हिंदी भाषा और नैतिक मूल्य तृतीय वर्ष pdf 2022 - hindee bhaasha aur naitik mooly trteey varsh pdf 2022

िह दी भाषा और निै तक मू य: भाग ततृ ीय मेरे सहया ी - अमतृ लाल वगे ड़ ज म :- 3 अ टूबर 1928 मृ यु :-6 जलु ाई 2018 लेखक प रचय अमतृ लाल वगड सु िस गजु राती एवं िह दी भाषा के लेखक, किव, िच कार एवं नमदा मे ी ह।ै इसके अित र वे एक पयावरण सरं क भी थे एवं उ ह ने नमदा नदी एवं म य दशे रा य के अ य दषू ण के मु े उठाए। वे ‘नमदा स ग’ नामक सं था के अ य भी थे जो निदय को दषू ण मु बनाने एवं सावजिनक शौचालय एवं नानागार क सिु वधाओं के उ नयन व निदय के नान घाट क व छता हते ु यासरत ह।ै अपने या ा स मरण को िलिपब करने व उ ह िच ारा समृ करने के िलए वे िस थ।े उ होन नमदा अचं ल म फै ली असीिमत जवै िविवधता से दिु नया को प रिचत कराया। परु कार :- सािह य अकादमी परु कार,म य दशे रा य सािह य परु कार, रा पित परु कार, महापि डत राहल सा कंृ तायन परु कार। कृ ितयां :-नमदा क प र मा, तीरे - तीरे नमदा, सौ दय क नदी नमदा, नमदा तमु िकतनी सु दर हो, अमतृ य नमदा । डॉ साधना िसहं िबसेन १ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और निै तक मू य: भाग ततृ ीय मलू पाठ अगर वे वृ मरे े सामने होते तो म उनके चरण म अपना िसर रखता और उनके आशीवाद लेकर ही इस पनु राविृ प र मा पर िनकलता। 1980 क बात ह।ै म प र मा म था, मडं ला के िनकट पहचँ ने ही वाला था, तभी सामने से आते हए एक वृ िदखाई िदए। वशे भषू ा से परक मावासी जान पड़ते थ।े परक मावासी ही थ।े मने पछू ा, ‘आप उलटे कै से चल रहे ह ?’ उ ह ने कहा, ‘मरे ी िजलहरी प र मा ह।ै इसम समु ा को नह लाघँ ते। इसम दहु री प र मा होती ह।ै ’ म चिकत ! पचह र वष क उ के यह वृ , िबना िकसी संगी-साथी के कै सी किठन प र मा कर रहे थे। शलू पाण क झाड़ी म भील ने उ ह लटू िलया था। च मा तक ले िलया था। तब से ऊँ च- नीच का सही अदं ाज नह हो पाता। कई बार िगर चकु े थ।े मने उनक सहायता करनी चाही, पसै े दने े चाह,े तो बोले ‘पैसे को म हाथ नह लगाता।’ िकसी तरह नह िलए। म थोड़े िदन के िलए चलता हँ तो पसै े रखता हँ , राशन रखता हँ और साथ म एक िव त साथी भी रहता ह।ै अके ले चलने का साहस कभी नह कर सका और ये वृ अके ले, एकाक , िन सगं , अिकं चन चल रहे थ।े पता नह कब घर पहचँ गे, पहचँ गे भी या नह या पता ! िफर भी अपनी म ती म चल रहे ह। उसी िदन मने िन य िकया था िक अगर म 75 का होऊँ गा तो थोड़ी ही सही, नमदा पदया ा ज र क ँ गा। लेिकन 75 क उ डॉ साधना िसहं िबसेन २ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय बहत दरू थी, 22 बरस दरू । वहाँ तक पहचँ सकँू अथवा न भी पहचँ पाऊँ ! परंतु 3 अ टूबर, 2002 के िदन पचह रव वष म वशे कर गया। नमदा क थम पदया ा 7 अ टूबर, 1977 के िदन शु क थी। उसे 7 अ टूबर को 25 वष परू े हो गए। नमदा पदया ा क रजत जयंती को तो नमदा-तट क पदया ा करके ही मनाया जा सकता ह।ै मरे े िचरपोिषत व न को साकार करने क घड़ी आिखर आ गई। यह ितिथ इस या ा क िनिम भले ही बनी हो, असली कारण यह है िक नमदा-सौ दय के घरे े से म बाहर िनकलना ही नह चाहता। बार-बार वह लौट जाना चाहता हँ - जहाज के पंछी क तरह। म नमदा क परू ी प र मा कर चकु ा ह।ँ दोन तट को िमलाकर 2624 िक.मी. पदै ल चल चकु ा ह।ँ नमदा पदया ी के प म यह मरे ा पनु ज म होगा। 1977 म जबलपरु से मडं ला तक चला था। इस बार भी वह से चलता लेिकन बरगी बाधँ के कारण ‘अ लु ा नमदा’ वाली ि थित बन गई ह।ै न वे गाँव रह,े न वे पगडंिडयाँ, न वे िकनारे। इसके बाद 1978 म म मंडला से अमरकं टक तक चला था। तय हआ िक वह से चला जाए। का ता ने पहले से ही कह रखा था िक म साथ चलगँू ी। हमारे भरे-परू े प रवार से उसे िकतना लगाव ह,ै िवशषे प से छह महीने के पौ वशं ज से। वह तो उसके गले का हार ह।ै िक तु यह सारा सखु छोड़कर वह मरे े साथ नमदा क ऊबड़-खाबड़ पगडि डय पर चलगी, धपू म झलु सेगी और ठ ड म िठठुरेगी। अशोक ितवारी मरे े साथ नारे र से लके र चौबीस अवतार तक क चालीस िदन ल बी पदया ा डॉ साधना िसहं िबसेन ३ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय म चल चकु ा ह।ै मरे े बेटे का सहपाठी रहा। या ा मे मरे ी वसै ी ही दखे भाल करता था, जसै ी एक पु अपने िपता क करता ह।ै जब वह भी चलने को तैयार हो गया तो म परू ी तरह से िनि तं हो गया। साथ चलने के िलए मु बई से चार लोग आ रहे ह। 64 वष य रमशे शाह, 61 वष य प नी हसं ा, 36 वष य पु संजय और इस प रवार क अिभ न िम 56 वष य गाग दसे ाई। न वे मझु े जानते ह, न म उ ह। उ ह ने मरे ी दोन गजु राती पु तक पढ़ी ह, बस इसी से आ रह। िद ली से अपोलो हॉि पटल के डॉ. अिखल िम भी आएगँ ।े वे किव भवानी साद िम के भतीजे ह। वे मरे ी पु तक पढ़कर ही आ रह ह। रमशे भाई और उनक प नी कोई 20 बरस तक ा स, इं लै ड और अ का म रहे ह। डॉ. अिखल सिे मनार म िवदशे जाते ही रहते ह। ये सभी लोग नमदा क दरू -दराज क पगडि डय पर मरे े साथ चलग।े िकतना सखु िमलता है यह जानकर िक कोई दसू रा-सवथा अप रिचत, मझु पर िव ास करता है और मरे े साथ चलने को तैयार ह।ै मझु े यह देखकर भी खशु ी हो रही है िक नमदा-स दय क गजँू दरू - दरू तक फै ल रही ह।ै इस बार मरे ा िव त साथी छोटू नह ह।ै वह अपने गावँ चला गया ह।ै उसक जगह चलगे ा गरीबा। नाम तो है सोहन, लेिकन उसक बहन उसे गरीबा कहती है तो हम भी यह कहने लग।े 5 अ टूबर, 2002 को दोपहर दो बजे हम सभी बस से मडं ला गए। वहाँ से बीस िकलोमीटर दरू एक पहाड़ी पर ि थत गु - थान जाने के िलए जीप से िनकले। रात हो गई थी। एक क ची सड़क पहाड़ी के ऊपर तक जाती ह।ै इसका उपयोग कभी-कभार ही होता है डॉ साधना िसहं िबसेन ४ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और निै तक मू य: भाग ततृ ीय इसिलए उस पर घास उग आई थी और सड़क मिु कल से ही िदखाई दते ी थी। िफर भी जीपवाला हम सही-सलामत ऊपर तक ले आया। मिं दर के बरामदे म सोए। थोड़ी ही दरे म खराटे शु हो गए। एक के ब द होते ही दसू रे के शु हो जाते। खराट क अ या री ही समिझए। जगु लब दी भी हो जाती। एक महाशय तो खराट का क ितमान ही थािपत करने पर तलु े थे इतना बता दँू िक इस दौड़ म म भी था, लेिकन कहाँ राजा भोज और कहाँ गगं तू ेली ! भोल वले ा म नीचे के खते से उठते कु हरे को दरे तक िनहारता रहा। धसू र धु ध म कोहरे क झीनी चादर ओढ़े खते िकतने पावन लग रहे थ।े मझु े हमशे ा ही लगा िक कृ ित के स दय म एक पावन भाव होता ह।ै मनु य ारा िनिमत सौ दय मे सदा ऐसा नह हो पाता। पावन होना तो दरू , कई बार तो वह ील तक नह होता। बि क िदन पर िदन इस स दय का मखु ड़ा अ ीलता क ओर होता ह।ै और हम और आप चँ-ू चपड़ तक नह कर सकते य िक यह होता है कला के नाम पर। फगनू रात मे ही आ गया था। साठ बरस का है पर यवु ाओं जसै ा बिल और क ावर ह।ै शरीर मजबतू और गठा हआ ह।ै अिधकाशं दातँ िगर गए ह इसिलए उ से अिधक बढ़ू ा जान पड़ता ह।ै वसै े मरे े भी सामने के दाँत नह ह,ै पर हाल ही मने नये जड़वा िलए ह। आजकल नकली दातँ दो कार के होते ह- थायी भाववाले और संचारी भाववाले । मरे े थायी भाववाले । संचारी भाववाले दाँत को रात म हवले ी खाली कर दने ी पड़ती ह।ै डॉ साधना िसहं िबसेन ५ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय यह वही फगनू है जो अँ जे परक मावासी मीरा (मे रएटा मॅ ल) के साथ यहाँ से अमरकं टक तक और वहाँ से िडंडौरी तक चला था। मीरा ने ही मझु से कहा था िक फगनू को साथ ले जाइए। हम दो सहायक क आव यकता थी ही यांिक रमशे भाई और हसं ा बहन सामान उठाकर नह चल सकते। इसिलए हमने फगनू के अलावा घन याम को भी साथ ले िलया। फगनू, घन याम और गरीबा-तीन गांड ह।ै सारा िदन उस पहाड़ी पर ही रह।े उसका लघु आकार उसे एक िविश जीव तता दान करता था। पहाड़ी पपे रवटे जसै ी लग रही थी। आसपास के खते कह उड़ न जाए,ँ इसिलए उन पर रखा पहाड़ी पपे रवटे ! रात का अधँ ेरा िघरते ही िद ली से डॉ. अिखल िम आ गए। उ ह लके र आए ह अरिव द गु और उनक प नी मजं री । दोन मडं ला के कॉलेज म िह दी के अ यापक ह। यह पछू ने क धृ ता मने क िक कौन सीिनयर है और कौन जिू नयर ह।ै (कभी-कभी इसम बड़ी गड़बड़ी हो जाती ह।ै एक बार म अपने पड़ोसी वमाजी के घर गया था। पित-प नी दोन वक ल ह। ीमती वमा से पछू ा, ‘वमाजी नह ह ?’ उ ह ने कहा, ‘वे कोट गए ह।’ पछू ा, ‘आप नह गई ं?’ उ ह ने कहा, ‘आज मरे ी छु ी ह।ै ’ मने िफर पछू ा, ‘उनक नह है ?’ उ ह ने मदृ ु हा य के साथ कहा, ‘वे लोअर कोट म ह, म तो हाईकोट म ह!ँ ’ दान ने पैर छु ए। मजं री ने कहा, ‘जबसे आपक पु तक पढ़ी ह, तभी से मन म था िक िमलते ही आपके चरण- पश क ँ गी।’ और भी लोग ऐसा करते ह। म बाधा नह पहचँ ाता। एक तो वृ ाव था के कारण डॉ साधना िसहं िबसेन ६ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय पजू नीयता का बोध य ही घसु पड़ता ह,ै दसू रे दरअसल चरण पश वे मरे ा नह , नमदा का कर रहे ह। मरे ी हिै सयत तो एक िच ीरसा क ह।ै 7 अ टूबर, 2002 को सबु ह-सवरे े गु थान से नीचे उतरे और तीन िकलोमीटर दरू नमदा पर बने मानोट के पलु के िलए चल पड़े। दो महीने पहले पैर क एड़ी पर घर का ही दरवाजा ऐसा धड़ाम से लगा था िक दस िदन तक घर से बाहर नह जा सकता था। प र मा म कह िगर-िगरा गया और हड्डी दरक गई तो जो दगु त होगी सो होगी, जगहसँ ाई अलग होगी। लोग कहग,े इस बडु ्ढे क तो मित ही मारी गई ह।ै अब पड़े रहो ला टर म सालभर तक! िक तु दसरे ही ण मने इस िवचार को िझड़क िदया। यह सम या मरे ी नह , नमदा क ह।ै इसक िच ता म य क ँ ! नमदा को दखे ते ही दय छलक उठा। कै सा माधयु िबखरे ती बह रही है वह। हम िवदा दने े के िलए मडं ला से नरेशच अ वाल अपने पूरे प रवार के साथ आए थे और हमारे िलए ढरे सारी खा साम ी लाए थ।े इनसे भी पु तक के कारण ही प रचय हआ था। घाट पर सभी ने नान िकया। ीप वािहत िकए और ‘नमदे हर!’ के घोष के साथ चल पड़े। म हौले-से बोला, ‘नमदा! तमु दसू र के िलए भले ही नमदा हो, मरे े िलए तो मो दा हो!’’ उ े य :- 1. मरे े सहया ी पाठ के मा यम से लखे क अमतृ लाल बेगड़ का जीवन प रचय बता सकग।े डॉ साधना िसहं िबसेन ७ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय 2. छा पाठ के मा यम से या ावतृ ांत, सं मरण का िव ेषण कर सकग।े 3. छा पाठ के मा यम से नमदा या ा के स दय का ान ले सकग।े 4. छा या ा के दौरान आई किठनाई, दगु म माग तथा प र मा का िव ेषण कर सकग।े 5. छा पाठ के मा यम से या ा का जीवन म मह व बता सकग।े श दाथ :- अथ Meaning शद सहया ी साथ म या ा करने वाले Co passenger प र मा चार ओर च कर लागने Revolution, Going around क ि या शलू पाण एक कार क झाड़ी A type of Shrub झाड़ी छोटे घने िबखरे पड़े Shrub अिकं चन िजसके पास कु छ न हो Destitute मो दा मिु दान करने वाला Salvation Provider पजू नीयता आदरणीय Respected मित बिु / मि त क Brain माधयु िमठास Sweetness / pleasantness डॉ साधना िसहं िबसेन ८ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और निै तक मू य: भाग ततृ ीय िवशेष योग :- उ टी प र मा जो दोहरी होती ह।ै िजलहरी - बहत समय से चला आ रहा व न िचरपोिषत व न - जहां नमदा लु हो गयी ह।ै अ लु ा नमदा - के ीय भाव :- ‘मरे े सहया ी’ म अमलृ ाल बगे ड़ ने नमदा के स दय और उसक प र मा का अभतू पवू वणन िकया ह।ै व तुिन :- 1. इस या ा सं मरण के लेखक कौन है (अ) िवजय बहादरु िसंह (ब) अमतृ लाल बेगड (स) िववके राय (द) डॉ. िवजय अ वाल 2. लेखक ने ............... या ा का वतृ ांत िकया है (अ) नमदा या ा (ब) गगं ा या ा (स) कावरे ी या ा (द) गोदावरी या ा 3. लखे क कौनसी नदी क प र मा करने िनकला (अ) पंच ोशी प र मा (ब) ि ा नदी (स) नमदा नदी (द) ता ी नदी 4. लेखक ने अपनी थम पदया ा कब शु क थी। (अ) 7 अ टुबर 1978 (ब) 7 अ टूबर 1977 (स) 7 अ टूबर 1950 (द) 7 अ टूबर 2000 5. लखे क ने थमया ा के िकतने वष के प ात् दसू री या ा क डॉ साधना िसहं िबसेन ९ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय (अ) 2 वष (ब) 25 वष (स) 20 वष (द) 50 वष 6. नमदा प र मा म दोनो तटो को िमलाकर िकतना िकमी. ह।ै (अ) 2500 िकमी. (ब) 2648 िकमी. (स) 2624 िकमी. (द)2340 िकमी. 7. लेखक ने नमदा को या सबं ोधन िदया (अ) मु े री (ब) िचरयौवना (स) मो दा (द) िस े री 8. दसू री नमदा या ा लखे क ने कब ारंभ क (अ) 7 अ टूबर 2003 (ब) 7 अ टूबर 2004 (स) 7 अ टूबर 2005 (द) 7 अ टूबर 2002 9. लेखक को या ा के िलए छोड़ने मडं ला से कौन आया (अ) रमशे च अ वाल (ब) महशे चं अ वाल (स) सरु े अ वाल (द) सचु े अ वाल 10. लेखक ने जब दसू री या ा ारंभ क तब उनक आयु .............. थी (अ) 70 (ब) 55 (स) 75 (द) 80 11. अमतृ लाल वगे ड़ ने िकस नदी क प र मा क - अ. नमदा नदी क ब. गगं ा नदी क स. बेतवा नदी क द. चंबल नदी क 12. मरे े सहया ी - अ. कहानी है ब. िनबंध है स. सं मरण है द. रेखािच है डॉ साधना िसहं िबसेन १० डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और नैितक मू य: भाग ततृ ीय 13. अमतृ लाल बगे ड़ जी ने िकसे मो दा कहा है - अ. गोदावरी को ब.गगं ा को स. यमनु ा को द. नमदा को उ र :- (1) ब, (2) अ, (3) स, (4) ब, (5) ब, (6) स, (7) स, (8) द, (9) ब, (10) स (11) अ, (12) स (13) द सही/गलत लगाये:- (अ) लेखक अके ले या ा पर गये थ।े (ब) बरगी बांध पर नमदा अ लु ा क ि थित म ह।ै (स) िजलहरी प र मा उ टे क जाती है उ र :- (अ) गलत, (ब) सही, (स) सही लघुउ रीय .1 अमतृ लाल बगे ड़ ने इस सं मरण म कौन सी या ा का वणन िकया । उ0 अमतृ लाल बगे ड़ ने नमदा या ा का वणन िकया ह।ै .2 िजलहारी प र मा का या आशय ह।ै उ0 िजलहारी प र मा िजसम उ टे चलते ह, समु को नही लांघना पड़ता और इसम दहु री प र मा होती ह।ै .3 नमदा क ‘अ लु ा नमदा’ वाली ि थित कहाँ बनी ह।ै उ0 बरगी बांध के कारण वहाँ नमदा ‘‘अ लु ा नमदा’’ क ि थित बनी। डॉ साधना िसहं िबसेन ११ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और निै तक मू य: भाग ततृ ीय .4 लेखक के साथी सहयोगी या ा पर कौन-कौन साथ गय।े उ0 लखे क क प नी कांता, पु का सहपाठी अशोक ितवारी, मबंु ई से चार लोग 64 वष य रमशे शाह, 61 वष य प नी हसं ा, 36 वष य पु संजय व िम 56 वष य गाग दसे ाई, िद ली से अपोलो हॉि पटल के डॉ. अिखल िम ा, अरिव द गु अनक प नी मजं री। इसके अलावा फगनू, घन याम और गरीबा आिद लोग या ा पर लेखक के सहया ी बने । .5 डॉ अिखल िम कौन है ? उ0 वे किव भवानी साद िम के भतीजे ह।ै .6 लेखक या ा ारंभ करने कहाँ गया। उ0 5 अ टूबर 2002 को दोपहर 2 बजे सभी बस से मडं ला तथा वहॉ से जीप से बीस िकमी. दरू गु - थान पर गय।े .7 फगनू का या प रचय ह।ै उ0 फगनू जो अं ेज प रक मावासी मीरा (मे रएटा मॅ ल) के साथ यहॉ से अमरकं टक तक चला था। .8 साथ चलने वाले तीनो कौन थ।े उ0 फगनू, घन याम, गरीबा ग ड थ।े .9 नमदा पर बने पलु का या नाम ह।ै उ0 नमदा पर बना पलु मानोट ह।ै .10 नमदा नान के समय लेखक ने या कहा ? उ0 ीप वािहत कर नान कर नमदे हर के घोष के साथ चल पड़े व धीरे से बोला नमदा! तमु दसू रो के िलए भले डॉ साधना िसहं िबसेन १२ डॉ सगं ीता महाश दे िह दी भाषा और निै तक मू य: भाग ततृ ीय ही नमदा हो मरे े िलए तो मो दा हो’’। सारांश - लेखक अमतृ लाल बगड एक िस पयावरण ेमी व लखे क थ। ततु या ा वतृ ा त म उ ह ने अपनी ि य नदीः नमदा क प र मा का अ य त सजीव वणन िकया ह।ै एक अप रिचत वृ यि क साहिसक या ा से अ य त भािवत होकर उ होन भी नमदा क प र मा करने क ठानी और सफलता पवू क परू ी क । थम नमदा या ा के 25 वष ( रजत जयंती )पणू करने व अपने जीवन के 75व वष क पणू ता पर उ होन अपने िचरपोिषत व न को साकार िकया। इस स पणू या ा म उनके सहयाि ओं को समिपत यह या ा वतृ ा त अ य त रोचक व जीव त ह।ै Summary The Writer Amritlal Bengad is a very famous enviroment lover. In this Travelogue, he has depicted his beloved river Narmada. Initially he was greatly influenced by an elderly fellow who had a revolution around the River Narmada. He was greatly supported by his co travellers and for that he has expressed his gratitude in this Travelogue . डॉ साधना िसहं िबसेन १३ डॉ सगं ीता महाश दे