Rajasthan Me Sarwapratham Kis Riyaasat ne Sati Pratha Ko Gair Kanooni Ghosit Kiya ?A. जयपुर Show
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राजस्थान में प्रचलित विभिन्न सामाजिक कुरीतियाँ
सती प्रथा
कन्या वध
त्याग-प्रथा
डाकन-प्रथा
मानव-व्यापार प्रथा
समाधि प्रथा
राजस्थान में ब्रिटिश शासन के प्रभाव
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम
देश हितेषणी सभा
राजस्थान जनजागृति में आर्य समाज की भूमिका
स्वामी दयानन्द सरस्वती
राजस्थान में प्रशासनिक परिवर्तन
न्याय प्रशासन
कन्या वध को गैरकानूनी घोषित करने वाली राजस्थान की पहली रियासत कौन सी थी?कारण – कर्नल टॉड ने राजपूतों में जागीरों के छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाने और अपनी पुत्रियों को उचित दहेज देने में असमर्थ रहने को कन्या वध का कारण बताया है। राजस्थान में ब्रिटिश प्रभुत्व स्थापित होने के बाद सर्वप्रथम 1833 में कन्या वध को गैर-कानूनी घोषित करने वाला शासक कोटा महाराव रामसिंह था।
राजस्थान में कन्या वध पर रोक कब लगी?कन्या वध प्रथा-
राजपूतों में प्रचलित प्रथा जिसके अन्तर्गत लड़की के जन्म लेते ही उसे अफीम देकर अथवा गला दबाकर मार दिया जाता था। इस प्रथा पर सर्वप्रथम रोक हाडौती के पोलिटिकल एजेंट विल क्विंसन के प्रयासों से लार्ड विलियम बैंटिक के समय 1833 ई. में कोटा में तथा 1834 ई. में बूंदी राज्य में लगाई गई।
सती प्रथा पर रोक लगाने वाली पहली रियासत कौन सी थी?बाद में राजा राममोहन राय के प्रयत्नों से लार्ड विलियम बैंटिक ने 1829 ई. में सरकारी अध्यादेश से इस प्रथा पर रोक लगाई। सती प्रथा को सहमरण या अन्वारोहण भी कहा जाता है। अधिनियम के तहत सर्वप्रथम रोक कोटा रियासत में लगाई।
राजस्थान की पहली सती कौन थी?राजस्थान में 32 साल पहले हुआ रूप कंवर सती कांड एक बार फिर से सुर्खियों में है. चार सितंबर 1987 को सीकर जिले के दिवराला गांव में अपने पति की मौत के बाद उसकी चिता पर जलकर 18 साल की रूप कंवर 'सती' हो गई थी.
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