सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है भारतीय इतिहास कई महान व्यक्तियों की बदौलत सम्पूर्ण विश्व में जाना जाता है। भारतीय धरा पर कई विद्वान् और पंडित हुए हैं जिन्होंने इस धरती को ऐसी देन दी है जिस से हर भारतीय का सीन गर्व से चौड़ा हो
जाता है। इन्हीं महान आत्माओं में से एक हैं कालिदास। इनके जीवनकाल से सकारात्मक होकर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। आइये जानते हैं महाकवि कालिदास और विद्योत्तमा के जीवन के बारे में :- कालिदास का जन्म किस काल में हुआ और वे मूलतः किस स्थान के थे इसके बारे में अलग-अलग विद्वानों में काफ़ी विवाद है। कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर उन्होंने काफी रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। वे अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं। कालिदास के बारे में कथाओं और किम्वादंतियों से ये पता चलता है की वह शक्लो-सूरत से सुंदर थे और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक थे। कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे। कालिदास और विद्योत्तमाकालिदास की पत्नी का नाम विद्योत्तमा था। ऐसा कहा जाता है कि विद्योत्तमा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ शादी करेगी। जब विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी कुछ विद्वानों ने कालिदास से उसका शास्त्रार्थ कराया। विद्योत्तमा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे। विद्योत्तमा को लगता था कि वो गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं। उदाहरण के लिए विद्योत्तमा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि यह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही है। उसके जवाब में उसने घूंसा दिखाया तो विद्योत्तमा को लगा कि वह कह रहा है कि पाँचों इन्द्रियाँ भले ही अलग हों, सभी एक मन के द्वारा संचालित हैं। कालिदास का विवाहकालिदास और विद्योत्तमा का विवाह हो गया तब विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चला कि वे अनपढ़ हैं। उसने कालिदास को धिक्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापिस नहीं आना। ⇒पढ़िए- भारत की पौराणिक संस्कृति | भारतीय संस्कृति की पहचान ( अस्ति कश्चित वागर्थीयम् नामसेडॉ कृष्ण कुमार ने १९८४ में एक नाटक लिखा, यह “नाटक कालिदास के विवाह” की लोकप्रिय कथा पर आधारित है। इस कथा के अनुसार, कालिदास पेड़ की उसी टहनी को काट रहे होते हैं, जिस पर वे बैठे थे। विद्योत्तम से अपमानित दो विद्वानों ने उसकी शादी इसी कालिदास के करा दी। जब उसे ठगे जाने का अहसास होता है, तो वो कालिदास को ठुकरा देती है। साथ ही, विद्योत्तमा ने ये भी कहा कि अगर वे विद्या और प्रसिद्धि अर्जित कर लौटते हैं तो वह उन्हें स्वीकार कर लेगी। जब वे विद्या और प्रसिद्धि अर्जित कर लौटे तो सही रास्ता दिखाने के लिए कालिदास ने उन्हें पत्नी न मानकर गुरू मान लिया।) कालिदास ने सच्चे मन से काली देवी की आराधना की और उनके आशीर्वाद से वे ज्ञानी और धनवान बन गए। ज्ञान प्राप्ति के बाद जब वे घर लौटे तो उन्होंने दरवाजा खड़का कर कहा – कपाटम् उद्घाट्य सुन्दरी (दरवाजा खोलो, सुन्दरी)। विद्योत्तमा ने चकित होकर कहा — अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः (कोई विद्वान लगता है)। उन्होंने विद्योत्तमा को अपना पथप्रदर्शक गुरू माना और उसके इस वाक्य को उन्होंने अपने काव्यों में जगह दी। और अपने जीवन काल के दौरान कई अद्भुत रचनाएँ दीं। कहते हैं कि कालिदासजी की श्रीलंका में हत्या कर दी गई थी लेकिन विद्वान इसे भी कपोल-कल्पित मानते हैं। क्लिक करें और पढ़ें भारतीय संस्कृति से जुड़ी कुछ और रोचक जानकारियां
इस तरह उनके जीवन से हमें बहुत सी शिक्षाएँ मिलती हैं। अगर कोई आपकी कमियां बताता है तो उसे हमें सकारत्मक तौर पर लेना चाहिए। जब हम कोई कार्य करने की सोचते हैं तो हमें अपने पथ से भटकना नहीं चाहिए। जीवन में अगर कभी अंधकार आये तो घबराना नहीं चाहिए। मित्रों आपको Kalidas Ki Kahani से क्या शिक्षा मिली कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखना ना भूलें। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। धन्यवाद। About The AuthorMr. GeniusMore from this Author मैं जो कुछ हूँ अपने पाठकों की बदौलत हूँ, अगर आप नहीं तो मेरा भी कोई वजूद नहीं। बस कमेन्ट बॉक्स में अपना प्यार और आशीर्वाद देते रहें। ताकि आगे भी मैं आपके लिए ऐसी ही रचनाएं लाता रहूँ। धन्यवाद। कालिदास पत्नी का नाम क्या है?संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार कालिदास का विवाह किसी इंट्रेस्टिंग कहानी से कम नहीं था। उनकी पत्नी विद्योत्तमा का चरित्र-चित्रण करते नाटक 'विद्योत्तमा' में कालिदास के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।
विद्योत्तमा किसकी पुत्री थी?'राजा शारदानन्द' की विद्योत्तमा नाम की एक विदुषी एवं सुन्दर कन्या थी। उसे अपनी विद्या पर बड़ा अभिमान था। इस कारण उसने शर्त रखी कि जो कोई उसे शास्त्रार्थ में पराजित करेगा उसी से ही वह विवाह करेगी।
कालिदास का असली नाम क्या था?कालिदास जी के बारेमें – Kalidas Information in Hindi. राजकुमारी विद्योत्तमा कौन थी?कालिदास की शादी मालव राज्य की अत्यंत बुद्धिमान और रूपवती राजकुमारी विद्योत्तमा से हुई थी। राजकुमारी का यह प्रण था कि वह उसी युवक से विवाह करेगी जो उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा। दूर दूर से आए विद्वान उससे हार गए तो उन विद्वानों के मन में ग्लानि उत्पन्न हो गई।
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