Solutions For All Chapters Vitan Class 12 Show पाठ के साथप्रश्न 1: उत्तर – प्रश्न 2: उत्तर – प्रश्न 3: अथवा सौंदलगकर के व्यक्तित्व के आधार पर किसी अध्यापक के लिए आवश्यक जीवन-मूल्यों पर प्रकाश डालिए। उत्तर – प्रश्न 4: उत्तर – प्रश्न 5: उत्तर – प्रश्न 6: उत्तर – अन्य हल प्रश्नI. बोधात्मक प्रशनप्रश्न 1: उत्तर – प्रश्न 2: उत्तर – प्रश्न 3: उत्तर – प्रश्न 4: उत्तर – प्रश्न
5: उत्तर – प्रश्न 6: उत्तर – प्रश्न 7: उत्तर – प्रश्न 8: उत्तर – प्रश्न 9: उत्तर – प्रश्न 10: अथवा ‘जूझ’ कहानी के लेखक में कविता-रचना के प्रति रुचि कैसे उत्पन्न हुई? अथवा ‘जूझ’ के लखक के कवि बनने की कहानी का वर्णन कीजिए। उत्तर – प्रश्न 11: अथवा बालक आनद यादव के पिता ने किन शतों पर उसे विद्यालय जाने दिया? उत्तर – पाठशाला जाने से पहले ग्यारह बजे तक खेत में काम करना होगा तथा पानी लगाना होगा। प्रश्न 12: उत्तर – प्रश्न 13: उत्तर – प्रश्न 14: उत्तर – II. निबंधस्ताक प्रश्नप्रश्न 1: उत्तर – प्रश्न
2: अथवा दस्ता जी राव ने लेखक की पढाई काँ समस्या का समाधान किस प्रकार किया? उत्तर – प्रश्न 3: उत्तर – प्रश्न 4: उत्तर – प्रश्न 5: उत्तर – यढ़ने को इच्छा…वह पिछले डेढ वर्ष से स्कूल नहीं जा रहा था क्योकि पिता ने आगे पढाने से मना कर दिया था। इसके बावजूद उसके मन में पढ़ने की बहुत इच्छा थी। वह अपने मन की बात भी रनै कहता है तथा इस काम में दस्ता जी राव देसाई को मदद लेता है। प्रश्न 6: उत्तर – प्रश्न 7: अथवा ‘जूझ‘ पात के आधार पर राव साहब का चरित्रडवित्रण र्काजिए। उतार
– व्यक्तिव – राव निब गाँव के सम्मानित जमींदार हैं। वे उदार, नेकदिल व रोबीले हैँ। बच्चे व महिलाओं के साथ सदूव्यवहार करते हैं। प्रश्न 8: उतार – प्रश्न 9: उतार – प्रश्न 10: उतार – संघर्षशीलता – किसी कार्य में सफलता माने के लिए संघर्षशील बहुत आवश्यक है। आज के किशोर– किशोरियों शॉर्टकट रास्ते पर चलकर सफलता पना चाहते हैं ताकि उन्हें कम–री–कम परिश्रम और संघर्ष करना पहुँ जबकि ‘जूझ‘ कहानी के नायक को
जगह–जगह संघर्ष करना पडा। प्रश्न 11: उतार – III. मूल्यपरक प्रश्नप्रश्न 1: (अ) पाठशाला जाने के लिए मन तड़पता था। लेकिन दादा के सामने खहै होकर यह कहने को हिम्मत नहीं होती कि “मैं पढ़ने जाऊँगा।” डर लगता था कि हडूडी–पसली एक कर देगा। इसलिए मैं इस ताक में रहता कि कोई दादा को समझा दे। मुझे इसका विश्वास था कि जन्म–भर खेत में काम करते रहने पर भी हाथ कुछ नहीं लगेगा। जो बाबा के समय था, वह पापा के समय नहीं रहा। यह खेती हमें गइढे में धकेल रही है। पढ़ जाऊँगा तो नौकरी लग जाएगी, चार पैसे हाथ में रहेगें, विठोबा आपणा की तरह कुछ धंधा–कारोबार किया जा सकेगा। अंदर…ही–अंदर इस तरह के विचार चलते रहते। प्रश्न:
उतार –
(ब) उठते-उठते मैंने भी दत्ता जी राव से कहा, ‘अब जनवरी का महीना है। अब परीक्षा नजदीक आ गई है। मैं यदि अभी भी कक्षा में जाकर बैठ गया और पढ़ाई की दुहराई कर ली तो दो महीने में पाँचवीं की सारी तैयारी हो जाएगी और मैं परीक्षा में पास हो जाऊँगा। इस तरह मेरा साल बच जाएगा। अब खेती में ऐसा कुछ काम नहीं है। मेरा पहले ही एक वर्ष बेकार में चला गया है।”“ठीक है, ठीक है। अब तुम दोनों अपने घर जाओ-जब वह आ जाए तो मेरे पास भेज देना और उसके पीछे से घड़ी भर बाद में तू भी आ जाना रे छोरा।” “जी!” कहकर हम खड़े हो गए। उठते-उठते हमने यह भी कहा कि “हमने यहाँ आकर ये सभी बातें कही हैं, यह मत बता देना, नहीं तो हम दोनों की खैर नहीं है। माँ अकेली साग-भाजी देने आई थी। यह बता देंगे तो अच्छा होगा।” प्रश्न:
उत्तर –
(स) “हाँ, यदि नहीं आया किसी दिन तो देख, गाँव में जहाँ मिलेगा वहीं कुचलता हूँ कि नहीं, तुझे। तेरे ऊपर पढ़ने का भूत सवार हुआ है। मुझे मालूम है, बालिस्टर नहीं होने वाला है तू?” दादा बार-बार कुर-कुर कर रहा था-मैं चुपचाप गरदन नीची करके खाने लगा था। रोते-धोते पाठशाला फिर से शुरू हो गई। गरमी-सरदी, हवा-पानी, वर्षा, भूख-प्यास आदि का कुछ भी खयाल न करते हुए खेती के काम की चक्की में, ग्यारह से पाँच बजे तक पिसते रहने से छुटकारा मिल गया। उस चक्की की अपेक्षा मास्टर की छड़ी की मार अच्छी लगती थी। उसे मैं मजे से सहन कर लेता था। दोपहरी-भर की कड़क धूप का समय पाठशाला की छाया में व्यतीत हो रहा था-गरमी के दो महीने आनंद में बीत गए। प्रश्न:
उत्तर –
प्रश्न 2: उत्तर –
प्रश्न 3: उत्तर – प्रश्न 4: उत्तर – जूझ कहानी में आनंदा ने अपनी पढ़ने की इच्छा मां को ही क्यों बताई थी?उत्तर: 'जूझ' कहानी का प्रमुख पात्र स्वयं कहानी का लेखक है। वह पिछले वर्ष पाँचवी कक्षा में आया था, किन्तु उसके दादा ने उसे पाठशाला नहीं भेजा। लेखक पढ़ना चाहता है परन्तु दादा से वह अपनी इच्छा कह नहीं सकता। अतः माँ से पढ़ने भेजने की बात करता है।
जूझ कहानी का कथानायक पढ़ाई लिखाई क्यों करना चाहता था?लेखक बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई के महत्व को जानता था। पिताजी का खेतों में दिन-दिन भर काम करना और उसके बाद भी घर के लिए पूरा नहीं हो पाता था। लेखक सोचता था कि यदि वह पढ़ाई-लिखाई कर लेगा, तो किसी अच्छी जगह नौकरी करने लगेगा। आगे चलकर व्यापार आदि में भी भविष्य आजमा पाएगा।
जूझ कहानी के लेखक की अपने मास्टर सौंदलगेकर के संपर्क में आने से कौन सी भाषा में सुधार हुआ?लेखक की पाठशाला में मराठी भाषा के अध्यापक श्री सौंदलगेकर स्वयं कवि थे . वे जब पढ़ाते थे तो वे कविता को मधुर स्वर में गान करते थे . साथ ही छात्रों को भाव ,छंद ,लय ,गति आदि का भी ज्ञान कराते थे . लेखक उनसे बहुत प्रभावित हुआ ,उन्होंने लेखक को कविता रचना की प्रेरणा दी .
जूझ पाठ के नायक को अकेलेपन में आनंद क्यों आने लगा?उसे अकेलापन अब अच्छा लगने लगा था। वह चाहता था कि कोई उसे कविता रचते समय न टोके। वास्तव में कविता के प्रति लगाव होने के बाद लेखक के लिए अकेलापन ज़रूरी हो गया था। इसी अकेलेपन में वह कविताएँ रच सकता था।
|