इसे सुनेंरोकेंवामीरो की माँ को दृश्य अपमानजनक लगा था, क्योंकि वामीरो की माँ को गाँव के समक्ष अपमान महसूस हुआ था। जब पासा गांव में पशु पर्व मेले का आयोजन हुआ तो उस मेले में ताताँरा वामीरो की बहुत दिन बाद मुलाकात हुई थी। ताताँरा वामीरो को मेले ढूंढता रहा। जैसे ही उसने वामीरो को देखा तो वामीरो उसे देखते ही रोने लगी और कुछ बोली नहीं। Show विवाह की निषेध परंपरा क्या थी?इसे सुनेंरोकेंवामीरो की माँ ने तताँरा से झगड़ा किया उसे विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था II. III. वामीरो अब विवाह के लिए तैयार न थी। पढ़ना: संरूपण से आप क्या समझते हैं? लोग क्या देख कर सिहर उठे * वामीरो को चीखता धरती को फटते बिजली की चमक तन तारा का क्रोध? इसे सुनेंरोकेंजब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा। उत्तर: तताँरा बहुत गुस्से में था क्योंकि उसे लगने लगा था कि गाँव वाले उसकी और वामीरो की शादी नहीं होने देंगे। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। प्रश्न गद्यांश में क्रोध की तुलना अग्नि से क्यों की गई है?इसे सुनेंरोकेंक्रोध और अग्नि दोनों ही बड़े गर्म होते हैं। II क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है| III. . तताँरा का स्वभाव बहुत गुस्से वाला था| वामीरो तताँरा को पुकारते हुए क्यों चीख रही थी?इसे सुनेंरोकेंपक्षियों की सायंकालीन चहचहाटें शनैः शनैः क्षीण होने को थीं। उसका मन शांत था। विचारमग्न तताँरा समुद्री बालू पर बैठकर सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणों को समुद्र पर निहारने लगा। तभी कहीं पास से उसे मधुर गीत गूंजता सुनाई दिया। पढ़ना: स्टील कितने रुपए किलो बिकता है? वामीरो फूट फूटकर क्यों रोने लगी? इसे सुनेंरोकेंतताँरा का मन इन में से किसी भी कार्यक्रम में नहीं लग रहा था। उसकी परेशान आँखे तो वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थी। जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो उसकी आँखें नमी से भरी थी और उसके होंठ डर कर काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वामीरो फुट -फुटकर रोने लगी। दोनों एक दूसरे को मूर्तिवत क्यों ताकते रहते थे?इसे सुनेंरोकेंउसका व्यक्तित्व कदाचित वैसा ही था; जैसा वह अपने जीवन-साथी के बारे में सोचती रही थी। किंतु एक-दूसरे गाँव के युवक के साथ यह संबंध परंपरा के विरुद्ध था। अतएव उसने उसे भूल जाना ही श्रेयस्कर समझा। किंतु यह असंभव जान पड़ा। Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Course B Set 2 will help students in understanding the difficulty level of the exam. CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 2 with Solutionsनिर्धारित समय : 3 घंटे सामान्य निर्देश: खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40) अपठित गद्यांश (अंक 10) प्रश्न 1. इसका उत्तर है- कंप्यूटर जीवन की मूलभूत अनिवार्य वस्तु तो नहीं है, किंतु इसके बिना आज की दुनिया अधूरी जान पड़ती है। सांसारिक गतिविधियों, परिवहन और संचार उपकरणों आदि का ऐसा विस्तार हो गया है कि उन्हें सुचारु रूप से चलाना अत्यंत कठिन होता जा रहा है। पहले मनुष्य जीवन-भर में अगर सौ लोगों के संपर्क में आता था तो आज वह दो-हज़ार लोगों के संपर्क में आता है। पहले दिन में पाँच-दस लोगों से मिलता था तो आज पचास-सौ लोगों से मिलता है। पहले वह दिन में काम करता था तो आज रातें भी व्यस्त रहती हैं। आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़ रहे हैं, गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं, साधन बढ़ रहे हैं। इस अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस आवश्यकता ने अपने अनुसार निदान ढूँढ लिया है। कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है जो कैसी भी, अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती है। हड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर राम बाण औषधि है। क्रिकेट के मैदान में अंपायर की निर्णायक भूमिका हो या लाखों-करोड़ों की लंबी-लंबी गणनाएँ कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता है। पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थे, एक भूल से घबराकर और अधिक गड़बड़ी करते थे। परिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता था। अब कंप्यूटर की सहायता से काफी सुविधा हो गई है। (i) वर्तमान युग कंप्यूटर का युग क्यों है? (ii) गद्यांश के अनुसार कंप्यूटर के महत्व के विषय में कौन-सा विकल्प सही है? (iii) गद्यांश के अनुसार किस आवश्यकता ने कंप्यूटर में अपना निदान ढूँढ लिया है? (iv) कंप्यूटर के प्रयोग से पहले अधिक तनाव क्यों होता था? (v) कंप्यूटर के बिना आज की दुनिया अधूरी है क्योंकि अथवा पाठक आमतौर पर रूढ़िवादी होते हैं, वे सामान्यतः साहित्य में अपनी स्थापित मर्यादाओं की स्वीकृति या एक स्वप्न-जगत् में पलायन चाहते हैं। साहित्य एक झटके में उन्हें अपने आस-पास के उस जीवन के प्रति सचेत करता है, जिससे उन्होंने आँखें मूंद रखी थीं। शुतुरमुर्ग अफ्रीका के रेगिस्तानों में नहीं मिलते; वे हर जगह बहुतायत में उपलब्ध हैं। प्रौद्योगिकी के इस दौर का नतीजा जीवन के हर गोशे में नकद फसल के लिए बढ़ता हुआ पागलपन है; और हमारे राजनीतिज्ञ, सत्ता के दलाल, व्यापारी, नौकरशाह-सभी लोगों को इस भगदड़ में नहीं पहुँचने, जैसा दूसरे करते हैं वैसा करने, चूहादौड़ में शामिल होने और कुछ-न-कुछ हांसिल कर लेने को जिए जा रहे हैं। हम थककर साँस लेना और अपने चारों ओर निहारना, हवा के पेड़ में से गुज़रते वक्त पत्तियों की मनहर लय-गतियों को और फूलों के जादुई रंगों को, फूली सरसों के चमकदार पीलेपन को, खिले मैदानों की घनी हरीतिमा को मर्मर ध्वनि के सौंदर्य, हिमाच्छादित शिखरों की भव्यता, समुद्र तट पर पछाड़ खाकर बिखरती हुई लहरों के घोष को देखना-सुनना भूल गए हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि पश्चिम का आधुनिकतावाद और भारत तथा अधिकांश तीसरी दुनिया के नव-औपनिवेशिक चिंतन के साथ अपनी जड़ों से अलगाव, व्यक्तिवादी अजनबियत में हमारा अनिवार्य बे-लगाम साव, अचेतन के बिंब, बौद्धिकता से विद्रोह, यह घोषणा कि ‘दिमाग अपनी रस्सी के अंतिम सिरे पर है’, यथार्थवाद का विध्वंस, काम का ऐन्द्रिक सुख मात्र रह जाना और मानवीय भावनाओं का व्यावसयीकरण तथा निम्नस्तरीयकरण इस अंधी घाटी में आ फँसने की वजह है। लेकिन वे भूल जाते हैं कि आधुनिकीकरण इतिहास की एक सच्चाई है, कि नई समस्याओं को जन्म देने और विज्ञान को अधिक जटिल बनाने के बावजूद आधुनिकीकरण, एक तरह से मानव जाति की नियति है। मेरा सुझाव है कि विवेकहीन आधुनिकता के बावजूद आधुनिकता की दिशा में धैर्यपूर्वक सुयोजित प्रयास होने चाहिए। एक आलोचक किसी नाली में भी झाँक सकता है, पर वह नाली-निरीक्षक नहीं होता। लेखक का कार्य दुनिया को बदलना नहीं, समझना है। साहित्य क्रांति नहीं करता; वह मनुष्यों का दिमाग बदलता है और उन्हें क्रांति की आवश्यकता के प्रति जागरूक बनाता है। (i) गद्यांश में ‘शुतुरमुर्ग’ की संज्ञा किसे दी गई है? (ii) आधुनिकता की दिशा में सुयोजित प्रयास क्यों होने चाहिए? (iii) ‘नक़द फ़सल के लिए बढ़ता हुआ पागलपन’ से क्या तात्पर्य है? (iv) पाठक साहित्य से आमतौर पर क्या अपेक्षा रखते हैं? (v) लेखक के अनुसार साहित्य क्या कार्य करने के लिए प्रेरित करता है? प्रश्न 2. पशु को चाहे कितना मारो, चाहे कितना उसका अपमान करो, बाद में खाने को दे दो, वह पूँछ और कान हिलाने लगेगा। ऐसे नर-पशु भी बहुत से मिलेंगे जो कुचले जाने और अपमानित होने पर भी जरा-सी वस्तु मिलने पर चट संतुष्ट और प्रसन्न हो जाते हैं। कुत्ते को कितना ही ताड़ना देने के बाद उसके सामने एक टुकड़ा डाल दो, वह झट से मार-पीट को भूल कर उसे खाने लगेगा। यदि हम भी ऐसे ही हैं तो हम कौन हैं, इसे स्पष्ट कहने की आवश्यकता नहीं। पशुओं में भी कई पशु मार-पीट और अपमान को नहीं सकते। वे कई दिन तक निराहार रहते हैं, कई पशुओं ने तो प्राण त्याग दिए, ऐसा सुना जाता है पर इस प्रकार के पशु मनुष्य-कोटि के हैं, उनमें मनुष्यत्व का समावेश है, यदि ऐसा कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी। (i) कई पशुओं ने प्राण त्याग दिए। क्योंकि (ii) बंधन स्वीकार करने से मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ेंगे? (iii) मनुष्यत्व को परिभाषित करने हेतु कौन-सा मूल्य अधिक महत्वपूर्ण है? (iv) गद्यांश के अनुसार कौन-सी उद्घोषणा की जा सकती है? (v) गद्यांश में नर और पशु की तुलना किन बातों को लेकर की गई है? अथवा व्यक्ति चित्त सब समय आदर्शों द्वारा चालित नहीं होता। जितने बड़े पैमाने पर मनुष्य की उन्नति के विधान बनाए गए, उतनी ही मात्रा में लोभ, मोह जैसे विकार भी विस्तृत होते गए, लक्ष्य की बात भूल गए, आदर्शों को मज़ाक का विषय बनाया गया और संयम को दकियानूसी मान लिया गया। परिणाम जो होना था, वह हो रहा है। यह कुछ थोड़े-से लोगों के बढ़ते हुए लोभ का नतीजा है, परंतु इससे भारतवर्ष के पुराने आदर्श और भी अधिक स्पष्ट रूप से महान और उपयोगी दिखाई देने लगे हैं। भारतवर्ष सदा कानून को धर्म के रूप में देखता आ रहा है। आज एकाएक कानून और धर्म में अंतर कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, कानून को दिया जा सकता है। यही कारण है कि जो धर्मभीरु हैं, वे भी त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते। इस बात के पर्याप्त प्रमाण खोज जा सकते हैं कि समाज के ऊपरी वर्ग में चाहे जो भी होता रहा हो, भीतर-बाहर भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि धर्म कानून से बड़ी चीज़ है। अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं, लेकिन नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है, महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ और चोरी को ग़लत समझता है, दूसरों को पीड़ा पहुँचाने को पाप समझता है। (i) मनुष्य ने आदर्शों को मज़ाक का विषय किस कारण बना लिया? (ii) धर्म एवं कानून के संदर्भ में भारत के विषय में कौन-सा कथन सबसे अधिक सही है? (iii) भारतवर्ष में सेवा और सच्चाई के मूल्य ……………….. रेखांकित के लिए विकल्प छाँटिए (iv) भारतवर्ष का बड़ा वर्ग बाहर-भीतर कदाचित क्या अनुभव कर रहा है? (v) निम्नलिखित में से सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक का चयन कीजिए। व्यावहारिक व्याकरण (अंक 16) प्रश्न 3. (ii) वे माँ से कहानी सुनते रहते हैं।’ वाक्य में क्रियापदबंध है (iii) बँगले के पीछे लगा पेड़ गिर गया। वाक्य में रेखांकित पदबंध है (iv) वाक्य ……………………..’ से बनता है। (v) मैं तेज़ी से दौड़ता हुआ घर पहुँचा। रेखांकित में कौन-सा पदबंध है प्रश्न 4. (ii) “राम घर गया। उसने माँ को देखा।” का संयुक्त-वाक्य होगा (iii) निम्नलिखित में मिश्र-वाक्य है (iv) निम्नलिखित में संयुक्त-वाक्य है (v) मिश्र वाक्य को संयुक्त वाक्य में अथवा संयुक्त को सरल वाक्य में बदलने को कहते हैं प्रश्न 5. (ii) ‘वनगमन’- समस्तपद का विग्रह होगा (iii) ‘पीत है जो अंबर’- का समस्तपद है (iv) ‘गुरुदक्षिणा’ शब्द के सही समास-विग्रह का चयन कीजिए। (v) ‘दिनचर्या’ समस्तपद का विग्रह है प्रश्न 6. (ii) ‘विपत्ति में उसकी अक्ल …… उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए। (iii) सच्चे शूरवीर देश की रक्षा में प्राणों की ……….. हैं। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए (iv) गरीब माँ-बाप अपना ……… कर बच्चों को पढ़ाते हैं और वे चिंता नहीं करते। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए। पाठ्यपुस्तक (अंक 14) प्रश्न 7. ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर (i) ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’- पंक्ति में ‘सर’ किसका प्रतीक है (ii) पद्यांश में ‘बाँकपन’ शब्द प्रतीक है (iii) धरती के दुलहन बनने से तात्पर्य है (iv) सर पर कफन बाँधने का अर्थ है प्रश्न 8. उसे ‘स्पीड’ का इंजन लगाने पर वह हज़ार गुना अधिक रफ्तार से दौड़ने लगता है। फिर एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है और पूरा इंजन टूट जाता है। यही कारण है जिससे मानसिक रोग यहाँ बढ़ गए हैं। अकसर हम या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्य काल में असल में दोनों ही काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया ही नहीं है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते उस दिन दिमाग से भूत और भविष्य दोनों ही काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने थे। और वह अनंतकाल जितना विस्तृत था। (i) गद्यांश में मानसिक रोगों के बढ़ने का कारण क्या बताया गया है? (ii) जीवन की रफ्तार बढ़ने का अर्थ है (iii) ‘दोनों ही काल मिथ्या हैं’- इसका तात्पर्य है? (iv) दिमाग पर स्पीड का इंजन क्यों लगाया जाता है? (v) अनंतकाल के विस्तृत होने का क्या कारण था? प्रश्न 9. गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय था। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था वहीं अपनी असहायता पर खीझ। वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। उसे मालूम न था कि क्या कदम उठाए चाहिए? अनायास उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका। क्रोध में उसने तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था। (i) गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है? (ii) तताँरा को गुस्सा क्यों आया? (iii) वामीरो की माँ को दृश्य अपमानजनक क्यों लगा? (iv) तताँरा-वामीरो कथा समाज की किस समस्या की ओर ध्यान इंगित कराती है? (v) ‘आग बबूला हो उठने’ का क्या अर्थ है खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40) पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक (अंक 14) प्रश्न 10.
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(ग)
प्रश्न 11.
प्रश्न 12.
(ख)
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लेखन (अंक 26) प्रश्न 13. गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है?गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना इसलिए की गई है, क्योंकि क्रोध भी अग्नि की तरह ही भड़कता है। और फिर दोनों नियंत्रण रखना कठिन होता है। जिस तरह अग्नि को भड़काने पर उतनी ही भड़कती जाती है। उसी तरह क्रोध भी लोगों के भड़काने पर, अपमान करने पर भड़कने लगता है।
अमीरों की मां को दृश्य अपमानजनक क्यों लगा?वामीरो की माँ को दृश्य अपमानजनक लगा था, क्योंकि वामीरो की माँ को गाँव के समक्ष अपमान महसूस हुआ था। जब पासा गांव में पशु पर्व मेले का आयोजन हुआ तो उस मेले में ताताँरा वामीरो की बहुत दिन बाद मुलाकात हुई थी। ताताँरा वामीरो को मेले ढूंढता रहा। जैसे ही उसने वामीरो को देखा तो वामीरो उसे देखते ही रोने लगी और कुछ बोली नहीं।
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