कबीर एक संत और समाज सुधारक के रूप में स्पष्ट कीजिए? - kabeer ek sant aur samaaj sudhaarak ke roop mein spasht keejie?

कबीर के समाज सुधार का वर्णन कीजिए?...

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कबीर एक संत और समाज सुधारक के रूप में स्पष्ट कीजिए? - kabeer ek sant aur samaaj sudhaarak ke roop mein spasht keejie?

Manoj Kumar

Spiritual Knowdge / working as a Social Worker

6:14

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कबीर जी ने अपने समय में समाज सुधार के अनेकों कार्य किया उन्होंने अपने भाइयों के माध्यम से समाज में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर वह आए गरीब दास जी द्वारा लिखित ग्रंथ में वर्णित है कि कबीर जी के उस समय में जब पूरे भारत वर्ष यानी कि अफगानिस्तान बांग्लादेश पाकिस्तान ईरान इराक की सबको मिलाकर उस समय भारतवर्ष था इतना विशाल क्षेत्रफल था भारतवर्ष का और इस विशाल क्षेत्रफल में 5 करोड़ के करीब आबादी थी सब इतने सारे क्षेत्रफल तू इतनी आबादी 5 करोड आबादी में से 6400000 से उस समय कबीर जी के अनिया विचार करें इतने बड़े अक्षय त्रिपल में भी जबकि कोई भी उस समय वर्तमान के साधन नहीं थे नहीं माइक दे नहीं पा से गाड़ियां चलती थी और फिर भी पैदल चलना होता था और उस समय में भी परमात्मा कबीर जी के 59 लाख की से हुए कबीर जी कहते थे धर्म में फैले पाखंडवाद पर चोट करते हुए कबीर जी ने कहा एक मुल्ला मस्जिद ने कुक के जब जिस समय पर मुसलमानों का राज भारतवर्ष पर था उस समय कबीर जी की वाणी या होती थी कि एक मुल्ला मस्जिद में कुकर एक पुकारे बुक का इनमें कौन सा रोग में जागा इन्नाला क्या धोखा कंकर पत्थर जोड़ के मस्जिद लई बनाय तार चढ़ी मूला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय और कबीर जी कहते थे कि मोको कहां ढूंढे रे बंदे मैं तो तेरे पास में नाम है देवल ना मैं मस्जिद ना काबे कैलाश में ढूंढी हुई तुरंत मिल जाऊं एक पल ही कहते एक पल की की तलाश में कह कबीर सुनो भाई साधो मैं तो हूं विश्वास में यानी कि परमात्मा ने हर धर्म हर वर्ग पर जो भी पाखंडवाद फैला रहा था उस पर चोट की कबीर जी ने उस समय के पांडे जो लोगों को गुमराह करते थे उन पर जबरदस्त कटाक्ष किया जिनकी समाज में चलती थी अगर वह कुछ भी कह देते समाज को कैसी भी दिशा देते तो समाज उसी दिशा में चल देता था और इस चीज खोलें ओपन का फायदा उन्होंने समाज का उठाया तो उस पर कबीर जी कटाक्ष करते थे सीधा कबीर जी कहते थे कि पांडे निपुण बताइए संतो पांडे निपुण कसाई मतलब आप अंदाजा लगाइए कि उस समय जब एक तरफा मानसिक राज करते थे लोगों के दिमाग पर वो राज करते थे उस समय में कबीर जी ऐसी वाणी कबीर जी जो खुद को ऊंची जाति का कहने वाले होते थे जो आपको पंडित विद्वान समझते थे कबीर जी कहते थे कि यह तो ब्राह्मण ब्राह्मणी का जाया तो आन बाट काहू नहीं आया परमात्मा कहते थे कि अगर तुम ऐसे ही उच्च कुल के मानते हो अपने आपको ब्राह्मण श्रेष्ठ कहते हो तो आप अन्य किसी जगह से पैदा क्यों नहीं हुए वहीं से आपका जन्म क्यों हो रहा है जहां से अछूत का हो रहा है आप भी उसी तरह गंद में लिपटे हुए पैदा होते हो और वह अब जब एक ही तरह से पैदा हो रहे हैं एक ही जगह से पैदा हो रहे हैं तो फिर तुम श्रेष्ठ कैसे हुए तो इस तरह से परमात्मा कबीर जी कर समाज सुधार में बहुत ही बड़ा योगदान था हमने सिर्फ उनको एक साधारण कभी समझ लिया लेकिन कबीर जी तो कुछ अपने को छुपाकर एक संत की भूमिका निभा कर चले गए वास्तव में वह परमात्मा थे उन्होंने कहा है कि चारों युग में हम पुकारे को कहा हम हैं धीरे माणक मोती बरसे यह जग दुख देता हूं लेकिन यह समाज वह अमृत ज्ञान न सुनकर और ढले रूपी नकली साधनाएं करता है या निकल साधनों में फंसा हुआ है एक जगह कबीर जी कहते हैं कि सतयुग में शत-शत सुकृत कटेरा त्रेता नाम मुनींद्र मेरा द्वापर में करुणा मां कहा या कलयुग नाम कबीर कराया कबीर जी ने कहा कि मैं सतयुग में सत सुकृत नाम से आता हूं त्रेता में मुनेंद्र नाम से आता हूं द्वापर में करुणा में नाम से आता हूं और कलयुग में मैं खुद जो सतलोक में मेरा नाम है कबीर उसी नाम से प्रकट होता लेकिन दुर्भाग्य हमारा जो उस समय के कबीर जी से ईर्ष्या रखने वाले मुलाकात जी पांडे उन्होंने कबीर जी का जो ज्ञान था उसे छुपा दिया गया था कि आम जनता तक यह न पहुंचे और अगर यह ज्ञान चंदा में पहुंच गया तो उनका जो रोजी-रोटी जो लोगों को गुमराह करके चली हुई थी वह सब धंधा बंद हो जाएगा इसलिए हम कभी कबीर जी को समझ ही नहीं पाए आज फिर कबीर जी आप के मध्य आए हुए आप उन्हें फिर से नहीं पहचान पा रहे फिर वही फूल दौरा रहे हैं कृपया जरूर देखें साधना टीवी 7:30 पीएम से 8:30 पीएम आपको पता चलेगा कि कबीर फिर से समाज पर गंभीर चोट कर रहा है और हमें जगाने की फिर से कोशिश कर रहा है कृपया जरूर देखें साधना टीवी 7:30 पीएम से आदित्य

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संत कबीर दास के समाज सुधारक रूप की विवेचना कीजिए?

कबीर दास समाज सुधारक के साथ ही हिंदी साहित्य के एक महान समाज कवि थे । उन्होंने अनोखा सत्य के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन तथा कल्याण किया। जिससे मानव कुसंगति, छल कपट, निंदा, अंहकार, जाति भेदभाव, धार्मिक पाखंड आदि को छोड़कर एक सच्चा मानव बल सकता है। उन्होंने समाज में चल रहे अंधविश्वासों, रूढ़ियों पर करारा प्रहार किया।

कबीर एक समाज सुधारक संत थे उदाहरण सहित स्पष्ट करें?

कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया और मृत्यु के बाद भी हिंदू और मुस्लिम धर्म में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने का प्रयास किया। उन्होंने अपने जीवन काल में हिन्दू और मुस्लिम को एकता में पिरोने का काम किया। वे हिन्दू-मुस्लिम धर्मों में फैली कुरीतियों के सख्त विरोधी थे

कबीर एक समाज सुधारक इस विषय पर 100 शब्दों का एक लेख लिखिए?

कबीर दास जी हमारे हिंदी साहित्य के एक जाने माने महान कवि होने के साथ ही एक समाज सुधारक भी थे, उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और कुरीतिओं को ख़त्म करने की बहुत कोशिश की, जिसके लिये उन्हें समाज से बहिष्कृत भी होना पड़ा, परन्तु वे अपने इरादों में अडिग रहे और अपनी अंतिम श्वास तक जगत कल्याण के लिये जीते रहे।

कबीर की सखियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कबीर सच्चे समाज सुधारक थे?

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