होई है वही जो राम रची राखा।। को करी तर्क बढ़ावहि शाखा।। > हनुमानजी इस कलियुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहां रहते हैं, कब-कब व कहां-कहां प्रकट होते हैं और उनके दर्शन कैसे और किस तरह किए जा सकते हैं, हम यह आपको बताएंगे अगले पन्नों पर। और हां, अंतिम दो पन्नों पर जानेंगे आप एक ऐसा रहस्य जिसे जानकर आप सचमुच ही चौंक जाएंगे...> Show चारों जुग परताप
तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥ चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है। द्वंद्व में रहने वाले का हनुमानजी सहयोग नहीं करते हैं। हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति को जीवन में श्रीराम की कृपा के बिना कोई भी सुख-सुविधा प्राप्त नहीं हो सकती है। श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए हमें हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहिए। उनकी आज्ञा के बिना कोई भी श्रीराम तक पहुंच नहीं सकता। हनुमानजी की शरण में जाने से सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही जब हनुमानजी हमारे रक्षक हैं तो हमें किसी भी अन्य देवी, देवता, बाबा, साधु, ज्योतिष आदि की बातों में भटकने की जरूरत नहीं। युवाओं के आइडल बजरंग बली हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम है। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं और अंतत: वे अपना जीवन नष्ट ही कर लेते हैं... क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का राम ही भला करे। क्यों प्रमुख देव हैं हनुमान : हनुमानजी 4 कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। पहला यह कि वे रीयल सुपरमैन हैं, दूसरा यह कि वे पॉवरफुल होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं, तीसरा यह कि वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा यह कि वे आज भी सशरीर हैं। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमानजी। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती। अगले पन्ने पर पहला, सबसे बड़ा रहस्य.. चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥ संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥ और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥> > चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आज भी हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमान की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम हैं। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं, क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का राम ही भला करे। अगले पन्ने पर, हनुमान के दर्शन कैसे हों... 1.पुराणों के अनुसार श्रीराम एवं सीता माता ने बजरंगबली को कलयुग में अधर्म के नाश और धर्म के प्रसार के लिए अमरत्व का वरदान दिया था। इसी कारण धरती पर कुछ प्रमुख स्थानों को हनुमान का निवास स्थान माना जाता है। इन्हीं विशेष जगहों में से गंधमादन पर्वत एक है। 2.गंधमादन एक छोटा-सा पर्वत है, जो हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित है। वर्तमान में ये तिब्बत के क्षेत्र में आता है। यहां जाने के तीन रास्ते हैं। पहला मार्ग नेपाल होते हुए मानसरोवर के आगे, दूसरा विकल्प भूटान के पहाड़ी इलाके से और तीसरा रास्ता अरुणाचल से चीन होते हुए है। 3.गंधमादन पर्वत बजरंगबली का निवास स्थान है, इस बात की पुष्टि कई पुराणों एवं हिंदू धर्म ग्रंथों में हुई है। श्रीमद् भागवत गीता में इस पर्वत के बारे में प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। एक अन्य ग्रंथ महाभारत में भी इस पर्वत का विवरण है। इसमें पांडव और हनुमान के भेंट के बारे में बताया गया है। 4.हनुमान जी ने पूरी धरती में गंधमादन को ही अपना निवास स्थान क्यों बनाया, इस बात का उत्तर श्रीमद् भगावत् पुराण में मिलता है। इस धर्म ग्रंथ के अनुसार जब प्रभु श्रीराम धरती से बैकुंठ को प्रस्थान कर रहें थे, तभी उन्होंने हनुमान को धरती पर रहने का आदेश दिया। प्रभु की इच्छानुसार बजरंगबली ने ईश्वरीय शक्ति से युक्त गंधमादन को अपना निवास स्थल चुना। 5.इस पर्वत पर एक मंदिर है। जिसमें बजरंगबली के साथ श्रीराम की भी मूर्ति है। पुराणों के अनुसार इसी स्थान पर प्रभु श्रीराम ने वानर सेना के साथ मिलकर रावण के साथ युद्ध के लिए योजना बनाई थी। कई लोगों का मानना है कि आज भी इस जगह श्रीराम के पद् चिन्ह् मौजूद हैं। 6.अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव हिमवंत पार करके गंधमादन पर्वत के पास पहुंचे थे। तभी भीम सहस्त्रदल कमल लेने के लिए इस पर्वत के वन में आए थे। वहां उन्होंने हनुमान को लेटा देखा। भीम ने बजरंगबली को उस स्थान से हटने को कहा, किंतु हनुमान नहीं हटे। उन्होंने भीम से उनका पैर हटाकर जाने को कहा। शक्तिशाली होने के बावजूद भीम हनुमान को नहीं हटा सके, इस प्रकार उनका घमंड भी चूर-चूर हो गया था। 7.गंधमादन पर्वत को पहले भगवान कुबेर का राज्य क्षेत्र माना जाता था। इसके अलावा इस भूमि को महर्षि कश्यप के वास स्थाान के रूप में भी जाना जाा है। क्योंकि यहां उहोंने हां घोर तप किया था। 8.गंधमादन पर्वत के नामकरण की कथा भी रोचक है। ग्रंथों के वर्णन के अनुसार इस पर्वत पर कई जड़ी-बूटियों के वृक्ष है। पूरा वन इनसे सुगंधित होता है। इसी कारण पर्वत का नाम गंधमादन पड़ा। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में इन्हें गजदंत पर्वत के नाम से भी जाना जाता था। 9.उत्तर दिशा के अलावा रामेश्वर में भी एक गंधमादन पर्वत है। इस स्थान से हनुमान जी ने समुद्र पार कर लंका पहुंचने के लिए छलांग लगाई थी। हनुमान जी पृथ्वी पर कब तक रहेंगे?कहते हैं कि हनुमान जी कलयुग के खत्म होने तक धरती पर ही रहेंगे। क्योंकि लोक कल्याण के लिए श्रीराम ने उन्हें ये वरदान दिया था। धरती पर बजरंगबली के आज भी मौजूद होने का सबूत कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित गंधमादन पर्वत पर देखने को मिलता है।
हनुमान जी के पैर के नीचे कौन है?हनुमानजी के पैर तले स्त्री रूप में विराजे हैं शनिदेव | हनुमानजी के पैर तले स्त्री रूप में विराजे हैं शनिदेव - Dainik Bhaskar.
क्या हनुमान जी सच में धरती पर है?कुल मिलाकर हनुमान जी को हिंदू पुराणों के अनुसार इस धर्म के सभी भगवानों में से एकमात्र हमेशा धरती पर रहने वाला भगवान माना गया है।
हनुमान जी कहाँ रहते हैं?श्रीमद् भगावत् पुराण में बताया गया है कि ऐसा पवित्र स्थान गंधमादन पर्वत है। यहीं पर राम जी के दुलारे और कलियुग में धर्म के रक्षक हनुमान जी निवास करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि गंधमादन पर्वत कैलास पर्वत के उत्तर में स्थित है। इस पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तपस्या की थी।
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