jain dharm ke antim tirthankar kaun the Show
जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी थे ।
जैन धर्म के संस्थापक कौन थे | jain dharm ke sansthapak kaun the | जैन धर्म का इतिहास, शिक्षाएं, पाँच महाव्रत और सिद्धांत – भारतवर्ष प्राचीन काल से ऋषि मुनियो और संतो की भूमि रही है. यहां पर अनेक संतो ने जन्म लिया है जिन्होंने धर्म का मुख्य आधार जीव सुरक्षा और राष्ट्र प्रेम को बताया. ऐसा ही एक प्राचीन धर्म जैन धर्म है. लेकिन आपको पता ही जैन धर्म की संस्थापक कौन थे. तो इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है जैन धर्म की स्थापन किसने की इसके साथ इस आर्टिकल में हम जैन धर्म से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करेंगे.
जैन धर्म के संस्थापक कौन थे | jain dharm ke sansthapak kaun theजैन धर्म मे अहिंसा को परम धर्म माना जाता है. वैसे तो जैन धर्म मे 24 तिर्थकर थें. जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तिर्थकर ॠषभदेव थें. इन्हे जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है. और भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थकर थे. भगवान महावीर स्वामी को वर्धमान के नाम से भी माना जाता है. सूरसागर किसकी रचना है | सूरसागर का सबसे चर्चित प्रसंग कौनसे है जैन धर्म क्या हैजैन धर्म भारत के प्राचीनतम धर्मो में से एक है. जैन शब्द का शाब्दिक अर्थ “ जिन से प्रवर्तित धर्म” है. जो “जिन” के अनुयायी हो उन्हें “जैन” कहा जाता है. “ज़ि” धातु से “जिन” शब्द बना है. जिसका अर्थ होता है ‘ज़ि‘ मतलब जीतना और ‘जिन’ मतलब जीतने वाला. जिन्होंने अपने मन, वाणी और काया को जित लिया वो “जिन” होता है. जैन धर्म की स्थापना का श्रेय ॠषभदेव को जाता है. और इस धर्म को विकसित और संगठित करने का श्रेय वर्धमान महावीर स्वामी को जाता है. जैन धर्म कि शिक्षाएं, सिद्धांत, महाव्रत, और जैन अनुयायो ने जैन धर्म को बहुत ही बल से सिंचा है. यह शिक्षाए, सिध्दांत और महाव्रत भगवान वर्धमान युगों पहले दे कर गए थे जिनका पालन करना प्रत्येक जैनी का कतर्व्य है. सिक्किम की भाषा क्या है | सिक्किम के बारे में जानकारी | सिक्किम का संक्षिप्त इतिहास जैन धर्म का इतिहासजैन धर्म की उत्पति मगध मे हुई थी. लेकिन यह धर्म समस्त भारत में कम ही समय में फैल गया था. जैन धर्म कि स्थापना का श्रेय ॠषभदेव को जाता है. जिन्हें आदिनाथ भी माना जाता है. जो चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे. और इस धर्म को विकसित और संगठित करने का श्रेय वर्धमान महावीर स्वामी को जाता है. ॠषभदेव का प्रतीक चिन्ह ‘सांड या बैल’ है और वर्धमान महावीर स्वामी जी का प्रतीक चिन्ह ‘सिंह’ को माना जाता है. महावीर स्वामी का जन्म 540 ईसा पुर्व में कुंडग्राम में हुआ था. जैन धर्म कितने वर्ष पुराना हैसिंधु घाटी सभ्यता से हमे जैन धर्म के अवशेष प्राप्त होते है. अर्थात जैन धर्म का अस्तित्व प्राचीन काल से है. जैन ग्रंथो के अनुसार जैन धर्म भगवान आदिनाथ के समय से अस्तित्व में आया था. क्योकि भगवान आदिनाथ के समय से ही तीर्थकर परम्परा की शुरुआत हुई थी. आर्य समाज की स्थापना किसने और कब की थी | आर्य समाज के 10 नियम क्या है जैन धर्म की स्थापना कब हुईजैन धर्म स्थापना बौध्द धर्म से भी प्राचीन है. जैन धर्म का जन्म वैदिक काल में ही हो गया था. भगवान ऋषभदेव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है. तथा उन्होंने जैन की उत्पति मगध में की थी. जैन धर्म मे कुल 24 तीर्थकर हुए जिसमें से महावीर स्वामी को 24 वे और अंतिम तीर्थकर थे. जिन्हें जैन धर्म को संगठित करने का श्रेय भगवान महावीर को जाता है. जिन्होने जैन धर्म को पुरे भारत में प्रचार किया था. जिनका जन्म 540 ईसा पुर्व में कुंडग्राम में जिल्ला वैशाली बिहार में हुआ था. इनका बचपन का नाम वर्धमान था. इनके के पिता नाम का नाम सिधार्थ और माता का नाम त्रिशला था. समाचार कैसे लिखा जाता है स्पष्ट कीजिए | समाचार लेखन में क्या महत्वपूर्ण होता है जैन धर्म की शिक्षाएंभगवान महावीर स्वामी ने जैन धर्म में सहि विश्वास, ज्ञान और उचित आचरण पे जोर दियाँ है. विश्वास,उचित आचरण और ज्ञान से हि मनुष्य के जीवन को सही दिशा और उसके जीवन को आकार मिल सकता है. उनका मानना था की सभी आत्माए एक शक्ति है. उनके अस्तित्व में विश्वास था. जों सबसे सर्वंशक्तिमान है. जैन धर्म की शिक्षाएं समानता,अहिंसा और आध्यात्मिक मुक्ति के विचारों पर बल देती है. महावीर ने युगो से जो पढ़ाया और जो शिक्षाएं दि वो अभी के आधुनिक युग में भी बहुत महत्व रखती है. दास कैपिटल की रचना किसने की थी | दास कैपिटल का प्रकाशन किस वर्ष हुआ जैन धर्म के सिद्धांत क्या हैजैन धर्म क़े सिद्धांत कुछ इस प्रकार है:
जैन धर्म का प्रथम सिद्धांत अहिंसा है. अर्थात किसी भी जिव को कष्ट ना दियाँ जाए और घायल ना किया जाए. जैनी लोग पैड-पौधों तथा वायु मे प्राण मानते है. इसलिये वे नंगे पैर घुमते है. मुँह पर पट्टी बाँधते है. और पानी भी छान कर पीते है. ताकि उनसे कोई जिव हत्या ना हो और उन्हे कष्ट ना पहोचे. तम्बाकू पर किस शासक ने प्रतिबन्ध लगाया था | तंबाकू का सेवन सर्वप्रथम किसने किया इनका दूसरा सिद्धांत घोर तपस्या और आत्म त्याग है. जैन धर्म के अनुयाय अपने शरीर को कष्ट देकर अपनी मन और इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना जानते है. वें भूखे रहकर और घोर तपस्या को शुभ मानते है. दूसरा सिद्धांत है सत्य बोलना. तीसरा सिद्धांत है अश्तेय मतलब चोरी नहीं करना. चौथा सिद्धांत है त्याग मतलब संपति का मालिका नहीं होना. पाचवां सिद्धांत है ब्रह्मचर्य मतलब सदाचारि जीवन जीना. जैन धर्म के पाँच महाव्रत कौन से हैभगवान महावीर स्वामी ने जैन अनुयायी को पाँच महाव्रत दिये. यह पांच महावत निम्नलिखित है:
कला किसे कहते है | कला की परिभाषा | कला का वर्गीकरण | कला के कितने रूप होते हैं निष्कर्षइस आर्टिकल (जैन धर्म के संस्थापक कौन थे | jain dharm ke sansthapak kaun the | जैन धर्म का इतिहास, शिक्षाएं, पाँच महाव्रत और सिद्धांत) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको जैन धर्म के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. जैन धर्म के संस्थापक का नाम भगवान ॠषभदेव है. जैन धर्म भारत के प्राचीन धर्मो में से एक है तथा इस धर्म का आधार जिव रक्षा और सत्य है. इस आर्टिकल में हमने जैन धर्म की शिक्षाओं, सिद्धांत और महाव्रत का वर्णन किया है. पारस पत्थर क्या हैं | पारस पत्थर की पहचान क्या है प्रकाश वर्ष किसका मात्रक है | एक प्रकाश वर्ष तुल्य होता है नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है | नेपोलियन कौन था | नेपोलियन बोनापार्ट इतिहास आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद. जैन धर्म के अंतिम प्रवर्तक कौन थे?(6) महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हैं. (7) महावीर का जन्म 540 ई. पू. पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था.
जैन धर्म के अंतिम एवं २४ कर कौन थे?चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी (५९९-५२७ ईसा पूर्व) थे, जिनका अस्तित्व एक ऐतिहासिक तथ्य स्वीकार कर लिया गया है।
जैन धर्म का पतन कब हुआ?छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जब भगवान महावीर ने जैन धर्म का प्रचार किया तब यह धर्म प्रमुखता से सामने आया। इस धर्म में 24 महान शिक्षक हुए, जिनमें से अंतिम भगवान महावीर थे। इन 24 शिक्षकों को तीर्थंकर कहा जाता था, वे लोग जिन्होंने अपने जीवन में सभी ज्ञान (मोक्ष) प्राप्त कर लिये थे और लोगों तक इसका प्रचार किया था।
जैन धर्म की स्थापना कौन थे?जैन धर्म के संस्थापक प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव या आदिनाथ हैं।
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