारण में हवा केवल नाक से निकलती है और उच्चारण अधिक जोर से होता है उसके ऊपर(•) लगाया जाता है ऐसे स्वर को अनुस्वार कहते हैं। उदाहरण- संत,अंडा,नंगा आदि। व्यंजन किसे कहते हैं? (What is Consonant)जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है वह व्यंजन कहलाते हैं हिंदी में 33 व्यंजन होते हैं। व्यंजन के भेद – व्यंजन निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं १. स्पर्श व्यंजन- जिन वर्णों के उच्चारण के समय श्वांस वायु उच्चारण स्थान को स्पर्श करती हुई बाहर निकल जाती है उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं स्पर्श व्यंजनों की संख्या 25 है इन्हें निम्नलिखित पांच भागों में बांटा जा सकता है- क वर्ग – क,ख,ग,घ,ड २. अन्तस्थ व्यंजन- के व्यंजन आधे स्वर और आधे व्यंजन माने जाते हैं अतः इन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं इस संख्या में केवल चार हैं – य,र,ल,व, ३.ऊष्म व्यंजन- यह व्यंजन है जिन का उच्चारण स्थान तालु, मूर्धा, दंत और कंठ है एक ही संख्या में केवल चार है- श,ष,स,ह, संयुक्त व्यंजन- दो भिन्न व्यंजनों के परस्पर सहयोग को संयुक्त व्यंजन कहते हैं यह मुख्य रूप से चार हैं- श्र= श+ र( श्री, श्रीमान ,श्रमिक) हलंत- इस व्यंजन माला में प्रत्येक चिन्ह के नीचे एक छोटी सी तिरछी रेखा खींची गई है इसे ही हलंत कहते हैं इसके लगते ही व्यंजन का उच्चारण आधा रह जाता है और वह व्यंजन स्वर रहित माना जाता है उदाहरण- मक्का शब्द को हलंत लगाकर हम मक्का भी लिख सकते हैं इसका तात्पर्य यह हुआ कि पीछे दी गई व्यंजन माला में प्रत्येक व्यंजन स्वर रहित है और स्वर रहित करके ही उनका उच्चारण होना चाहिए किंतु यह उच्चारण स्वर की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता अतः स्वर युक्त व्यंजन निम्नलिखित रुप से लिखे जाते हैं। क ख ग घ ङ उच्चारण की दृष्टि से वर्णों का वर्गीकरणउच्चारण की दृष्टि से सभी वर्ण,चाहे वे स्वर हो या व्यंजन निम्नलिखित भागों में बांटें जा सकतें हैं। कंठय- जो वर्ण कंठ स्थान से बोले जाते हैं उन्हें कंठ वर्ण कहते हैं। उदाहरण- अ,क ,ख,ग,घ तालव्य- जो वर्ल्ड तालु से बोले जाएं उन्हें ताल लेवल कहते हैं उदाहरण- इ,ई,च,छ,जी,झ,यह, तथा श। मूधन्य- जिन वर्णों को बोलते समय जीव मसूड़ों या दातों के ऊपरी भाग पर टकराएं तो उन्हें मूर्धन्य वर्ण कहते हैं। दन्त्य- जिन वर्णों के उच्चारण में जीव दांतो को छूती है उन्हें दंत्य वर्ण कहते हैं। ओष्ठ्य- जिन वर्णों के उच्चारण में दोनों वोट मिल जाते हैं उन्हें ओष्ठ्य वर्ण कहते हैं। नासिक्य- जिन वर्णों का उच्चारण नाक के सहयोग से किया जाता है उन्हें नासिक्य के वर्ण कहते हैं। कंठ तालव्य- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय कंठ और तालुका स्पर्श होता है उन्हें कंठ तालव्य कहते हैं। उदाहरण- ए,ऐ। कंठ ओष्ठ्य- जिन वर्णों के उच्चारण के समय कंठ और तालु का स्पर्श होता है उन्हें कंठ ओष्ठ्य कहते हैं। उदाहरण– ओ,और। प्रयत्न- Manner Of Articulationवर्णों के सम्बन्ध में। प्रयत्न से आशय उस परिश्रम से है जो वर्णों को बोलते समय हमें करना पड़ता हैं।
ये चार प्रकार के होते हैं- घोष, अघोष, अल्प्राण, महाप्राण १. घोष- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय प्राण वायु में कंपन होने के कारण घोष या गूज उत्पन्न होती है उन्हें घोष वर्ण कहा जाता है प्रत्येक वर्ग के सभी अंतिम तीन तीन वर्ण तथा य,र,ल,वह और सभी स्वर घोष वर्ण है। २. अघोष- जिन वर्णों के उच्चारण में प्राण वायु में कंपन नहीं होता है उन्हें अघोष वर्ण कहते हैं प्रत्येक वर्ग के पहले और दूसरे तथा श,ष,से अघोष वर्ण है। ३. अल्प्राण- जिन वर्णों के उच्चारण में प्राण वायु कम मात्रा में बाहर निकलती है उन्हें अल्पप्राण वर्ण कहते हैं। सभी वर्णों का पहला तीसरा और पांचवा वर्ण तथा य,र,ल,व, और सभी स्वर अल्पप्राण है। ४. महाप्राण- जिन वर्णों के उच्चारण में प्राण वायु अधिक मात्रा में बाहर निकलती है उन्हें महाप्राण कहते हैं प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा तथा श,ष,स,ह, महाप्राण वर्ण है। How To Write Hindi Varnamalaहिंदी वर्णमाला में 52 अक्षर होते हैं , जो निम्नलिखित हैं :-
हिंदी वर्णमाला ( Hindi Varnamala PDF) इसे भी पढ़े- यूपीएससी परीक्षा देने से पहले जाने UPSC Exam की पूरी जानकारी हिंदी में हम आशा करते हैं कि आपको ‘वर्णमाला‘() के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो गई होगी अगर आपको पूरी जानकारी प्राप्त हो गई है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बताइए अगर आपका कोई सवाल है तो हमसे पूछे हम आपके सवाल का जवाब देने का प्रयास करेंगे। हिंदी में स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले अक्षर क्या कहलाते हैं?स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण, स्वर कहलाते हैं। हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ आदि।
हिंदी में स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले अक्षर क्या कहलाते हैं 5 points?इनकी संख्या आठ है- आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ । तथा औ। इनमें से 'लू' ध्वनि का दीर्घ रूप 'लू' केवल वेदों में प्राप्त होता है । अन्तिम चार वर्णों को संयुक्त वर्ण (स्वर) भी कहते हैं, क्योंकि ए, ऐ, ओ तथा औ दो स्वरों के मेल से बने हैं।
हिंदी में शब्दांश कितने प्रकार के होते हैं?किसी भी शब्द को अंशों में तोड़कर बोला जा सकता है और शब्दांश शब्द के वह अंश होते हैं जिन्हें और ज़्यादा छोटा नहीं बनाया जा सकता वरना शब्द की ध्वनियाँ बदल जाती हैं। उदाहरणतः 'अचानक' शब्द के तीन शब्दांश हैं - 'अ', 'चा' और 'नक'।
हिंदी भाषा में कुल कितनी ध्वनियां होती है?यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वर्णमाला में अनुस्वार और अनुनासिक ध्वनियों की गणना एक ध्वनि के रूप में ही की जाती है। इस प्रकार अयोगवाह ध्वनियाँ दो ही बचती हैं। इस प्रकार हमने देखा कि हिंदी वर्णमाला में वर्णमाला में कुल 12 स्वर हैं, 45 व्यंजन हैं तथा दो अयोगवाह ध्वनियाँ है। ये सभी ध्वनियाँ परस्पर मिलकर 59 हो जाती है।
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