क्रिसमस कौन से धर्म के लोग बनाते हैं? - krisamas kaun se dharm ke log banaate hain?

एक समय क्रिसमस का त्योहार (festival) सिर्फ पश्चिमी देशों और ईसाई बहुल इलाकों में ही मनाया जाता था। लेकिन आज यह पूरी दुनिया में मनाया जाने वाला त्योहार बन गया है। क्रिसमस (Christmas) के त्यौहार (festival) के बारे में मान्यता है कि लोगों को पाप से मुक्त करने और उन्हें रोकने के लिए भगवान ने अपने पुत्र को भेजा था और ईसा मसीह ने लोगों को पाप से मुक्त करने के संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दे दी।

क्रिसमस का इतिहास

Christmas Day History

क्रिसमस (Christmas) का इतिहास (history) कुछ साल पुराना नहीं बल्कि कई सदियों पुराना है। कहा जाता है कि सबसे पहले क्रिसमस रोम देश में मनाया गया था। लेकिन 25 दिसंबर का दिन क्रिसमस से पहले रोम में सूर्य देव के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। उस समय रोम (Rom) के सम्राट सूर्यदेव (Suryadev) को अपना प्रमुख देवता मानते थे और सूर्यदेव की पूजा की जाती थी। लेकिन 330 ई. तक रोम में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार तेजी से होने लगा। रोम में ईसाई धर्म के अनुयायी अधिक संख्या में हो गए। इसके बाद 336 ईस्वी में ईसाई धर्म के अनुयायियों ने ईसा मसीह को सूर्य देव के अवतार के रूप में स्वीकार किया और तभी से 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। लोग इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं। क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म के लोगों के लिए नया साल होता है। हर साल की भाती इस साल भी यानी 2022 में भी क्रिसमस डे 25 दिसंबर को मनाया जा रहा है।

Christmas Essay In Hindi : क्रिसमस पर्व पर रंगबिरंगी सजावट, रौशनी, गिफ्ट्स, क्रिसमस ट्री आदि के अद्भुत आकर्षण में यह त्योहार मनाया जाता है, जिसे देखकर मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। प्रभु ईसा मसीह की जन्मदिन पर मनाया जाने वाला यह त्योहार ...

क्रिसमस का आगमन काल शुरू होते ही ईसाई बहुल इलाके सजने-संवरने लग जाते हैं. इस दौरान चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं भी शुरू हो जाती हैं. ये तो आप जानते ही होंगे कि पच्चीस दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्म हुआ था. इस दिन को क्रिसमस डे कहा जाता है और पूरे दिसंबर माह को क्राइस्टमास के नाम से जाना जाता है. क्राइस्टमास के खत्म होने के बाद ही ईसाई नववर्ष की शुरुआत होती है.

क्रिसमस शब्‍द का जन्‍म क्राईस्‍टेस माइसे अथवा ‘क्राइस्‍टस् मास’ शब्‍द से हुआ है. ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में तीन सौ छत्तीस ईस्वी में मनाया गया था. यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्‍ट के जन्‍म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्‍व में पच्चीस दिसम्‍बर को मनाया जाता है. यह ईसाइयों के सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍यौहारों में से एक है.

क्राइस्‍ट के जन्‍म के संबंध में नए टेस्‍टामेंट के अनुसार व्‍यापक रूप से स्‍वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा. गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्‍म देगी तथा बच्‍चे का नाम जीसस रखा जाएगा. व‍ह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्‍य की कोई सीमाएं नहीं होंगी. देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्‍चे को जन्‍म देगी. गैब्रियल ने जोसफ को सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे और उसका परित्‍याग न करे. जिस रात को जीसस का जन्‍म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्‍ते में थे. उन्‍होंने एक अस्‍तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्‍म दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया. इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्‍म हुआ.

भारत में क्रिसमस की धूम
प्रत्येक देश में ईसा मसीह के जन्मदिन की धूम रहती है. हर देश में वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार जन्मदिन मनाया जाता है. भारतीय ईसाई समाज जन्मदिन को बड़े ही सादगीपूर्ण तरीके से मनाते हैं. भारत में खासकर गोवा के पणजी में इस त्योहार की धूम देखने लायक रहती है.

पणजी के समुद्र तट पर कई देशी-विदेशी सैलानियों की भीड़ जुट जाती है. दिसंबर माह का मौसम भी खुशनुमा रहता है. समुद्र पर राइडिंग करने का मजा ही कुछ और होता है. पब, चर्च और बीच पर सांता क्लॉज की टोपी पहने सभी धर्म के लोग अंग्रेजी प्रार्थनाओं और गानों की धुन पर थिरकते हुए नजर आते हैं. चारों तरफ चर्च से केक की सुगंध आती रहती है. गोवा में इस उत्सव की धूम देखते ही बनती है. बेसिलिका ऑफ बॉम जीजस, सेंट एंटोनी चर्च, सेंट एंड्रू चर्च, नवेलिन आदि चर्च गोवा के प्रसिद्ध चर्च है.

केरल में कड़ाके की ठिठुरन के बीच जाति-धर्म का भेदभाव भुलाकर लोग क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं. ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार सर्वप्रथम भारत के इसी राज्य से ईसा मसीह के शिष्य सेंट थॉमस ने किया था, इसीलिए भारतीय राज्य केरल में ईसाई समाज के लोग बहुतायात में रहते हैं. सेंट जॉर्ज चर्च, होली फेमिली चर्च, सेंट फ्रांसिस चर्च, सेंट क्रूज बेसिलिका चर्च, सेंट जॉर्ज कैथेड्रल, पारुमाला आदि चर्च यहां के प्रसिद्ध चर्च है. केरल में सेंट थॉमस और माता मरियम के नाम पर ऐतिहासिक चर्च है. केरल के बाजारों में क्रिसमस की रौनक छाई रहती है. बच्चों के बीच सांता क्लॉज की मुखाकृति और टोपी को लेकर रोचकता और खुशी देखने को मिलती है.

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी क्रिसमस की धूम रहती है. मदर टेरेसा द्वारा सेवा और ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के चलते पश्चिम बंगाल में ईसाई समाज की अच्छी-खासी जनसंख्या हो चली है. मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चेरिटी के तत्वाधान में यहां के सेंट पॉल कैथेड्रल, सेंट जॉन, बंदेल आदि सभी चर्चों में हिंदू और ईसाई समाज मिलकर क्रिसमस का त्योहार का मजा लेते हैं. पश्चिम बंगाल और असम में बहुत सारे चर्च हैं, जहां क्रिसमस के दिन उनकी सजावट देखते ही बनती है.

इसी तरह देशभर के प्रमुख शहरों में क्रिसमस के दिन शॉपिंग मॉल और सड़कें सजी-धजी रहती हैं. ईसाई समाज के लोग सांता क्लॉज की टोपी और मुखाकृति पहनकर सड़कों पर जुलूस निकालते हैं. घर-घर में सुंदर-सा क्रिसमस ट्री सजाते हैं. एक-दूसरे को केक और मिठाइयाँ बाँटते हैं. चर्च में विशेष प्रार्थना करते हैं.

भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत जोश और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है. इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रि‍टिश और पुर्तगाली शासन के दौरान स्‍‍थापित किए गए थे.

भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्‍डरनेस और हिमाचल में क्राइस्‍ट चर्च, सांता क्‍लाज बैसिलिका चर्च, और केरल का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्‍ट चर्च तथा माउन्‍ट मेरी चर्च महाराष्‍ट्र में, तमिलनाडु में क्राइस्‍ट द किंग चर्च व वेलान्‍कन्‍नी चर्च, और आल सेंट्स चर्च व कानपुर मेमोरियल चर्च उत्‍तर प्रदेश में शामिल हैं.

क्रिसमस कार्यक्रम
क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद शुरू होते हैं. इसके बाद मनोरंजन किया जाता है. सुंदर रंगीन वस्‍त्र पहने बच्‍चे ड्रम्‍स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्‍ट्रा के साथ चमकीली छड़ियां लिए हुए सामूहिक नृत्‍य करते हैं.

सेंट बेनेडिक्‍ट उर्फ सान्‍ता क्‍लाज़, लाल और सफेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार होता है. वह बच्‍चों को प्‍यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार और अन्‍य वांछित वस्‍तुएं लाता है, जिन्‍हें वह संभवत: रात के समय उनके जुराबों में रख देता है.

क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं. वे प्‍यार व भाई चारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं.

क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्‍व में लोकप्रिय है. लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं. चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत् रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं और उपहार देते हैं. वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं.

क्रिसमस पार्टी बनाएं यादगार
हर किसी के क्रिसमस के आने का इंतजार रहता है. हो भी क्यों नहीं आखिर इस त्योहार में मजा जो बहुत आता है. मजे के लिए लोग काफी समय पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं. यदि अभी तक आपने तैयारी नहीं कि तो जल्दी ही कर लें क्योंकि बाद में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो याद आती हैं और फिर जल्दबाजी में की गई तैयारी में कुछ चीजें छूट जो जाती हैं. बजट को ध्यान में रखते हुए गिफ्ट, खान-पान वगैरह का इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिए.

हम आपको बताते हैं कि क्रिसमस पार्टी को किस तरह से यादगार बनाया जा सकता है:
1. क्रिसमस की पार्टी की तैयारी आमतौर से लोग महीने भर पहले करने लगते हैं. पब और डिस्क में क्रिसमस पार्टी करना आम बात है. मगर कुछ नए थीम को अपनाकर आप अपनी इस साल की पार्टी को यादगार बना सकते हैं. पार्टी ऐसी हो कि बच्चों से लेकर युवा सभी इस पार्टी का भरपूर मजा लें.

2. सबसे पहले अपने बजट के मुताबिक पार्टी का स्थान सुनिश्चित कर लें. फिर उन मेहमानों की लिस्ट बना लें और उन्हें समय पर न्यौता भी दे दें. इसके बाद अब समय आता है पार्टी के दौरान कौन-कौन सी फन एक्टिविटी रखी जाएगी, इसे भी आपस में सोच लें. सबसे आखिर में शॉपिंग से बचने के लिए गिफ्ट, कपड़े और खाने-पीने के सामान भी समय पर खरीद लें.

3. अकसर लोग क्रिसमस पार्टी के लिए पार्टी प्लानर रखते हैं, जिसके जिम्मे पार्टी की सभी तैयारी होती हैं. मगर थोड़ी सी समझदारी के साथ आप खुद भी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. चूंकि क्रिसमस पार्टी में फैमिली और फ्रेंड्‍स दोनों ही शामिल होते हैं इसलिए पार्टी का थीम सोच-समझकर रखना चाहिए.

4. कैरोल और प्रार्थना सभा के साथ गेम्स, डांस और लोगों की मौज मस्ती का पूरा ध्यान रखें. आप चाहे तो 'सांताक्लोज को पार्टी में ढूँढो' जैसे गेम्स बच्चों के लिए रखें. इसके अलावा बच्चों के कैरोल गान प्रतियोगिता और कविता सुनाओ प्रतियोगिता भी रख सकते हैं.

5. वैसे तो लोग बाजार से खरीदे हुई गिफ्ट देना पसंद करते हैं. मगर इस क्रिसमस पर आप किसी गैर सरकारी संस्था द्वारा हाथ से बनाए गए सामान और कार्ड दे सकते हैं. स्टोरी बुक, किताबें, वीडियो गेम्स, आई पोड, फनी कैप, सांताक्लोज के कपड़े और खाने-पीने का समान गिफ्ट के रूप में दे सकते हैं. बड़ों के लिए भी वाइन की बोतल, केक कुकीज, कपड़े आदि का चुनाव अपने बजट के मुताबिक कर सकते हैं.

क्रिसमस संदेश
क्रिसमस शांति का भी संदेश लाता है. पवित्र शास्त्र में ईसा को 'शांति का राजकुमार' नाम से पुकारा गया है. ईसा हमेशा अभिवादन के रूप में कहते थे- 'शांति तुम्हारे साथ हो.' शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है. घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है.

क्रिसमस संपूर्ण विश्व का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. क्रिसमस सभी राष्ट्रों एवं महाद्वीपों में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ के आंक़ड़ों के अनुसार विश्व के करीब डेढ़ सौ करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं. सौभाग्यवश भारत में भी क्रिसमस मनाया जाता है यद्यपि यहां की जनसंख्या के केवल ढाई फीसदी ईसाई लोग हैं.

ईसा के बारह शिष्यों में से एक, संत योमस, ईस्वी वर्ष बावन में दक्षिण भारत आए थे. उन्होंने दक्षिण भारत के कुछ प्राचीन राजाओं के महल में भी कार्य किए थे. अपने कामों के साथ-साथ योमस ईसा के सुसमाचार का प्रचार भी करते थे. इनसे प्रभावित होकर कुछ ब्राह्मणों ने ईसाई धर्म ग्रहण किया. इसी कारण दक्षिण भारत में कई पुराने गिरजाघर देखने को मिलते हैं.

शांति एवं सद्भावना ईसाई धर्म के बुनियादी आदर्श हैं. पहाड़ी उपदेश के दौरान ईसा ने कहा- 'धन्य है वे जो मेल कराने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे. धार्मिक कट्टरपंथ, पूर्वाग्रह, घृणा एवं हिंसा कोई भी धर्म का आधार नहीं बन सकता है.

दूसरों की गलतियों को माफ करना ईसाई धर्म का एक अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत है. ईश्वर के निकट जाने के लिए दूसरों की गलतियों को हृदय से माफ करना नितांत आवश्यक है. ईसा ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर. ईसा के अनुसार दूसरों को माफ करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी जाना चाहिए.

क्रिसमस पर ग्रीटिंस कार्ड का बढ़ता ट्रेंड
क्रिसमस की तैयारियां बाजार में जोरों पर चल रही हैं. हर बार की तरह इस बार भी क्रिसमस की खुशियों को एक-दूसरे के साथ बांटने के लिए जहां बाजार में खूबसूरत गिफ्ट्स की भरमार है, वहीं घर की सजावट को बढ़ाने के लिए बाजार में स्टाइलिश व्हाइट क्रिसमस ट्री उपलब्ध भी है जो दिखने में बहुत ही खूबसूरत हैं. इस क्रिसमस ट्री की खासियत है कि इसमें कलरफुल लाइटें जलती हैं जिससे इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है.

क्रिसमस पर सबसे अधिक महत्व रखने वाला सांता क्लॉज और क्रिसमस ट्री हर बार की तरह इस बार भी अपने नए रूप में मौजूद है, जो हर आयु के लोगों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. म्यूजिकल सांता क्लॉज के साथ-साथ लाइटिंग स्टैंड वाला व्हाइट क्रिसमस ट्री ग्राहकों को भा रहा है.

क्रिसमस के लिए खास तौर पर तैयार किया गया व्हाइट क्रिसमस ट्री लोगों को बहुत पंसद आ रहा है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसके हर आकार में उपलब्ध होने के कारण लोग इसे अपने बजट के मुताबिक खरीद सकते हैं. कलरफुल लाइटों से सजाए जाने के कारण रात के वक्त यह और भी सुंदर लगता है.

इस बार क्रिसमस सेलिब्रेशन म्यूजिक के साथ होगा. इसकी खासियत यह है कि कार्ड को ओपन करते ही मेरी क्रिसमस, मेरी क्रिसमस की आवाज आती है. इसके अलावा इसमें सांता क्लॉज की बच्चों के साथ तस्वीर और अंग्रेजी में लिखे क्रिसमस के बधाई संदेश भी लिखे हुए है.

मार्केट में शांता क्लॉज की झाँकी वाली कार्ड भी उपलब्ध है. इसमें उन्हें विभिन्न जगहों पर दर्शाया गया है. मसलन, बच्चों को गिफ्ट बाँटते, लोगों को बीच के हँसमुख मुद्रा में और बच्चों से बाते करते हुए. कार्ड में बधाई संदेश भी लिखे हुए हैं. यह विभिन्न रेंज में उपलब्ध है.

क्रिसमस कार्ड में एक झालरनुमा कार्ड भी है. इसमें लिखा हैप्पी क्रिसमस और छोटे-छोटे घुंघरू काफी आकर्षक है. इसके अलावा अन्य छोटे-बड़े कार्ड है, जिसमें थिंकिंग ऑफ यू, मेरी क्रिसमस जैसे वाक्य लिखे हुए हैं. स्लेज खींचते रेनडियर और उन पर सवार सांता क्लॉज वाले कार्ड का पुराने समय से चले आ रहे हैं. इनकी माँग कभी कम नहीं होती.

किसी भी त्योहार में कार्ड का अपना अलग ही महत्व होता है. यह दिल की बातों को अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है. न्यू ईयर और क्रिसमस पास-पास होने के कारण इस बार बाजार में कार्ड की अच्छी खासी रेंज है.

क्रिसमस का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आता जाता है, वैसे-वैसे दुनिया भर के लोगों में इसे लेकर उत्साह बढ़ता जाता है. इस त्योहार पर सबके चहेते सांता क्लॉज बच्चों को उनके मनपसंद तोहफे देकर लुभाते हैं और लोग अपने मित्रों और परिजनों को कार्ड अथवा कोई सौगात देकर उन तक अपनी शुभकामनाएं पहुंचाते हैं. क्रिसमस कार्ड डे के रूप में कार्ड लेने और देने के इस प्रचलन के कारण हर साल नौ दिसंबर को मनाया जाता है.

अलग-अलग रंगों से सजे और विभिन्न आकार में कार्ड बाजार में मौजूद हैं. कार्ड पर लिखे कोटेशन उसके आकार और छपाई से इन कार्डों की कीमत निर्धारित की जाती है. वैसे तो हर त्योहार पर कार्डों की बिक्री बढ़ जाती है, लेकिन यह एक खास वर्ग तक सीमित रहती है. मगर क्रिसमस के आते ही समाज के हर वर्ग में कार्ड और उपहारों के प्रति रुझान बढ़ जाता है.

पिछले कुछ अर्सों में ई-कार्ड्स का चलन काफी बढ़ा हुआ है. ये कार्ड कम्प्यूटर पर आसानी से उपलब्ध रहते तो है साथ ही इनको पलक झपकते ही दुनिया में कहीं भी आसानी से भेजा जा सकता है. इनके चलते कार्ड्स की बिक्री में थोड़ी कमी देखी जा रही है. फिर भी देशभर में बिक्री होने वाले कार्डों की कीमतों के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन निश्चित तौर पर दुनिया भर में मनाए जाने वाले क्रिसमस पर्व पर होने वाला कारोबार करोड़ों रुपये का आंका जा सक‍ता है.

क्रिसमस से जुड़ी कुछ रोचक बातें
क्रिसमस एक ग्लोबल त्योहार है. क्रिसमस की तैयारियां आमतौर पर एक महीने पहले से जोर पकड़ लेती हैं और फिर लगभग पूरे दिसंबर माह दुनिया भर में इसकी धूम रहती है. दुनिया भर में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. चलिए जानते हैं क्रिसमस से जुड़ी कुछ रोचक बातें-

1. दक्षिणी गोलार्ध में क्रिसमस गर्मी की छुट्टियों में मनाया जाता है. चौंकिए नहीं... तारीख वही है पच्चीस दिसंबर लेकिन इस हिस्से में यह गर्मियों का मौसम होता है. इस गोलार्ध में अफ्रीकी देश, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण अमेरिका आदि आते हैं. तो यहां क्रिसमस धूप स्नान करते हुए सेलिब्रेट किया जाता है.

2. ये शायद मूड की बात है और भौगोलिक परिस्थितियों की भी. हवाई में सांता क्लॉज बोट में आते हैं और कैलिफोर्निया में सर्फिंग बोर्ड पर सर्फ करते हुए.

3. पोलिश अमेरिकन्स आज भी अपने किचन के फर्श पर सूखी घास बिछाते हैं ताकि वो उस गौशाला जैसा माहौल लगे जहां यीशू ने जन्म लिया था. यही नहीं वे डायनिंग टेबल के पास दो खाली कुर्सियां भी रखते हैं. एक मदर मेरी के लिए और दूसरी नन्हें यीशू के लिए. इस उद्देश्य के साथ कि अगर कभी वे पनाह मांगते हुए घर के दरवाजे पर दस्तक दें, तो उनका स्वागत है.

4. फ्रांस में इस दिन के लिए घरों में एक 'थ्री किंग्स केक' बनाया जाता है जिसमें एक-एक बीज छुपा दिया जाता है. जिसके हिस्से में ये बीज आ जाए, वो एक दिन के लिए क्रमशः राजा-रानी बन जाता है.

5. जर्मनी में इस अवसर पर फलों की छोटी-छोटी फलों की गुड़ियां, अदरक युक्त ब्रेड के घर आदि बनाए जाते हैं. यहां बच्चे 'क्राइस्ट किड' के नाम मनपसंद उपहारों के लिए बकायदा खत लिखते हैं और उसे खिड़की पर टांग देते हैं. यह ‘क्राइस्ट किड’ सफेद परिधान और परों वाला एक फरिश्ता होता है जो सुनहरा मुकुट पहने होता है और बच्चों को गिफ्ट बांटता है. उपहारों के लिए लिखे गए खतों के लिफाफों पर शक्कर के दानों से सजावट भी की जाती है ताकि वो चमकते रहें.

6. स्पेन में क्रिसमस गिफ्ट बच्चों तक जनवरी में पहुंचती है. क्योंकि एक पारंपरिक मान्यता के अनुसार 'तीन नजूमी' इसी दिन यीशू तक उपहार लेकर पहुंचते हैं. यहां तोहफों की आस में मोजे नहीं बल्कि जूते टांगे जाते हैं, वो भी रात को घरों की बालकनी में. इन जूतों में ढेर सारी जौ की बालियां भर दी जाती हैं. उन ऊंटों के लिए जिन पर तीनों नजूमी रात भर सफर करके, गिफ्ट्स लेकर आएंगे. सुबह होने पर जूतों में बालियों की जगह तोहफे होते हैं.

7. बुल फाइट के लिए प्रसिद्ध स्पेन में क्रिसमस के दिन गाय को भी आदर देकर पूजा जाता है क्योंकि यीशू के जन्म के समय आखिर गौशाला में गाय ने भी यीशू को संरक्षण दिया था और अपनी सांसों के जरिए बच्चे को गर्माहट देने में भी मदद की थी.

क्रिसमस कौन से धर्म के लोग मानते हैं?

क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाते हैंक्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान प्रदान, सजावट का सामान और छुट्टी के दौरान मौजमस्ती के कारण यह एक बड़ी आर्थिक गतिविधि बन गया है और अधिकांश खुदरा विक्रेताओं के लिए इसका आना एक बड़ी घटना है।

क्रिसमस कौन बनाते हैं?

25 दिसंबर को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है और ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। आजकल पूरी दुनिया में क्रिसमस केवल ईसाइयों द्वारा ही नहीं बल्कि सभी या गैर ईसाइयों द्वारा भी मनाया जाता है। बच्चे विशेष रूप से इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें कई उपहार मिले हैं

क्रिसमस धर्म के संस्थापक कौन थे?

ईसा मसीह, ईसाई धर्म के संस्थापक के रूप में सम्पूर्ण विश्व में पूजनीय है एवं क्रिश्चियन लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर के पवित्र पुत्र के रूप में पूजा करते है।

क्रिसमस में किसका जन्म हुआ था?

Christmas 2022: 25 दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभू ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में क्रिसमस मनाया जाएगा. जानते हैं कैसे हुआ ईसा मसीह के जन्म और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी.