कच्चे सकोरे का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है? - kachche sakore ka prateekaatmak arth kya hai?

विषयसूची

  • 1 कच्चे सकोरा का क्या अर्थ है?
  • 2 पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या?
  • 3 14 मानसरोवर से कवि का क्या आशय है?
  • 4 कच्चे सकोरे का क्या अर्थ है class 9?

कच्चे सकोरा का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकें(घ) ‘कच्चे सकोरे’ का क्या अर्थ है? (क) कवयित्री ने जीवन जीने के साधनों को क्या कहा और उत्तर : ‘कच्चे सकोरे’ का अर्थ है मिट्टी का बरतन इसका प्रयोग क्यों? नश्वर मानव-जीवन के लिए किया गया है। उत्तर : कवयित्री ने जीवन जीने के साधनों को कच्चे धागे की रस्सी (ङ) भवसागर में कौन-सा अलकार है?

कच्चे सकोरे कहकर कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तरः कवयित्री ने कच्चे सकोरे का उदाहरण देकर यह बताया है कि मेरे प्रयास इसलिए व्यर्थ हैं क्योंकि मेरी साधना अभी परिपक्व नहीं है। न खाकर, बनेगा अहंकारी। खुलेगी साँकल बंद द्वार की। प्रश्न (क) खा-खाकर कुछ नहीं प्राप्त होने का भाव स्पष्ट कीजिए।

गई न सीधी राह से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकें’गई न सीधी राह’ से यह तात्पर्य है कि कवयित्री ने भक्ति के सरल ईश्वर से है। मार्ग पर चलने के बजाय हठयोग का जटिल मार्ग अपनाया और वह अथवा – उस मार्ग पर चल पड़ी, जो सीधा मार्ग नहीं था।

पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या?

इसे सुनेंरोकेंपानी टपके कच्चे सकोरे से कवयित्री का आशय यह है कि मानवीय शरीर धीरे-धीरे कच्चे सकोरे की तरह कमजोर हो रहा है और एक दिन वह नष्ट हो जाएगा। जिस प्रकार कच्चे सकोरे से धीरे-धीरे पानी टपकने से वह नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार उसका शरीर भी धीरे-धीरे अपनी निश्चित आयु को प्राप्त हो कमजोर हो रहा है।

पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंपानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक,घर जाने की चाह है घेरे।। भावार्थ :- कवयित्री ने इन पंक्तियों में अपने इंतज़ार और प्रयास का वर्णन किया है कि कब उनका मिलन परमात्मा से हो पाएगा। जिस तरह कच्चे घड़े से पानी टपक-टपक कर कम होता जाता है, उसी तरह कवयित्री का जीवन भी कम होता जा रहा है।

ललद्यद के लिए साहब कौन हैं?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है। वाख में ‘रस्सी’ शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है।

14 मानसरोवर से कवि का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: मानसरोवर से कवि का आशय है-मन रूपी पवित्र सरोवर, जिसमें मनुष्य को स्वच्छ विचाररूपी जल भरा है। इस स्वच्छ जल में जीवात्मा रूप हंस, प्रभु-भक्ति में लीन होकर स्वच्छंद रूप से मुक्तिरूपी मुक्ताफल चुगते हैं। वे मानसरोवर छोड़कर अन्यत्र जाना भी नहीं चाहते हैं।

सुषुम सेतु क्या है यह किसे कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: ‘सुषुम-सेतु’ से तात्पर्य है-हठयोग में सुषुम्ना नाड़ी की साधना। इस कठिन साधना के बाद भी ईश्वर प्राप्ति की निश्चितता नहीं होती।

आई सीधी राह से गई न सीधी राह सुषुम सेतु पर खड़ी थी बीत गया दिन आह जेब टटोली कौड़ी न पाई माझी को दूँ क्या उतराई?

इसे सुनेंरोकेंसुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह! ज़ेब टटोली कौड़ी ना पाई। माझी को दूँ, क्या उतराई? भावार्थ :- अपनी इन पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य द्वारा ईश्वर की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर कड़ा प्रहार किया है।

कच्चे सकोरे का क्या अर्थ है class 9?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कच्चे सकोरे’ का अर्थ है मिट्टी का बरतन इसका प्रयोग नश्वर मानव-जीवन के लिए किया गया है।

विषयसूची

  • 1 कच्चे सकोरे से क्या तात्पर्य है?
  • 2 कच्चे सकोरे किसका प्रतीक है?
  • 3 कच्चे सकोरे का क्या अर्थ है कवयित्री ने अपने प्रयासों के लिए इसका प्रयोग क्यों किया है?
  • 4 रस्सी कच्चे धागे की कहने के पीछे कवित्री का क्या आशय है?
  • 5 पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या है?
  • 6 जीवन में हूक क्यों उठती है?
  • 7 कवयित्री के मन में किसकी हूक उठती है?
  • 8 कवयित्री के मन में क्या हूक उठती है *?
  • 9 कच्चे सकोरे का उदाहरण क्यों दिया गया है?
  • 10 पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या?
  • 11 पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का क्या अर्थ है?
  • 12 बंद द्वार का साँकल खोलने के ललए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया िै?

कच्चे सकोरे से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकें(घ) ‘कच्चे सकोरे’ का क्या अर्थ है? (क) कवयित्री ने जीवन जीने के साधनों को क्या कहा और उत्तर : ‘कच्चे सकोरे’ का अर्थ है मिट्टी का बरतन इसका प्रयोग क्यों? नश्वर मानव-जीवन के लिए किया गया है। उत्तर : कवयित्री ने जीवन जीने के साधनों को कच्चे धागे की रस्सी (ङ) भवसागर में कौन-सा अलकार है?

कच्चे सकोरे किसका प्रतीक है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कवयित्री ने अपने व्यर्थ हो रहे प्रयासों की तुलना कच्चे सकोरों से की है। मिट्टी के इन कच्चे सकोरों में जल रखने से जल रिसकर बह जाता है और सकोरा खाली रहता है उसी प्रकार कवयित्री के प्रयास निष्फल हो रहे हैं।

कच्चे सकोरे का क्या अर्थ है कवयित्री ने अपने प्रयासों के लिए इसका प्रयोग क्यों किया है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : कच्चे सकोरे का अर्थ है मिट्टी के बने छोटे कच्चे बर्तन । कवयित्री ने इसका उपयोग इसलिए किया है, क्योंकि जब इन कच्चे बर्तनों में पानी रखा जाता है, तो पानी टपकता है और बर्तन में कुछ भी नहीं बचता ठीक उसी तरह कवयित्री प्रभु को पाने की जो प्रयास कर रही है वह व्यर्थ जा रहा है और उसके हाथ में कुछ भी नहीं आ रहा है।

जी में हूक किसके उठती है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंजी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे। प्रश्न (क) कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास असफल क्यों हो रहे हैं? उत्तरः कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिये किये जा रहे प्रयास कच्चे धागे की तरह कमजोर है जो जीवन रूपी नौंका खींचने में असमर्थ हैं अतः सभी प्रयास निरर्थक हो रहे हैं।

कच्चे धागे की रस्सी तथा नाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनाव का मतलब है जीवन की नैया। इस नाव को हम कच्चे धागे की रस्सी से खींच रहे होते है। कच्चे धागे की रस्सी बहुत कमजोर होती है और हल्के दबाव से ही टूट जाती है। हालाँकि हर कोई अपनी पूरी सामर्थ्य से अपनी जीवन नैया को खींचता है।

रस्सी कच्चे धागे की कहने के पीछे कवित्री का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: यहाँ रस्सी से कवयित्री का तात्पर्य स्वयं के इस नाशवान शरीर से है। उनके अनुसार यह शरीर सदा साथ नहीं रहता। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ देता है और इसी कच्चे धागे से वह जीवन नैया पार करने की कोशिश कर रही है।

पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपानी टपके कच्चे सकोरे से कवयित्री का आशय यह है कि मानवीय शरीर धीरे-धीरे कच्चे सकोरे की तरह कमजोर हो रहा है और एक दिन वह नष्ट हो जाएगा। जिस प्रकार कच्चे सकोरे से धीरे-धीरे पानी टपकने से वह नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार उसका शरीर भी धीरे-धीरे अपनी निश्चित आयु को प्राप्त हो कमजोर हो रहा है।

जीवन में हूक क्यों उठती है?

इसे सुनेंरोकेंपानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥ इस कविता में रोजमर्रा की साधारण चीजों को उपमा के तौर पर उपयोग करके गूढ़ भक्ति का वर्णन किया गया है। नाव का मतलब है जीवन की नैया।

वाख ललद्यद अध्याय के अनुसार सकोरे शब्द का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंजाने कब सन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार। पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।। सकोरे-मिट्टी के पात्र जिनमें पानी या दूध पिया जाता है।

कवयित्री के जी में क्या हूक उठती है?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-5 कवयित्री के मन में किसके प्रति हूक उठती है और क्यों? उत्तर: कवयित्री के मन में भगवान के नजदीक पहुँचने की इच्छा बार बार उठ रही है। कवयित्री कहती है मेरी आत्मा परमात्मा से मिलने को व्याकुल हो रही है। भगवान कब मेरी पुकार सुनेंगे और मुझे भवसागर से पार लगायेंगे।

कवयित्री के मन में किसकी हूक उठती है?

इसे सुनेंरोकेंमित्र कवयित्री द्वारा ईश्वर प्राप्ति के सारे प्रयास विफल हो गए हैं। इसलिए उसके हृदय में एक हूक उठ रही है। वह ईश्वर के समीप जाना चाहती है अर्थात् मोक्ष प्राप्त करना चाहती है।

कवयित्री के मन में क्या हूक उठती है *?

कच्चे सकोरे का उदाहरण क्यों दिया गया है?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ग) कच्चे सकोरे का उदाहरण क्यों दिया गया है? उत्तरः कच्चे सकोरे से पानी टपकता रहता है। उसमें दृढ़ता नहीं होती है। इसलिए उसके प्रयास व्यर्थ हो रहे हैं।

कवित्री का घर जाने से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है? उत्तर: ‘घर जाने की चाह’का तात्पर्य है-इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने प्रभु की शरण में जाना। वह परमात्मा की शरण को ही अपना वास्तविक घर मानती है।

कच्चा धागा किसका प्रतीक है *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कच्चा धागा कमजोरी एवं अनिश्चितता का प्रतीक है। कच्चे धागा झूठे प्रयासों और नश्वर संसार का प्रतीक है।

पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या?

पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंपानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक,घर जाने की चाह है घेरे।। भावार्थ :- कवयित्री ने इन पंक्तियों में अपने इंतज़ार और प्रयास का वर्णन किया है कि कब उनका मिलन परमात्मा से हो पाएगा। जिस तरह कच्चे घड़े से पानी टपक-टपक कर कम होता जाता है, उसी तरह कवयित्री का जीवन भी कम होता जा रहा है।

बंद द्वार का साँकल खोलने के ललए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया िै?

इसे सुनेंरोकेंQuestion 5: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है? उत्तर: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवि ने इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने का सुझाव दिया है। इसका मतलब है कि यदि आप सच्चे मायने में भगवान को पाना चाहते हैं तो आपको लोभ और लालच से मोहभंग करना होगा।

ललद्यद के अनुसार ईश्वर कहाँ बसता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: कवयित्री ने ईश्वर को सर्वव्यापी बताते हुए उसे हर जगह पर व्याप्त रहने वाला कहा है। वास्तव में ईश्वर का वास हर प्राणी के अंदर है परंतु मत-मतांतरों के चक्कर में पड़कर अज्ञानता के कारण मनुष्य अपने अंदर बसे प्रभु को नहीं पहचान पाता है।

कच्चे सकोरे का क्या अर्थ होता है?

कच्चे सकोरे का अर्थ है - मिट्टी के कच्चे बर्तन।

सकोरा शब्द का अर्थ क्या होता है?

सकोरा का हिंदी अर्थ मिट्टी की एक प्रकार की छोटी कटोरी; कसोरा।

पानी टपके कच्चे सकोरे पंक्ति का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपानी टपके कच्चे सकोरे से कवयित्री का आशय यह है कि मानवीय शरीर धीरे-धीरे कच्चे सकोरे की तरह कमजोर हो रहा है और एक दिन वह नष्ट हो जाएगा। जिस प्रकार कच्चे सकोरे से धीरे-धीरे पानी टपकने से वह नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार उसका शरीर भी धीरे-धीरे अपनी निश्चित आयु को प्राप्त हो कमजोर हो रहा है।