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सभी शास्त्र हमें ईश्वर की आराधना करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके अनुसार ईश्वर का नाम जपने के लिए कोई आयु नहीं होती। कुछ लोग कहते हैं बचपन हरि का नाम लेने के लिए नहीं होता। जब आयु आएगी, तब देखा जाएगा। वे भूल जाते हैं कि जब माता के गर्भ में जीव अन्धकार और अकेलेपन से घबराता है, तो वह ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उसे इस कष्ट से मुक्त कर दे। दुनिया
में जाने के बाद वह उसे सदा स्मरण करेगा। दूसरी ओर जब बच्चे को कोई कष्ट होता है तो उसे अपने इष्ट के स्थान पर माथा टेकने के लिए ले जाते हैं। जब बच्चे को डर लगता है तो उसे प्रभु का नाम स्मरण करने के लिए कहते हैं। From around the webAnswer: पाठ संख्या-2 (ओ३म् की महिमा )प्रश्न -1 भगवान् का सर्वश्रेष्ठ नाम क्या है ?उत्तर- भगवान् का सर्वश्रेष्ठ नाम ओ३म् है |”है यही अनादी नाद निर्विकल्प निर्विवाद “ (पंक्तियाँ पूरी कीजिए )प्रश्न-2 वाणी में पवित्रता किसके जाप से आती है ?उत्तर- वाणी में पवित्रता ओ३म् नाम के जाप से आती है |प्रश्न-3 जगत का अनुपम आधार कौन है ?उत्तर- जगत का अनुपम आधार ओ३म् है |प्रश्न-4 मन मन्दिर की ज्योति का प्रकाश पुंज कौन है ?उत्तर- मन मन्दिर की ज्योति का प्रकाश पुंज ओ३म् है |प्रश्न-5 ओ३म् नाम को प्राप्त कर लेने पर मनुष्य की कैसी निष्ठा बन जाती है ?उत्तर- ओ३म् नाम को प्राप्त कर लेने पर मनुष्य की ऐसी निष्ठा बन जाती है कि- वह लाखको छोड़ कर ओ३म् नाम के जाप में मगन हो जाता है |प्रश्न -6 ओ३म् शब्द की व्याख्या कीजिएउत्तर- ओ३म् नाम सबसे बड़ा इससे बड़ा ना कोय |जो इसका सुमिरन करे शुद्ध आत्मा होय ||ईश्वर नें सारी सृष्टि को बनाया है | वही इसका पालन करता है और अन्त में समेट लेता है | ओ३म् शब्द में तीन अक्षर है अ उ और म | ये तीन अक्षर ही तो सृष्टि के आदि मध्य और अन्त के द्योतक हैं | यही ओम् सबका प्राण है | सृष्टि का सबसे पहला नाद ओ३म् था | मानव का यही आदि मध्य अन्त है | यही परमेश्वर का उसका अपना निज नाम और सर्वोत्तम नाम है |प्रश्न -7 गुरु नानकदेव जी नें ओम् के विषय में क्या कहा है ?उत्तर- श्री गुरू नानक देव नें ओम् के विषय में कहा है कि- “ एक ओंकार सत् नाम कर्ता पुरख “ = अर्थात् ओम् और ओंकार दोनों का तात्पर्य एक ही है |प्रश्न-8 ओ३म् नाम का महत्व स्पष्ट कीजिए ?उत्तर- ओ३म् नाम सबसे बड़ा -----------आत्मा होय | (पंक्तियाँ पूरी लिखिए )1.ओ३म् नाम के जाप से मनुष्य धर्म अर्थ काम और मोक्ष का स्वामी बन जाता है |2.वाणी में पवित्रता आती है ओम् के जाप से मनुष्य की सभी कामनाएँ पूर्ण हो जाती है |3.ओ3म् ही तो सारे जगत का आधार है |4.ओम् नाम के जाप से रसना रसीली हो जाती है |5. ओम् नाम का जाप करने वाला मनुष्य जीवन में कभी भी निराश नहीं होता है | निश्चित रूप से ओ३म् का मानसिक जाप हृदय में ज्योति प्रकट करता है | कहा भी गया है –“ जबहिं नाम ------------------------ पुरानी घास ” (पंक्तियाँ पूरी लिखिए ) |भगवान का नाम लेने से क्या फायदा होता है?कलयुग में भगवान का नाम जपने से ही मनुष्य को राहत मिलती है और वह प्रसन्न रह सकता है। इसलिए जब भी समय मिले मनुष्य को भगवान का सिमरन करना चाहिए। यह बात सोमवार को सेठ गोपीराम गोयल की बगीची में चल रही श्रीमदभागवत कथा के दौरान कथाव्यास पंडित जय प्रकाश शास्त्री ने कही।
भगवान का नाम कितनी बार लेना चाहिए?क्या है 108 का महत्व
शास्त्रों के अनुसार एक मनुष्य को दिन में 10800 ईश्वर का स्मरण करना चाहिए।
दुनिया में सच्चा भगवान कौन है?सत्य यह है कि एक ही सच्चा ईश्वर है जिसने आकाश और पृथ्वी को बनाया और केवल मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। जी हां! ईश्वर हम से प्रेम करते हैं और केवल मनुष्य को ही उसने अपने स्वरूप में रचा है। इसलिए हमारा स्वभाव जानवरों, पक्षियों, पेड़ पौधों जैसा नहीं है क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में रचे गए हैं।
भगवान का नाम कब लेना चाहिए?भगवान का नाम हमेशा जपना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि मुख से जोर-जोर से भगवान का नाम बोला जाये, अपने मन में भी ध्यान करके भी भगवान राम, श्रीकृष्ण या जगत गुरू भगवान शिव आदि का नाम जपा जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में ईश्वर का नाम लेने से सभी मुश्किलें का हल पाया जा सकता है।
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