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निबन्ध'निबन्ध' शब्द नि+बन्ध से बना है, जिसका अर्थ अच्छी तरह बंधी हुई परिमार्जित प्रौढ़ रचना से है। निबंध अपने आधुनिक रूप में 'ऐसे (ESSAY)' शब्द का पर्याय है। अंग्रेजी में इसका अर्थ है प्रयत्न, प्रयोग अथवा परीक्षण अभिप्राय यह है कि किसी विषय का भली-भाँति प्रतिपादन करना या परीक्षण करना निबंध कहा जाता है। बाबू गुलाबराय के अनुसार — 'निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छंदता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।' डॉ. लक्ष्मीनारायण वार्ष्णेय 'निबन्ध से तात्पर्य सच्चे साहित्यिक निबंधों से है, जिनमें लेखक अपने-आपको प्रकट करता है विषय को नहीं। विषय तो केवल बहाना मात्र होता है।' निबन्ध गद्य की सर्वोत्तम विधा है-'गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति'- संस्कृत की इस प्रसिद्ध उक्ति का विस्तार कर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कहा- "यदि गद्य कवियों की कसौटी है तो निबन्ध गद्य की कसौटी है।" गद्यकार की रचनात्मक क्षमता एवं प्रतिभा की पहचान निबंध रचना से ही संभव है। 'निबन्ध' का अभिप्राय है 'किसी वस्तु को सम्यक रूप से बाँधना।' अर्थात् 'निबन्ध' वह रचना है जिसमें किसी विशिष्ट विषय से सम्बन्धित तर्क संगत विचार परस्पर गुंथे हुए हों। निबन्ध का उद्भव और विकास :निबंध भी गद्य साहित्य की विविध विधाओं की भाँति आधुनिक युग की ही देन है। जिसमें भारतेन्दु जी का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके विकास क्रम को चार सोपानों में विभक्त कर सकते हैं—
भारतेन्दु युग:
विभिन्न निबन्ध एवं निबंधकार हैं -
द्विवेदी युग
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इस युग के प्रमुख निबंधकार- महावीर प्रसाद द्विवेदी- 'प्रतिभा', 'क्रोध', 'लोभ', 'कविता', 'साहित्य सन्दर्भ', 'साहित्य सीकर', 'विचार विमर्श', 'कवि' और कविता'। बाबू श्यामसुन्दर दास- 'साहित्यलोचन', 'गद्य कुसुमावली'। पद्मसिंह शर्मा- पद्म पराग और 'प्रबंध मंजरी' प्रमुख निसंघ ओर निबंधकार रहे हैं। शुक्ल युग :
कुछ महत्वपूर्ण निबंधकार निम्नानुसार हैं-
शुक्लोत्तर युग
इस युग के महत्वपूर्ण निबंधकार हैं-
शुक्लोत्तर निबंध साहित्य कथ्य और शिल्प दोनों दृष्टियों से पर्याप्त विविधता भरा है। रचना शैली की दृष्टि से निबंधों के छः वर्ग है- 1. वर्णनात्मकता 2. विवरणात्मकता, विश्लेषणात्मकता 3. भावात्मक 4. विचारात्मक 5. संस्मरणात्मक 6. ललित। शुक्लोत्तर युग में इन सभी वर्गों के निबंध प्रचुर मात्रा में लिखे गए। Solved Paperद्वितीय श्रेणी अध्यापक परीक्षा 2016 का हल प्रश्न पत्रद्वितीय श्रेणी अध्यापक परीक्षा 2018 का हल प्रश्न पत्रद्वितीय श्रेणी अध्यापक हिंदी (स्पेशल) परीक्षा 2015 का हल प्रश्न पत्रअसिस्टेंट प्रोफेसर 2020 हिंदी साहित्य 1st पेपर का हलअसिस्टेंट प्रोफेसर 2020 हिंदी साहित्य 2nd पेपर का हलहिंदी निबंध का प्रारंभ कौन से युग में माना जाता है?हिन्दी साहित्य में निबन्ध
हिन्दी साहित्य के आधुनिक युग में भारतेन्दु और उनके सहयोगियों से निबंध लिखने की परम्परा का आरंभ होता है। निबंध ही नहीं, गद्य की कई विधाओं का प्रचलन भारतेन्दु से होता है।
निबंध लेखन की परंपरा का आरंभ कब से माना जाता है?माना जाता है कि एक आधुनिक विधा के रूप में 'निबंध' की शुरुआत 1580 ई. में फ्राँस के लेखक मॉन्तेन (Montaigne) के हाथों हुई। मॉन्तेन ने अपने निबंधों के लिये 'ऐसे' (Essay) शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ होता है- 'प्रयोग'। उस समय फ्राँस में कहानी, नाटक, कविता जैसी कई विधाएँ प्रचलित थीं पर निबंध का कलेवर उन सबसे अलग था।
हिंदी निबंध का विकास काल कब से कब तक माना जाता है?गद्य की सबसे सशक्त विद्या के रूप में 'निबंध' का श्रीगणेश किया गया। भारतेन्दु हरिश्चन्द को ही हिन्दी निबंध का जनक स्वीकार किया जाता है। अद्यतन काल ( 3 ) शुक्ल युग (सन् 1920 ई. से 1940 ई.
हिंदी निबंध के विकास क्रम को कितने युग में बांटा गया है?(1) पूर्व भारतेंदु युग(प्राचीन युग): 13 वीं शताब्दी से 1868 ईस्वी तक. (2) भारतेंदु युग(नवजागरण काल): 1868ईस्वी से 1900 ईस्वी तक। (3) द्विवेदी युग: 1900 ईस्वी से 1922 ईस्वी तक. (5) शुक्लोत्तर युग(छायावादोत्तर युग): 1938 ईस्वी से 1947 तक।
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