निर्धारित समय :3 घण्टे खंड ‘क’ प्रश्न 1. एक अंग्रेज डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है। (ख) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व इसलिए दिया है क्योंकि वे मानते थे कि हँसी अनेक कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हम हँसेंगे, उतनी ही हमारी आयु
बढ़ेगी। (ग) हँसी (आनंद) को एक शक्तिशाली इंजन के समान इसलिए बताया गया है क्योंकि हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है और बड़े-से-बड़े शोक और दुःख को ढहाने में सक्षम कर सकती है। (घ) लेखक कहता है कि हँसी और आयु में सीधा संबंध है। जितना अधिक आनंद से हँसेंगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। हेरीक्लेस हर बात पर खीझता था इसलिए बहुत कम जिया, परंतु डेमोक्रीट्स सदैव प्रसन्न रहता था इसलिए 109 वर्षों तक जिया।। (ङ) शीर्षक — ‘हँसना : एक उत्तम औषधि प्रश्न 2. (ख) ‘मरकर भी सदियों तक जीना’-पंक्ति का अर्थ है कि जो मनुष्य अपने देश और देशवासियों के विकास और उत्थान के लिए प्रयासरत रहते हैं, वे इतिहास के पन्नों पर अमर हो जाते हैं। सदियों तक लोग उनके बलिदान
और त्याग को याद करते हैं। इस प्रकार वे सदा के लिए अमर हो जाते हैं। (ग) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों द्वारा कवि साहसी और बलिदानी नवयुवकों के विषय में बताते हुए कह रहे हैं कि सदैव देश और समाज का हित चाहने वाले लोग, दुनिया को अपने बलिदान और त्याग से अपना बना लेते हैं और एक नए राष्ट्र का निर्माण करते हैं। त्याग रूपी इस विष को वे हँसते-हँसते अपने राष्ट्रहित के लिए पी जाते हैं। और इतिहास के पृष्ठों पर अमर हो जाते हैं। खंड ‘ख’ प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. खंड ‘ग’ प्रश्न 8. प्रश्न 9. हम लेखक के विचारों से सहमत हैं क्योंकि इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली में बालकों की मौलिकता नष्ट हो जाती है, उसको स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता। अथवा बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ा। इस बढ़ती हुई आबादी ने प्रकृति के संतुलन को गड़बड़ा दिया। इस आबादी ने समुद्र को पीछे धकेलना शुरू कर दिया, पेड़ों को रास्ते से हटाना और प्रदूषण को बढ़ाना शुरू कर दिया। पशु-पक्षी बस्तियाँ छोड़कर कहीं भाग गए। वातावरण में गर्मी होने लगी। इस प्रकार बढ़ती आबादी से पर्यावरण प्रदूषित हो गया। ईश्वर ने धरती के साथ-साथ अनगिनत ऐसी वस्तुएँ बनाई हैं, जो मानव हित में हैं, लेकिन स्वयं को बुधिमान समझने वाला मानव इन सबसे लाभ उठाकर स्वार्थी हो गया। स्वार्थ के वशीभूत होकर उसने नई-नई खोज करनी शुरू कर दीं। नई-नई खोजों की लालसा में उसने प्रकृति का अत्यष्टि कि दोहन करना शुरू कर दिया। दोहन इतना अधिक था कि सहनशील प्रकृति व्याकुल हो उठी। प्रकृति के इस असंतुलन का परिणाम यह भी हुआ कि पक्षियों ने बस्तियों से भागना शुरू कर दिया। अब भयंकर गर्मी पड़ने लगी। भूकंप, बाढ़, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा आने लगीं। नित्य नए-नए रोग पनपने लगे। इन सभी समस्याओं का समाधान है कि आबादी पर रोक लगाई जाए। प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए और प्रकृति ‘ के साथ छेड़-छाड़ बंद करके अधिकाधिक वृक्षारोपण किया जाए। प्रश्न 10. (ग) ग्रीष्म ऋतु की भयंकर गर्मी की मार के कारण सारा संसार तपोवन के समान तप रहा हैं तेज गर्मी सहन नहीं हो पा रही है। इसलिए बिहारी ने ‘जगतु तपोवन’ शब्दों का प्रयोग किया है। प्रश्न 11. अथवा ‘मनुष्यता’ कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त अपनों के लिए जीने-मरने वालों को मनुष्य तो मानता है, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं है कि ऐसे मनुष्यों में मनुष्यता के पूरे-पूरे लक्षण भी हैं। वह तो उन मनुष्यों को ही महान मानता है। जो अपना और अपनों के हित चिंतन से कहीं पहले, दूसरों का हित चिंतन करते हों। उनमें परोपकार प्रेम, एकता, दया, करूणा और त्याग जैसे गुण हों, जिसके कारण युगों-युगों तक लोग उन्हें याद कर सकें। ऐसे लोगों की मृत्यु को ही सुमृत्यु कहा जाता है। रंतिदेव, दधीचि, उशीनर, कर्ण आदि ऐसे ही महान व्यक्ति थे। हमें कभी भी वैभव और धन में अंधा नहीं हो जाना चाहिए। सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के | लिए जीता है और मरता है और एकमत होकर आगे बढ़ता है। प्रश्न 12. टोपी को इफ्फन की दादी से बेहद लगाव है, जबकि उसे अपनी दादी बिल्कुल अच्छी नहीं लगती। जिस स्नेह और अपनेपन को वह अपने घर में हूँढता था, वह उसे इफ्फन के घर, उसकी दादी से मिलता था। जब इफ्फन की दादी को देहांत हुआ तो वह बहुत उदास हो गया। उसने कहा तेरी दादी की जगह मेरी दादी क्यों नहीं मर गई। उस दिन दोनों खूब रोए। टोपी और इफ्फन की मित्रता ऐसी थी कि दोनों को एक-दूसरे के बगैर चैन नहीं मिलता था। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया था कि मित्रता की भावना को मजहब और जाति की दीवारों में कैद नहीं किया जा सकता। आज समाज में टोपी और इफ्फन जैसी मित्रता की बहुत अधिक आवश्यकता है। बच्चों में उत्पन्न प्रेम और अपनेपन का आधार मजहब या सम्पन्न परिवार के लोग नहीं होते। यह भी सच है कि मनुष्य पहले मनुष्य है, वह हिंदू या मुसलमान बाद में है। टोपी और इफ्फन की मित्रता से हमें प्रेरणा मिलती है। कि ऐसी सच्ची मित्रता सांप्रदायिक भावना, तनाव और झगड़ों को समाप्त करने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है। ऐसी मित्रता समाज में मौजूद मजहब की दीवारों को भी तोड़ सकती हैं। अथवा महंतों से कोई भी समाज यह अपेक्षा रखता है कि ये ईश्वर के दिखाए मार्ग से लोगों को अवगत कराएँ, धर्म और अधर्म की वास्तविक परिभाषा को लोगों के समक्ष लाएँ, दुःखियों और बेसहारों को मंदिर/आश्रम इत्यादि में स्थान देकर उनमें भगवान के प्रति आस्था एवं विश्वास जगाएँ। ‘हरिहर काका’ पाठ में महंत को धूर्त, मक्कार, चालाक, स्वार्थी एवं हिंसक प्रवृत्ति वाला बताया गया है। वह हरिहर काका को अपने जाल में फंसाने को हर संभव उपाय करता है। पहले समझाता-बुझाता तथा अच्छे खाने का जाल फेंकता है, फिर हरिहर काका को पिटवाने तक से बाज नहीं आता। वह एक प्रकार से महंत न होकर एक गुंडा है जो धर्म गुरु का चोगा पहनकर अनैतिक कार्यों में लिप्त रहता है। वह कहीं से भी धार्मिक व्यक्ति प्रतीत नहीं होता। ठाकुरबारी में साधु-संतों का रहन-सहन, ठाठ-बाट इस बात का प्रतीक था। ठाकुरबारी के साधु-संत कामधाम करने में कोई रुचि नहीं लेते थे। वह ठाकुर जी को भोग लगाने के नाम पर दोनों समय हलवा-पूड़ी खाते थे और आराम से पड़े रहते थे। वे सिर्फ बातें बनाना जानते थे। गाँव के लोगों में ठाकुरबारी के प्रति अंधभक्ति थी। वे लोग ठाकुरबारी में प्रवचन सुनकर और ठाकुरजी के दर्शन कर अपना जीवन सार्थक मानते थे। खंड ‘(घ)’ प्रश्न 13.
(ख) स्वच्छता आंदोलन
(ग) मन के हारे हार है मन के जीते जीत
उत्तर: आत्मनिर्भरता की वह जीवंत मूर्ति होता है। हमारा अन्नदाता इतनी कठोर परिस्थितियों में जीवन-यापन करता है। उसके कच्चे घर के चारों ओर लहलहाते खेत ही उसके लिए बगीचा हैं। कृषिप्रधान देश होने के कारण भारत का किसान भारत की रीढ़ है। उसके संकटमय और अभावग्रस्त जीवन को खुशहाल बनाने के लिए उनको सरल ब्याज पर ऋण सुविधाएँ, उनकी फसलों के लिए उचित कीमत और कृषि शिक्षा संबंधी प्रयास अवश्य करने चाहिए। सूखे या अकाल की दशा में उसे सरकार द्वारा मदद दी जानी चाहिए। (ख) स्वच्छता आंदोलन स्वच्छ भारत अभियान को स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता अभियान भी कहा जाता है। स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय अभियान 2 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान के आरंभ की घोषणा की। साफ-सफाई को लेकर दुनिया भर में भारत की छवि बदलने के उद्देश्य से इस अभियान को एक जन आंदोलन बनाकर देशवासियों को इससे जोड़ा गया। साफ-सफाई केवल सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी नहीं हैं हमें अपना यह नजरिया बदलना होगा। इस अभियान के प्रति जनसाधारण को जागरूक करने के लिए सरकार समाचार पत्रों, विज्ञापनों आदि के अतिरिक्त सोशल मीडिया का भी उपयोग कर रही है। आजकल बड़े-बड़े शहरों में नगर निगमों ने घर-घर से कूड़ा उठवाने की व्यवस्था कर दी है। पहले घर के सामने ही घर का कूड़ा-करकट फेंक दिया जाता था। गाँवों में तो आज भी गली-खरंजों पर पशु बाँधकर गंदगी फैलायी जाती हैं जगह-जगह पर जल भराव, गड्डे, कीचड़ की गंदगी से जीवन दूभर हो जाता है। अब नागरिक जाग उठा है तथा इन सभी कारणों पर ध्यान देने लगा है। गंदगी से अनेक बीमारियाँ फैलती हैं जो हमारे परिवार के बच्चों को हानियाँ पहुँचाती हैं। आज देश का हर नागरिक जागरूक है तथा हेमारी ‘सरकार भी इस ओर अपना पूरा ध्यान दे रही है। (ग) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत “जो भी परिस्थितियाँ मिलें, काँटे चुभे कलियाँ खिलें, हारे नहीं इंसान, है संदेश जीवन का यही” मनुष्य का जीवन चक्र अनेक प्रकार की विविधताओं से भरा होता है जिसमें सुख-दुःख, आशा-निराशा तथा जय-पराजय के अनेक रंग समाहित होते हैं। वास्तविक रूप में मनुष्य की हार और जीत उसके मनोयोग पर आधारित होती है। मन को सीधा संबंध मस्तिष्क से है। मन में हम जिस प्रकार के विचारों को रखते हैं, हमारा शरीर उन्हीं के अनुरुप ढल जाता है। हमारा मन यदि निराशा व अवसादों से घिरा हुआ है. तब हमारा शरीर भी उसी के अनुरूप शिथिल पड़ जाता है, परंतु दूसरी ओर यदि हम आशावादी हैं। और हमारे मन में कुछ पाने व जानने की तीव्र इच्छा हो तथा हम सदैव भविष्य की ओर देखते हैं तो हम प्रगति की ओर बढ़ते जाते हैं। इसलिए सच ही कहा गया है कि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत हमारी पराजय का सीधा अर्थ है कि विजय के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किया गया। यदि मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे मन को संयमशील बनाकर ऊँची भावनाओं का स्वामी बनना चाहिए। मनोबल से मनुष्य लौकिक ही नहीं लोकोत्तर शक्तियाँ भी प्राप्त कर सकता है। मानसिक शक्ति के संयम में ही सच्ची सफलता का बीज निहित है। प्रश्न 14. उनके साहस और ईमानदारी को देखते हुए मैंने उन्हें 1,000 रुपए का पुरस्कार देना चाहा, परंतु उन्होंने लेने से इंकार कर दिया और कहा कि “मैंने अपना कर्तव्यपालन किया है।” मैं
आपसे आग्रह करती हूँ कि श्री रामविलास को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाए जिससे कि अन्य व्यक्ति भी इनसे प्रेरणा लें। अथवा प्रबंधक महोदय प्रश्न 15. अथवा सूचना प्रश्न 16. अथवा राकेश : अरे सीमांत इतनी जल्दी-जल्दी कहाँ चले जा रहे हो ? प्रश्न 17. CBSE Previous Year Question Papers |