भारत में सदियों से लोगों के मन में गंगाजल के प्रति आस्था बरकरार है। सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है, इसलिए भक्त अपने घर को पवित्र रखने के लिए गंगाजल अपने घर में रखते हैं। गंगा का जल मोक्ष प्रदान करने वाला है और पूजा-अर्चना, शुद्धिकरण, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है। बिना गंगाजल के कोई धार्मिक अनुष्ठान पवित्र नहीं माना जाता है। लेकिन क्या आपको घर में गंगाजल रखने के नियमों के बारे में जानकारी है, जिनका पालन ना करने से अपवित्र भी हो जाता है। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में... औद्योगीकरण से बढ़ा नदियों पर संकट Show नदियों में शव न बहाए जाएं जलीय जीवों का शिकार न करें जल शुद्धीकरण संयंत्र लगाए जाएं सुरक्षित रखें नदियां नियमों का सख्ती से पालन पूजा सामग्री नदियों में न फेंके ठोस कदम उठाए जाएं समाज और सरकार की सक्रियता जरूरी नियमों की पालना जरूरी कचरे का प्रबंधन जरूरी बढ़ गई मुश्किल नदियों का अस्तित्व खतरे में लोगों को जागरूक किया जाए हमें गंगा को क्यों साफ रखना चाहिए?गंगा का उद्गम हिमालय की चोटियों से हुआ है और ये हमारे पूरे उत्तर भारत को जल उपलब्ध कराते हुए बंगाल की खाड़ी में समुद्र में जा मिलती है ऐसा कहा जाता है कि गंगा अपने जल को खुद ही स्वच्छ करती थी, जिसका कारण है गंगा के जल में उपलब्ध 'विषाणु-जीवाणु' जो कि गंगा के जल को शुद्ध बनाए रखते थे, जिसकी वजह से गंगा के जल को चाहे ...
गंगा नदी को कैसे साफ करें?गंगा को साफ रखना है तो इससे पहले शहरों, कस्बों की सीवर व्यवस्था को सुधारना होगा। इसके लिए बड़ी कॉलोनियों के स्तर पर केवल विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्रों (डीएसटीपी) को बढ़ावा देने की जरूरत है। सिंचाई के लिए और प्राकृतिक नालियों के लिए अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग होना चाहिए।
गंगा को स्वच्छ रखने के लिए हम क्या प्रयास कर सकते हैं?अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”। इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 'नमामि गंगे' नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया।
गंगा सफाई योजना क्या है?नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी को बचाने का एक एकीकृत प्रयास है और इसके अन्तर्गत व्यापक तरीके से गंगा की सफाई करने को प्रमुखता दी गई है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत नदी की सतही गन्दगी की सफाई, सीवेज उपचार के लिये बुनियादी ढाँचे, एवं नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जनजागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं।
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