जो प्रत्यय संज्ञा सर्वनाम विशेषण अथवा अत्यय के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं उन्हें क्या कहते हैं? - jo pratyay sangya sarvanaam visheshan athava atyay ke ant mein lagakar nae shabdon ka nirmaan karate hain unhen kya kahate hain?

संस्कृत के तत्सम शब्दों से तद्भव शब्दों से हिन्दी की शब्द सम्पदा में वृद्धि हुई। इसी प्रकार जन साधारण के भाषिक व्यवहार यानि बोलचाल की भाषा में भी अनेक देशज शब्द हिन्दी भाषा की सम्पत्ति बने। अनेक विदेशी भाषाओं के शब्द भी हिन्दी में घुलमिल गए। यद्यपि इनका व्यवहार सामान्य बोलचाल की भाषा तक सीमित है। हिन्दी भाषा की समृद्धि के लिए उसे आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी युग के लिए अधिक से अधिक सक्षम बनाने के लिए नए-नए पारिभाषिक शब्दों की आवश्यकता पड़ती है। संविधान में हिन्दी के राजभाषा बनने के बाद नए शब्दों की रचना अपरिहार्य हो गयी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन तकनीकी शब्दावली आयोग ने मानक हिन्दी की शब्द सम्पदा में हजारों नए शब्दों की रचना करके महत्वपूर्ण समृद्धि की है। शब्द-रचना के तत्व और उनके द्वारा शब्द-रचना पद्धति के बारे में हम आगे विस्तार से अध्ययन करेगें। इस लेख में हम कुछ उदाहरणों के साथ बताएंगे की उपसर्ग, प्रत्यय एवं समास किसे कहते हैं (Upsarg Pratyay samas in Hindi) क्या है।

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हिन्दी में निम्नलिखित तत्वों की सहायता से शब्द-रचना की जाती है।

  1. उपसर्ग
  2. प्रत्यय
  3. समास

आगे जानें उपसर्ग, प्रत्यय एवं समास किसे कहते हैं।

जो प्रत्यय संज्ञा सर्वनाम विशेषण अथवा अत्यय के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं उन्हें क्या कहते हैं? - jo pratyay sangya sarvanaam visheshan athava atyay ke ant mein lagakar nae shabdon ka nirmaan karate hain unhen kya kahate hain?
उपसर्ग, प्रत्यय एवं समास – Upsarg Pratyay aur Samas in Hindi

Article Contents

  • 1 उपसर्ग किसे कहते हैं
    • 1.1 तत्सम उपसर्ग तथा उदाहरण
    • 1.2 तद्भव उपसर्ग तथा उदाहरण
    • 1.3 विदेशी उपसर्ग तथा उदाहरण
  • 2 प्रत्यय किसे कहते हैं
    • 2.1 कृत प्रत्यय
      • 2.1.1 भाववाचक संज्ञाएं
      • 2.1.2 कारणवाचक संज्ञाएं
      • 2.1.3 कृर्तृवाचक विशेषण
    • 2.2 तद्धत प्रत्यय
  • 3 समास किसे कहते हैं
    • 3.1 समास के कितने भेद हैं/समास कितने प्रकार के होते हैं?
    • 3.2 अव्ययीभाव समास :-
    • 3.3 तत्पुरुष समास :-
    • 3.4 बहुब्रहि समास :-
    • 3.5 द्वन्द्व समास :-
    • 3.6 कर्मधारय समास :-
    • 3.7 द्विगु समास :-

उपसर्ग किसे कहते हैं

उपसर्ग उस शब्दांश को कहते हैं जो किसी शब्द के पहले लगकर एक नए शब्द की रचना करता है और मूल शब्द के अर्थ को व्यक्त करता है। जैसे ‘मान‘ शब्द में अभि’ उपसर्ग लगाने पर एक नया शब्द ‘अभिमान’ बना। मान रूठने के अर्थ में जबकि ‘अभिमान’ घमण्ड के अर्थ में प्रयुक्त होता है। इस तरह आपने देखा कि उपसर्ग लगाने से बने नए शब्द का अर्थ भी मूल शब्द से भिन्न हो जाता है। शब्द-रचना में उपसर्ग की उपयोगिता महत्वपूर्ण है। उपसर्ग के प्रयोग में दो बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहली बात, उपसर्ग का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता। वे शब्दों के साथ लगाकर ही अपने विशिष्ट अर्थ का बोध कराते हैं। दूसरी बात, उपसर्ग सदैव शब्द के पहले लगाए जाते हैं।

हिन्दी मे तीन प्रकार के उपसर्गों से शब्द-रचना होती है।

  1. तत्सम उपसर्ग
  2. तद्भव उपसर्ग
  3. विदेशी उपसर्ग

तत्सम उपसर्ग तथा उदाहरण

हिन्दी में संस्कृत तत्सम शब्दों की प्रचुरता है, अतः तत्सम उपसर्गों की संख्या भी अधिक होना स्वभाविक है।और उनकी सहायता से बने तत्सम शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे देखे जा सकते हैं।

उपसर्ग उपसर्ग से बने शब्द
अति अतिरिक्त, अत्यंत अतिशय, अत्याचार, अतिक्रमण
अघि अधिकार, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिकरण
अनु अनुजा, अनुवाद, अनुशासन, अनुपात, अनुज, अनुकूल
अप अपवाद, अपमान, अपराध, अपभ्रंश, अपव्यय, अपहरण
अभि अभिमान, अभियंता, अभ्यास, अभिनव, अभियोग
अव अवस्था अवगत अवज्ञा, अवतार, अवसान
आकाश, आकर्षण, आदान, आचरण, आमुख
उत्/ उद् उत्तम, उत्कंठा, उद्यम, उत्थान, उत्कर्ष, उद्धत
उप उपासना, उपस्थित, उपकार, उपनिवेश, उपदेश
दुर्/दुस् दुर्दशा, दुराचार, दुर्गुण, दुष्कर्म, दुर्लभ
नि निर्देशन, निकृष्ट, निवास, नियुक्ति, निबन्ध
निर्/निस् निर्भय, निर्दोष, निश्छल, निवास, निर्मल
परा पराजय, पराभव, परिधि, परिजन, परिक्रमा
प्र प्रकाश, प्रश्न प्रयास, प्रपंच, प्रसन्न प्रसिद्धि
प्रति प्रतिक्षण, प्रतिकार, प्रतिमान, प्रत्यक्ष प्रतिवादी
वि विकास, विशेष, विज्ञान, विधवा, विनाश, विभिन्न
सम् संसार, सम्मुख, संग्राम, संकल्प, संयोग, संस्कृत, संस्कार,
अपर अपराह्न
अन्य अन्यत्र, अन्योक्ति, अन्यतम
चिर चिरंजीव, चिरायु, चिरकाल
पुरा पुरातत्त्व, पुरातन, पुराविद्
यथा यथासम्भव, यथाशक्ति, यथासमय
बहिः बहिष्कार, बहिर्मुख, बहिर्गामी, बहिरंग
सत सत्कार, सत्कार्य, सद्गति, सज्जन
स्व स्वभाव, स्वतंत्र स्वदेश, स्वस्थ
स. सह सहयात्री, सहकारिता, सहकार, सहगामी
नास्तिक, नपुसंक, नक्षत्र
अग्र अग्रणी, अग्रज, अग्रसर, अग्रगामी
उपसर्ग प्रत्यय समास

तद्भव उपसर्ग तथा उदाहरण

तद्भव उपसर्ग से बने शब्द प्रायः जनसामान्य की बोलचाल की भाषा से प्रयुक्त होते हैं। इनके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं

उपसर्ग उपसर्ग से बने शब्द
आ/अन अमोल, अथाह, अनपढ़, अनमोल, अनजान
अध अधजला, अधपका, अधमरा, अधखिला
उन उन्नीस, उनचास, उजाड़, उचक्का, उजड्ड
औगुन, औघट
दु दुबला, दुकाल
नि निडर, निकम्मा, निहत्था, निखरा
बिन बिनव्याहा, बिनदेखा, बिनखाया, बिनबोया
भर भरपेट, भरसक, भरमार, भरपूर
क/कु कपूत, कुढंग, कुघड़ी
स/ सु सपूत, सरस, सुडौल, सुजान, सजग
उपसर्ग प्रत्यय समास

विदेशी उपसर्ग तथा उदाहरण

हिन्दी ने अरबी-फारसी शब्दों के साथ उनके उपसर्ग भी ग्रहण किए है। इनके कुछ उदाहरण देखें.

उपसर्ग उपसर्ग से बने शब्द
अल अलबत्ता
कम कमजोर, कमसिन, कमख्याली
खुश खुशदिल, खुशमिजाज, खुशबू, खुशहाल
गैर गैरहाजिर, गैरकानूनी, गैरवाजिब
दर दरकिनार, दरमियान, दरख्वास्त
ना नापसन्द नाराज, नालायक, नासमझ नामुमकिन
बद बदनाम बदबू, बदमाश, बदतमीज
बर बरखास्त, बरदाश्त
बिला बिलावजह
बे बेअदब, बेईमान, बेईज्जत, बेरहम, बेकसूर
ला लाइलाज, जालवाब, लापरवाह, लापता
हम हमसफर, हमदर्दी, हमपेशा, हमउम्र, हमराह
सर सरकार, सरताज, सरपंच, सरहद, सरदार
बदौलत बनाम
अल अलबत्ता
बिल बिल्कुल
बा बाकायदा

इसके अतिरिक्त हिन्दी में अंग्रेजी उपसर्ग से बने शब्द भी काफी प्रचलित हैं।

प्रत्यय किसे कहते हैं

मूल शब्द के अंत में लगने वाले शब्दांश को ‘प्रत्यय’ कहते हैं। उपसर्ग की तरह प्रत्यय भी शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्द की रचना करते हैं। दोनों में अन्तर सिर्फ इतना है कि उपसर्ग मूल शब्द के पहले लगता है और प्रत्यय मूल शब्द के बाद में।

प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं –

  1. कृत प्रत्यय
  2. तद्धित प्रत्यय

कृत प्रत्यय

क्रिया या धातु के अंत में लगने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं और इनके मेल से बने शब्द को ‘कृदन्त’ कहते हैं। जैसे- गाना (क्रिया) में ‘हार’ प्रत्यय लगाने से ‘गावनहार’ शब्द बनता है। यहाँ आपने देखा कि कृत प्रत्यय क्रिया या धातु में लगकर उसे बिल्कुल नया रूप और नया अर्थ देते हैं।

कृत प्रत्यय से हिन्दी में भाववाचक, करणवाचक, और कर्तवाचक संज्ञाएं तथा विशेषण बनते हैं। ये सभी संज्ञा विशेषण तद्भव शब्दों में होती हैं। इनके कुछ उदाहरण नीचे देखे जा सकते हैं

भाववाचक संज्ञाएं

धातु प्रत्यय संज्ञा
भिड़/लड़ / उठ अन्त/आई/आन भिड़न्त / लड़ाई/उठान
पूज/भूल/चिल्ल आपा/आवा/आहट पुजापा/भुलावा/चिल्लाहट
बोल/चाट ई/नी बोली/चटनी
समझ/मान औता/औती समझौता/मनौती
खिंच आव खिंचाव

कारणवाचक संज्ञाएं

धातु प्रत्यय संज्ञा
झूल/मथ आ/ आनी झूला/मथानी
रेत/झाड़ ई/ऊ रेती/झाडू
कस औटी कसौटी
बेल बेलन

कृर्तृवाचक विशेषण

धातु प्रत्यय संज्ञा
टिक आऊ टिकाऊ
तैर/ लड़ आक/आका तैराक/लड़ाका
खेल / झगड़ा आड़ी/आलू खिलाड़ी/झगड़ालू
बढ़/ अढ़ इया /इयल बढ़िया / अड़ियल
लड़ ऐत लड़ैत
हँस / भाग ओड़/ ओड़ा हँसोड़ / भगोड़ा
पी अक्कड़ पियक्कड़
मिल सार मिलनसार
रो/रख हारा/हार रोवनहार/राखनहार
उपसर्ग प्रत्यय समास

तत्सम कृत् प्रत्यय इस प्रकार हैं

धातु प्रत्यय संज्ञा
कम्/वि/वन्द अ/आन/अना काम/विज्ञान/वन्दना
इष पूजा/गै आ/अक इच्छा/पूजा/गायक
तन्/ भिक्षु उ/उक तनु/भिक्षुक
त्यज त्यागी
विद् मान विद्यमान
कृ तव्य कर्तव्य
दृश/पूज अनीय/उपनीय दर्शनीय / पूजनीय

विदेशी कृत् प्रत्यर्यो में फारसी के प्रचलित उदाहरणों को देखा जा सकता है –

धातु प्रत्यय कृदन्तशब्द
आमदन (आना) आमदनी
रिह (छूटना) रिहा
जी (जीना) इन्दा जिन्दा
बाश (रहना) इन्दा बाशिन्दा
चस्प (चिपकना) आँ चस्पाँ
उपसर्ग प्रत्यय समास

तद्धत प्रत्यय

तद्धत प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण शब्दों के अन्त में लगते हैं। अर्थात संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण के अन्त में लगने वाले शब्दांश को तद्धत प्रत्यय कहते हैं। इनके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त’ कहते हैं। जैसे

मुनि (संज्ञा) अ (प्रत्यय) = मौन

अपना (सर्वनाम) पन (प्रत्यय) = अपनापन

अच्छा (विशेषण) आई (प्रत्यय) = अच्छाई

आपने देखा कि कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अन्तर केवल इतना है कि कृत प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगते हैं जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में। उपसर्ग की तरह तद्धित प्रत्यय भी संस्कृत, हिन्दी और विदेशी (उर्दू) से आकर क्रमश: तत्सम, तद्भव, और विदेशी शब्द-रचना में सहायक हुए हैं। आगे आप सोदाहरण इसका अध्ययन करेगें।

संस्कृत के तद्धित प्रत्यय इनके उदाहरण इस प्रकार हैं

संज्ञा/विशेषण प्रत्यय शब्द
कुरू/मुनि कौरव/मीन
शिक्षा/राम अक/आयन शिक्षक/रामायन
वर्ष/पुष्प/रक्त इक/इत/इम वार्षिक /पुष्पित/ रक्तिम
क्षत्र/बल इय/इष्ट क्षत्रिय/बलिष्ठ
कुल/पक्ष ईन/ई कुलीन/पक्षी
अंश/पश्च तः / त्य अंशत: / पाश्चात्य
दिति/वत्स/दया य/ल/ लु दैत्य/वत्सल/दयालु
माया वी मायावी

इसी तरह तद्धित प्रत्यय से अनेक प्रकार की संज्ञा शब्दों और विशेषण शब्दों की रचना हम निम्नलिखित उदाहरणों से समझ सकते हैं से

  1. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा शब्द
जातिवाचक संज्ञा प्रत्यय भाववाचक संज्ञा
मित्र/शत्रु / प्रभु ता मित्रता/शत्रुता /प्रभुता
गुरू / मनुष्य / पुरुष त्व गुरुत्व/ मनुष्यत्व /पुरुषत्व
पण्डित पाण्डित्य
मुनि मौन
  1. नामवाचक संज्ञा से अपत्यवाचक संज्ञा शब्द
व्यक्तिवाचक संज्ञा प्रत्यय अपत्यवाचक संज्ञा
मनु/कुरु/पाण्डु/वसुदेव मानव / कौरव/पाण्डव/वासुदेव
राधा/ कुन्ती एय राधेय/ कौन्तेय
दिति दैत्य
  1. विशेषण से भाववाचक संज्ञा शब्द
विशेषण प्रत्यय भाववाचक संज्ञा
बुद्धिमान/मूर्ख/शिष्ट ता बद्धिमत्ता/मूर्खता/शिष्टता
वीर/लघु त्व वीरत्व/लघुत्व
गुरु लघु गौरव / लाघव
उपसर्ग प्रत्यय समास
  1. संज्ञा से विशेषण शब्द
संज्ञा प्रत्यय विशेषण
तालु/ग्राम तालव्य/ग्राम्य
मुख/लोक इक मौखिक/लौकिक
आनन्द / फल इत आनन्दित / फलित
बल/कर्म इष्ठ/निष्ठ बलिष्ठ कर्मनिष्ठ
मुख / मधु मुखर/मधुर
ग्राम/राष्ट्र ईन/ ईय ग्रामीण/राष्ट्रीय

अब तक आपने तत्सम प्रत्यय से बने विविध प्रकार के शब्दों से परिचय प्राप्त किया। आगे हम तद्भव और विदेशी तद्धित प्रत्ययों द्वारा शब्द रचना के उदाहरण प्रस्तुत करेगें।

हिन्दी तद्धित प्रत्यय – हिन्दी के सभी तद्धित प्रत्यय तद्भव रूप में है। अतः इनसे बनने वाले शब्द भी तद्भव हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे तत्सम प्रत्यय का प्रयोग तत्सम शब्द रचना के लिए ही होता है। संज्ञा-विशेषण में तद्धित प्रत्यय लगाकर हिन्दी के भाववावचक संज्ञा शब्द बनाने के लिए निम्नलिखित उदाहरणों को ध्यान से देखें –

संज्ञा/ विशेषण प्रत्यय भाववाचक संज्ञा शब्द
चतुर/चौड़ा आई चतुराई/चौड़ाई
मीठा/छूट/ कड़वा आस/आरा//आहट मिठास /छुटकारा/कड़वाहट
रंग / कम / बाप त/ती/ओती रंगत/कमती बपौती

इसी प्रकार संज्ञा से विशेषण बनाने के लिए तद्धित प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं

संज्ञा प्रत्यय विशेषण
भूख भूखा
देहात / रंग ई/ईला देहाती/रंगीला
चाचा/भाँग / खपरा एरा/एडी/ऐल चचेरा/भँगेड़ी/खपरैल
भूत/छूत/सोना ह/हर हरा भुतहा छुतहर/सुनहरा

तद्धित प्रत्यय द्वारा तद्भव शब्द रचना के अन्य उदाहरण भी देखे जा सकते हैं

संज्ञा प्रत्यय तद्भव शब्द
ससुर/नाना/सोना आल/हाल/आर ससुराल/ननिहाल/सुनार
मामा/नाक एरा/एल ममेरा / नकेल
आढ़त/तेल इया/ई अदतिया / तेली
चोर/बाछा टा/ड़ चौट्टा/बछड़ा

विदेशी तद्धित प्रत्यय – हिन्दी में फारसी तद्धित प्रत्ययों से बने कुछ प्रचलित शब्दों के उदाहरणों से विदेशी तद्धित प्रत्यय को भली-भाँति समझा जा सकता है।

मूल शब्द प्रत्यय तद्धितान्त शब्द
सफेद/जन आ/आना सफेदा / जनाना
ईरान/शौक /माह ई/ईन / ईना ईरानी/शौकीन/महीना
पेश/मदद कार/गार पेशकार/मददगार
दर्द / उम्मीद नाक/वार दर्दनाक / उम्मीदवार
बाग ईच बगीचा
गम गीन गमगीन
कलम दान कलमदान
घड़ी / नशा साज/बाज घड़ीसाज/नशाबाज
ईद/राह गाह/गीर ईदगाह/राहगीर
दार/नार फौज / दर फौजदार/दरबार

इसी प्रकार अरबी तद्धित प्रत्यय से बने कुछ शब्दों को देखा जा सकता है जो हिन्दी में बोलचाल की भाषा में काफी प्रचलित हैं। जैसे

मूल शब्द प्रत्यय तद्धितान्त शब्द
जिस्म / रूह आनी जिस्मानी / रूहानी
इंसान इयत इंसानियत
बाबर (विश्वास) ची बावरची

आपने देखा कि उपसर्ग और प्रत्यय द्वारा कितने नए-नए शब्दों की रचना की जा सकती है। इस सन्दर्भ में यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि अनेक शब्द ऐसे हैं कि जिनकी रचना उपसर्ग और प्रत्यय दोनों की सहायता से होती है। इस प्रकार की शब्द-रचना के कुछ उदाहरण देख जा सकते हैं

उपसर्ग मूल शब्द प्रत्यय शब्द रचना
अप मान इत अपमानित
लोक इक अलौकिक
अभि मान अभिमानी
उप कार उपकारक
परि पूर्ण ता परिपूर्णता
दुस् साहस दुस्साहसी
बद चलन बदचलनी
निर् दया निर्दयी
अन उदार ता अनुदारता
अ+प्रति आशा इत अप्रत्याशित

समास किसे कहते हैं

उपसर्ग और प्रत्यय की तरह समास भी शब्द-रचना में अत्यंत उपयोगी है। समास का अर्थ और उनके भेदों की जानकारी के बाद आप देखेंगे कि समास के द्वारा कैसे शब्द-रचना होती है। “समास’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। सम्ऽआसा सम् का अर्थ है “संक्षिप्त और सुंदर तथा आस का अर्थ है ‘कथन’। इस प्रकार समास का अर्थ है संक्षिप्त और सुन्दर कथना दो या दो से अधिक शब्दों के बीच की विभक्ति हटाकर उन्हें मिलाकर संक्षिप्त शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। समास से बना शब्द ‘सामासिक’ कहलाता है। जैसे- गृह में प्रवेश शब्द में ‘में’ विभक्ति हटाकर ‘गृह’ और ‘प्रवेश’ बचता है। इन दोनों को मिलाने ये ‘गृह प्रवेश’ सामासिक शब्द बना।

समास के कितने भेद हैं/समास कितने प्रकार के होते हैं?

समास के मुख्यतः चार भेद माने गए हैं- अव्ययीभाव, तत्पुरुष, बहुब्रहि और द्वन्द्व हिन्दी में कर्मधारय और द्विगु समास की गणना भी स्वतंत्र रूप में होती है। यद्यपि संस्कृत में ये दोनों समास तत्पुरुष समास के उपभेद के रूप में जाने जाते हैं।

इस प्रकार समास के छः भेद होते हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार है–

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास 
  5. द्वंद समास
  6. बहुव्रीहि समास 

समास के विभिन्न भेद और उनसे होने वाली शब्द-रचना को हम विस्तार से देखेगें।

अव्ययीभाव समास :-

इस समास में संज्ञा, विशेषण अथवा अव्यय के साथ संज्ञा शब्द का प्रयोग होता है। संक्षेप में इसे निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है।

संज्ञा + संज्ञा = घर-घर, पल-पल, गाँव-गाँव
विशेषण + संज्ञा = हरदिन, हर दिन
अव्यय + संज्ञा = प्रतिदिन, यथाशक्ति, आजीवन

तत्पुरुष समास :-

इसमें दो शब्दों (पदों) में अन्तिम पद प्रधान होता है। जैसे – ‘राजा की कन्या’, ‘अकाल से पीड़ित’ में ‘कन्या’ और ‘पीड़ित’ पद प्रधान है क्योंकि वाक्य प्रयोग में लिंग और वचन का निर्धारण अन्तिम पद के अनुसार ही होगा। जैसे राजा की कन्या आ रही है।

जनता अकाल से पीड़ित है। ‘राजा की कन्या’ और ‘अकाल से पीड़ित’ से विभक्ति ‘की’ और “से” को हटा देने से ‘राजकन्या’ और ‘अकाल पीड़ित’ सामासिक शब्द बनते हैं।

तत्पुरुष समास से शब्द-रचना का सूत्र है

संज्ञा + विभक्ति + संज्ञा = राजा का दरबार – राजदरबार

संज्ञा + विभक्ति + विशेषण = पुरुषों में उत्तम – पुरुषोत्तम

बहुब्रहि समास :-

इस समास में दो शब्दों का योग होने पर अपने समान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। जैसे- ‘लम्बोदर’ लम्बा उदर (पेट है जिसका अर्थात गणेश)। दशानन (दस मुख हैं जिसके) अर्थात रावण। इस प्रकार दो शब्द अपने सामान्य अर्थ से विशेष अर्थ प्रकट करते हैं।

चतुर्भुज, चतुर्मुख, चक्रपाणि, पीताम्बर, जितेन्द्रिय आदि बहुब्रहि समास के शब्द हैं।

द्वन्द्व समास :-

द्वन्द्व समास में दो शब्दों के बीच आने वाले और/या’ जैसे अव्यय हट जाते हैं और दोनों शब्द मिलकर एक हो जाते हैं। जैसे- भाई और बहन (भाई-बहन)। पाप या पुण्य (पाप-पुण्य)। भला-बुरा, देश-विदेश, रुपया-पैसा, खाना-पीना, नाक-कान, नर-नारी, भूखा-प्यासा आदि शब्द द्वष्द्व समास के उदाहरण हैं।

कर्मधारय समास :-

इस समास में दो शब्दों के बीच विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का अथवा उपमान और उपमेय का सम्बंध रहता है। जैसे –

विशेषण + विशेष्य = नीलकमल, नीलगाय
उपमेय + उपमान = चरणकाल, कमलनयन

परमेश्वर, सज्जन, महात्मा, शीतोष्ण, घनश्याम, महाकाव्य, सद्भावना, नवयुवक, महावीर आदि शब्द कर्मधारय समास के उदाहरण हैं।

द्विगु समास :-

द्विगु समास में दो शब्दों में पहला शब्द निश्चित संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा शब्द संज्ञा। अर्थात संख्यावाचक विशेषण और संज्ञा से मिलकर द्विगु समास की रचना होती है। जैसे

दूसरा पहर = दोपहर

पाँच तत्वों का समूह = पंचतत्व

चौराहा = चार राहों वाला

नवरत्न, पंचपरमेश्वर, चौमासा, त्रिभुवन, तिमंजिला, सप्तक, अष्टपदी, सतसई, षडरस, नवग्रह त्रिपदी आदि द्विगु समास के उदाहरण हैं। इस प्रकार आपने देखा कि समास से किस तरह संक्षिर और सुन्दर शब्द-रचना होती है। इससे भाषा की शब्द-सम्पदा में वृद्धि होती है, साथ ही भाषा का अभिव्यक्ति सौन्दर्य भी बढ़ता है।

  1. उपसर्ग किसे कहते हैं ?

    उपसर्ग शब्द के उस अंश को कहते हैं जो किसी शब्द के पहले लगकर एक नए शब्द की रचना करता है और मूल शब्द के अर्थ को व्यक्त करता है। जैसे 'मान' शब्द में अभि’ उपसर्ग लगाने पर एक नया शब्द 'अभिमान' बना।

  2. उपसर्ग कितने प्रकार के होते हैं ?

    हिन्दी मे तीन प्रकार के उपसर्गों से शब्द-रचना होती है।
    तत्सम उपसर्ग
    तद्भव उपसर्ग
    विदेशी उपसर्ग

  3. समास किसे कहते हैं ?

    दो या दो से अधिक शब्द मिलकर जब एक नया उस से मिलता जुलता शब्द का निर्माण करते हैं वह समास कहलाता है।

  4. समास कितने प्रकार के होते हैं ?

    समास के मुख्यतः चार भेद माने गए हैं- अव्ययीभाव, तत्पुरुष, बहुब्रहि और द्वन्द्व। परन्तु हिन्दी में कर्मधारय और द्विगु समास की गणना भी स्वतंत्र रूप में होती है।

  5. प्रत्यय किसे कहते हैं ?

    मूल शब्द के अंत में लगने वाले शब्दांश को 'प्रत्यय' कहते हैं।
    प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं –
    कृत प्रत्यय
    तद्धित प्रत्यय

  6. उपसर्ग और प्रत्यय में क्या अंतर है ?

    उपसर्ग की तरह प्रत्यय भी शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्द की रचना करते हैं। दोनों में अन्तर सिर्फ इतना है कि उपसर्ग मूल शब्द के पहले लगता है और प्रत्यय मूल शब्द के बाद में।

जो प्रत्यय संज्ञा सर्वनाम विशेषण अथवा अत्यय के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं उन्हें क्या कहते हैं?

पूर्वप्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होकर प्रायः मूल शब्द के अर्थ का नकारात्मक अथवा विपरीत अर्थ देता है, जैसे- अप्रिय, अन्याय, अनीति आदि।

जो प्रत्यय संज्ञा सर्वनाम और विशेषण में जुड़ता है उसे क्या कहा जाता है *?

जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा संख्यावाचक शब्दों के साथ जुड़कर उनके अर्थ को बदल देते हैं वे क्या कहलाते हैं ?

संज्ञा सर्वनाम विशेषण तथा अव्यय शब्दों के अंत में कौन से प्रत्यय जोड़े जाते हैं?

संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण के अंत में लगनेवाले प्रत्यय को 'तद्धित' कहा जाता है । तद्धित प्रत्यय के मेल से बने शब्द को तद्धितांत कहते हैं

संज्ञा सर्वनाम और विशेषण शब्दों के अंत में जुड़ने वाले प्रत्यय क्या कहलाते हैं?

संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण से जुड़ने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते है। तद्धित प्रत्यय: संज्ञा सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगने वाले प्रत्यय को 'तद्धित' कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को 'तद्धितान्त'। दूसरे शब्दों में – धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों में लगनेवाले प्रत्ययों को तद्धित कहते हैं