कहानी में मोटे मोटे किस काम के हैं किसके बारे में और क्यों कहा गया है? - kahaanee mein mote mote kis kaam ke hain kisake baare mein aur kyon kaha gaya hai?

कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' किन के बारे में और क्यों कहा गया? 


कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के’ घर के बच्चों के लिए कहा गया है क्योंकि उनके माता-पिता काे लगता है कि वे केवल नौकरों पर हुक्म चलाते हैं और खा-पीकर आराम करते हैं। घर का कोई काम नहीं करते।

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कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी आदत क्यों बिगड़ी होगी? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?


इन बच्चों की आदतें बिगड़ने का कारण है इनसे बचपन में काम न लेना उन्हें किसी भी काम की जानकारी न देना। इसीलिए वे किसी भी काम को करने में सक्षम नहीं हैं। सभी कार्यों हेतु नौकरों पर निर्भर रहते हैं।
इन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं-
1. उन्हें छोटे-छोटे कार्यों को करने की स्वछंदता दी जाए।
2. कार्य गलत होने पर उन्हें डाँटना-फटकारना नहीं चाहिए।
3. प्रत्येक कार्य हेतु उनका आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए।
4. बच्चों के पूर्ण सहयोगी बनना चाहिए।
5. कार्य करते हुए यदि कोई मुश्किल आ जाए तो उन्हें सिखाना भी हमारा कर्तव्य बनता है।

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भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।


भरा पूरा परिवार सुखद तब बन सकता है जब सब मिल-जुलकर सभी कार्य करें व दुखद तब बनता है जब सभी स्वार्थ की भावना से कार्य करें, कोई अपने कार्यों के प्रति सचेत न हो। एक व्यक्ति पिसता रहे व दूसरे आराम करते रह। कामचोर कहानी के आधार पर तो यही कहा जा सकता है कि बच्चों को पहले तो कोई काम सिखाया नहीं गया और न ही किसी काम की जिम्मेदारी उन पर डाली गई। सभी काम अम्मा या घर के नौकर करते थे। एक समय ऐसा आया कि अम्मा-अब्बा भी नौकरों से तंग आ गए। उन्हें अपने बच्चे भी निठल्ले लगने लगे। एकदम से उनका यह निर्णय लेना कि सभी काम बच्चे करें परिवार के लिए दुखदायी बन जाता है क्योंकि बच्चों को किसी काम को करने का सलीका ही नहीं आता। सारा घर तूफान आने की भांति बिखर जाता है। यह सब माँ सहन नहीं कर सकती और यह निर्णय लेती है कि यदि बच्चे काम करेंगे तो वह अपने मायके चली जाएँगी। अंत में अब्बा बच्चों को हिदायत देते हैं कि वे किसी काम को हाथ नहीं लगाएँगे। यदि कोई काम करेंगे तो उन्हें रात का खाना नहीं दिया जाएगा।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि यदि बच्चों को थोड़ा-थोड़ा काम करने की आदत डाली जाती तो ऐसी दुखदायी स्थिति ही उत्पन्न न होती।

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बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा र्हुई?


बच्चों को जब घर के कार्य करने के लिए कहा गया तो वे करने के लिए तैयार तो हो गए लेकिन उन्हें कुछ भी न आता था। नतीजा यह हुआ कि घर में ऐसा अहसास होने लगा जैसे तूफ़ान आ गया हो। सबसे पहले दरी साफ की गई जिसने इतनी धूल उड़ाई कि घर ही धूल से भर गया बाद में पानी डालने से दरी की धूल कीचड़ ही हो गई। फिर पड़ी को पानी देने के बारे में सोचा तो छोटे से छोटा बर्तन भी इस कार्य हेतु जुज लिया गया और नल पर इतना झगड़ा हुआ कि कोई पानी न भर सका।
मुर्गियों को दड़बे में बंद करने की सोची गई तो सारी की सारी मुर्गियाँ घर में फैल गई , भेड़ों काे दाने का सूप दिया गया तो जैसे घर में तूफ़ान ही आ गया। बच्चों ने दूध दुहने की सोची तो भैंस को चाचाजी की चारपाई से इस कदर बाँधा कि वह चाचाजी को चारपाई समेत लेकर ही भाग गई।
शाम होने तक सारे घर में मुर्गियाँ, भेड़ें, टूटे हुए तसले. बालटियाँ, लोटे, कटोरे व बच्चे इस कदर दिखाई पड़ने लगे जैसे घर में तूफान आ गया हो। इस प्रकार बच्चों के ऊधम मचाने से घर की दुर्दशा हुई।

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कहानी में मोटे मोटे किस काम के हैं ?' किन के बारे में और क्यों कहा गया?

कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के' घर के बच्चों के लिए कहा गया है क्योंकि उनके माता-पिता काे लगता है कि वे केवल नौकरों पर हुक्म चलाते हैं और खा-पीकर आराम करते हैं। घर का कोई काम नहीं करते।

कामचोर कहानी से हमें क्या संदेश मिलता है?

'कामचोर' कहानी क्या संदेश देती है? Solution: यह एक हास्यप्रधान कहानी है। यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को घर के कामों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए। उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए।

बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दशा हुई?

बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई? उत्तर:- बच्चों के उधम मचाने से घर अस्त-व्यस्त हो गया। मटके-सुराहियाँ इधर-उधर लुढक गए। घर के सारे बर्तन अस्त-व्यस्त हो गए।