हमारे भाग्य में क्या लिखा है - hamaare bhaagy mein kya likha hai

मेरी किस्मत में क्या लिखा है ? (Meri kismat me kya likha hai)

लोगों के मन में ज्‍योतिष  के प्रति गलत धारणाएं होती हैं। लोग ज्योतिष को जड़ बना देते हैं , अक्‍सर लोग एक प्रश्‍न किया करते हैं कि मेरी किस्मत में क्या लिखा है ? आखिर किस्मत क्या है ? जब ग्रह ही सब कुछ निर्धारित करते हैं, तो फिर कर्म का क्‍या महत्‍व है ? उन्‍हें मैं समझाना चाहूंगी कि मानव जीवन में ग्रहों का प्रभाव तो है , क्‍योंकि आपके सामने जो भी परिस्थितियां उत्‍पन्‍न होती हैं , वह इन्‍हीं ग्रहों के परिणामस्‍वरूप, इसलिए उसे आप किस्मत से प्राप्‍त फल कह सकते हें, पर इनसे लडकर, जीतकर खुद की या समाज के अन्‍य लोगों के मेहनत से जो उपलब्धियां आप हासिल करते हैं, वह आपका अपना है। 

वास्तव में, यदि आसमान के सभी ग्रहों के आधार पर आपकी जन्मकुंडली बनती है तो जिस धरती पर आप रहते हैं, वह भी एक ग्रह है और आपपर उसका प्रभाव भी पड़ता है।  पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति, आपके समाज का वातावरण, आपके परिवार की आर्थिक स्थिति, आपके गुरुओं की मानसिक स्थिति भी ग्रहों से कम प्रभावी नहीं होती। जन्‍मकुंडली और कर्मकुंडली के मुख्‍य अंतर को आपके समक्ष इस प्रकार रखा जा सकता है। 

हमारे भाग्य में क्या लिखा है ? (Hamare Bhagya me kya likha hai)

जहा जातक की किस्मत को बनाने में जन्म के समय भचक्र के विभिन्न कोणों पर स्थित ग्रहों की भूमिका होती है, वहीं जातक के स्तर को निश्चित करने में जातक के भौगोलिक परिवेश के साथ.साथ युग के परिवर्तन का भी प्रभाव होता है। आपकी किस्मत और मेहनत को जन्मकुंडली और कर्मकुंडली माध्यम से समझाया जा सकता है। जन्मकुंडली सांकेतिक तौर पर ही सही , पूरे जीवन की परिस्थितियों का विश्लेषण करती है, जबकि कर्मकुंडली वास्तविक तौर पर , लेकिन सिर्फ भूत और वर्तमान तक का। जातक के लिए जन्मकुंडली निश्चित् होती है, जबकि कर्मकुंडली अनिश्चित।

जहां जन्मकुंडली को निश्चित करने में जातक की परिस्थितियां जिम्मेदार होता है , वहीं कर्मकुंडली को निश्चित करने में सामाजिक ,पारिवारिक , राजनीतिक , धार्मिक और आर्थिक वातावरण के साथ.साथ व्यक्ति खुद भी जिम्मेदार होता है। जन्मकुंडली के अनुसार जातक की रूचि होती है , जबकि कर्मकुंडली के अनुसार जातक का खान.पान और रहन.सहन। जन्मकुंडली से व्यक्ति के स्वभाव का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से व्यवहार का। इसलिए यह कहना असंभव है कि हमारे भाग्य में क्या लिखा है ?

हमारे भाग्य में क्या लिखा है - hamaare bhaagy mein kya likha hai

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हमारे भाग्य में क्या लिखा है (Karm and bhagya in Hindi)

जन्मकुंडली से आपके स्वास्थ्य का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से शरीर के वजन का। जन्मकुंडली से धन के प्रति दृष्टिकोण का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से धन की मात्रा का। जन्मकुंडली से भाई-बहन ,बंधु-बांधव से संबंध का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से भाई-बहन ,बंधु-बांधव की संख्या का। जन्मकुंडली से माता के सुख और उनसे मिलनेवाले सहयोग का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से माता के पद और उनकी स्थिति का।

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जन्मकुंडली से हर प्रकार की संपत्ति से मिलनेवाले सुख या दुख का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से हर प्रकार की संपत्ति के स्तर का। जन्मकुंडली से दिमाग की क्रियाशीलता और एकाग्रता का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से दिमाग की मजबूती और विविध प्रकार की डिग्रियों का। जन्मकुंडली से विविध प्रकार के रोगों से लड़ने की शक्ति या रोगग्रस्तता का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से बीमारियों के नाम का। जन्मकुंडली से ऋणग्रस्तता के होने या न होने का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से ऋण की मात्रा का। 

मेरी किस्मत में लिखा था (Meri kismat me likha tha)

इस तरह आप हर बात में नहीं कह सकते कि मेरी कुंडली में यही लिखा था। किसी की जन्मकुंडली से दाम्पत्य जीवन के सुखमय या दुखमय होने का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से विवाह की उम्र या पार्टनर के कद-काठी और पद का। जन्मकुंडली से जीवनशैली के सुखमय या दुखमय होने या जीवनी शक्ति का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से जीवन जीने के स्तर या जातक की उम्र का। जन्मकुंडली से भाग्य या धर्म के प्रति सोंच या नजरिए का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से किसी धर्म को अपनाने का ।

जन्मकुंडली से रूचि और स्तर के अनुरूप कैरियर के होने या न होने का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से कैरियर की शाखा या पद का । जन्मकुंडली से अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहने या न रहने का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से लक्ष्य के स्तर का। जन्मकुंडली से अपने खर्च के प्रति दृष्टिकोण का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से खर्च कर पाने की मात्रा का। जन्मकुंडली से बाहरी स्थान में सफलता मिलने या न मिलने का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से बाहरी स्थान में जा पाने या न जा पाने का।

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भाग्य बड़ा ki कर्म (Bhagya bada ki karm)

जन्मकुंडली से भविष्य के छोटे से छोटे समयांतराल के बारे में सांकेतिक ही सही, पर सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है , किन्तु कर्मकुंडली में भविष्य बिल्कुल अनिश्चित होता है , कहा जाए कि सामने अंधेरा सा छाया होता है , तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। जन्मकुंडली देखकर हम ज्योतिषी जन्मकुंडली पर आधारित प्रश्नों के सांकेतिक ही सही , पर भूत , वर्तमान और भविष्य के हर प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं , कर्मकुंडली पर आधारित प्रश्न पूछकर एक ज्योतिषी की योग्यता या ज्योतिष-शास्त्र पर प्रश्नचिन्ह लगाना उचित नहीं है। कर्मकुंडली आपके हाथ में होती है, आप इसे स्वयं सुधार या बिगड़ सकते हैं।  गत्यात्मक ज्योतिष  ज्योतिष की जमाने के अनुकूल व्याख्या करता है !

कर्मकुंडली के हिसाब से आपके जीवन में क्या क्या सफलतायें लिखी हैँ, यानि कौन सी डिग्री, कौन सी नौकरी, कौन सा व्यवसाय, ये तो गत्यात्मक ज्योतिष नहीं बता सकता, लेकिन जन्मकुंडली के ग्रहों के हिसाब से आपके पूरे जीवन में कब और किन मामलों के उतार चढ़ाव आएंगे, कब क्या निर्णय लेना सही रहेगा , इसे बहुत ही सटीक और वैज्ञानिक ढंग से आसानी से बताया जा सकता है, गत्यात्मक ज्योतिष की से लेकर आप भविष्य के लिए निश्चिंत हो सकते हैं। 

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क्या भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है?

अक्सर हमने लोगों को कहते सुना है कि जो भाग्य में लिखा होता है वही होता है. लेकिन आज मैं भाग्य हूं में एक कहानी के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि हमारे जीवन में जो भी घटना घटित होती है, वो हमारे कर्म की वजह से होती है. हम जो कर्म करते हैं, उसी का फल हमें मिलता है.

मेरी भाग्य में क्या लिखा है?

आज मैं भाग्य हूं के इस एपिसोड में हम आपको एक कहानी के माध्यम से बताएंगे कि आपका भाग्य कैसे चमक सकता है. भगवान हमारे हर जन्म के कर्मों का हिसाब रखते हैं. हमारे पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर ही वर्तमान जन्म के सुख-दुख गढ़े जाते हैं.

मेरी किस्मत खराब क्यों है?

इन 10 कामों से रूठ जाती है किस्मत, नहीं बनता कोई काम, होती है धन हानि

अपनी किस्मत के बारे में कैसे जाने?

किस्मत चमका देंगे, हर काम बना देंगे....
रोज सुबह उठकर अपनी हथेलियां देखें ... .
पहली रोटी गाय को दें ... .
चीटियों को आटा डालें ... .
देवताओं को फूलों से सजाएं ... .
सुबह करें झाड़ू-पोंछा ... .
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं ... .
माता-पिता का आशीर्वाद लें ... .
पीपल पर जल चढ़ाएं.