जागीरदारी व्यवस्था से क्या समझते हो? - jaageeradaaree vyavastha se kya samajhate ho?

जागीरदार प्रथा भारत में मुस्लिम शासन काल में विकसित (13वीं शताब्दी के प्रारम्भ में) हुई थी। यह भूमि की रैयतदारी प्रणाली थी, जिसमें किसी भूमि से लगान प्राप्त करने और उसके प्रशासन की ज़िम्मेदारी राज्य के एक अधिकारी को दी जाती थी। किसी जागीरदार को जागीर सौंपा जाना सशर्त या बिना शर्त भी हो सकता था।

विषय सूची

  • 1 जागीर प्रथा
  • 2 प्रथा का विकास
    • 2.1 सामंतवादिता
  • 3 प्रथा की समाप्ति
  • 4 टीका टिप्पणी और संदर्भ
  • 5 बाहरी कड़ियाँ
  • 6 संबंधित लेख

जागीर प्रथा

दिल्ली के प्रारम्भिक सुल्तानों ने शुरू की। इस प्रथा के अंतर्गत सरदारों को नकद वेतन न देकर जागीरें प्रदान कर दी जाती थीं। उन्हें इन जागीरों का प्रबंध करने तथा मालगुजारी वसूल करने का हक दे दिया जाता था। यह सामंतशाही शासन प्रणाली थी और इससे केंद्रीय सरकार कमज़ोर हो जाती थी। इसलिए सुल्तान ग़यासुद्दीन बलवन ने इस पर रोक लगा दी और सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी ने इसे समाप्त कर दिया। परंतु सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने इसे फिर से शुरू कर दिया और बाद के काल में भी यह चलती रही। शेरशाह सूरी और अकबर दोनों इस प्रथा के विरोधी थे। वे इसको समाप्त कर उसके स्थान पर सरदारों को नकद वेतन देने की प्रथा शुरू करना चाहते थे परंतु बाद के मुग़ल बादशाहों ने यह प्रथा फिर शुरू कर दी। उनको कमज़ोर बनाने और उनके पतन में इस प्रथा का भी हाथ रहा है।[1]

प्रथा का विकास

'जागीरदार' फ़ारसी भाषा के शब्द 'जागीर', अर्थात् भूमि और दार, अर्थात् अधिकारी से मिलकर बना है। यह प्रथा भारत में मुस्लिमों के शासन काल में बहुत फली-फूली। इस समय यह प्रथा अधिकांश क्षेत्रों में व्याप्त थी और राज्य के शासन प्रबन्ध का महत्त्वपूर्ण हिस्सा थी। सशर्त जागीर में जागीरदार को शासन के हित में कर वसूलने और सेना संगठित करने जैसे जनकार्य करने पड़ते थे। भूमि, जो कि 'इकता' कहलाती थी, आमतौर पर जीवन भर के लिए दी जाती थी और अधिकारी की मृत्यु के बाद जागीर फिर से शासन के अधिकार में चली जाती थी। जागीरदार को उत्तराधिकारी निश्चित रकम अदा करके जागीर का नवीनीकरण कर सकता था। यह प्रथा दिल्ली के प्रारम्भिक सुल्तानों ने शुरू की थी।

सामंतवादिता

सामन्तवादी चरित्र होने के कारण जागीरदार प्रथा से कुछ अर्द्ध स्वतंत्र सामन्त अस्तित्व में आए, जिससे केन्द्र सरकार कमज़ोर होने लगी। सुल्तान ग़यासुद्दीन बलबन ने इस प्रथा को कुछ हद तक नियंत्रित किया और सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी ने इसे समाप्त कर दिया। बाद में इसे सुल्तान फ़िरोजशाह तुग़लक़ ने दुबारा शुरू किया और उसके बाद यह प्रथा जारी रही। प्रारम्भिक मुग़ल शासकों (16वीं शताब्दी) ने अपने अधिकारियों को नक़द इनाम या वेतन देकर इसे समाप्त करना चाहा। लेकिन बाद के मुग़ल शासकों द्वारा इसे फिर से लागू करने के बाद उनका शासन कमज़ोर पड़ने लगा।

प्रथा की समाप्ति

वर्तमान तमिलनाडु राज्य के अर्काट के तत्कालीन नवाब मुहम्मद अली ने इंग्लैण्ड की ईस्ट इंडिया कम्पनी को 'बंगाल की खाड़ी' के किनारे 190 किलोमीटर लम्बी और 75 किलोमीटर चौड़ी जागीर दी थी। बाद में यही 'मद्रास प्रेज़िडेंसी' का केन्द्र बनी। ब्रिटिश शासन काल में, विशेषकर महाराष्ट्र में, पुरानी जागीरदारी सम्पत्तियों को आमतौर पर व्यक्तिगत परिवारों की निजी सम्पत्ति मान लिया गया। स्वतंत्रता के बाद भारत में इस अनुपस्थित भू-स्वामित्व प्रणाली को समाप्त करने के लिए क़ानून बनाये गए।।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- भारतीय इतिहास कोश |लेखक- सच्चिदानन्द भट्टाचार्य | पृष्ट संख्या- 167 | प्रकाशन- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

देखें  वार्ता  बदलें

मध्य काल

आदित्यसेन · अकबर · बैरम ख़ाँ · अकबर द्वितीय · अकमल ख़ाँ · अकविवा, फ़ादर रिदांल्फ़ो · अग्निकुल · अच्युतराय · अज़ारी शेख · अजीत सिंह · अदली · अदहम ख़ाँ · अबुल फ़ज़ल · अब्दुर्रज्जाक लारी · अम्बाजी · अलाउद्दीन मसूद · अली बरीद · अस्करी · अहमदशाह बहमनी · अहसानशाह जलालुद्दीन · अलप्तगीन · अहिल्याबाई होल्कर · आरामशाह · आलमशाह द्वितीय · आसफ़ ख़ाँ · आसफ़ ख़ाँ (सूबेदार) · मधुकरसाह बुंदेला · इख़्तियारुद्दीन अल्तूनिया · सुबुक्तगीन · शेरशाह सूरी · शेरशाह सूरी साम्राज्य · इल्तुतमिश · कालिंजर · कुतुबुद्दीन ऐबक · कैकुबाद · हैदरशाह · हेमू · खानवा का युद्ध · ख़ान ए ख़ाना मक़बरा · ख़ानदेश · ग़यासुद्दीन बलबन · मेदिनीराय · चंगेज़ ख़ाँ · चुनार क़िला · तराइन का युद्ध · शुजाउद्दीन · मसूद ग़ज़नवी · द ला हाये · पंगुल की लड़ाई · दारा शिकोह · फ़्रांसिस्को-द-अल्मेडा · दीवान · देवपाल (प्रतिहार वंश) · जुझार सिंह · चैतन्य आन्दोलन · नासिरुद्दीन नुसरतशाह · जयध्वज सिंह · हुलेगु ख़ान · ग़यासुद्दीन महमूदशाह · नागभट्ट प्रथम · भाव मिश्र · अलाउद्दीन हुसैनशाह · अब्बास ख़ाँ सरवानी · लाचित बोड़फुकन · विजयपाल देव · नागभट्ट द्वितीय · कर्णदेव द्वितीय · कमला देवी · बेलैंगडर डी लस्पिने · वीरसाल · विन्दवास का युद्ध · त्रिलोचनपाल · जागीरदार प्रथा · दादोजी कोंडदेव · सूफ़ी आन्दोलन · दलपतशाह · नादिरशाह का आक्रमण · हुसैनशाह · तारानाथ · टुकरोई का युद्ध · पानीपत युद्ध · कीरत सिंह · पानीपत युद्ध प्रथम · दुर्रानी · सरफ़राज ख़ाँ · पानीपत युद्ध तृतीय · दाऊद ख़ाँ · हमीद ख़ाँ · जयपाल · दाबर बख़्श · राणा परशाद · लोहानी · जैनुल अबादीन · कासिम बरीद · भीमपाल · पोर्टो नोवो युद्ध · महमूद ग़ज़नवी के भारत पर आक्रमण · हाजी मौला · नादिरशाह · सलावतजंग · गदाधर सिंह · आसकरन · कुब्ले ख़ाँ · नंजराज · अमीर ख़ाँ · सआदत ख़ाँ · सफ़दर जंग · उदगिरि का युद्ध · हुशंगशाह · शम्सुद्दीन मुजफ़्फ़र शाह · सेमल का युद्ध · पुंडरीक विट्ठल · अली आदिलशाह प्रथम · कपय नायक · अलबुकर्क · इंसाफ़ की ज़ंजीर · इलियास शाह · सिकन्दर शाह · वैहन्द का युद्ध · मुजफ़्फ़र जंग · फ़ैज़ी · बख़्तियार ख़िलजी · तर्पी बेग़ · कमरुद्दीन · हुलागू · तुकोजी राव होल्कर प्रथम · मलिक शाहू लोदी · शौकतजंग · गंगू · बहादुर शाह ज़फ़र · नौमुस्लिम · नादिरा बेगम · घाघ · भड्डरी · वसलपानम · बाबर · बिशनदास · राजवल्लभ सेन · भक्ति आन्दोलन · भोज प्रथम · चिक्कन्ना नायक · नाग नाइक · वीरनारायण · मदकरी नायक · तिम्मन्ना नायक · भाई धर्मसिंह · भोज द्वितीय · मलिक मकबूल · मध्यकालीन भारत · महमूद ख़िलजी · महमूद ग़ोरी · महिपाल · महेन्द्र पाल · मिर्ज़ा गियासबेग़ · भारत पर महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण · मीरन बहादुर शाह · सामूगढ़ का युद्ध · ईसा ख़ाँ · ग़ाज़ी ख़ाँ बदख़्शीं · अल्प ख़ाँ · महाबत ख़ाँ · मुइज़ुद्दीन बहरामशाह · कासिम ख़ाँ · बहराम ऐबा · सदानन्द योगीन्द्र · मुराद बख़्श · मुहम्मद ग़ोरी · नासिरुद्दीन क़बाचा · रज़िया सुल्तान · राजपूत काल · नासिर जंग · राजपूताना · महमूद बेगड़ा · रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह · रामराय · अली नकी · अब्दुल्ला ख़ाँ · वत्सराज · बिचित्र · विजय नगर साम्राज्य · अफ़ीक · शमसुद्दीन क्यूमर्स · शाहजादा मुराद · शुजाउद्दौला अल्प ख़ाँ · सर जार्ज आक्सेनडेन · सलीम · अली शाह · हिंगलाजगढ़ · हुमायूँ · हैदर अली · ग़ोर के सुल्तान · क़ुतुबुद्दीन कोका · राजा गणेश · महमूद ग़ज़नवी · तैमूर लंग · मिर्ज़ा हैदर · इमादशाही वंश · उस्मान ख़ाँ · फ़ीरोज़ ख़ाँ · मुहम्मद बिन क़ासिम · फ़्रांसिस डे · फ़ोर्ट सेण्ट जॉर्ज · इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद · मलिक अम्बर · जसवंत सिंह · शहज़ादा दानियाल · शहज़ादा परवेज़ · धर्मट का युद्ध · दिलावर ख़ाँ ग़ोरी · दिलेर ख़ाँ · दौलत · फ़र्रुख़ बेग़ · अली वर्दी ख़ाँ · बहादुर शाह · बहाउद्दीन गुरशास्प · पीर मुहम्मद ख़ाँ · तहमस्प शाह · मलिक अयाज़ · ग़ज़नवी वंश · फ़ख़रुद्दीन · तारीख़-ए-फ़रिश्ता · फ़ख़रुद्दीन मुबारक शाह · फ़तेहउल्ला इमादशाह · इसलाम शाह सूर · दीन-ए-इलाही · दाहिर · दुर्गादास · लाड मलिका · सिंघण · जहानसोज · चंदेरी का युद्ध · अली मोहम्मद रूहेला · सवाई प्रताप सिंह · अल्ल सानि पेद्दन · नन्दी तिम्मन · धूर्जटि · मादय्यगरि मल्लन · अय्यलराजु रामभध्रुडु · पिंगलीसूरन्न · रामराजभूषणुडु · तेनाली रामा · रूमी ख़ाँ · ईसा ख़ान नियाज़ी · आसफ खाँ द्वितीय · आसफ खाँ चतुर्थ · इंद्रायुध · अष्टदिग्गज · अल्फ्रेड · भाग्यचन्द्र · हितकारिणी सभा · मनसा खांट

जागीरदारी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?

जागीरदार प्रथा भारत में मुस्लिम शासन काल में विकसित (13वीं शताब्दी के प्रारम्भ में) हुई थी। यह भूमि की रैयतदारी प्रणाली थी, जिसमें किसी भूमि से लगान प्राप्त करने और उसके प्रशासन की ज़िम्मेदारी राज्य के एक अधिकारी को दी जाती थी। किसी जागीरदार को जागीर सौंपा जाना सशर्त या बिना शर्त भी हो सकता था।

जागीरदारी व्यवस्था का उदय कैसे हुआ?

अकबर के शासनकाल के दूसरे दशक में प्रारम्भ की गई मनसबदारी व्यवस्था के अन्तर्गत मनसबदारों को उनके वेतन के बदले में जागीर दिए जाने की व्यवस्था ने मुगलकालीन जागीरदारी प्रथा को जन्म दिया था। जागीरदारी व्यवस्था लागू करने का उद्देश्य शाही खज़ाने पर बिना अतिरिक्त बोझ डाले साम्राज्य की सैन्य शक्ति को बढ़ाना था।

जागीरदारी कौन थे?

जागीर शब्द मूल रूप से फारसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है भूमि और दार का अर्थ है अधिकारी। इस प्रकार वह व्यक्ति जो एक भूमि का स्वामी है वह जागीरदार कहलाता है। यह प्रथा मुगल शासकों द्वारा अपने अधिकारियों को भूमि पुरस्कार के रूप में सौंपने से शुरू हुई मानी जाती है।

अकबर की जागीरदारी व्यवस्था?

जागीरदार प्रथा भारत में मुस्लिम शासन काल में विकसित (13वीं शताब्दी के प्रारम्भ में) हुई थी। यह भूमि की रैयतदारी प्रणाली थी, जिसमें किसी भूमि से लगान प्राप्त करने और उसके प्रशासन की ज़िम्मेदारी राज्य के एक अधिकारी को दी जाती थी। किसी जागीरदार को जागीर सौंपा जाना सशर्त या बिना शर्त भी हो सकता था।