घबराकर भागा और क्षिप्र गति क्यों अलग है? - ghabaraakar bhaaga aur kshipr gati kyon alag hai?

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 3
Chapter Name इसे जगाओ
Number of Questions Solved 37
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 3 इसे जगाओ (कविता)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठसे
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
कविता में किसे जगाने के लिए कहा गया है?
उत्तर:
कविता में सच्चाई से बेखबर, सपनों में खोए व्यक्ति को जगाने के लिए कहा गया है।

प्रश्न 2.
पंछी से क्या आग्रह किया गया है?
उत्तर:
पंछी से सोए पड़े व्यक्ति के कान पर चिल्लाने का आग्रह किया गया है।

घबराकर भागा और क्षिप्र गति क्यों अलग है? - ghabaraakar bhaaga aur kshipr gati kyon alag hai?

प्रश्न 3.
पवन से क्या आग्रह किया गया है?
उत्तर:
पवन से सोए व्यक्ति को हिलाने का आग्रह किया गया है।

लिर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘भई, सूरज’ वाक्यांश में ‘भई’ संबोधन का प्रकार
(क) औपचारिक
(ख) आत्मीय
(ग) आदरसूचक
(घ) श्रद्धासूचक।

प्रश्न 2.
कविता में क्षिप्र’ कहा गया है
(क) जो घबराकर भागता है।
(ख) जो तेज गति से चलता है।
(ग) जो अवसर नहीं चूकता है।
(घ) जो क्षणभर को सजग रहता है।

उत्तर:
1, (ख)
2. (ख)

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस कविता में कवि सोए हुए को जगाने का अनुरोध क्यों करता है?
उतर:
कवि सपनों में खोए हुए व्यक्ति को जीवन की सच्चाइयों से परिचित कराना चाहता है। समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता। मनुष्य को ही सजग रहकर समय के साथ चलना पड़ता है। जो लोग इस कठोर सच्चाई से बेखबर रहकर केवल कल्पनाओं और सपनों में खोए रहते हैं वे जिंदगी की यात्रा में पिछड़ जाते हैं।

प्रश्न 2.
बेवक्त जागने का क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
बेवक्त जागने वाला देखता है कि वह जीवन में पिछड़ गया है। लोग उससे आगे निकल गए हैं। तब वह उनका साथ पाने को घबराकर दौड़ने लगता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी किसी संकट में पड़ सकता है। वह ठोकर खाकर गिर सकता है। रास्ता भूल सकता है। उसे सफलता मिलना बहुत कठिन हो जाता है।

घबराकर भागा और क्षिप्र गति क्यों अलग है? - ghabaraakar bhaaga aur kshipr gati kyon alag hai?

प्रश्न 3.
इस कविता में कवि ने किस-किससे सोए हुए आदमी को जगाने का आग्रह किया है?
उत्तर:
कवि ने सबसे पहले सूरज से आग्रह किया है कि वह सपनों में खोए आदमी को जगाए। इसके बाद उसने पवन से आग्रह किया है कि वह सोए आदमी को हिलाकर जगा दे। अंत में कवि ने पंछी से आग्रह किया है कि वह सोए व्यक्ति के कान के पास जाकर चिल्लाए और उसे सही समय पर जगा दे।

प्रश्न 4.
घबराकर भागना क्षिप्र गति से अलग कैसे है?
उत्तर:
जब कोई आदमी बेवक्त जागता है, तो उसे पता चलता है कि वह पीछे रह गया है और अन्य लोग आगे निकल गए हैं, तो वह पिछड़ जाने की घबराहट में भागना शुरू कर देता है। यह लक्ष्य की ओर बढ़ने का सही ढंग नहीं है। ऐसा व्यक्ति जीवन में सफलता नहीं पा सकता। क्षिप्र गति का अर्थ तेज चाल है। फुर्ती से कदम बढ़ाते हुए, सही समय पर चलने से व्यक्ति, सही समय पर अपने लक्ष्य तकं पहुँच जाता है। इस प्रकार घबराकर भागना और तेज गति से चलना चलने के गलत और सही ढंग हैं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जो सच से बेखबर है, सपनों में खोया पड़ा है” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवन में किसी लक्ष्य को पाने के लिए या प्रगति करने के लिए मनुष्य को समय के साथ चलना पड़ता है। उसे आलस्य और कोरी कल्पनाओं से दूर रहकर, परिश्रम से काम करना होता है। जो इस सच्चाई पर ध्यान नहीं देते और बिस्तरों में पड़े सफलता के सपनों में खोए रहते हैं, वे वक्त पर नहीं जाग पाते। वे जीवन की कठिन यात्रा में पिछड़ जाते हैं। कवि ने ऐसे ही लोगों को जगाने या उन्हें सच से खबरदार करने की बात कही है।

जो लोग सही वक्त पर किसी काम को आरंभ नहीं करते और केवल कल्पनाओं और सपनों में खोए रहते हैं, वे जब देर से जागते हैं, सच्चाई को सामने देखते हैं, तो घबरा जाते हैं। उसकी समझ में नहीं आता कि सही समय पर लक्ष्य तक कैसे पहुँचे। हड़बड़ाहट में वे भागना शुरू कर देते हैं। भागने का अर्थ बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में काम करना है। इस ढंग से जीवन में सफल हो पाना असंभव-सा हो जाता है।

प्रश्न 2.
कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि संदेश देना चाहता है कि मानव जीवन कोई मधुर सपना नहीं है, वह एक कठोर सच्चाई है। जीवन में सफलता, यश और धन-वैभव उन्हीं को मिलते हैं जो समय से कदम मिलाकर चलते हैं। सही समय पर सही ढंग से कार्य आरंभ करने वाले ही अपनी सफलता की मंजिल तक पहुँच पाते हैं।

जो जीवन को केवल एक खेल समझकर सफलता के सपने देखा करते हैं, वे कभी लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते। सूरज, पवन और पंछी यही संदेश देते हैं कि समय पर काम में लग जाओ। क्या सूरज कभी सोता रह जाता है। जब सारी प्रकृति एक नियम में बँधकर निरंतर चल रही है तो फिर आदमी को वक्त से छूट कैसे मिल सकती है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
सूची एक व दो के समान अर्थ वाले शब्दों का मिलान कीजिए

घबराकर भागा और क्षिप्र गति क्यों अलग है? - ghabaraakar bhaaga aur kshipr gati kyon alag hai?

उत्तर:
अग्नि- आग, पावक, अगन
आकाश- नभ, गगन, व्योम
पेड़- वृक्ष, दरख्त, विटप
पानी- जल, वारि, तोय
बेटा- पुत्र, सुत, तनय।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द बताइए-
वक्त, सोना, सच, आगे
उत्तर:
वक्त – बेवक्त
सोना – जागना
सच – झूठ
आगे –  पीछे।

प्रश्न 3.
“भई, सूरज, इसे जगाओ’ पंक्ति में ‘भई’ शब्द का प्रयोग किया गया है। बोलचाल की हिंदी में अक्सर ‘भई’ शब्द संबोधन के लिए उपयोग में लिया जाता है। नीचे दिए उदाहरण को पढ़कर, आप भी ऐसे तीन वाक्य लिखिए, जैसे-भई, तुम भी तो यह काम कर सकते थे।
उत्तर:
1. भई, तुमने तो हद कर दी।
2. भई, तुम जानो तुम्हारी कामं जाने।
3. भई, जरा मेरी भी थोड़ी सहायता कर दो।

प्रश्न 4.
अंतरे बताइए
(क) ज़रा-जरी,
(ख) राजु-रा।
उत्तर:
निम्न अंतरं हैं
(क) ज़रा – थोड़ा-सा
जरा – बुढ़ापा

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(ख)
राज़ – रहस्य
राज – शासन

पाठसे आगे

प्रश्न 1.
‘इसे जगाओ’ कविता में कवि क्या यह कहना चाहता है कि आदमी सपने न देखें? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
सोते समय प्रायः सभी लोग सपने देखते हैं। इनको देखना या न देखना आदमी के वश की बात नहीं है। लेकिन ‘सपने देखना’ एक मुहावरा भी है जिसका अर्थ है, आशा करना। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है। सपने आदमी को आगे बढ़ने और सफलता पाने की प्रेरणा देते हैं लेकिन बिस्तर पर पड़े-पड़े केवल ऊँची-ऊँची बातें सोचते रहने से कुछ हासिल नहीं होता। सपनों को सच बनाने के लिए सही समय पर प्रयत्न करना भी जरूरी है। अतः कवि ने सपनों में ही खोए रहने वालों पर व्यंग्य किया है। सपने देखने से मना नहीं किया है।

प्रश्न 2.
कविता में सूरज, हवा और पक्षी प्रकृति के इन तीन अवयवों का वर्णन हुआ है। हम इनसे किन गुणों को सीख सकते हैं?
उत्तर:
प्रकृति के इन तीन अंगों में एक बात समान लगती है। ये सही समय पर अपना काम करते आ रहे हैं। सूरज सही समय पर उगता है, वायु भी प्रातः चलना आरंभ कर देती है और पक्षी भी सवेरा होने पर बोलना प्रारंभ कर देते हैं।

सूरज प्रकाश और गर्मी प्रदान करता है। वायु शीतलता और श्वास के द्वारा जीवन देती है तथा पक्षी अपने मधुर कलरव से सबको जगाकर अपने कर्म में लगने की प्रेरणा देते हैं। हम इनसे ये गुण सीख सकते हैं कि हममें जो विशेषता या गुण हैं, उनसे हम दूसरों को लाभ पहुँचाए, उनकी सहायता करें।

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यह भी करें

प्रश्न 1.
‘इसे जगाओ’ कविता सरल व सहज शब्दों में सपनों में खोए रहने वाले आदमी को वास्तविकता से परिचित करवा करे, जागरूक बनाने का संदेश देती है। कवि अपने संदेश के लिए प्रकृति को माध्यम बनाता है। आप भी सरल भाषा में ऐसी कविता की रचना करें जो भूले-भटकों को राह दिखा सके।
उत्तर:
उठो लाल अब आँखें खोलो
पानी लाई हूँ मुँह धोलो।
चिड़िया चहक उठीं पेड़ों पर
नभ में प्यारी लाली छाई
ऐसा सुंदर समय न खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ज़रा इस आदमी को जगाओ’ यह कवि ने कहा
(क) वृक्षों से.
(ख) अन्य व्यक्तियों से
(ग) सूरज से
(घ) आकाश से।

प्रश्न 2.
कवि ने पवन से कहा
(क) इस व्यक्ति को ठंडक दो
(ख) इसे हिलाओ
(ग) इसे डराओ
(घ) इसे जगाओ।

प्रश्न 3.
कवि ने सोए आदमी को कब जगाने को कहा
(क) सवेरे के समय :
(ख) सूरज निकलने पर
(ग) पक्षियों के बोलने पर
(घ) सही वक्त पर।

प्रश्न 4.
सही वक्त पर न जागने वाला क्या करेगा?
(क) बैठा-बैठा पछताएगा।
(ख) घबराकर भागेगा।
(ग) फिर से सो जाएगा।
(घ) दूसरों से सहायता माँगेगा।

प्रश्न 5.
क्षिप्र तो वह है
(क) जो दौड़कर जा रहा है।
(ख) जो फुर्ती से काम करता है।
(ग) जो घबराता नहीं है।
(घ) जो सही समय पर सजग रहता है।

उत्तर:
1. (ग)
2. (ख)
3. (घ)
4. (ख)
5. (घ)

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रिक्त स्थानों की पूर्ति चित शब्द से कीजिए

प्रश्न 1.
यह आदमी जो सोया पड़ा है, जो……………… बेखबर। (झूठ से/सच से)

प्रश्न 2.
तो जो आगे निकल गए हैं उन्हें पाने घबरा के……….. यह। (जागेगा/भागेगा)

प्रश्न 3.
वक्त पर………………..नहीं तो जब बेवक्त जागेगा यह। (जगाओ/सुलाओ)

प्रश्न 4.
घबरा के भागना अलग है………………..गति अलग (मंद/क्षिप्र)

उत्तर:
1. सच से
2. भागेगा
3. जगाओ
4. क्षिप्र।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि ने सूरज से क्या कहा?
उत्तर:
कवि ने कहा भाई जरा इस आदमी को जगाओ।

प्रश्न 2.
सोए पड़े व्यक्ति की क्या दशा है?
उत्तर:
वह सच्चाई से बेखबर है और सपनों में खोया हुआ

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प्रश्न 3.
कौन से व्यक्ति आगे निकल गए हैं?
उत्तर:
सही वक्त पर सजग रहने वाले व्यक्ति आगे निकल गए हैं।

प्रश्न 4.
घबराकर भागने से क्या होगा?
उत्तर:
घबराकर भागने वाला भ्रमित हो जाएगा। वह चोट खा सकता है, रास्ता भूल सकता है।

प्रश्न 5.
सही क्षण में सजग रहने वाले को कवि ने क्या
बताया है?
उत्तर:
सही क्षण में सजग रहने वाले व्यक्ति को कवि ने क्षिप्र बताया है।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सोए पड़े आदमी के बारे में कवि ने क्या-क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने कहा है कि यह सोने वाला आदमी सही समय पर नहीं जाग रहा है। इसे पता नहीं कि दुनिया में क्या हो रहा है। यह तो सच से बेखबर होकर मधुर सपनों में खोया हुआ है। इसे जगाया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
कवि के अनुसार सोए आदमी को वक्त पर जगाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
कवि का कहना है कि अगर यह समय निकल जाने पर जागेगा तो इसे पता चलेगा कि दूसरे लोग उससे बहुत आगे निकल गए। पिछड़ जाने के भय से यह घबरा जाएगा और भागकर आगे जाने वालों के साथ होना चाहेगा। लेकिन इससे यह और संकट में पड़ सकता है। अतः इसे सही वक्त पर जंगाना आवश्यक है।

प्रश्न 3.
घबराहट में भागना और क्षिप्र गति से चलना, दोनों में क्या अंतर बताया गया है ?
उत्तर:
जब व्यक्ति को अचानक कोई चिंताजनक सूचना मिलती है तो वह घबरा जाता है। ऐसा आदमी बुधि और विवेक से काम नहीं कर पाता। अतः उसे सफलता मिलना बहुत कठिन हो जाता है। जो व्यक्ति सही समय पर फुर्ती और सोच-समझ से काम लेकर आगे बढ़ता है, वह अपने लक्ष्य तक पहुँचने में सफल होता है।

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प्रश्न 4.
इसे जगाओ’ कविता द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
कवि उन लोगों को सचेत करना और जीवन की कठोर सच्चाइयों से परिचित कराना चाहता है, जो वास्तविकता से दूर रहकर कल्पनाओं और सपनों के सहारे जीवन में सफलता पाना चाहते हैं। कवि का संदेश है कि सही समय पर सही ढंग से कार्य आरंभ करना ही सफलता की कुंजी हैं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘इसे जगाओ’ कविता में कवि द्वारा प्रकट किए गए विचारों और बातों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
देर तक सोए हुए व्यक्ति को देखकर कवि सूरज, पवन और पक्षी से उसे जगाने को कहता है। वह कहता है। कि यह आदमी अपने आस-पास की दुनिया से और जीवन के सच से बेखबर होकर सोया हुआ है। यह बिस्तर पर पड़ा सपने देख रहा है। इसे वक्त पर जगाना ही उचित है। यदि यह देर से जागेगा तो आगे निकल गए लोगों को पाने के लिए घबराकर भागने लगेगा। तेज और फुर्तीली चाल से चलना तो ठीक है लेकिन घबराकर भागना मूर्खता है। वक्त किसी का इंतजार नहीं करता। एक बार वक्त निकल गया तो फिर उसे पकड़ पाना संभव नहीं होगा। कवि ने समय आँवाने वाले और सही समय पर कार्य में लगने वाले व्यक्तियों की तुलना प्रस्तुत की है।

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ

(1) भई, सूरज
जरा इस आदमी को जगाओ!
भई, पवन
जरा इस आदमी को हिलाओ।
यह आदमी जो सोया पड़ा है,
जो सच से बेखबर
सपनों में खोया पड़ा है।

कठिन शब्दार्थ-
भई = भाई। जरा = थोड़ा। पवन = हवा। बेखबर = अनजान।। संदर्भ तथा प्रसंग-यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में। संकलित ‘इसे जगाओ’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि उन लोगों को सचेत कर रहा है जो केवल बड़े-बड़े सपनों में खोए रहते हैं।

व्याख्या/भावार्थ-
सूरज निकलने से पहले जाग जाना, प्रात:काल की स्वच्छ और शीतल वायु का आनंद लेना और सही समय पर काम निपटानी, यही जीवन बिताने का सही तरीका है। जो देर तक सोया रहता है, सपनों में खोया रहता है, उसके काम समय पर नहीं हो पाते और वह जीवन की यात्रा में पिछड़ जाता है। कवि ने इसीलिए सोए पड़े आदमी को जगाने के लिए सूरज और पवन को चुना है। वह कहना चाहता है, अरे सोने वाले देख सूरज चढ़ आया। शीतल पवन सब सोने वालों को जगा रही है। तू भी जाग और अपने काम में लग जा। तू जीवन की सच्चाई से मुँह मोड़कर, कोरे सपने देखता है। लोग आगे निकले जा रहे हैं। तू पिछड़ रहा है। इसलिए सपने देखना छोड़ और समय के साथ चलना आरंभ कर।

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(2) भई, पंछी
इसके कानों पर चिल्लाओ!
भई, सूरज! जरा इस आदमी को जगाओ!
वक्त पर जगाओ,
नहीं तो जब बेवक्त जागेगा यह
तो जो आगे निकल गए हैं।
उन्हें पाने घबरा के भागेगा यह।

कठिन शब्दार्थ-
पंछी = पक्षी। वक्त = समय। बेवक्त = बिना समय के। घबरा के = अकुला के। संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘इसे जगाओ’ कविता से लिया गया है। कवि सच्चाई से बेखबर लोगों को जगा रहा है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि कहता है, अब तो पक्षी भी बोलने लगे। सोए पड़े लोगो! अब तो जाग जाओ! जागरूक और वक्त के साथ चलने वाले लोगों की चहल-पहल शुरू हो चुकी है लेकिन झूठे सपनों में मगन लोग अब भी अपने जीवन को बहका रहे हैं। सारी प्रकृति ऐसे लोगों को सावधान कर रही है। अगर ये सही वक्त पर नहीं जागे तो देर से जागने पर, ये हड़बड़ाहट में उन लोगों के पीछे भागेंगे जो सही समय पर चल पड़ने के कारण जीवन में आगे निकल चुके हैं। लेकिन ये सपनों के सौदागर उनको कभी नहीं पकड़ पाएँगे।

(3) घबरा के भागना अलग है।
क्षिप्र गति अलग है।
क्षिप्र तो वह है।
जो सही क्षण में सजग है।
सूरज इसे जगाओ।।
पवन इसे हिलाओ।
पंछी इसके कानों पर चिल्लाओ।

कठिन शब्दार्थ-
क्षिप्र = तेज। क्षण = समय की छोटी दूरी। सजग = सतर्क, सावधान। पवन = हवा।। संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘इसे जगाओ’ कविता से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। कवि ‘घबराकर भागने और ‘क्षिप्र गति से चलने’ में अंतर बता रहा है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि कहता है, जो सही वक्त पर नहीं जागता वह आगे निकल गए लोगों का साथ पाने के लिए, घबराकर भागने लगता है। तेज चाल से चलना और घबराकर भागने लगना, बिल्कुल अलग-अलग बातें हैं। तेज गति से चलने वाला अपने लक्ष्य पर पहले या सही समय पर पहुँच जाता है। वह सही समय पर सजग रहता है। जो पिछड़ जाने पर घबराकर आगे भागता है, वह ठोकर खाकर गिर सकता है। वह सही मार्ग से भटक सकता है। उसकी सफलता अनिश्चित होती है।

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घबराकर भागना और क्षिप्र गति क्यों अलग है?

घबराकर भागना क्षिप्र गति से अलग कैसे है? उत्तर: जब कोई आदमी बेवक्त जागता है, तो उसे पता चलता है कि वह पीछे रह गया है और अन्य लोग आगे निकल गए हैं, तो वह पिछड़ जाने की घबराहट में भागना शुरू कर देता है। यह लक्ष्य की ओर बढ़ने का सही ढंग नहीं है।

इसे जगाओ कविता का मूल भाव क्या है?

जो सही क्षण में सजग है। सूरज, इसे जगाओ, पवन, इसे हिलाओ, पंछी, इसके कानों पर चिल्‍लाओ!

मनुष्य को वक्त पर जगाओ कहने से कवि का क्या तात्पर्य है?

मनुष्य को 'वक्त पर जगाओ' कहने से कवि का क्या तात्पर्य है ? उत्तर : वक्त पर जगाओ से कवि का तात्पर्य है कि मनुष्य यदि वक्त रहते कर्तव्य और अपने लक्ष्य को पहचान ले, उन्हें निश्चित कर ले और उसे पाने के प्रयास आरंभ कर दे तो उसे सफलता अवश्य मिलेगी। वक्त पर जागना अर्थात वक्त रहते सँभलना भी है।

कवि हर किसी से जीवन की सुंदरता पर ध्यान देने की अपील क्यों करता है?

हमने अपनी गोपनीयता और कुकीज़ की नीति को अपडेट किया है