हम औसत आय का प्रयोग क्यों करते हैं? - ham ausat aay ka prayog kyon karate hain?

हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं ? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं ?  विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।

हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जाने का यह सबसे अधिक सरल मापदंड हैं। किसी देश की आय को यदि उसकी कुल जनसंख्या से विभाजित कर दिया जाए तो हमें उसकी औसत आय प्राप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार औसत विभिन्न विषयों के बारे में प्राप्त की जा सकती हैं।
हालांकि 'औसतें' तुलना के लिहाज़ से उपयोगी हैं, इससे आसमानताएँ छुपती हैं।
उदाहरण के लिए, दो 'देश क' और 'ख' देखते हैं। सरलता के लिए, हम जानते हैं की प्रत्येक देश में 5 निवासी हैं। निम्न तालिका में दिए आँकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निकालिए।

देश  2007 में नागरिकों की मानसिक आय (रुपए में )
  I II III IV V औसत 
देश क  9500 10500 9800 10000 10200  10000
देश ख 500 500 500 500 48000  10000

क्या आपको दोनों देशों में रहने पर बराबर ख़ुशी होगी? क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं? शायद हममें से कुछ लोग देश 'ख' में रहना पसंद करेंगे अगर हमें यह आश्‍वासन हो की हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। लेकिन अगर हमारी नागरिकता संख्या लॉटरी के ज़रिए निश्चित होगी तो शायद हममें से ज्यादातर लोग देश 'क' में रहना पसदं करेंगे। ऐसा इसलिए  क्योंकि हालांकि दोनों देशों की औसत आय एक सामान है, देश 'क' के लोग न तो बहुत अमीर हैं न बहुत गरीब, जबकि देश 'ख' के ज़्यादातर नागरिक गरीब हैं और एक व्यक्ति बहुत अमीर है । इसलिए हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित हैं।

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सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है-

  • प्रतिव्यक्ति आय  

  • औसत साक्षरता स्तर    

  • लोगों की स्वास्थ्य स्थिति      

  • लोगों की स्वास्थ्य स्थिति      

D.

लोगों की स्वास्थ्य स्थिति      

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मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रूपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: 4,000, 7,000 और 3,000 रूपये हैं, तो चौथे परिवार की आय क्या हैं?

  • 7500 रूपये

  • 3000 रूपये

  • 2000 रूपये 

  • 2000 रूपये 

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विकास मापने का यू. एन. डी. पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग हैं?     

यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) देशों की तुलना उस देश के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनके स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष के आधार पर करता हैं। किन्तु उस देश के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनके स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष के आधार पर करता हैं किन्तु विकास को मापने के लिए विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाना वाला मापदण्ड केवल प्रति व्यक्ति अथवा औसत आय हैं।
संक्षेप में, मानव विकास मापदण्ड यूएनडीपी द्वारा उपयोग किया जाता है, जबकि विश्व बैंक द्वारा केवल आर्थिक विकास किया जाता है।

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विश्व बैंक विभिन वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?    

विभिन्न देशों के वर्गीकरण में विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य मापदंड:
प्रति व्यक्ति आय वाले देश जिनके प्रति वर्ष 12616 डॉलर प्रति वर्ष और उससे अधिक की राशि है, उन्हें अमीर देश कहा जाता है और जिनकी प्रति व्यक्ति आय 1035 अमेरिकी डॉलर या उससे कम है उन्हें कम आय वाले देश कहते हैं। भारत कम मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में आता है क्योंकि 2012 में प्रति व्यक्ति आय केवल 1530 डॉलर प्रति वर्ष थी। मध्य पूर्व और कुछ अन्य छोटे देशों को छोड़कर अमीर देशों को सामान्यतः विकसित देश कहा जाता है।

सीमियाएँ:
इस मापदंड की सीमाएं यह है कि जबकि औसत आय प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोगी है, यह हमें यह नहीं बताती है कि लोगों के बीच यह आय कितनी है, एक देश में अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है। लोग न तो बहुत अमीर हो सकते हैं और न ही बहुत गरीब हैं लेकिन एक ही देश में एक ही औसत आय के साथ, एक व्यक्ति अत्यंत समृद्ध हो सकता है, जबकि अन्य बहुत खराब हो सकते हैं इसलिए, औसत आय की विधि किसी देश की सही तस्वीर नहीं देती है।
यह मापदंड लोगों के बीच असमानताओं को छुपाता है।

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निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज़ से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?  

  • बांग्लादेश 

  • श्रीलंका

  • Nepal

  • Nepal

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Solution : औसत का प्रयोग विभिन्न देशों, राज्यों अथवा क्षेत्रों की तुलना करने के लिए किया जाता है। औसत की अनेक सीमाएँ हैं <br> (i) यह आय के वितरण के संबंध में सही तस्वीर नहीं पेश करती । (ii) औसत अभौतिक वस्तुओं तथा सेवाओं संबंधी कोई जानकारी नहीं देती। <br>औसत आय की सीमाएँ-यद्यपि .औसत आय. तुलना के लिए उपयोगी है, फिर भी यह असमानताएँ छुपा देती है। आ. उदाहरण के लिए दो देशों क और ख पर विचार करते हैं । सहायता के लिए हम मानते हैं कि प्रत्येक देश में 5 निवासी हैं। तालिका में दिए आँकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निकालिए <br> <img src="//d10lpgp6xz60nq.cloudfront.net/physics_images/ANJ_HIN_AIO_X_S_SCI_E05_066_S01.png" width="80%"> <br> क्या आप इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे? क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं? शायद हममें से कुछ लोग देश .ख. में रहना पसंद करेंगे अगर हमें यह आश्वासन हो कि हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। लेकिन हमारी नागरिकता संख्या लॉटरी के द्वारा निश्चित होगी तो शायद हममें से ज्यादातर लोग देश .क. में रहना पसंद करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि दोनों देशों की औसत आय एक समान है, देश .क. के लोग न तो बहुत अमीर हैं और न बहुत गरीब हैं जबकि देश .ख. में अधिकतर नागरिक गरीब हैं और केवल एक व्यक्ति बहुत अमीर है। इसलिए यद्यपि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है, लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस प्रकार वितरित हैं।

औसत आय का प्रयोग क्यों किया जाता है?

हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जाने का यह सबसे अधिक सरल मापदंड हैं। किसी देश की आय को यदि उसकी कुल जनसंख्या से विभाजित कर दिया जाए तो हमें उसकी औसत आय प्राप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार औसत विभिन्न विषयों के बारे में प्राप्त की जा सकती हैं।

हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं इसका प्रयोग करने की क्या सीमाएं हैं विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए?

कई बार औसत से सही चित्र सामने नहीं आता है। उदाहरण के लिए, प्रति व्यक्ति आय से आय के वितरण का पता नहीं चल पाता है। इससे जनसंख्या में गरीबों के अनुपात का पता नहीं चलता है। भारत में पिछले दो दशकों में प्रति व्यक्ति आय में जबरदस्त वृद्धि हुई है लेकिन इसके साथ ही गरीबों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है।

आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्वपूर्ण मापदंड है व्याख्या कीजिए?

आप ऐसा क्यों समझते हैं कि औसत आय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण मापदंड है ? Solution : क्योंकि यह बताती है कि एक व्यक्ति कितना कमा सकता है। प्रश्न 38. शिशु मृत्यु दर क्या है ?

औसत की सीमाएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस मापदंड की सीमाएं यह है कि जबकि औसत आय प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोगी है, यह हमें यह नहीं बताती है कि लोगों के बीच यह आय कितनी है, एक देश में अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है।

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