लता मंगेशकर के गायन की विशेषताएं क्या है? - lata mangeshakar ke gaayan kee visheshataen kya hai?

लता मंगेशकर (28 सितंबर 1929 – 6 फ़रवरी 2022) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं, जिनका छः दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।

लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। भारत सरकार ने उन्हें 'भारतरत्न' से सम्मानित किया था।

इनकी मृत्यु कोविड से जुड़े जटिलताओं से 6 फरवरी 2022 रविवार माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि वि स 2078 (पंचक) को मुम्बई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुई। वे कुछ समय से बीमार थीं। उनकी महान गायकी और सुरमय आवाज के दीवाने पूरी दुनिया मे हैं।[3] प्यार से सब उन्हें 'लता दीदी' कहकर पुकारते हैं।

लता मंगेशकर की बचपन की छबि

लता का जन्म एक कर्हाडा ब्राह्मण दादा और गोमंतक मराठा दादी के परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजी के कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।

हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंत जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये।

पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसले ने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों "अंग्रेजी छोरा चला गया" और "दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने" जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।

1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म "महल" के "आयेगा आनेवाला" गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

1. निर्मलता-लता की गायकी की एक प्रमुख विशेषता है-उसके स्वरों की निर्मलता। लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है, वही उसके गाने की निर्मलता में झलकता है।

2. स्वरों की कोमलता और मुग्धता-लता की गायकी के स्वरों में कोमलता और मुग्धता है। इसके विपरीत नूरजहाँ के गायन में एक मादक उत्तान दिखाई पड़ता था।

3. नादमय उच्चार-यह लता के गायन की एक अन्य प्रमुख विशेषता है। उसके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों की आस द्वारा बड़ी सुंदर रीति से भरा रहता है और ऐसा प्रतीत होता कि वे दोनों शब्द विलीन होते-होते एक दूसरे में मिल जाते हैं।

4. श्रृंगार की अभिव्यक्ति–लेखक के मत में लता ने करुण रस के साथ तो अधिक न्याय नहीं किया, पर मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति करने वाले गाने उत्कटता से गाए हैं।

हमें भी लता की गायकी में उपर्युक्त सभी विशेषताएँ नजर आती हैं। लता की गायकी में वह जादू है जो सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है। लता के गायन की मिठास लोगों को मस्त कर देती है।

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लता मंगेशकर भारत का एक ऐसा नाम है जो भारतीय ही समस्त विश्व के गौरव का कारण है स्वर कोकिला की उपाधि प्राप्त है एक लाख से ऊपर जिन्होंने हिंदी गाने का है और कुछ गाने तो इतने अनुपम है बेजोड़ हैं इनकी तुलना नहीं की जा सकती जो बताता है कि सुर सम्राट भी है लता मंगेशकर उनकी आवाज इतनी मधुर ही सुंदर है कि मैंने सुना है कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी गला का विश्व के वैज्ञानिक एनालिसिस करना चाहते देखना चाहते कि उस गली में ऐसी कौन सी स्वतंत्रता थी जो कि मधुर अति सुंदर आवाज निकलती थी लता मंगेशकर का नाम भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीज में गानों के लिए हमेशा ही अमर रहेगा अब तो वह मृत्यु को प्राप्त हो चुकी हैं शायद उनको शत-शत नमन शत-शत नमन शत-शत नमन

lata mangeskar bharat ka ek aisa naam hai jo bharatiya hi samast vishwa ke gaurav ka karan hai swar kokila ki upadhi prapt hai ek lakh se upar jinhone hindi gaane ka hai aur kuch gaane toh itne anupam hai bejod hai inki tulna nahi ki ja sakti jo batata hai ki sur samrat bhi hai lata mangeskar unki awaaz itni madhur hi sundar hai ki maine suna hai ki unki mrityu ke pashchat unki gala ka vishwa ke vaigyanik analysis karna chahte dekhna chahte ki us gali mein aisi kaun si swatantrata thi jo ki madhur ati sundar awaaz nikalti thi lata mangeskar ka naam bharatiya film industries mein gaano ke liye hamesha hi amar rahega ab toh vaah mrityu ko prapt ho chuki hai shayad unko shat shat naman shat shat naman shat shat naman

लता मंगेशकर के गायन की विशेषता क्या है?

लता के गाने की मुख्य विशेषताएँ उसका 'गानपन' है। लता के गाने की एक और विशेषता है, उसके स्वरों की निर्मलता। लता के स्वरों में कोमलता और मुग्धता है। ऐसा अनुभव होता है कि लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है वही उसके गायन की निर्मलता में झलक रहा है।

लेखक ने संगीत की कौन सी विशेषता बताएं?

लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है। 'गानपन' वह मिठास होती है जो श्रोता को मस्त कर देती है। इसका वह अनुभव कर सकता है। जिस प्रकार मनुष्यता होने पर ही मनुष्य होता है, उसी प्रकार 'गानपन' के होने पर ही संगीत होता है।

लता जी की लोकप्रियता का मुख्य कारण क्या है?

Answer: लता की लोकप्रियता का मुख्य मर्म उसका “गानपन” ही है। लता के गाने की एक और विशेषता है, उसके स्वरों की निर्मलता। उसके पहले की पार्श्व गायिका नूरजहाँ भी एक अच्छी गायिका थी, इसमें संदेह नहीं तथापि उसके गाने में एक मादक उत्तान दीखता था।

लता मंगेशकर का पहला गाना कौन सा है?

उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म 'कीर्ती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था। लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला।