क्या टीबी छुआछूत की बीमारी है? - kya teebee chhuaachhoot kee beemaaree hai?

कानपुर: टीबी छुआछूत की बीमारी नहीं है, बस मरीज को इतना ख्याल रखना है कि वह मुंह-नाक पर रूमाल रखकर खांसे या छीकें। इलाज चलता रहे तो दो सप्ताह बाद टीबी के फैलने का खतरा खत्म हो जाता है। यह जानकारी लाला रामस्वरूप इंस्टीट्यूट आफ टीबी एंड रेस्पिरेटरी डिसआर्डर, नई दिल्ली के डॉ. रूपक सिंगला ने दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में लोगों को दी।

* इलाज पूरा कराने के बाद क्या सावधानी बरतें। -अजय कुशवाहा, आजाद नगर

- डॉक्टर की सलाह से ठीक से दवा लें तो दोबारा टीबी होने की संभावना नहीं रहती।

* टीबी क्या जन्मजात होती है, खानपान में क्या सावधानी बरतें।

- मनीराम अग्रवाल, मनीराम बगिया।

- टीबी जन्मजात नहीं होती। खाना पीना एक साथ रहता है तो एक से अधिक लोगों को हो सकती है। दवाएं छह से सात माह लेने पर जड़ से चली जाती है। संतुलित व सामान्य भोजन लें। दूध भी पी सकते हैं।

*25 साल की बेटी को दो बार फेफड़े की टीबी हो चुकी है, क्या बच्चे होने में परेशानी होगी।

-रमेश चंद्र, कल्याणपुर।

- दवा ली थी तो चिंता न करें। दोबारा लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं।

* टीबी कैसे होती है और इसे कैसे समाप्त कर सकते हैं।

- सुजीत कुमार, आजाद नगर

- यह संक्रामक रोग है, छीकने या बोलने पर कीटाणु हवा में तैरते हैं। टीबी होने पर इलाज कराएं, सरकारी केंद्रों में इलाज नि:शुल्क उपलब्ध है।

* क्या छुआछूत की बीमारी है, कैसे बचें।- संतोष कुमार, मैकराबर्टगंज।

- यह छुआछूत की बीमारी नहीं है, एक ही थाली में खाना खाने और कपड़े पहनने से नहीं होती है। दवा शुरू होने पर दो हफ्ते के अंदर ही संक्रमण की क्षमता खत्म हो जाती है। किसी बर्तन में बलगम थूकें। फिनायल डाल दें और बर्तन उबालकर साफ करें।

* 38 साल उम्र है, बीस साल पहले मरीज थे। कभी कभी खांसने पर ब्लड आता है। डॉक्टर ने बताया हल्के से छेद हो गए हैं जो ऑपरेशन से भरे जा सकते हैं।- सुमन गुप्ता, लाल बंगला।

- कई बार पुरानी टीबी में फेफड़े में दाग रह जाता है तो हल्का सा खून आ जाता है। बार-बार खून आने पर सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह लें।

* टीबी से क्या मौत हो सकती है।-रामतेज कुशवाहा, आजाद नगर।

- इलाज न कराने पर मौत भी हो सकती है। इलाज नि:शुल्क है।

* पत्नी को आंतों की टीबी थी, नौ माह इलाज हुआ। शंका लगती है, क्या फिर जांच कराएं।-बब्लू सिंह, आवास विकास हंसपुरम्।

- सर्जन को दिखा लें, वह बेहतर स्थिति बता सकेंगे।

* टीबी के लक्षण क्या हैं। क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।-जयप्रकाश साहू, आजाद नगर।

- 85 फीसदी लोग फेफड़ों की टीबी से पीड़ित हैं, जबकि किसी भी हिस्से में टीबी हो सकती है। इसमें मुंह से खून आना, शाम को हल्का बुखार, दिमाग की टीबी में सिर में दर्द, पेट में दर्द, गांठ रूपी लक्षण दिखें तो फौरन चिकित्सक को दिखाएं।

*16 वर्षीय पुत्र का एक वर्ष से इलाज चल रहा है पर खांसी अभी भी आ रही है।-सतीश शुक्ल, गणेश नगर, रावतपुर।

- इलाज पूरा होने के बाद कुछ दिन खांसी आ सकती है। चिकित्सक से बात करके इलाज बंद कर खांसी की दवा ली जा सकती है।

* दो साल से एमडीआर टीबी है। इलाज से फायदा नहीं मिला। बेटी को भी बुखार आ रहा है।-कुलदीप भारती, हंसपुरम नौबस्ता।

- पांच-छह माह में बलगम निगेटिव हो जाना चाहिए था। दवाओं में बदलाव की जरूरत है। परीक्षण के बाद बेटी की सही स्थिति पता चल पाएगी। फिलहाल आप खुद का कमरा अलग करें।

* टीबी कितने प्रकार की होती है। -अशोक गुप्ता, संजय गांधी नगर।

- ड्रग सेंसटिव टीबी और ड्रग रेजिस्टेंस टीबी। इसमें एमडीआर टीबी भी एक प्रकार है। जब टीबी की आम दवाएं काम करना बंद कर देती हैं तो उसे ड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहते हैं। एमडीआर टीबी उसी का प्रकार है। इसमें लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में दवा देनी पड़ती है। इसकी कीमत और अन्य प्रभाव ज्यादा होते हैं। ड्रग सेंसटिविटी का इलाज ठीक से किया जाए तो ड्रग रेजिस्टेंस टीबी को रोका जा सकता है।

* चिकनगुनिया की वजह से पैर के घुटने में सूजन के साथ पानी आ गया है। -दिनेश प्रसाद गुप्ता।

- ऐसे कह पाना मुश्किल है। पानी को निकालकर जांच करानी पड़ेगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

*बच्चों को भी टीबी हो सकती है।-रमई, अमरुद मंडी, नवाबगंज।

-टीबी बच्चों को भी हो सकती है।

* डेढ़ वर्ष पूर्व मुझे टीबी थी, चिकित्सक ने 9 महीने इलाज किया। क्या दोबारा हो सकती है।-दुर्गेश, बर्रा।

-अगर इलाज सही चला है तो दोबारा टीबी होने की आशंका कम रहती है। अब सामान्य तरीके से जीवन यापन कर सकते हैं।

* बहन की 11 मार्च को टीबी के चलते मौत हो गई। तीमारदारों को भी खतरा है।-खुश्बू गुप्ता, विजय नगर।

- तीमारदार को अगर लक्षण दिखते हैं तो एक्सरे व बलगम की जांच जरूर करा लेनी चाहिए।

*दस वर्षीय बच्चे को टीबी हो गई थी। पांच-छह महीने इलाज चला फिर भी कई बार बुखार आ जाता है।-आलोक सिंह गौर, केशवपुरम्।

-एक बार फिर परीक्षण करा लें। बलगम व एक्सरे जांच करा लें। वायरल भी हो सकता है।

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टीबी रोग कोई छुआछूत की बीमारी नहीं

लातेहार : विश्व यक्ष्मा दिवस पर सोमवार को सदर अस्पताल परिसर लातेहार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। म

लातेहार : विश्व यक्ष्मा दिवस पर सोमवार को सदर अस्पताल परिसर लातेहार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि उपायुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता ने द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मौके पर उन्होंने कहा कि टीबी रोग कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है। समय से जांच करवाकर दवा खाने से बीमारी खत्म हो सकती है। उन्होंने गांव की सहियाओं से कहा कि गांव में एक सप्ताह से अधिक खांसी होने वाले को लातेहार सदर अस्पताल में निशुल्क जांच करवाकर इलाज करवाएं। वहीं उपविकास आयुक्त अनिल कुमार ¨सह ने कहा कि यक्ष्मा मरीजों के लिए इलाज संभव है। समय से जांच कराकर दवाईयों के सेवन से इसके दुष्परिणाम से बचा जा सकता है। वहीं सीएस डॉ. अलोकिसयस एक्का ने कहा कि दो हफ्तों से ज्यादा अधिक खांसी होने पर जांच सदर अस्पताल में कराएं। उन्होंने सहियाओं को कहा कि अपने क्षेत्र या गांव में यक्ष्मा संदिग्ध मरीजों का वे यदि स्वास्थ केंद्र में लाकर बलगम की जांच कराते हैं तो उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। कार्यक्रम के पूर्व विद्यालय के बच्चों के द्वारा वाद विवाद व क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जहां प्रथम व द्वितीय व तृतीय स्थान लाने वाले छात्रों को पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शिवपूजन शर्मा, डॉ सालखु चंद्र हांसडा, डॉ लक्ष्मण प्रसाद,डॉ सुलेंद्र प्रसाद ¨सह,डॉ नीलमणि कुमार,अमरेन्द्र कुमार, मनोज कुमार समेत कई लोग उपस्थित थे।

Edited By: Jagran

टीवी की बीमारी एक दूसरे से कैसे फैलती है?

टीबी कैसे फैलता है? टीबी के जीवाणु हवा में से फैलते हैं । जब किसी इन्सान के फेफड़ों में, फुप्फुसावरण या गले में टीबी के जीवाणु होते हैं, तब वह अपनी खाँसी, छींक, बोलने, हंसने, गाने से या सुषिर वाद्य को बजाने से उन जीवाणुओं को हवा में फैलाता है । टीबी के जीवाणु हवा में घंटों तक रह सकते हैं।

क्या टीवी छूत की बीमारी है?

कानपुर: टीबी छुआछूत की बीमारी नहीं है, बस मरीज को इतना ख्याल रखना है कि वह मुंह-नाक पर रूमाल रखकर खांसे या छीकें। इलाज चलता रहे तो दो सप्ताह बाद टीबी के फैलने का खतरा खत्म हो जाता है।

टीवी बीमारी कैसे पकड़ता है?

तपेदिक या टीबी आमतौर पर एमटीबी जीवाणु (माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस) के कारण होता है और यह बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है, जिससे यह संक्रमण पैदा करता है जो जीवन भर रह सकता है। दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी के टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित होने का अनुमान है। जबकि उन्हें इस बात की खबर तक नहीं होती है।

क्या TB हमेशा के लिए ठीक हो सकता है?

टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है। सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में इसका फ्री इलाज होता है। टीबी का इलाज लंबा चलता है। इसे ठीक होने में 6 महीने से 2 साल तक का समय लग सकता है।