हरिजन समाज में कौन कौन सी जाति आती है? - harijan samaaj mein kaun kaun see jaati aatee hai?

बावजूद इसके हरिजन शब्द को उपयोग में लिया जा रहा है। जिससे राष्ट्रीय जय भीम सैनिक संगठन खासा नाराज है। वहीं इस वर्ग के शिक्षित लोगों ने भी इसका कड़ा विरोध करते हुए निंदा की है।

इधर संगठन के मीडिया प्रभारी अंतिम सिटोले ने हाईकोर्ट के आदेश की छायाप्रति दिखाते हुए बताया कि हरिजन शब्द के प्रतिबंध को लेकर कानून तो बन गया है। परन्तु कानून का पालन कराने वाले कानून के रखवाले ही इस शब्द का उपयोग कर रहे हैं। राशन कार्ड, एफआईआर, आधार कार्ड, परिचय पत्र, डाक पत्र आदि पर जाति व स्थान की जगह हरिजन मोहल्ला, बस्ती लिखा जा रहा है। धरमपुरी न्यायालय के बाहर लगे एक बोर्ड पर भी इस शब्द को लिख दिया गया है।

इधर सिटोले यह भी बताया कि जिस न्यायालय से न्याय की आम आदमी आस रखता है। उस न्यायालय के बाहर ही यह शब्द लिखा हो तो। एससी वर्ग के लिए अपमान से बड़ी बात क्या होगी।

दलितों के समान ही सामाजिक संरचना रखने वाली 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग दशकों से चल रही थी, समय-समय पर सरकारों ने इसके प्रयास भी किए लेकिन मौका देखते ही योगी सरकार ने इसे भी अपने पक्ष में भुना लिया.

अब दूसरी दलित जातियों के साथ-साथ 17 अति पिछड़ी जातियां जिसमें कहार, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, कश्यप, बिंद, प्रजापति, धीवर, भर, राजभर, ढीमर, बाथम, तुरहा, मांझी, मछुआ और गोड़िया अब अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकती हैं.

अगर देखा जाए तो अनुसूचित जाति के कोटे में 17 अति पिछड़ी जातियों को डालने का दांव मुलायम सिंह यादव ने चला था लेकिन उनका यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया.

माना जाता है कि इन 17 अति पिछड़ी जातियों की आबादी कुल आबादी की लगभग 14 फीसदी है जो एक बहुत बड़ा वोट बैंक है और इसने पिछले चुनाव में बीजेपी को एकमुश्त वोट भी किया था. अति पिछड़े होने की वजह से यह न तो पिछड़ी जातियों का लाभ उठा पा रहे थे और न ही दलितों का. ऐसे में इन जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल होने से इसका फायदा इन्हें होगा.

दरअसल, अनुसूचित जाति का दर्जा देने का आंदोलन पिछले कई सालों से चल रहा था. सिर्फ मुलायम सिंह यादव ने नहीं बल्कि मायावती ने भी अपने दौर में इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल कराने की कोशिश की थी और सबसे आखिरी कोशिश अखिलेश यादव ने की. उन्होंने इन जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का प्रस्ताव पास करा दिया था, लेकिन अदालत में जाकर अटक गया था और इस पर रोक लग गई थी.

इसे योगी सरकार का सौभाग्य माने या फिर सरकार की अंदरूनी कोशिशों का नतीजा. लेकिन इतना तो हो गया अदालत ने इस प्रस्ताव पर लगाई अपनी रोक हटा दी और इन 17 जातियों के अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट पाने का रास्ता साफ हो गया. अपने इस कदम से बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के एजेंडे को भी छीन लिया है.

योगी कैबिनेट में रहते हुए ओमप्रकाश राजभर लगातार अति पिछड़ों के आरक्षण की अलग से मांग करते रहे, लेकिन सरकार आरक्षण के भीतर आरक्षण का फार्मूला नहीं ला पाई लेकिन हाई कोर्ट के स्टे हटा लेने के बाद अब राजभर और भर सहित दूसरी दलितों के जैसी ही अति पिछड़ी जातियां अब अनुसूचित जाति के दायरे में आएंगी और आरक्षण का वह तमाम लाभ उन्हें भी मिल जाएगा.

ऐसे में चाहे निषाद पार्टी हो या फिर सुहेलदेव राजभर की पार्टी इन दोनों पार्टियों के लिए इन मुद्दों पर सियासत करना आसान नहीं होगा।

योगी सरकार के लिए यह बड़ी राजनीतिक जीत इसलिए है क्योंकि अब योगी सरकार इसे अपने एजेंडे की तरह इस्तेमाल करेगी और इसका फायदा 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में मिलेगा. एक तरफ बीजेपी को इन 17 अति पिछड़ी जातियों का सियासी फायदा तो मिलेगा लेकिन दलितों में मौजूद जातियों में इसके विरोध का खतरा भी है.

सियासी तौर पर जाटवों के अलावा दूसरी दलित जातियां बीजेपी के समर्थन में रहीं हैं. मसलन पासी, खटीक, सोनकर जैसी जातियां बीजेपी के साथ रहे हैं. अब 17 नई जातियों के अनुसूचित जाति के कोटे में आने से उनके लिए मौके कम हो सकते हैं और इसका विरोध बढ़ सकता है. यही वजह है कि बीजेपी ने कोर्ट के स्टे हटने के बाद चुपचाप इसके आदेश तो जारी कर दिए लेकिन खुलकर इसका क्रेडिट नहीं ले पा रही क्योंकि उसे दलित जातियों में भी विद्रोह का खतरा दिखाई दे रहा है.

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SC ST वर्ग देश का एक ऐसा वर्ग है जो पुराने समय से लेकर वर्तमान समय तक में समाज का शोषण झेल रहा है. इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले लोगों को समाज में मौजूद कई प्रकार की कुरीतियों का सामना करना आज भी करना पड़ता है. छुआछूत और आपसी भेदभाव के जरिए इस वर्ग को हीन भावना का एहसास कराया जाता. बाबा साहब अंबेडकर से लेकर आज भी कई समाजसेवी देश से इस भेदभाव की नीति को उखाड़ फेंकने का प्रयास कर रहे हैं. सरकार के द्वारा भी SC ST श्रेणी में आने वाले लोगों के सशक्तिकरण को मद्देनजर रखते हुए कई योजनाओं का शुभारंभ किया गया है. इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य समाज के इस वर्ग को शिक्षा और रोजगार के अवसरों में उचित आरक्षण दिलवाने और इनकी कमजोर आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करना है.

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SC-ST में कौन कौन सी जाति आती है (SC-ST Me Kon Kon Si Jati Aati Hai)

हरिजन समाज में कौन कौन सी जाति आती है? - harijan samaaj mein kaun kaun see jaati aatee hai?

क्या होता है SC ST वर्ग, कैसे सरकार द्वारा इस वर्ग की सहायता की जा रही है और कौन कौन सी जातियों को SC ST श्रेणी में गिना जाता है, इस सब की विस्तृत रूप से जानकारी हमारे इस लेख में उपलब्ध है तो आप पढ़ना जारी रखिए.

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क्या है SC/ST श्रेणी

SC या schedule caste हिन्दू धर्म की वो जातियां हैं और ST या schedule tribe समाज के वो आदिवासी समुदाय के लोग हैं जिनको समाज में शोषण का सामना करना पड़ता है. SC और ST वर्ग के लोगों को दैनिक जरूरत की चीजें जैसे बिजली, गैस, पक्का घर इत्यादि के आभाव में अपना जीवन व्यतित करना पड़ता है. इसके अलावा भी कई ऐसे विकट परिस्थितियों में यह वर्ग अपना जीवन बिता रहा है. इन जातियों को एक सम्मानजनक और सशक्त जीवन देने के लिए सरकार ने ऐसी पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को SCHEDULE TRIBE और SCHEDULE CASTE वर्ग के अंतर्गत रखा है और SC ST श्रेणी को सरकार द्वारा कई क्षेत्रों में आरक्षण और छूट दी जाती है और इसके अलावा कई अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया जाता है.

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भारतीय संविधान में SC ST श्रेणी के लिए भी कई प्रावधान और कानून हैं जो इनको एक सुरक्षित जीवन और वातावरण देते हैं. हालाँकि आज भी हमारे देश के कई इलाकों में, ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस वर्ग को दलित या हरिजन कह कर संबोधित किया जाता है. ऐसे ही कई जातिसूचक शब्दों के प्रयोग को हमारे भारतीय संविधान द्वारा अवैध घोषित किया गया है.

SC ST श्रेणी के अंतर्गत आने वाली जातियां

SC ST श्रेणी के अंतर्गत देश भर की करीब 200 जाति और उपजाति आती हैं. राज्यों के हिसाब से अलग अलग पिछड़ी जातियों को SC ST श्रेणी में रखा गया है. निम्न सूची SC और ST वर्ग के अंतर्गत आने वाली जातियों की है:

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SCHEDULE CASTE वर्ग में शामिल जातियाँ

  • कंजड़
  • कपड़िया
  • कोरी
  • करवल
  • कलाबाज
  • कोरवा
  • खटिक
  • खरैता
  • गोंड
  • घसिया
  • चमार
  • जाटव
  • डोमार
  • धनगर
  • धोबी
  • नट
  • पासी
  • बलहर
  • बाल्मीकि
  • बागजी
  • बहेलिए
  • बावरिया
वहीँ अगर बात करें SCHEDULE TRIBE श्रेणी की तो इसके अंतर्गत निम्न जातियों को शामिल किया गया है
  • भोटिया
  • जौनसारी
  • थारु
  • भंगी
  • राजी
  • बोक्सा

इन सभी जातियों को सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाकर लाभांवित किया जा रहा है. कुछ योजनाएं जहां इस वर्ग के लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं तो वहीँ कई योजनाएं के माध्यम से यह लोग रोजगार और बेहतर शिक्षा के अवसर प्राप्त करते हैं. SC ST श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए सरकारी छात्रवृत्ति का भी प्रावधान है जिसके अंतर्गत इस वर्ग में आने वाले छात्र छात्राओं को बेहतर शिक्षा के लिए SCHOLARSHIP दी जाती है ताकि इस वर्ग के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सकें और अपने लिए नए अवसर बना सके.

हरिजन में कौन कौन आता है?

हरि का अर्थ है "ईश्वर या भगवान" और जन का अर्थ है "लोग" महात्मा गाँधी ने "हरिजन" शब्द का प्रयोग हिन्दू समाज के उन समुदायों के लिये करना शुरु किया था जो सामाजिक रूप से बहिष्कृत माने जाते थे। इनके साथ ऊँची जाति के लोग छुआछूत का व्यवहार करते थे अर्थात उन्हें अछूत समझा जाता था।

चमार को हरिजन क्यों कहते हैं?

हरिजन का अर्थ हरि अर्थात् भगवान , विष्णु और जन का अर्थ लोग। महात्मा गांधी ने दलित, अछूत यथा माँग, चमार , महार , पासी इत्यादि शूद्रकुल की जातियों के लिये सर्वप्रथम इस शब्द का उपयोग किया ताकि स्वर्णों में अछूतों के प्रति मानवता का भाव जागे.

भारत में कितने हरिजन है?

देश की कुल जनसंख्या में 20.14 करोड़ दलित हैं. 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियां अधिसूचित हैं. 1241 जातीय समूहों को अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित किया गया है.

कौन सी जाति में आते हैं?

ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया (वैश्य), पंजाबी खत्री, राजपूत मुख्य रूप से पूरे भारत में सामान्य जाति हैं