हिंदी में ध्वनि कितनी होती है? - hindee mein dhvani kitanee hotee hai?

विषयसूची

  • 1 हिंदी भाषा में कुल कितनी ध्वनियां होती है?
  • 2 स्वर और व्यंजन की जोड़ी को पढ़ने का सही तरीका क्या है?
  • 3 संस्कृत में प्लुत स्वर कौन कौन से हैं?
  • 4 स्वर व्यंजन कैसे लिखते हैं?
  • 5 ध्वनियों की संख्या कितनी है?

हिंदी भाषा में कुल कितनी ध्वनियां होती है?

इसे सुनेंरोकेंये कुल 11 स्वर हुये हिन्दी भाषा के। हिन्दी के स्वर ध्वनियों के उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि की सहायता नहीं ली जाती तथा इन स्वरों के उच्चारण के समय वायु मुख विवर में बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है।

स्वर और व्यंजन की जोड़ी को पढ़ने का सही तरीका क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशब्दकोश देखने का सही तरीका शब्दकोश में पहले स्वर बाद में व्यंजन का क्रम आता है। सब्दकोश में अनुस्वार ( -ं ) और विसर्ग ( : ) का स्वतंत्र वर्ण के रूप में प्रयोग नहीं होता, लेकिन संयुक्त वर्ण़ों के रूप में इन्हें अ आ …… ओ औ से पहले स्थान मिलता है, जैसे- कं कः क का कि की कु कू के कै को कौ

ध्वनियाँ कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंध्वनियां थीं:- स्पर्श- कंठ-तालव्य : क, ख, ग, घ, ङ, (य युक्त)। जिहामूलीय : क, ख, ग, घ, ङ। कण्ठोष्ठ्य : क, ख, ग, घ, ङ (व-युक्त )।

प्लुत स्वर की संख्या कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंअन्तिम चार वर्णों को संयुक्त वर्ण (स्वर) भी कहते हैं, क्योंकि ए, ऐ, ओ तथा औ दो स्वरों के मेल से बने हैं। हैं, उसे ही प्लुत स्वर कहते हैं। लिपि में प्लुत स्वर को ‘३’ की संख्या से दिखाया जाता हैं, उदाहरण के लिए एहि कृष्ण३ अत्र गौश्चरति।

संस्कृत में प्लुत स्वर कौन कौन से हैं?

वर्ण परिचय

शब्दनिमितम्वर्णविभाग
वृक्षाणां व् ऋ क्ष् आ + नाम्
चतुर्णाम् र् च् अ त् उ र् + नाम्
कृष्णः ष् क् ऋ ष् + नः
नृणाम् न् ऋ + नाम्

स्वर व्यंजन कैसे लिखते हैं?

इसे सुनेंरोकेंस्वर : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें ‘स्वर’ कहा जाता है। व्यंजन : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें ‘व्यंजन’ कहा जाता है। प्राय: व्यंजनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है।

कौन व्यंजन अपने उच्चारण स्थान को पूर्ण रूप से स्पर्श करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअ-ख आदि । छती है उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। क से लेकर म तक के वर्णों को स्पर्श व्यंजन कहते हैं। कवर्ग-क, ख, ग, घ, ङ चवर्ग-च, छ, ज, झ, ञ टवर्ग-ट, ठ, ड, ढ, ण तवर्ग-त, थ, द, ध, न पवर्ग-प, फ, ब, भ, म।

हिन्दी भाषा में कितने स्वर और कितने व्यंजन हैं?

इसे सुनेंरोकेंवर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 53 वर्ण होते हैं। इनमें 12 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 57 वर्ण होते हैं इसमें 12 स्वर , 41 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।

ध्वनियों की संख्या कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर (d) : शब्द (भाषा) की सबसे छोटी इकाई ‘वर्ण या ध्वनि कहलाती है। हिंदी में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिसमें स्वरों की संख्या ग्यारह (11), मूल व्यंजनों की संख्या 33, दो अयोगवाह (अं. अ). दो द्विगुण (ड, ह) तथा चार संयुक्त वर्ण (क्ष, त्र, ज्ञ तथा श्र) हैं।

हिंदी भाषा में कुल 59 ध्वनियाँ स्वीकार की गई हैं। इस दृष्टि से हिंदी दुनिया की सर्वाधिक समृद्ध भाषाओं में एक है। विषय की सभी भाषाओं में प्रचलित प्रायः सभी ध्वनियाँ इसमें विद्यमान हैं।

इन ध्वनियों को मूल रूप से तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है।

(1) स्वर (2) व्यंजन (3) अयोगवाह ध्वनियाँ

(1) स्वरस्वर उस ध्वनि को कहते हैं जिसका उच्चारण बिना किसी अन्य ध्वनि की सहायता के होता है। हिंदी भाषा में बारह स्वर हैं जिन्हें तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।(1)मूल स्वरअर्थात वे स्वर जिनका कोई विभाजन नहीं हो सकता। ये संख्या में चार है - अ, इ, उ,ऋ,।(2)दीर्घ स्वरअर्थात एक ही मूल स्वर के दो बार जुडने से बनने वाले स्वर। ये भी संख्या में चार हैं।

आ(अ+अ), ऊ(उ+उ), ई(इ+इ), ऋ(ऋ+ऋ)।

(3) संयुक्त स्वरअर्थात वे दीर्घ स्वर जो अलग-अलग स्वरों से मिलकर बने हों। ये भी संकया में चार हैं-

ए(अ+इ), ऐ(अ+ए), ओ(अ+उ), औ(अ+ओ)।

(2) व्यंजनव्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण के लिए किसी अन्य ध्वनि (स्वर) की सहायता लेनी पड़ती है। स्वर के बिना व्यंजन पूर्ण नहीं होते। हिंदी में कुल 45 व्यंजन हैं जिनका कई आधारों पर वर्गीकरण किया जा सकता है।(1) उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरणकंठ्य- क,ख,ग,घ,ड़,ह,तालव्य- च,छ,ज,झ,ञ,य,श,मूर्धन्य- ट,ठ,ड,ढ़,ण,ड़,ढ़,र,ष,दंत्य- त,थ,द,ध,न,ल,स,ओष्ठ्य- प,फ,ब,भ,म,व, (2)अवरोध के आधार पर व्यंजनों के भेदइस आधार पर व्यंजनों के तीन भेद किए जाते हैं- अंतस्थ, ऊष्म व स्पर्श।(अ) अंतस्थ व्यंजनये वे व्यंजन है जिसका उच्चारण स्वर और व्यंजन का मध्यवर्ती होता है। इन व्यंजनों में श्वास का अवरोध बहुत कम होता है। ऐसे व्यंजन चार है-य,र,ल,व,। य और व में यह प्रकृति अधिक है। इस विशेष योग्यता के कारण इन दोनों को 'अर्धस्वर' भी कहा जाता है।(ब) ऊष्म या संघर्षी व्यंजनये वे व्यंजन जिनके उच्चारण में विशेष रूप से स्वास का घर्षण होता हैं। वस्तुतः जीभ तथा होंठों के निकट आने के कारण इनके उच्चारण में वायु रगड़ खाती हुई बाहर निकलती है व इसी से संघर्ष/घर्षण होता है। ये संख्या में चार है। श,ष,स,ह।(स) स्पर्श व्यंजनये वे व्यंजन हैं जिनके उच्चारण में जीभ या निचला होंठ उच्चारण स्थान का स्पर्श करके वायु को रोकता है। इन व्यंजनों को उच्चारण स्थान के आधार पर पाँच वर्गों में पाँच-पाँच की संख्या में बाँटा गया है।क वर्ग-क,ख,ग,घ,ड़,च वर्ग-च,छ,ज,झ,ञ ट वर्ग-ट,ठ,ड,ढ़,णत वर्ग-त,थ,द,ध,नप वर्ग-प,फ,ब,भ,म

ऊपर दिए गए 33 व्यंजन हिंदी में मूल रूप से स्वीकार किए गए हैं किन्तु विकास की प्रक्रिया में आठ और व्यंजन भी हिंदी में स्वीकृति हुए है। इसकी सूचना स्रोतों के साथ इस प्रकार है-

(1)मराठी से : ळ(2)फारसी से :(3)अपभ्रंम से : ड़,ढ़

इन 41 व्यंजनों के अतिरिक्त हिंदी में चार संयुक्त व्यंजन स्वीकृत हैं-क्ष,त्र,ज्ञ,श्र। इस प्रकार कुल 45 व्यंजन हिंदी भाषा में स्वीकृत किए गए हैं।

व्यंजनों के अन्य वर्गीकरणव्यंजनों को कुछ और आधारों पर भी वर्गीकरण किया जाता है। ऐसे तीन वर्गीकरण प्रमुख है।(क)-अल्पप्राण व महाप्राण व्यंजन(ख)-अघोष व सघोष व्यंजन(ग)-संयुक्त व्यंजन(क)-अल्पप्राण व महाप्राण व्यंजनोंका अंतर उच्चारण में खर्च होने वाले श्वाश की मात्रा पर आधारित है। अल्परण व्यंजन वे व्यंजन है जिनमें ऊर्जा, श्वाश या वायु की मात्रा कम खर्च होती है। जबकि महाप्राण व्यंजन वे व्यंजन है जिनमें ज्यादा ऊर्जा, श्वाश या वायु खर्च होती है। एक सामान्य नियम यह है कि प्रायः अल्पप्राण ध्वनियों में ह् जोड़ दिया जाए तो वे महाप्राण बन जाती हैं, जैसे-क्+ह्=ख्ग्+ह्=घ्

हिंदी के वर्गीय व्यंजनों में पहले व तीसरे व्यंजन अल्पप्राण होते हैं, तथा दूसरे व चौथे व्यंजन महाप्राण। इसके अतिरक्त अंतःस्थ व्यंजन (य,र,ल,व) अल्पप्राण होते है जबकि ऊष्म व्यंजन (श,ष,स,ह) महाप्राण होते हैं।

(ख)-अघोष व सघोष व्यंजनका मूल अंतर यह है कि सघोष व्यंजन के उच्चारण में स्वरतंत्री के अधिक कंपन के कारण आवाज काफी भारी होती है जबकि अघोष व्यंजन में स्वरतंत्री के कम कंपन के कंपन के कारण आवाज अधिक भारी नहीं होती। हिंदी व्यंजनमाला में वर्गीय व्यंजनों में पहले दो व्यंजन अघोष व अंतिम तीन सघोष होते है। अंतस्थ व्यंजन सघोष है। अन्य व्यंजनों में 'ह' सघोष है जबकि 'श', 'ष' तथा 'स' अघोष है।(ग)-संयुक्त व्यंजनदो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से निर्मित होने वाले व्यंजनों का भी एक वर्ग है जिन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में चार संयुक्त व्यंजन हैं-क्ष,त्र,ज्ञ तथा श्र,जिनकी निर्मिती इस प्रकार है-क्ष-(क्+ष)त्र-(त्+र)ज्ञ-(ज्+ञ)श्र-(श्+र)(3) अयोगवाह ध्वनियाँये वे ध्वनियाँ हैं जो न स्वर है न ही व्यंजन। ये स्वर इसलिए नहीं है कि इनकी स्वतंत्र गति नहीं और व्यंजन इसलिए नहीं है कि ये स्वरों के बाद आते हैं, उनसे पहले नहीं आते। ऐसी तीन ध्वनियाँ है।

(क) अनुस्वार (ख) अनुनासिक (ग) विसर्ग

(क) अनुस्वारअनुस्वार एक नासिक्य ध्वनि है। अनुस्वार का अर्थ है- अनु+स्वर, अर्थात् जो नासिक्य ध्वनियाँ स्वर के उच्चारण के बाद आती हैं जैसे गंगा (गड्गा)। अनुस्वार के रूप में वर्गीय व्यंजनों के संदर्भ में नियम यह है कि अनुस्वार अपने से बाद में आने वाले व्यंजन के वर्ग का ही पाँचवा व्यंजन होगा। उदाहरण के लिए,

गंगा>गङ्गा, खंभा>खम्भा, गंदा>गन्दा, गंजा>गञजा

(ख) अनुनासिकवह नासिक्य ध्वनि जो स्वर के स्वर के साथ जोड़कर बोली जाती है। इसके संकेत के रूप में अ, आ, के साथ चन्द्रबिन्दु तथा ए व ओ की मात्रा के साथ बिन्दु का प्रयोग किया जाता है, बाँस जोंक।(ग) विसर्गयह वह ध्वनि है कुछ तत्सम शब्दों में स्वर के बाद 'ह' रूप में उच्चारित होती है, जैसे दुख छः, प्रायः अतः आदि।

यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वर्णमाला में अनुस्वार और अनुनासिक ध्वनियों की गणना एक ध्वनि के रूप में ही की जाती है। इस प्रकार अयोगवाह ध्वनियाँ दो ही बचती हैं।

इस प्रकार हमने देखा कि हिंदी वर्णमाला में वर्णमाला में कुल 12 स्वर हैं, 45 व्यंजन हैं तथा दो अयोगवाह ध्वनियाँ है। ये सभी ध्वनियाँ परस्पर मिलकर 59 हो जाती है।

हिंदी में ध्वनियाँ कितनी है?

इस प्रकार हमने देखा कि हिंदी वर्णमाला में वर्णमाला में कुल 12 स्वर हैं, 45 व्यंजन हैं तथा दो अयोगवाह ध्वनियाँ है। ये सभी ध्वनियाँ परस्पर मिलकर 59 हो जाती है।

हिंदी भाषा में कितनी धनिया होती है?

ये कुल 11 स्वर हुये हिन्दी भाषा के। हिन्दी के स्वर ध्वनियों के उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि की सहायता नहीं ली जाती तथा इन स्वरों के उच्चारण के समय वायु मुख विवर में बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है।

हिंदी की ध्वनियाँ कौन सी है?

हिन्दी भाषा की मूल ध्वनी अ, इ, और उ को माना जाता है।

हिंदी के 52 अक्षर कौन कौन से हैं?

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारत में जन्म हुआ और हिंदी भाषा को जानते न हो... ऐसा असंभव है। ... .
स्वर – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ऑ.
अनुस्वार – अं.
विसर्ग – अ:.
व्यंजन – क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह (क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ श़ ).
संयुक्त व्यंजन– क्ष त्र ज्ञ श्र.