उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ पंक्ति द्वारा कवि वर्षा के विकराल रूप को दिखाना चाहता है। कवि कहता है कि वर्षा इतनी तेज गति से हो रही है, मानो धरती पर आकाश टूट पड़ा हो। कवि ने इस पंक्ति के द्वारा पर्वतीय इलाके में वर्षा के बाद होने वाले स्वर को दिखाने का सफल प्रयास किया है। Solution : .है टूट पड़ा भू पर अंबर. ऐसा कविता में इसलिए कहा गया है क्योंकि जब आकाश में चारों तरफ असंख्य तथा घने बादल छा जाते हैं तो वातावरण धुंधमय हो जाता है उस समय कुछ भी दिखाई नहीं देत, केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो। निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये- सुमित्रानंदन पंत जी ने इस पंक्ति में पर्वत प्रदेश के मूसलाधार वर्षा का वर्णन किया है। पर्वत प्रदेश में पावस ऋतु में प्रकृति की छटा निराली हो जाती है। कभी-कभी इतनी धुआँधार वर्षा होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा। 257 Views निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर दीजिये: पर्वतीय प्रदेश में जब मूसलाधार वर्षा होने लगती है तब पर्वतों पर उगनेवाले शाल के वृक्ष दिखाई देने बंद हो जाते हैं। तब ऐसा लगता है जैसे वे घबराकर धरा में छुप गए हैं मानवीकरण अलंकार का अद्धभुत प्रयोग इस पंक्ति में दिखाई देता है।पावस ऋतु में आकाश में बादल छा जाते है। कभी वर्षा होने लगती है तो कभी आसमान में बादल अदृशय हो जाते हैं।बादल अटखेलियां करते दिखाई देते हैं। वर्षा के कारण पर्वतीय प्रदेशों के झरने झर-झर बहने लगते हैं तथा वातावरण में संगीत उत्पन्न करते हैं। समतल भूमि पर जल एकत्रित हो जाता हैं। हवा के चलने के कारण वृक्ष भी झूमने लगते हैं। पूरी प्रकृति नृत्य करती सी प्रतीत होती हैं। 821 Views निम्नलिखित प्रश्नों के
उत्तर दीजिये: पर्वत के ह्रदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आसमान की ओर अपनी ऊंच्चाकंशाओ के कारण देख रहे थे। वे आसमान जितना ऊँचा उठना चाहते हैं। वे शांत भाव से एकटक आसमान को निहारते हैं। जो इस बात की ओर संकेत करता है कि अपनी आकांशाओं को पाने के लिए शांत तथा एकाग्रता आवश्यक है। 325 Views निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: वर्षा ऋतु में पर्वतों पर असंख्य सुन्दर फूल खिल जाते हैं । कवि इनकी तुलना पर्वत के नेत्रों से कर रहा है ।ऐसा लगता है मानों पर्वत अपने इन सुन्दर नेत्रों से प्रकृति की छटा को निहार रहा है। कवि ने इस पद का प्रयोग प्रकृति को सजीव चित्रण करने के लिए किया है पर्वतों को मानव का रूपक दे दिया गया है । 427 Views निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: 'मेखला' का अर्थ तगड़ी होता है जिसे स्त्रियाँ कमर में पहनती हैं इस प्रकार मेखलाकार का अर्थ तगड़ी का गोल आकार हुआ पर्वत भी मेखला की तरह गोल दिखाई दे रहे हैं जो धरती की कटि को घेरे हुए हैं प्रकृति के सौंदर्य को उभरने के लिए कवि ने इसका प्रयोग किया है 605 Views निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण में मनुष्य को अपना प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। इसी प्रकार तालाबरूपी दर्पण में पर्वतरूपी मानव अपना प्रतिबिम्ब निहार रहा है , काव्य सौंदर्य को बढ़ाने के लिए, अपने भावों की पूर्ण अभीव्यक्ति के लिए कवि ने ऐसा रूपक बाँधा है। 608 Views NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. (ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए- प्रश्न 2. प्रश्न
3. कविता का सौंदर्य
कविता में कवि ने मानवीकरण अलंकार के प्रयोग से चार चाँद लगा दिया है। प्रश्न 2.
शब्दों की आवृत्ति से भावों की अभिव्यक्ति में गंभीरता और प्रभाविकता आ गई है। (ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
शब्दों की चित्रमयी भाषा से चाक्षुक बिंब या दृश्य बिंब साकार हो उठता है। इससे सारा दृश्य हमारी आँखों के सामन घूम जाता है। (ग) कविता की संगीतात्मकता पर
कविता में तुकांतयुक्त पदावली और संगीतात्मकता होने से गेयता का गुण आ जाता है। प्रश्न 3.
योग्यता विस्तार
परियोजना कार्य प्रश्न
2. अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
पर्वतीय प्रदेश में अचानक हुए इन परिवर्तनों को देखकर शाल के पेड़ भयाकुल हो उठे। प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. अचानक बादल उमड़ते हैं। बादलों में पर्वत और झरने अदृश्य हो जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे पर्वत विशालकाय पक्षी की भाँति पंख फड़फड़ाकर उड़ जाते हैं। मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। शाल के पेड़ भयभीत होकर धरती में धंसने से लगते हैं। तालाब से धुआँ उठने लगता है। ऐसा लगता है जैसे इंद्र अपनी जादूगरी दिखा रहा है। भू पर अम्बर टूटने से कवि सुमित्रानंदन पंत का क्या आशय है?है टूट पड़ा भू पर अंबर। Solution : . पर्वत प्रदेश में पावस. (वारिद से संकलित) कविता पाठ से ली गयी पंक्तियों में कवि श्री सुमित्रानन्दन पंत जी कह रहे हैं जो पहाड़ों के ऊपर बादल वर्षा करते हुए गर्जना कर रहे थे अब केवल झरनों के जल के गिरने का शब्द शेष रह गया था, वही स्वर सुनायी दे रहा था।
है टूट पड़ा भू पर अंबर से क्या भाव है?सुमित्रानंदन पंत जी ने इस पंक्ति में पर्वत प्रदेश के मूसलाधार वर्षा का वर्णन किया है। पर्वत प्रदेश में पावस ऋतु में प्रकृति की छटा निराली हो जाती है। कभी-कभी इतनी धुआँधार वर्षा होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा।
टूट पड़ा भू पर अंबर पर्वत प्रदेश में पावस कविता में कवि ने ऐसा क्यों कहा है?Solution : . है टूट पड़ा भू पर अंबर. ऐसा कविता में इसलिए कहा गया है क्योंकि जब आकाश में चारों तरफ असंख्य तथा घने बादल छा जाते हैं तो वातावरण धुंधमय हो जाता है उस समय कुछ भी दिखाई नहीं देत, केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।
बादलों से पर्वत छिप जाने पर कवि ने क्या कल्पना की है अपने शब्दों में लिखिए?विशालकाय पहाड़ पर खिले फूलों को उसके हज़ारों नेत्र माना है, जिनके सहारे पहाड़ विशाल दर्पण जैसे तालाब में अपना विशाल आकार देखकर मुग्ध हो रहा है। अचानक बादलों के घिर जाने पर यही पहाड़ अदृश्य-सा हो जाता है तब लगता है कि पहाड़ किसी विशाल पक्षी की भाँति अपने काले-काले पंख फड़फड़ाकर उड़ गया हो।
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