हमें गंगा को साफ क्यों रखना चाहिए? - hamen ganga ko saaph kyon rakhana chaahie?

भारत में सदियों से लोगों के मन में गंगाजल के प्रति आस्था बरकरार है। सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है, इसलिए भक्त अपने घर को पवित्र रखने के लिए गंगाजल अपने घर में रखते हैं। गंगा का जल मोक्ष प्रदान करने वाला है और पूजा-अर्चना, शुद्धिकरण, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है। बिना गंगाजल के कोई धार्मिक अनुष्ठान पवित्र नहीं माना जाता है। लेकिन क्या आपको घर में गंगाजल रखने के नियमों के बारे में जानकारी है, जिनका पालन ना करने से अपवित्र भी हो जाता है। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में...

औद्योगीकरण से बढ़ा नदियों पर संकट
नदियां जीवनदायिनी हैं। हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति नदियों के समीप ही विकसित हुई थी। देश के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का आधार ये नदियां ही हैं। औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण नदियों पर संकट बढ़ा है। नदियों के किनारे सघन वृक्षारोपण किया जाना चाहिए, उद्योगों का अनुपचारित पानी, प्लास्टिक तथा जैविक पदार्थ नदियों में नहीं मिलने देना चाहिए। साथ ही नदियों को भी व्यक्तित्व मानकर उन्हें कानूनी अधिकार दिए जाने की नई पहल और सोच नदियों के अस्तित्व को संरक्षित करने में सहायक सिद्ध होगी।
-नीता टहिलयानी, जयपुर
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नदियों में शव न बहाए जाएं
नदियों में छोड़े जाने वाले औद्योगिक और घरेलू कचरे व गंदे पानी की निकासी का सही से इलाज होना चाहिए। बड़े उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पदार्थों को नदियों में छोडऩा सख्त मना होना चाहिए। नदियों में शव बहाना तुरंत बंद होना चाहिए। नदियों को हमें अपनी खुद की संपत्ति समझना चाहिए।
-सौम्या मजेजी मुछाल, जावद, नीमच
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जलीय जीवों का शिकार न करें
नदियां हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। मुश्किल यह है कि वर्तमान में मानवीय हस्तक्षेप के कारण नदियां निरन्तर प्रदूषित हो रही हैं। हमें जिम्मेदार नागरिक की तरह कूड़े-करकट, पॉलिथीन जैसे पदार्थ नदियों में नहीं डालना चाहिए। हमें नदियों में रहने वाले जीवों का शिकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये जीव नदी को प्रदूषित होने से रोकते हंैं। और न ही मृत जीव-जंतुओं को नदी में बहाना चाहिए। सरकार को फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले रसायनों को नदियों में मिलने से रोकना चाहिए ।
-विवेक कुंतल, भरतपुर
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जल शुद्धीकरण संयंत्र लगाए जाएं
नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सर्वप्रथम नदी में मिलने वाले नालों को बंद करना चाहिए। तटों पर निर्मित उद्योग से नदी में मिलने वाले रासायनिक पदार्थों पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए। साथ ही शहरों में जल शुद्धीकरण संयंत्रों का उपयोग होना चाहिए जिससे नदी में साफ जल ही पहुंचे।
-अभय आचार्य , विदिशा, मध्यप्रदेश
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सुरक्षित रखें नदियां
नदियों में शव नहीं बहाए जाएं। शहरों का गंदा पानी और फैक्ट्रियों का प्रदूषित जल नदियों में न जाने दें। नदी-तालाबों को साफ रखना हमारे खुद के हित में है।
-सुन्दर लाल यादव, सागर
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नियमों का सख्ती से पालन
नदियों को लगातार प्रदूषित किया जा रहा है। इस समस्या से निजात पाने के लिए कानूनों और नियमों का भी निर्माण किया गया है। इन नियमों और कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। नदियों के किनारे स्थापित गांव, शहरों और कल कारखानों को इस संबंध में जागरूक किया जाना चाहिए।
-मनोज जैन, टोंक
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पूजा सामग्री नदियों में न फेंके
भारत के हर क्षेत्र में नदियों की पूजा की जाती है। इसके बावजूद प्रदूषण से उनका पवित्र जल जहरीला हो रहा है। सभी देशवासियों को जागरूकता के साथ नदियों को स्वच्छ रखने का प्रण लेना होगा। किसी भी प्रकार की पूजा सामग्री तथा अन्य गंदगी नदियों में न फेंके। भारत सरकार को भी सख्त कार्रवाई करके फैक्ट्रियों से निकलने वाली गंदगी को नदियों में न जाने दिया जाय। शहरों से निकलने वाले गंदे नाले पूर्ण रूप से नदियों में मिलने से बंद कर दिए जाने चाहिए।
-श्रीकृष्ण पचौरी, ग्वालियर, मध्यप्रदेश।
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ठोस कदम उठाए जाएं
नगरों,उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों के कारण नदियां में प्रदूषण बढ़ गया है। इसकी वजह से इनके आस-पास के क्षेत्र बीमारियों के घर बन रहे हैं। यदि नदियों को प्रदूषण मुक्त करना है, तो इसके लिए ठोस कदम उठाना अति आवश्यक है।
-गजेन्द्र सिंह राठौर, मंदसौर
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समाज और सरकार की सक्रियता जरूरी
नदियां मानव जीवन का सबसे अभिन्न अंग हैं। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए समाज और सरकार दोनों को सक्रिय होना होगा। लोगों को प्लास्टिक का उपयोग कम करना चहिए। नदियों में कोई भी कचरा नहीं डालना चाहिए। सरकार को लोगों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करना चहिए।
-शैलेन्द्र वर्मा, सूरत, गुजरात
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नियमों की पालना जरूरी
नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एनजीटी नियमों का पालन हो। देश की नदी नीति घोषित की जाए। पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की देश और प्रदेश स्तर की समितियां बनाई जाए, जो नदी परियोजनाओं के निर्माण में सहयोग दें। देश मे नदी आयोग का गठन हो। प्रदेश मे नदी प्राधिकरण बनाए जाएं। कचरा एवं गंदा पानी नदियों में ना मिलने दिया जाए।
- विकास चौधरी, इंदौर
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कचरे का प्रबंधन जरूरी
नदियां हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन वर्तमान में यह मानव गतिविधियों के चलते प्रदूषित हो गई । नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए आम जनता को जागरूक होना होगा। नदियों में अनावश्यक रूप से कचरा ना डालें और घरों से निकले कचरे का पर्याप्त प्रबंधन हो। साथ ही मेले और त्योहारों के समय होने वाली नदियों की गंदगी को कम करने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए। प्र्रशासन को भी चाहिए कि वह नदी को प्रदूषण मुक्त करने से जुड़ी परियोजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करे। इन योजनाओं में भ्रष्टाचार ना हो और उनसे जुड़े अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
-डॉ. पवन कुमार बैरवा, गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर
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बढ़ गई मुश्किल
नदियों एवं नहरों में प्रदूषण बढ़ गया है। इससे उनके किनारे रहने वाले लोगों का जीवन दूभर हो गया है। प्राचीन काल में लोग नदियों के पास रहकर अपना, अपने समाज का, अपने देश का विकास किया करते थे, लेकिन वर्तमान में नदियों के किनारे पर बसना मुसीबत मोल लेना है। सरकार को नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
-रेवत सिंह राजपुरोहित, सांचोर
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नदियों का अस्तित्व खतरे में
नदियां सदा से ही पवित्र व पूजनीय प्राकृतिक जल स्रोत रही हैं। हमने इनको कचरा-पात्र के रूप में बदल दिया। यही वजह है कि नदियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया। भू-जल स्तर, पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैव विविधता को स्थिर रखने के लिए, इन पवित्र नदियों के प्रवाह क्षेत्र को अतिक्रमण से बचाना व प्रदूषण मुक्त रखना बेहद जरूरी है। शासन-प्रशासन व आमजन की दृढ़ इच्छाशक्ति, निगरानी एवं नियंत्रण द्वारा ही प्रदूषित हो चुकी नदियों को बचाया जा सकता है !
-कैलाश सामोता, कुंभलगढ़, राजसमंद
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लोगों को जागरूक किया जाए
भारत में नदी प्रदूषण एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। नदियों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार को अपनी प्रदूषण नियंत्रण नीतियों और योजनाओं का उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा। उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट बिना शोधित किए नदी में न बहाए जाएं। नदी में अपशिष्ट पदार्थ, मृत पशु, रसायन आदि ना फेंकने और प्रदूषण से होने वाली हानियों व बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए।
-नरेश सुथार, बीकानेर

हमें गंगा को क्यों साफ रखना चाहिए?

गंगा का उद्गम हिमालय की चोटियों से हुआ है और ये हमारे पूरे उत्तर भारत को जल उपलब्ध कराते हुए बंगाल की खाड़ी में समुद्र में जा मिलती है ऐसा कहा जाता है कि गंगा अपने जल को खुद ही स्वच्छ करती थी, जिसका कारण है गंगा के जल में उपलब्ध 'विषाणु-जीवाणु' जो कि गंगा के जल को शुद्ध बनाए रखते थे, जिसकी वजह से गंगा के जल को चाहे ...

गंगा नदी को कैसे साफ करें?

गंगा को साफ रखना है तो इससे पहले शहरों, कस्बों की सीवर व्यवस्था को सुधारना होगा। इसके लिए बड़ी कॉलोनियों के स्तर पर केवल विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्रों (डीएसटीपी) को बढ़ावा देने की जरूरत है। सिंचाई के लिए और प्राकृतिक नालियों के लिए अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग होना चाहिए।

गंगा को स्वच्छ रखने के लिए हम क्या प्रयास कर सकते हैं?

अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”। इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 'नमामि गंगे' नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया।

गंगा सफाई योजना क्या है?

नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी को बचाने का एक एकीकृत प्रयास है और इसके अन्तर्गत व्यापक तरीके से गंगा की सफाई करने को प्रमुखता दी गई है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत नदी की सतही गन्दगी की सफाई, सीवेज उपचार के लिये बुनियादी ढाँचे, एवं नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जनजागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं।