अतिलघु/लघु उत्तरीय प्रश्न Show निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़िए और नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 1. हालदार साहब को हर पन्द्रहवें दिन कम्पनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा सके वैसा एक ही बाज़ार था। कस्बे में लड़कों का एक स्कूल, लड़कियों का एक स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी। नगरपालिका थी तो कुछ-न-कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी; कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए; कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य बाज़ार के मुख्य चैराहे पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। प्रश्न (क)-कस्बे में प्रशासनिक विकास का कार्य कराने की जिम्मेदारी किसकी थी? प्रश्न (ख)-‘ओपन एयर सिनेमा घर’ से क्या आशय है? प्रश्न (ग)-कस्बे में क्या-क्या था? 2. हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुजरे और चैराहे पर पान खाने
रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुसकान फैल गई। वाह भई! यह आइडिया भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की, लेकिन चश्मा रियल! जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे और अन्त में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है वरना तो दशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज होती जा रही है। प्रश्न (क)-दूसरी बार मूर्ति को देखकर उन्हें उसमें क्या अंतर दिखाई दिया था? उत्तरः पहले मोटे फ्रेम का चौकोर चश्मा लगा था अब तार का गोल चश्मा था। प्रश्न (ख)-हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति को देखकर कस्बे के नागरिकों के प्रति किस तरह की अनुभूति हुई? उनके अनुसार देशभक्ति का स्वरूप क्या होता जा रहा है? उत्तरः नेताजी की मूर्ति को देखकर हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का प्रयास सराहनीय व देशभक्ति की भावना से पूर्ण लगा। यों अब देश के लोगों में स्वार्थपरता है, देशप्रेम नहीं है। प्रश्न (ग)-पहली बार पान खाने के लिए कस्बे में रुकने पर हालदार साहब चकित होकर क्यों मुसकराए? उत्तरः नेताजी की पत्थर की मूर्ति पर असली चश्मा देखकर हालदार साहब चकित होकर मुसकराए। 3. हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुजरते समय चैराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है? प्रश्न (क)-‘बत्तीसी दिखाना’ से क्या अभिप्राय है? प्रश्न (ख)-हालदार साहब ने पानवाले से क्या पूछा? प्रश्न (ग)-हालदार साहब को कौन-सी आदत
पड़ गई थी? 4. पान वाले के लिए यह एक मजेदार बात थी, लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली। यानी वह ठीक ही सोच रहे थे। मूर्ति के नीचे लिखा ‘मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल’ वाकई कस्बे का अध्यापक था। बेचारे ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा। बना भी ली होगी, लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए, काँचवाला यह तय नहीं कर पाया होगा या कोशिश की होगी और असफल रहा होगा! या बनाते-बनाते ‘कुछ और बारीकी’ के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा। प्रश्न (क)-मूर्ति के नीचे क्या लिखा था? प्रश्न (ख)-मोतीलाल कौन था और उसने क्या वादा किया? प्रश्न (ग)-पान वाले के लिए क्या मजेदार बात थी? अथवा प्रश्न (क)-पानवाले की बात सुनकर हालदार साहब चकित क्यों हो गए? प्रश्न
(ख)- ‘महीने भर में मूर्ति बनाकर पटक देने’ के वादे में मास्टर मोतीलाल का कौन-सा मनोभाव झलकता है? प्रश्न (ग)-पान वाले के लिए कौन-सी बात मजेदार थी और क्यों? 5. हालदार साहब को यह सब कुछ बड़ा विचित्र और कौतुक भरा लग रहा था। इन्हीं ख्यालों में खोए-खोए पान के पैसे चुका कर, चश्मेवाले की देशभक्ति के समक्ष नतमस्तक होते हुए वह जीप की तरफ चले, फिर रुके, पीछे मुड़े और पानवाले के पास जाकर पूछा, क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है? या आज़ाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही? पानवाला नया पान खा रहा था। पान पकड़े अपने हाथ को मुँह से डेढ़ इंच दूर रोककर उसने हालदार साहब को ध्यान से देखा, फिर अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाई और मुस्कराकर बोला-नहीं साब! वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज़ में। पागल है पागल! वो देखो, वो आ रहा है। आप उसी से बात कर लो। फोटो-वोटो छपवा दो उसका कहीं। प्रश्न (क)-हालदार साहब को कौन सी बात बड़ी विचित्र लग रही थी ? प्रश्न (ख)-हालदार चश्मेवाले को देशभक्त क्यों मान रहे थे ? प्रश्न (ग)-पान वाले ने चश्मे वाले के बारे में क्या बताया? 6. हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गाँधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए, एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बन्द दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है! हालदार साहब चक्कर में पड़ गए। पूछना चाहते थे, इसे कैप्टन क्यों कहते हैं? क्या यही इसका वास्तविक नाम है? लेकिन पानवाले ने साफ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं। ड्राइवर भी बेचैन हो रहा था। प्रश्न (क)- चश्मे वाले को कैप्टन नाम से पुकारे जाने के विषय में हालदार साहब को जानकारी क्यों नहीं मिल सकी? प्रश्न (ख)-कैप्टन को देखकर हालदार साहब को उसके
बारे में क्या अनुमान हुआ था? इससे उन्हें कैसा अनुभव हुआ होगा? प्रश्न (ग)-कैप्टन कैसा आदमी था और वह हालदार साहब को किस रूप में दिखाई दिया था? 7. बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की
खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-जिन्दगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुःखी हो गए। पन्द्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुजरे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।......... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।......... और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चैराहे
पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे। प्रश्न (क)-मूर्ति के सामने जाकर अटेंशन में कौन खड़े हो गए? प्रश्न (ख)-हालदार साहब शहर से गुजरते हुए क्या सोच रहे थे और क्यों? प्रश्न
(ग)-हालदार साहब किसके बारे में सोच रहे थे और क्यों? अथवा प्रश्न (क)-हालदार साहब की दृष्टि से कैसी कौम देश का अहित करने वाली होती है? प्रश्न (ख)-हालदार साहब के मन में कस्बे में घुसने से
पहले क्या खयाल आया? प्रश्न (ग)-हालदार साहब के दुःखी होने का क्या कारण था? 8. सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं पान भी नहीं खाएँगे मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चैराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे। प्रश्न (क)-प्रस्तुत गद्यांश में किसकी बात की जा रही है? प्रश्न
(ख)-हालदार साहब मूर्ति की तरफ देखना क्यों नहीं चाहते थे? प्रश्न (ग)-हालदार साहब के मुँह से चीख क्यों निकल पड़ी? हालदार साहब ने पान वाले से चश्मे वाले के बारे में क्या पूछा?हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों ही आँखों में हँसा । उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल - काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मेवाला करता है।
हालदार साहब क्या पूछना चाहते थे?Solution : हालदार साहब ने यह कल्पना नहीं की थी कि नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला व्यक्ति लँगड़ा और फेरी लगा कर चश्मा बेचने वाला व्यक्ति होगा। उसका कैप्टन नाम सुनकर उन्हें ऐसा लगा होगा कि वह आजाद हिन्द का फौजी या नेताजी का साथी होगा।
हालदार ने पान वाले से क्या पूछा एक वाक्य में उत्तर दीजिए?हालदार साहब ने ड्राइवर को जीप रोकने को क्यों कहा (क) नेताजी की प्रतिमा पर सरकंडे से बना चश्मा लगा देखकर (ग) पान की दुकान खुली देखकर (ख) कैप्टन को देखकर (घ) सामने गड्ढा देखकर 10. कस्बा में क्या नहीं था ?
हालदार नेपाल वाली से क्या पूछा?उत्तर : हालदार साहब चश्मेवाले की देशभक्ति के समक्ष नतमस्तक हो गए।
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