जनसंख्या नियंत्रण के उपाय कौन कौन से हैं? - janasankhya niyantran ke upaay kaun kaun se hain?

डा. सुनील कुमार मिश्र। भारत एक विकासशील देश है और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। परंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सबसे बड़ी बाधा के रूप में दिखाई देती है। हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर है और पिछले कुछ वर्षो में जनसंख्या वृद्धि की जो दर रही है, जल्द ही सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन को पीछे छोड़ सकता है। निरंतर बढ़ती जनसंख्या न केवल आर्थिकी को क्षति पहुंचा रही है, अपितु सरकार द्वारा रोजगार प्रदान करने की राह में प्रमुख बाधा के रूप में भी दिख रही है। उदाहरणस्वरूप सरकार जब तक एक करोड़ रोजगार के अवसर सृजित करती है, तब तक उसकी तुलना में जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है। इस कारण तमाम समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। तेजी से बढ़ रही जनसंख्या कई प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन का कारक भी है जिसके भविष्य में गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

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बड़ी जनसंख्या किसी भी देश के विकास को गति देने में सक्षम है। विशाल भूभाग में फैले चीन जैसे देश के लिए तो यह सही है, परंतु भारत जैसे देश में जहां तुलनात्मक रूप से संसाधनों पर अधिक आबादी का बोझ हो, वहां यह विकास की राह में बाधक ही साबित हो रही है। स्वाधीनता के बाद से भारत की जनसंख्या में लगभग सौ करोड़ की वृद्धि हो चुकी है, परंतु संरचनागत संसाधनों में यह वृद्धि दर बेहद धीमी रही है। कोविड महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा जिसके मूल में जनसंख्या अनुपात एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा अंतर स्पष्ट रूप से नजर आया। यही नहीं, इस दौरान सरकार द्वारा व्यापक आबादी को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए सरकारी खजाने को खाली करना पड़ा जिसका महंगाई पर असर पड़ा। जनसंख्या और महंगाई बढ़ने में प्रत्यक्ष संबंध है। जनसंख्या वृद्धि एवं उपलब्ध संसाधनों में अनुपातिक वृद्धि न होने की वजह से देश संसाधनों की कमी का सामना करता है जिसकी पूर्ति के लिए सरकार को संबंधित वस्तुओं का विदेश से आयात करना पड़ता है।

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किसी भी राष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है कि उसके विकास में वहां की समग्र जनसंख्या सहभागी बने। यह तभी संभव है जब सभी को समान अवसर उपलब्ध हों। सरकार के समक्ष, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली जनसंख्या को विकास प्रक्रिया में सहभागी बनाने की चुनौती है। विकास एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसे समग्र सहभागिता द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही सहभागिता तभी संभव है जब हम तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या को जल्द से जल्द रोकने के लिए ठोस उपाय करें। बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है, ताकि भारतीय जनमानस के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके।

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ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कानून बनाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस संदर्भ में देरी जनता पर भारी पड़ती हुई दिख रही है। विविध राजनीतिक दलों से जुड़े राजनेताओं एवं धर्मगुरुओं को आगे बढ़कर जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करनी चाहिए जिससे यह कानून संसद के आगामी सत्र में लाया जा सके और आसानी से पारित हो सके। हमें अपनी प्राथमिकताओं को भी समझना होगा और निश्चित रूप से जाति आधारित जनगणना से पहले आबादी नियंत्रण के प्रभावी उपायों को प्रोत्साहित करना होगा।

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Solution : जनसँख्या वृद्धि नियत्रण के दो उपाय है-
(अ) योजनाबद्ध आबादी का नियत्रण-संसार की जनसंख्या को नियत्रित करने का सीधा तरीका जन्मदर को कम करना। जन्मदर निम्न के द्वारा कम की जा सकती है-
शिक्षा- लोगों को बड़े परिवार से होने वाले नुक्सार तथा छोटे परिवार से होने वाले लाभ का ज्ञान होना चाहिए।
शादी योग्य उम्र-शादी की उम्र को बढाकर हम आबादी वृद्धि कम कर सकते है। आजकल भारत में लड़के के लिए शादी की वैधानिक उम्र 21 वर्ष तथा लड़की के लिए 18 वर्ष है।
परिवार नियोजन- जन्म नियतं के लिए उपयोग होने वाले उपाय निम्न है-
(क) मासिक चरक से एक सप्ताह पूर्व तथा एक सप्ताह बाद का समय मैथुन के लिए सुरक्षित काल है इस उपाय से गर्भधारण की संभावना कम होती है।
(ख) निरोध की उपयोग भारत में पुरुषो द्वारा गर्भ निरोधक के रूप में सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाने वाला तरीका है।
(ग) स्त्रियों के गर्भाशय में शुक्राणु के प्रवेश को रोकने के लिए डायफ्रॉम और सर्वाइकल टोपी का उपयोग ।
(घ) पुरुष में वेसेक्ट्रोमी व स्त्रियोंमें ट्युबेक्ट्रोमी स्थायी जन्म नियत्रण करती है।
(ब) आबादी का प्रलयवादी नियत्रण - जब आबादी वातावरण की वहां क्षमता से अधिक हो जाती है, तो आबादी में तेजी से गिरावट आती है। वह क्षमता के ऊपर की आबादी भुखमरी के कारण मर जाती है।
इस प्रकार के नियत्रण प्रकृतिक होते है, जैसे- भूकंप सुनामी प्रकोप, महामारी, बाढ़ , भीषण गर्मी, ठंडी एवं अत्याधिक वर्षा आदि कारक भी जनसंख्या नियत्रण प्रकृतिक रूप में हो जाती है। अधिक जनसंख्या वृद्धि के कारण स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता जिससे संक्रमक रोग भी जनसंख्या नियत्रण के कारक हो जाते है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए कौन कौन से उपाय हैं?

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय.
1- शिक्षा का प्रसार- भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या गॉंवों में निवास करती है। ... .
2- परिवार नियोजन- ... .
3- विवाह की आयु में वृद्धि करना- ... .
4- संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण- ... .
5- सामाजिक सुरक्षा- ... .
6- सन्तति सुधार कार्यक्रम- ... .
7- जीवन-स्तर को ऊॅंचा उठाने का प्रयास- ... .
8- स्वास्थ्य सेवा व मनोरजन के साधन-.

भारत में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कौन से उपाय किए गए हैं?

परिवार नियोजन- जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए। 4. संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण- परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में संतान की सीमा निर्धारण करना अति आवश्यक है।

जनसंख्या वृद्धि को रोकने में कौन सहायक है?

भारत में जनसंख्या वृद्धि दर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, इसका प्रमुख कारण परिवार नियोजन के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। यदि नियोजन द्वारा बच्चों को जन्म दिया जाए तो यह जनसंख्या नियंत्रण का सबसे कारगर साधन हो सकता है।

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए कौन सी नीति अपनाई?

साल 1976 में देश की पहली जनसंख्या नीति की घोषणा की गई, बाद में 1981 में इस जनसंख्या नीति में कुछ संशोधन भी किए गए। इस जनसंख्या नीति के तहत जन्म दर तथा जनसंख्या वृद्धि में कमी लाना, विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि करना, परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करना और महिला शिक्षा पर विशेष जोर देने का लक्ष्य रखा गया था।