गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गयी है? - gadyaansh mein krodh aur agni kee tulana kyon kee gayee hai?

इसे सुनेंरोकेंवामीरो की माँ को दृश्य अपमानजनक लगा था, क्योंकि वामीरो की माँ को गाँव के समक्ष अपमान महसूस हुआ था। जब पासा गांव में पशु पर्व मेले का आयोजन हुआ तो उस मेले में ताताँरा वामीरो की बहुत दिन बाद मुलाकात हुई थी। ताताँरा वामीरो को मेले ढूंढता रहा। जैसे ही उसने वामीरो को देखा तो वामीरो उसे देखते ही रोने लगी और कुछ बोली नहीं।

विवाह की निषेध परंपरा क्या थी?

इसे सुनेंरोकेंवामीरो की माँ ने तताँरा से झगड़ा किया उसे विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था II. III. वामीरो अब विवाह के लिए तैयार न थी।

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लोग क्या देख कर सिहर उठे * वामीरो को चीखता धरती को फटते बिजली की चमक तन तारा का क्रोध?

इसे सुनेंरोकेंजब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा। उत्तर: तताँरा बहुत गुस्से में था क्योंकि उसे लगने लगा था कि गाँव वाले उसकी और वामीरो की शादी नहीं होने देंगे। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।

प्रश्न गद्यांश में क्रोध की तुलना अग्नि से क्यों की गई है?

इसे सुनेंरोकेंक्रोध और अग्नि दोनों ही बड़े गर्म होते हैं। II क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है| III. . तताँरा का स्वभाव बहुत गुस्से वाला था|

वामीरो तताँरा को पुकारते हुए क्यों चीख रही थी?

इसे सुनेंरोकेंपक्षियों की सायंकालीन चहचहाटें शनैः शनैः क्षीण होने को थीं। उसका मन शांत था। विचारमग्न तताँरा समुद्री बालू पर बैठकर सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणों को समुद्र पर निहारने लगा। तभी कहीं पास से उसे मधुर गीत गूंजता सुनाई दिया।

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वामीरो फूट फूटकर क्यों रोने लगी?

इसे सुनेंरोकेंतताँरा का मन इन में से किसी भी कार्यक्रम में नहीं लग रहा था। उसकी परेशान आँखे तो वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थी। जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो उसकी आँखें नमी से भरी थी और उसके होंठ डर कर काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वामीरो फुट -फुटकर रोने लगी।

दोनों एक दूसरे को मूर्तिवत क्यों ताकते रहते थे?

इसे सुनेंरोकेंउसका व्यक्तित्व कदाचित वैसा ही था; जैसा वह अपने जीवन-साथी के बारे में सोचती रही थी। किंतु एक-दूसरे गाँव के युवक के साथ यह संबंध परंपरा के विरुद्ध था। अतएव उसने उसे भूल जाना ही श्रेयस्कर समझा। किंतु यह असंभव जान पड़ा।

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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 2 with Solutions

निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य निर्देश:
(क) इस प्रश्न-पत्र के दो खंड हैं- ‘अ’ और ‘ब’।
(ख) खंड ‘अ’ में कुल 10 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों में उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(ग) खंड ‘ब’ में कुल 7 वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)

अपठित गद्यांश (अंक 10)

प्रश्न 1.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 = 5)
वर्तमान युग कंप्यूटर युग है। यदि भारतवर्ष पर नज़र दौड़ाकर देखें तो हम पाएँगे कि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रवेश हो गया है। बैंक, रेलेव-स्टेशन, हवाई अड्डे, डाक खाने, बड़े-बड़े उद्योग-कारखाने, व्यवसाय, हिसाब-किताब, रुपये गिनने तक की मशीनें कंप्यूटरीकृत हो गई हैं। अब भी यह कंप्यूटर का प्रारंभिक प्रयोग है। आने वाला समय इसके विस्तृत फैलाव का संकेत दे रहा है। प्रश्न उठता है कि क्या कंप्यूटर आज की ज़रूरत है?

इसका उत्तर है- कंप्यूटर जीवन की मूलभूत अनिवार्य वस्तु तो नहीं है, किंतु इसके बिना आज की दुनिया अधूरी जान पड़ती है। सांसारिक गतिविधियों, परिवहन और संचार उपकरणों आदि का ऐसा विस्तार हो गया है कि उन्हें सुचारु रूप से चलाना अत्यंत कठिन होता जा रहा है। पहले मनुष्य जीवन-भर में अगर सौ लोगों के संपर्क में आता था तो आज वह दो-हज़ार लोगों के संपर्क में आता है। पहले दिन में पाँच-दस लोगों से मिलता था तो आज पचास-सौ लोगों से मिलता है। पहले वह दिन में काम करता था तो आज रातें भी व्यस्त रहती हैं। आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़ रहे हैं, गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं, साधन बढ़ रहे हैं। इस अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है।

इस आवश्यकता ने अपने अनुसार निदान ढूँढ लिया है। कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है जो कैसी भी, अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती है। हड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर राम बाण औषधि है। क्रिकेट के मैदान में अंपायर की निर्णायक भूमिका हो या लाखों-करोड़ों की लंबी-लंबी गणनाएँ कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता है। पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थे, एक भूल से घबराकर और अधिक गड़बड़ी करते थे। परिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता था। अब कंप्यूटर की सहायता से काफी सुविधा हो गई है।

(i) वर्तमान युग कंप्यूटर का युग क्यों है?
(क) कंप्यूटर के बिना जीवन की कल्पना असंभव-सी हो गई है।
(ख) कंप्यूटर ने पूरे विश्व के लोगों को जोड़ दिया है।
(ग) कंप्यूटर जीवन की अनिवार्य मूलभूत वस्तु बन गया है।
(घ) कंप्यूटर मानव सभ्यता के सभी अंगों का अभिन्न अवयव बन चुका है।
उत्तर
(क) कंप्यूटर के बिना जीवन की कल्पना असंभव-सी हो गई है।

(ii) गद्यांश के अनुसार कंप्यूटर के महत्व के विषय में कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कंप्यूटर काम के तनाव को समाप्त करने का उपाय है।
(ख) कंप्यूटर कई मानवीय भूलों को निर्णायक रूप से सुधार देता है।
(ग) कंप्यूटर के आने से सारी हड़बड़ाहट दूर हो गई है।
(घ) मानव की सारी समस्याओं का हल कंप्यूटर से संभव है।
उत्तर
(ख) कंप्यूटर कई मानवीय भूलों को निर्णायक रूप से सुधार देता है।

(iii) गद्यांश के अनुसार किस आवश्यकता ने कंप्यूटर में अपना निदान ढूँढ लिया है?
(क) अनियंत्रित कर्मचारियों को अनुशासित करने की।
(ख) अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की।
(ग) अधिक से अधिक लोगों से जुड़ जन-जागरण लाने की
(घ) अधिक से अधिक कार्य कभी भी व कहीं भी करने की।
उत्तर
(ख) अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की।

(iv) कंप्यूटर के प्रयोग से पहले अधिक तनाव क्यों होता था?
(क) लंबी-लंबी गणनाएँ करनी पड़ती थीं।
(ख) गलतियों के डर से कर्मचारी घबराए रहते थे।
(ग) क्रिकेट मैचों में ग़लत निर्णय का ख़तरा रहता था।
(घ) मानवीय भूलों के कारण बड़ी दुर्घटनाएँ होती थीं।
उत्तर
(ख) गलतियों के डर से कर्मचारी घबराए रहते थे।

(v) कंप्यूटर के बिना आज की दुनिया अधूरी है क्योंकि
(क) सारी व्यवस्था, उपकरण और मशीनें कंप्यूटरीकृत हैं।
(ख) कंप्यूटर ही मानव एकीकरण का आधार है।
(ग) कंप्यूटर ने सारी प्रक्रियाएँ आसान बना दी हैं।
(घ) कंप्यूटर द्वारा मानव सभ्यता अधिक समर्थ हो गई है।
उत्तर
(क) सारी व्यवस्था, उपकरण और मशीनें कंप्यूटरीकृत हैं।

अथवा

पाठक आमतौर पर रूढ़िवादी होते हैं, वे सामान्यतः साहित्य में अपनी स्थापित मर्यादाओं की स्वीकृति या एक स्वप्न-जगत् में पलायन चाहते हैं। साहित्य एक झटके में उन्हें अपने आस-पास के उस जीवन के प्रति सचेत करता है, जिससे उन्होंने आँखें मूंद रखी थीं। शुतुरमुर्ग अफ्रीका के रेगिस्तानों में नहीं मिलते; वे हर जगह बहुतायत में उपलब्ध हैं।

प्रौद्योगिकी के इस दौर का नतीजा जीवन के हर गोशे में नकद फसल के लिए बढ़ता हुआ पागलपन है; और हमारे राजनीतिज्ञ, सत्ता के दलाल, व्यापारी, नौकरशाह-सभी लोगों को इस भगदड़ में नहीं पहुँचने, जैसा दूसरे करते हैं वैसा करने, चूहादौड़ में शामिल होने और कुछ-न-कुछ हांसिल कर लेने को जिए जा रहे हैं। हम थककर साँस लेना और अपने चारों ओर निहारना, हवा के पेड़ में से गुज़रते वक्त पत्तियों की मनहर लय-गतियों को और फूलों के जादुई रंगों को, फूली सरसों के चमकदार पीलेपन को, खिले मैदानों की घनी हरीतिमा को मर्मर ध्वनि के सौंदर्य, हिमाच्छादित शिखरों की भव्यता, समुद्र तट पर पछाड़ खाकर बिखरती हुई लहरों के घोष को देखना-सुनना भूल गए हैं।

कुछ लोग सोचते हैं कि पश्चिम का आधुनिकतावाद और भारत तथा अधिकांश तीसरी दुनिया के नव-औपनिवेशिक चिंतन के साथ अपनी जड़ों से अलगाव, व्यक्तिवादी अजनबियत में हमारा अनिवार्य बे-लगाम साव, अचेतन के बिंब, बौद्धिकता से विद्रोह, यह घोषणा कि ‘दिमाग अपनी रस्सी के अंतिम सिरे पर है’, यथार्थवाद का विध्वंस, काम का ऐन्द्रिक सुख मात्र रह जाना और मानवीय भावनाओं का व्यावसयीकरण तथा निम्नस्तरीयकरण इस अंधी घाटी में आ फँसने की वजह है।

लेकिन वे भूल जाते हैं कि आधुनिकीकरण इतिहास की एक सच्चाई है, कि नई समस्याओं को जन्म देने और विज्ञान को अधिक जटिल बनाने के बावजूद आधुनिकीकरण, एक तरह से मानव जाति की नियति है। मेरा सुझाव है कि विवेकहीन आधुनिकता के बावजूद आधुनिकता की दिशा में धैर्यपूर्वक सुयोजित प्रयास होने चाहिए। एक आलोचक किसी नाली में भी झाँक सकता है, पर वह नाली-निरीक्षक नहीं होता। लेखक का कार्य दुनिया को बदलना नहीं, समझना है। साहित्य क्रांति नहीं करता; वह मनुष्यों का दिमाग बदलता है और उन्हें क्रांति की आवश्यकता के प्रति जागरूक बनाता है।

(i) गद्यांश में ‘शुतुरमुर्ग’ की संज्ञा किसे दी गई है?
(क) लेखक, जो संसार को समझना चाहता है।
(ख) राजनीतिज्ञ, जो अपने स्वार्थ साधना चाहता है।
(ग) पाठक, जो सपनों की दुनिया में रहना चाहता है।
(घ) नौकरशाह, जो दूसरों जैसा बनने को होड़ में शामिल है।
उत्तर
(ग) पाठक, जो सपनों की दुनिया में रहना चाहता है।

(ii) आधुनिकता की दिशा में सुयोजित प्रयास क्यों होने चाहिए?
(क) इससे जीवन सुगम हो जाएगा तथा मानव प्रकृति का आनंद ले सकेगा।
(ख) नई समस्याओं को जन्म लेने के पहले ही रोका जा सकेगा।
(ग) आधुनिक होने की प्रक्रिया सदा से मानव सभ्यता का अंग रही है।
(घ) इससे विज्ञान सरल हो अधिक मानव कल्याणी हो सकेगा।
उत्तर
(ग) आधुनिक होने की प्रक्रिया सदा से मानव सभ्यता का अंग रही है।

(iii) ‘नक़द फ़सल के लिए बढ़ता हुआ पागलपन’ से क्या तात्पर्य है?
(क) लोग तुरंत व अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं।
(ख) लोग प्रकृति को समय नहीं देना चाहते हैं।
(ग) लोग थके हुए हैं पर विश्राम नहीं करना चाहते हैं।
(घ) लोग भौतिकतावादी तथा अमीर लोगों की नकल करना चाहते हैं।
उत्तर
(क) लोग तुरंत व अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं।

(iv) पाठक साहित्य से आमतौर पर क्या अपेक्षा रखते हैं?
(क) साहित्य को हमारे मन की बात कहनी चाहिए।
(ख) साहित्य को संसार को यथावत समझना चाहिए।
(ग) साहित्य तनाव कम करने वाला होना चाहिए।
(घ) साहित्य को जीवन कौशलों व मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए।
उत्तर
(ख) साहित्य को संसार को यथावत समझना चाहिए।

(v) लेखक के अनुसार साहित्य क्या कार्य करने के लिए प्रेरित करता है?
(क) लोगों के यथार्थ से अवगत करा बदलाव के लिए।
(ख) लोगों को जीवन की समस्याओं को भुला आगे बढ़ते जाने के लिए।
(ग) लोगों को यथार्थवाद का विध्वंस करने के लिए।
(घ) लोगों को भावनाओं व ऐन्द्रिक सुख से ऊपर उठ कार्य करने के लिए।
उत्तर
(क) लोगों के यथार्थ से अवगत करा बदलाव के लिए।

प्रश्न 2.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 = 5)
पशु को बाँधकर रखना पड़ता है, क्योंकि वह निरंकुश है। चाहे जहाँ-तहाँ चला जाता है, इधर-उधर मुँह मार देता है। क्या मनुष्य को भी इसी प्रकार दूसरों का बंधन स्वीकार करना चाहिए? क्या इससे उसमें मनुष्यत्व रह पाएगा। पशु के गले की रस्सी को एक हाथ में पकड़ कर और दूसरे हाथ में एक लकड़ी लेकर जहाँ चाहो हाँककर ले जाओ। जिन लोगों को इसी प्रकार हाँके जाने का स्वभाव पड़ गया है, जिन्हें कोई भी जिधर चाहे ले जा सकता है, काम में लगा सकता है, उन्हें भी पशु ही कहा जाएगा।

पशु को चाहे कितना मारो, चाहे कितना उसका अपमान करो, बाद में खाने को दे दो, वह पूँछ और कान हिलाने लगेगा। ऐसे नर-पशु भी बहुत से मिलेंगे जो कुचले जाने और अपमानित होने पर भी जरा-सी वस्तु मिलने पर चट संतुष्ट और प्रसन्न हो जाते हैं। कुत्ते को कितना ही ताड़ना देने के बाद उसके सामने एक टुकड़ा डाल दो, वह झट से मार-पीट को भूल कर उसे खाने लगेगा। यदि हम भी ऐसे ही हैं तो हम कौन हैं, इसे स्पष्ट कहने की आवश्यकता नहीं।

पशुओं में भी कई पशु मार-पीट और अपमान को नहीं सकते। वे कई दिन तक निराहार रहते हैं, कई पशुओं ने तो प्राण त्याग दिए, ऐसा सुना जाता है पर इस प्रकार के पशु मनुष्य-कोटि के हैं, उनमें मनुष्यत्व का समावेश है, यदि ऐसा कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी।

(i) कई पशुओं ने प्राण त्याग दिए। क्योंकि
(क) उन्हें विद्रोह करने की अपेक्षा प्राण त्यागना उचित लगा।
(ख) उन्हें तिरस्कृत हो जीवन जीना उचित नहीं लगा।
(ग) वह यह शिक्षा देना चाहते थे की प्यार, मार-पीट से अधिक कारगर है।
(घ) वह यह दिखाना चाहते थे कि लोगों को उनकी आवश्यकता अधिक है न कि उन्हें लोगों की।
उत्तर
(ख) उन्हें तिरस्कृत हो जीवन जीना उचित नहीं लगा।

(ii) बंधन स्वीकार करने से मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ेंगे?
(क) मनुष्य सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से कम स्वतंत्र हो जाएगा।
(ख) मनुष्यत्व में व्यक्तिगत इच्छा व निर्णय का तत्व समाप्त हो जाएगा।
(ग) मनुष्य बँधे हुए पशु समान हो जाएगा।
(घ) मनुष्य की निरंकुशता में परिवर्तन हो जाएगा।
उत्तर
(ख) मनुष्यत्व में व्यक्तिगत इच्छा व निर्णय का तत्व समाप्त हो जाएगा।

(iii) मनुष्यत्व को परिभाषित करने हेतु कौन-सा मूल्य अधिक महत्वपूर्ण है?
(क) स्वतंत्रता
(ख) न्याय
(ग) शांति
(घ) प्रेम
उत्तर
(क) स्वतंत्रता

(iv) गद्यांश के अनुसार कौन-सी उद्घोषणा की जा सकती है?
(क) सभी पशुओं में मनुष्यत्व है।
(ख) सभी मनुष्यों में पशुत्व है।
(ग) मानव के लिए बंधन आवश्यक नहीं है।
(घ) मान-अपमान की भावना केवल मानव ही समझता है।
उत्तर
(ग) मानव के लिए बंधन आवश्यक नहीं है।

(v) गद्यांश में नर और पशु की तुलना किन बातों को लेकर की गई है?
(क) पिटने की क्षमता।
(ख) पूँछ-कान आदि को हिलना।
(ग) बंधन स्वीकार करना।
(घ) लकड़ी द्वारा हाँके जाना।
उत्तर
(ग) बंधन स्वीकार करना।

अथवा

व्यक्ति चित्त सब समय आदर्शों द्वारा चालित नहीं होता। जितने बड़े पैमाने पर मनुष्य की उन्नति के विधान बनाए गए, उतनी ही मात्रा में लोभ, मोह जैसे विकार भी विस्तृत होते गए, लक्ष्य की बात भूल गए, आदर्शों को मज़ाक का विषय बनाया गया और संयम को दकियानूसी मान लिया गया।

परिणाम जो होना था, वह हो रहा है। यह कुछ थोड़े-से लोगों के बढ़ते हुए लोभ का नतीजा है, परंतु इससे भारतवर्ष के पुराने आदर्श और भी अधिक स्पष्ट रूप से महान और उपयोगी दिखाई देने लगे हैं। भारतवर्ष सदा कानून को धर्म के रूप में देखता आ रहा है। आज एकाएक कानून और धर्म में अंतर कर दिया गया है।

धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, कानून को दिया जा सकता है। यही कारण है कि जो धर्मभीरु हैं, वे भी त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते। इस बात के पर्याप्त प्रमाण खोज जा सकते हैं कि समाज के ऊपरी वर्ग में चाहे जो भी होता रहा हो, भीतर-बाहर भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि धर्म कानून से बड़ी चीज़ है। अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं।

वे दब अवश्य गए हैं, लेकिन नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है, महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ और चोरी को ग़लत समझता है, दूसरों को पीड़ा पहुँचाने को पाप समझता है।

(i) मनुष्य ने आदर्शों को मज़ाक का विषय किस कारण बना लिया?
(क) कानून
(ख) उन्नति
(ग) लोभ
(घ) धर्मभीरुता
उत्तर
(ग) लोभ

(ii) धर्म एवं कानून के संदर्भ में भारत के विषय में कौन-सा कथन सबसे अधिक सही है?
(क) महिलाओं का सम्मान धर्म तो है, पर कानून नहीं है।
(ख) धर्म और कानून दोनों को धोखा दिया जा सकता है।
(ग) भले लोगों के लिए कानून नहीं चाहिए और बुरे इसकी परवाह नहीं करते हैं।
(घ) भारत का निचला वर्ग कदाचित अभी भी कानून को धर्म के रूप में देखता है।
उत्तर
(ग) भले लोगों के लिए कानून नहीं चाहिए और बुरे इसकी परवाह नहीं करते हैं।

(iii) भारतवर्ष में सेवा और सच्चाई के मूल्य ……………….. रेखांकित के लिए विकल्प छाँटिए
(क) मनुष्य की समाज पर निर्भरता में कमी होने के कारण इनमें ह्रास हुआ है।
(ख) जीवन में उन्नति के बड़े पैमाने के कारण कहीं छिप-से गए हैं।
(ग) न्यायालयों में कानून की सत्याभासी धाराओं में उलझकर रहे गए हैं।
(घ) परमार्थ के लिए जीवन की बाजी लगाने वाले यह सिद्ध करते हैं कि यह व्यक्ति के मन को अभी भी नियंत्रित कर रहे हैं।
उत्तर
(ख) जीवन में उन्नति के बड़े पैमाने के कारण कहीं छिप-से गए हैं।

(iv) भारतवर्ष का बड़ा वर्ग बाहर-भीतर कदाचित क्या अनुभव कर रहा है?
(क) धर्म, कानून से बड़ी चीज़ है।
(ख) कानून, धर्म से बड़ी चीज़ है।
(ग) संयम अशक्त और अकर्मण्ण्य लोगों के लिए है।
(घ) आदर्श और उसूलों से यथार्थ जीवन असंभव है।
उत्तर
(क) धर्म, कानून से बड़ी चीज़ है।

(v) निम्नलिखित में से सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक का चयन कीजिए।
(क) उन्नति के संदर्भ में जीवन मूल्यों की प्रासंगिकता
(ख) मानव चित्त के आकर्षण निवारण में आदर्शों की भूमिका
(ग) समाज कल्याण हेतु धर्म और कानून का सहअस्तित्व
(घ) धार्मिक व सार्वभौमिक मूल्यों का एकीकरण
उत्तर
(क) उन्नति के संदर्भ में जीवन मूल्यों की प्रासंगिकता

व्यावहारिक व्याकरण (अंक 16)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) ‘तताँरा बहुत बलशाली भी था।’ रेखांकित में पद है
(क) संज्ञा पद
(ख) सर्वनाम पद
(ग) विशेषण पद
(घ) क्रिया पद
उत्तर
(ग) विशेषण पद

(ii) वे माँ से कहानी सुनते रहते हैं।’ वाक्य में क्रियापदबंध है
(क) वे माँ से
(ख) माँ से कहानी
(ग) सुनते रहते हैं
(घ) कहानी सुनते
उत्तर
(ग) सुनते रहते हैं

(iii) बँगले के पीछे लगा पेड़ गिर गया। वाक्य में रेखांकित पदबंध है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) विशेषण पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर
(ग) विशेषण पदबंध

(iv) वाक्य ……………………..’ से बनता है।
(क) स्वर
(ख) व्यंजन
(ग) शब्द
(घ) पद
उत्तर
(घ) पद

(v) मैं तेज़ी से दौड़ता हुआ घर पहुँचा। रेखांकित में कौन-सा पदबंध है
(क) क्रियाविशेषण पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) संज्ञा पदबंध
(घ) क्रिया पदबंध
उत्तर
(क) क्रियाविशेषण पदबंध

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 =4)
(i) ‘बच्चे आए हैं और खेल रहे हैं।’ वाक्य-रचना की दृष्टि से है।
(क) मिश्र वाक्य
(ख) सरल वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) सामान्य वाक्य
उत्तर
(ग) संयुक्त वाक्य

(ii) “राम घर गया। उसने माँ को देखा।” का संयुक्त-वाक्य होगा
(क) राम ने घर जाकर माँ को देखा।
(ख) राम घर गया और उसने माँ को देखा।
(ग) राम घर गया अतः उसने माँ को देखा।
(घ) जब राम घर गया तब उसने माँ को देखा।
उत्तर
(ख) राम घर गया और उसने माँ को देखा।

(iii) निम्नलिखित में मिश्र-वाक्य है
(क) चोर को देखकर सिपाही उसे पकड़ने दौड़ा।
(ख) नेताजी भाषण देकर चले गए।
(ग) सेठ जानता है कि नौकर ईमानदार है।
(घ) उसने खाना खाया और सो गया।
उत्तर
(ग) सेठ जानता है कि नौकर ईमानदार है।

(iv) निम्नलिखित में संयुक्त-वाक्य है
(क) वह बाज़ार पुस्तक ख़रीदने गया।
(ख) वह बाज़ार से पुस्तक ख़रीद लाया।
(ग) जब वह बाज़ार गया तब पुस्तक ख़रीद लाया।
(घ) वह बाज़ार गया और पुस्तक ख़रीद लाया।
उत्तर
(घ) वह बाज़ार गया और पुस्तक ख़रीद लाया।

(v) मिश्र वाक्य को संयुक्त वाक्य में अथवा संयुक्त को सरल वाक्य में बदलने को कहते हैं
(क) वाक्य निर्माण
(ख) वाक्य रूपांतरण
(ग) वाक्य प्रक्रिया
(घ) वाक्य संश्लेषण
उत्तर
(क) वाक्य निर्माण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) ‘महावीर’- शब्द में कौन-सा समास है-
(क) कर्मधारय
(ख) द्विगु ।
(ग) तत्पुरुष
(घ) अव्ययीभाव
उत्तर
(क) कर्मधारय

(ii) ‘वनगमन’- समस्तपद का विग्रह होगा
(क) वन का गमन
(ख) वन से गमन
(ग) वन को गमन
(घ) वन और गमन
उत्तर
(ग) वन को गमन

(iii) ‘पीत है जो अंबर’- का समस्तपद है
(क) पितांबर
(ख) पीतम्बर
(ग) पीतांबर
(घ) पीला अंबर
उत्तर
(ग) पीतांबर

(iv) ‘गुरुदक्षिणा’ शब्द के सही समास-विग्रह का चयन कीजिए।
(क) गुरु से दक्षिणा–तत्पुरुष समास
(ख) गुरु का दक्षिणा-तत्पुरुष समास
(ग) गुरु की दक्षिणा–तत्पुरुष समास
(घ) गुरु के लिए दक्षिणा-तत्पुरुष समास
उत्तर
(घ) गुरु के लिए दक्षिणा-तत्पुरुष समास

(v) ‘दिनचर्या’ समस्तपद का विग्रह है
(क) दिन की चर्या
(ख) दिन में आराम
(ग) दिन में चलना
(घ) दिन भर खाना
उत्तर
(क) दिन की चर्या

प्रश्न 6.
निम्नलिखित चारों भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 =4)
(i) पढ़ाई में मेहनत कर मैं …………. हो सकता हूँ। मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
(क) अंधों में काना राजा
(ख) एक पंथ दो काज
(ग) अपना हाथ जगन्नाथ
(घ) पैरों पर खड़ा होना
उत्तर
(घ) पैरों पर खड़ा होना

(ii) ‘विपत्ति में उसकी अक्ल …… उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
(क) खो जाना
(ख) ठनक जाना
(ग) चकरा जाना
(घ) आगबबूला हो जाना
उत्तर
(ग) चकरा जाना

(iii) सच्चे शूरवीर देश की रक्षा में प्राणों की ……….. हैं। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए
(क) बाजी लगा देते हैं।
(ख) जान लगा देते हैं।
(ग) ताकत लगा देते हैं।
(घ) आहुति लगा देते हैं।
उत्तर
(क) बाजी लगा देते हैं।

(iv) गरीब माँ-बाप अपना ……… कर बच्चों को पढ़ाते हैं और वे चिंता नहीं करते। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए।
(क) गला काट
(ख) पेट काट
(ग) खून बहा
(घ) मन लगा
उत्तर
(ख) पेट काट

पाठ्यपुस्तक (अंक 14)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (4 x 1 = 4)

कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो,
साँस थमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया,
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो ………. (1)

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं,
हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वो जवानी जो खू में नहाती नहीं,
आज धरती बनी है दुलहन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो……….(2)

(i) ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’- पंक्ति में ‘सर’ किसका प्रतीक है
(क) स्वाभिमान
(ख) सिर
(ग) घमंड
(घ) पराक्रम
उत्तर
(क) स्वाभिमान

(ii) पद्यांश में ‘बाँकपन’ शब्द प्रतीक है
(क) वक्रता
(ख) अद्भुत
(ग) छवि
(घ) बेमिसालपन
उत्तर
(घ) बेमिसालपन

(iii) धरती के दुलहन बनने से तात्पर्य है
(क) दुलहन की भाँति शर्मा रही है।
(ख) सैनिकों के खून से नहा गई है।
(ग) बलिदान से गौरवान्वित हुई है।
(घ) दुलहन की भाँति अपने प्रियतम की आस देख रही है।
उत्तर
(ग) बलिदान से गौरवान्वित हुई है।

(iv) सर पर कफन बाँधने का अर्थ है
(क) बलिदान के लिए तैयार होना।
(ख) मरने की कोशिश करना।
(ग) अपने लिए जान की बाजी लगाना।
(घ) लोगों को दिखाना कि हम मरने से नहीं डरते।
उत्तर
(क) बलिदान के लिए तैयार होना।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (5 x 1 = 5)
हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं, बल्कि दौड़ता है। कोई बोलना नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं, तब अपने आप से लगातार बड़बड़ाते रहते हैं। अमेरिका से हम प्रतिस्पर्धा करने लगे। एक महीने में पूरा होने वाला काम एक दिन में पूरा करने की कोशिश करने लगे। वैसे भी दिमाग की रफ्तार हमेशा तेज़ ही रहती है।

उसे ‘स्पीड’ का इंजन लगाने पर वह हज़ार गुना अधिक रफ्तार से दौड़ने लगता है। फिर एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है और पूरा इंजन टूट जाता है। यही कारण है जिससे मानसिक रोग यहाँ बढ़ गए हैं। अकसर हम या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्य काल में असल में दोनों ही काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया ही नहीं है।

हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते उस दिन दिमाग से भूत और भविष्य दोनों ही काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने थे। और वह अनंतकाल जितना विस्तृत था।

(i) गद्यांश में मानसिक रोगों के बढ़ने का कारण क्या बताया गया है?
(क) अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करना।
(ख) तेज़ रफ्तार से दौड़ते दिमाग का तनाव।
(ग) सामर्थ्य से अधिक कार्य करने का दबाव।
(घ) खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहना।
उत्तर
(ख) तेज़ रफ्तार से दौड़ते दिमाग का तनाव।

(ii) जीवन की रफ्तार बढ़ने का अर्थ है
(क) प्रतियोगी होना।
(ख) दूसरों को हराना।
(ग) तीव्र गति से कार्य का निष्पादन करना।
(घ) जल्दी बूढ़ा होना।
उत्तर
(ग) तीव्र गति से कार्य का निष्पादन करना।

(iii) ‘दोनों ही काल मिथ्या हैं’- इसका तात्पर्य है?
(क) समय सदा सत्य नहीं रहता।
(ख) दोनों ही काल झूठे हैं।
(ग) व्यक्ति का नियंत्रण केवल वर्तमान पर रहता है।
(घ) व्यक्ति को खट्टी-मीठी यादों में नहीं रहना चाहिए।
उत्तर
(ग) व्यक्ति का नियंत्रण केवल वर्तमान पर रहता है।

(iv) दिमाग पर स्पीड का इंजन क्यों लगाया जाता है?
(क) अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के लिए
(ख) दौड़ने की गति बढ़ाने के लिए
(ग) दिमाग की स्पीड बढ़ाने के लिए
(घ) दिमाग को तनावमुक्त रख अधिक कार्य करने के लिए।
उत्तर
(ग) दिमाग की स्पीड बढ़ाने के लिए

(v) अनंतकाल के विस्तृत होने का क्या कारण था?
(क) समय व्यतीत नहीं हो पाने के कारण
(ख) लेखक के बोर होने के कारण।
(ग) लेखक केवल वर्तमान के बारे में सोच पा रहा था।
(घ) क्योंकि आकाश का दूसरा नाम अनंत है।
उत्तर
(ग) लेखक केवल वर्तमान के बारे में सोच पा रहा था।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (5 x 1 = 5)
वामीरो के रुदन स्वरों को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग बबूला हो उठी। सारे गाँववालों की उपस्थिति में यह दृश्य उसे अपमानजनक लगा। इस बीच गाँव के कुछ लोग भी वहाँ पहुँच गए। वामीरो की माँ क्रोध में उफ़न उठी। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया।

गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय था। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था वहीं अपनी असहायता पर खीझ। वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था।

उसे मालूम न था कि क्या कदम उठाए चाहिए? अनायास उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका। क्रोध में उसने तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था।

(i) गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है?
(क) क्रोध और अग्नि दोनों ही बड़े गर्म होते हैं।
(ख) क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है।
(ग) तताँरा का स्वभाव बहुत गुस्से वाला था।
(घ) वामीरो की माँ और तताँरा दोनों ही गुस्से में थे।
उत्तर
(ख) क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है।

(ii) तताँरा को गुस्सा क्यों आया?
(क) वामीरो की माँ ने तताँरा से झगड़ा किया।
(ख) उसे विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था।
(ग) वामीरो अब विवाह के लिए तैयार न थी।
(घ) वामीरो ने तताँरा की सहायता नहीं की।
उत्तर
(ख) उसे विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था।

(iii) वामीरो की माँ को दृश्य अपमानजनक क्यों लगा?
(क) माँ को गाँव के समक्ष अपमान महसूस हुआ।
(ख) माँ को वामीरो के लिए तताँरा पसंद नहीं था।
(ग) माँ गाँव की परंपरा से बँधी थी।
(घ) माँ वामीरो से बहुत प्यार करती थी।
उत्तर
(ग) माँ गाँव की परंपरा से बँधी थी।

(iv) तताँरा-वामीरो कथा समाज की किस समस्या की ओर ध्यान इंगित कराती है?
(क) जाति-प्रथा
(ख) बेमेल-विवाह
(ग) विवाह के परंपरागत नियम
(घ) बाल-विवाह
उत्तर
(ग) विवाह के परंपरागत नियम

(v) ‘आग बबूला हो उठने’ का क्या अर्थ है
(क) अत्यधिक क्रोध आना
(ख) आग की प्रचंड लपटों की तरह लहराना
(ग) बच्चों की चिंता करना
(घ) बहुत परेशान हो उठना
उत्तर
(क) अत्यधिक क्रोध आना

खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40)

पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक (अंक 14)

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) एकांकी ‘कारतूस’ के अनुसार वज़ीर अली एक जाँबाज सिपाही कैसे था?
(ख) कहानी ‘बड़े भाई साहब’ के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
(ग) कबीर के अनुसार व्यक्ति अपने स्वभाव को निर्मल कैसे रख सकता है?
उत्तर
संभावित उत्तर संकेत
(क)

  • बहादुरी के किस्से प्रचलित थे।
  • अकेले कर्नल के खेमे में आ पहुँचा।
  • कर्नल से अपनी ही गिरफ्तारी के लिए कारतूस ले गया।
  • कर्नल को अपना परिचय दिया।
  • आसानी से कर्नल के खेमे से चला गया।

(ख)

  • जीवन की समझ अनुभव से आती है।
  • किताबी ज्ञान से नहीं आती।
  • अम्माँ, दादा, और हेडमास्टर की माँ के उदाहरण दिए।

(ग)

  • अपने आस-पास निंदक रखने चाहिए।
  • निंदक हमें हमारी त्रुटियाँ बताते रहते हैं।
  • निंदक वास्तव में हमारे सच्चे हितैषी होते हैं।

प्रश्न 11.
‘मनुष्यता’ कविता और ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ का केंद्रीय भाव एक ही है। लगभग 60-70 शब्दों में सिद्ध कीजिए। (1 x 4 = 4)
उत्तर
संभावित उत्तर संकेत

  • मनुष्यता कविता- मानव के त्याग, बलिदान, मानवीय एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता, करुणा आदि पर बल देती है।
  • अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ का प्रतिपाद्य- मानव और प्रकृति के सामंजस्य, मानव और प्रकृति
    के अन्य जीवधारियों के मध्य सामंजस्य जिसके अंतर्गत सहानुभूति, सद्भाव, उदारता, प्रेम, त्याग और करुणा पर बल दिया गया है।
  • ऊपर दिए गए सभी गुण- मनुष्यत्व के गुण हैं।
  • उदारता, करुणा, सद्भाव, सहानुभूति गुणों पर दोनों पाठ आधारित हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में लिखिए। (2 x 3 = 6)
(क) ‘सपनों के से दिन’ पाठ के लेखक और ‘टोपी शुक्ला’ नामक पात्र का बचपन एक जैसा-सा है। आपके बचपन से इनकी कथा कैसे मिलती-जुलती है?
(ख) रामदुलारी की मार से टोपी पर क्या प्रभाव पड़ा? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
(ग) महंत और अपने भाई हरिहर काका को एक जैसे क्यों लगने लगते हैं? ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
संभावित उत्तर संकेत
(क)

  • खेल-कूद में मन लगना।
  • स्कूल के मस्ती भरे दिन।
  • अध्यापकों तथा अभिभावकों का डर।
  • बचपन में मिला अपनापन और प्यार।
  • मित्रता भेद-भाव नहीं मानती है।

(ख)

  • टोपी पिटता रहा लेकिन रामदुलारी की इस बात को नहीं स्वीकारा कि वह इफ्फ़न के घर फिर कभी नहीं जाएगा।
  • टोपी बहुत उदास हो गया था।
  • उसका सारा बदन दुखता रहा था।
  • वह बस यही सोचता रहा था
  • कि काश वह एक दिन के लिए मुन्नी बाबू से बड़ा हो पाता और उसे सबक सिखा पाता।

(ग)

  • दोनों ही स्वार्थ में डूबे हुए थे।
  • दोनों में से कोई भी हरिहर काका को नहीं, उनकी जमीन-जायदाद चाहते थे।
  • उनकी जमीन हथियाने के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते हैं।
  • दिखावा करने के अलावा दोनों कुछ नहीं करते थे।
  • दोनों हरिहर काका की जान तक लेने को तैयार थे।

लेखन (अंक 26)

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 80-100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (1 x 6 = 6)

गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है?

गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना इसलिए की गई है, क्योंकि क्रोध भी अग्नि की तरह ही भड़कता है। और फिर दोनों नियंत्रण रखना कठिन होता है। जिस तरह अग्नि को भड़काने पर उतनी ही भड़कती जाती है। उसी तरह क्रोध भी लोगों के भड़काने पर, अपमान करने पर भड़कने लगता है।

अमीरों की मां को दृश्य अपमानजनक क्यों लगा?

वामीरो की माँ को दृश्य अपमानजनक लगा था, क्योंकि वामीरो की माँ को गाँव के समक्ष अपमान महसूस हुआ था। जब पासा गांव में पशु पर्व मेले का आयोजन हुआ तो उस मेले में ताताँरा वामीरो की बहुत दिन बाद मुलाकात हुई थी। ताताँरा वामीरो को मेले ढूंढता रहा। जैसे ही उसने वामीरो को देखा तो वामीरो उसे देखते ही रोने लगी और कुछ बोली नहीं।